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#बेख़बर हाइबन- अरावली अरावली पर्वत श्रृंखला का विस्तार राजस्थान,मध्यप्रदेश से लेकर दिल्ली की तक फैला हुआ है । इस पर्वत श्रंखला के अनुमानित आयु 570 मिलियन वर्षा आँकी गई है। यह पर्वत श्रृंखला दिल्ली की रायसीना की पहाडियों से जहां राष्ट्रपति भवन स्थित है, वहां से लेकर यह माउंट आबू के विश्व प्रसिद्ध गुरुशिखर तक गई है। इसका फैलाव उत्तर से दक्षिण की ओर लगातार बढ़ता चला जाता है। इस अरावली श्रंखला का 80% भाग राजस्थान में स्थित है। 692 किलोमीटर लंबी पर्वत श्रृंखला 550 किलोमीटर राजस्थान से होकर गुजरती है । 930 मीटर की औसत ऊंचाई वाली इस पर्वत श्रृंखला की कई जगह 10 किलोमीटर से ले कर 100 किलोमिटर तक का फैलाव क्षेत्र है। प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर यह श्रृंखला राजस्थान को दो भागों में विभाजित करती है। इससे राजस्थान में फैलते रेगिस्तान को रोकने में बहुत मदद मिलती है । इस पर्वत श्रृंखला का पश्चिम भाग मारवाड़ तथा पूर्वी भाग मेवाड़ कहलाता है। राजस्थान में इसकी तलहटी से होकर बनास, लूणी, साखी व साबरमती नदी बहती है । वहीं मध्यप्रदेश में चंबल जैसी प्रसिद्ध नदी इसी की तलहटी की सघनता में चार चांद लगाती है । उदयपुर, सिरोही, राजसमन्द, सीकर, झुंझुनू जयपुर, अजमेर, चित्तौड़गढ़, रतनगढ़, भानपुरा, चंबल, रावतभाटा, बूंदी, कोटा दिल्ली आदि शहरों को यह समृद्ध करती है। गुरुशिखर~ पहाड़ी से फिसली चलती कार। ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ 24-08-20 ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश', पोस्ट ऑफिस के पास, रतनगढ़, जिला-नीमच (मध्यप्रदेश)-458226
बालकिलकारी फरवरी 2020
ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश' को मिला विशिष्ट प्रतिभा सम्मान मप्र निवासी प्रसिद्ध बालसाहित्यकार ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश' को राजस्थान के भीलवाड़ा में आयोजित सातवें अंतरराष्ट्रीय सोशल मीडिया मैत्री एवं सम्मान समारोह— 2019 में विशिष्ट प्रतिभा सम्मान से नवाजा गया. उल्लेखनीय है कि इस सम्मेलन में साहित्य और कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले देशविदेश के चयनित कलाकारों को आमंत्रित किया गया था. जिस में 'विश्वबंधुत्व की भावना में सोशल मीडिया की भूमिका' पर आयोजित परिचर्चा में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए आप को यह सम्मान प्रसिद्ध साहित्यकार विनोद बब्बर, कार्यक्रम संयोजक और प्रसिद्ध साहित्यकार कार्टूनिष्ट किशोर श्रीवास्तव, ओजपूर्ण कविता के प्रखर वक्ता योगेंद्र शर्मा, साहित्य मंडल नाथद्वारा के प्रधानमंत्री श्यामप्रकाश देवपुरा, अंतराशब्द शक्ति की संस्थापिका प्रीति समकित सुराना के करकमलों से प्रदान किया गया.
■■ ओमप्रकाश क्षत्रिय ' प्रकाश ' क्रांतिधरा अंतरराष्ट्रीय साहित्य साधक सम्मान से सम्मानित■■ सुपरिचित बालसाहित्यकार ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश' को साहित्य सृजन, हिन्दी के प्रचार-प्रसार एवं बालसहित्य उन्नयन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए त्रिदिवसीय क्रान्तिधरा मेरठ साहित्यिक महाकुम्भ 2019 में आज दिनांक 20 नवम्बर 2019 को अंतरराष्ट्रीय हास्य कवि एवं शायर डॉ एजाज पॉपुलर मेरठी , श्री सरण घई ( कनाडा) , श्री कपिल कुमार (बेल्जियम ), श्री रामदेव धुरंधर ( मारीशस), श्रीमती जया वर्मा (ब्रिटेन), डॉ रमा शर्मा (जापान), डॉक्टर श्वेता दीप्ति नेपाल डॉ सच्चिदानंद मिश्र नेपाल आदि आदि देश-विदेश के मंचस्थ अतिथि साहित्यकारों के द्वारा #क्रांतिधरा_अंतरराष्ट्रीय_साहित्य_साधक_सम्मान प्रदान किया गया। इस अवसर पर देश विदेश से पधारे हुए 200 से अधिक शब्द शिल्पियों की उपस्थिति में यह सम्मान प्रदान किया गया। उल्लेखनीय है कि आप की बालकहानियाँ देश की प्रसिद्ध बाल पत्रिकाओं जैसे- नंदन, चम्पक, देवपुत्र, बाल किलकारी, हँसती दुनिया सहित कई पत्रपत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं ।हाल ही में एक पुस्तक प्रकाशन की स्वीकृति प्रकाशन विभाग, भारत सरकार द्वारा प्रदान की गई है। आप को इस गौरवशाली सम्मान की प्राप्ति पर हार्दिक ईष्टमित्रों, पत्रकार बन्धु एवं साहित्यकार साथियों ने आप दोनों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी है।
