Quotes by Pawan Shukla in Bitesapp read free

Pawan Shukla

Pawan Shukla

@pawankumarshukla9gma


घर से थोड़ी दूर एक मंदिर है
एक पगडंडी है
झाड़ में पंछी हैं
हवा की सरसराहट है
शुकून है
शीतल छांव है
जी हां मेरा गांव है.

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......जिज्ञासु यात्री........

ना आत्ममुग्ध ,ना मंत्रमुग्ध,
मै जिज्ञासु युक्त यात्री जग के
उन्मुक्त धरा, उन्मुक्त व्योम,
उन्मुक्त सभी बंधन भव के,
ना शूरवीर, ना नवनियुक्त,
ना अविरल गुण प्रवाहमय है
उन्माद मुक्त ,भय से विमुक्त,
आस्था मेरा शिवाय में है
ना दुर्गति अति, ना प्रेम लाप,
ना कुंठा शेष प्राण में है
ना आभूषित, ना अति विशिष्ट,
ना ही निष्प्राण तन है

-: पवन कुमार शुक्ला:-

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......द्वंद गीत.........



आकाश के विस्तार में,

जाला सा बुना क्युं है

गर्म हवा में रेत कण,

ठहरा हुआ सा क्यूं है

कांपता सा असमान,

उलझा हुआ सा क्यूं है

दोपहर की धूप में

धुंआ सा क्यूं है

पीले पत्तों के ढेर में

बे अर्थ जिंदगी सा

नींद में डूबा सा सूरज

बुझा सा क्यूं है ...

जीवन के उन्माद का......

अवसान सा क्यूं है

महाभारत की शाम का

सूनसान सा क्यूं है

अस्तित्व ढुढने का

द्वंद गान सा क्यूं है

भ्रम भरे जगत में

अनुसन्धान सा क्यूं है

सभ्य मानव त्रस्त है

प्रोग्राम है रोबोट का

कोमल भाव..आधुनिक

विज्ञान सा क्यूं है

भोर की रक्तिम- रश्मि में

चंहचंहाते उत्सवों का

युद्ध में फटते ड्रोन का

उडान सा क्यूं है...

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