एक शिक्षक को क्या चाहिए ? बच्चे, उन से जुड़ी मुहिम । #मुहिम_पाती_अपनों_की । इन से जुड़ने का श्रेय मिला आदरणीय अनुविभागीय अधिकारी और साहित्यकार डॉ सूरजसिंह जी नेगीजी की कहानी-कार्यशाला प्रतियोगिता को । यही से इस मुहिम से जुड़ा । जिस में कई बच्चों को पाती के लिए सम्मानित होते हुए देखने का अपना आनंद और सुख मिला । शब्द निष्ठा के संयोजक डॉ अखिलेश जी पालरिया, आदरणीय सुमन जी, आदरणीय सक्सेनाजी, आदरणीय मठपाल जी, आदरणीय मीना जी, आदरणीय कुर्मी जी, आदरणीय विमला नागला जी से मिलने का अवसर मिला। राजस्थान की मेहमान नवाज़ी की जीवन्त मिसाल आदरणीय नेगी जी और आदरणीय नागला-दम्पति के संगसाथ रह कर मंत्रमुग्ध हो गया । उस पर मंच पर मुझे सम्मानित कर के सभी ने मेरा मन मोह लिया। हार्दिक आभार आदरणीय ।
हार्दिक बधाई । आप नई जगह जा कर हमें भूल न जाना ।
विज्ञान की रोचक बाल कहानियों का खजाना पुस्तक: रोचक विज्ञान की बाल कहानियां कहानीकार: ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश' 9424079675 समीक्षक: हितेंद्र हिब्रू 8827985775 प्रकाशक: रवीना प्रकाशन, सी -316 , गली नंबर- 11 गंगा विहार, दिल्ली -110094 मोबाइल 92 0512 7294 पृष्ठ संख्या : 64 मूल्य: ₹100 विज्ञान जितना जटिल है उतना ही सरल है। यदि इसे रोचक ढंग से व्यक्त किया जाए तो बहुत सरल हो जाता है। इस के तथ्यों को कहानी में पिरो दिया जाए तोवे सरल और रोचक हो जाते हैं । साथ ही उसकी रोचकता में दोगुनी वृद्धि हो जाती है । विज्ञान कथा इसी लिहाज से बच्चे बहुत पसंद करते हैं। अगर कथाएं मनोविज्ञान और बच्चों की समझ को ध्यान में रखकर लिखी जाती है तो उस में रोचकता, मनोरंजकता और सरलता का समावेश हो जाता हैं। उस में व्यक्त तथ्यों की अभिव्यक्ति सहज ही हो जाती है। प्रस्तुत समीक्ष्य पुस्तक - रोचक विज्ञान बाल कहानियाँ, के कहानीकार ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश' ने यह कार्य बहुत ही रोचक, सरल और मनोरंजन ढंग से किया है। इस कहानी संग्रह के कहानीकार एक प्रसिद्ध बाल साहित्यकारऔर पेशे से शिक्षक हैं । जिनकी कहानियां विभिन्न बाल पत्रिकाओं में प्रमुखता से छपी रहती है । प्रस्तुत संग्रह में कहानीकार की 16 कहानियाँ संग्रहित है। जिसमें 'कुएं को बुखार' जैसी रोचक कहानी में कुएं के पानी और उस के ठंडागरम होने की धारणा को बहुत ही सरलता से और रोचक ढंग से अभियुक्त किया गया है। 'बादल मर गया', में प्रदूषण की भयावहता को इंगित किया गया है । 'वजन गायब हो गया', अंतरिक्ष यात्री की भारहीनता को अभिव्यक्त करती है । 'होमटौ', एक रोचक आत्मकथात्मक शैली की कहानी है। इसके अलावा इस संग्रह की अधिकांश कहानियां बच्चों में सूझबूझ, उत्सुकता, मनोरंजन, जिज्ञासा के साथसाथ बहुत कुछ सीखने के उद्देश्य को लेकर चलती है । समस्त कहानियां रोचक और मनोरंजक बाल कहानियाँ हैं । विज्ञान कहानियों में ये विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हो कर सराही गई है। पेशे से शिक्षक कहानीकार ने बच्चों के मनोविज्ञान क ध्यान में रखकर इन कहानियों को लिखा है । जिसे एक बार पढ़ना शुरु करने के बाद अंत तक पढ़ना नहीं छोड़ता हैं । समीक्षा पुस्तक साफ-सुथरी प्रकाशित की गई है । कहानी के अक्षर थोड़े छोटे हैं । इन्हें थोड़ा बड़ा होना चाहिए। बाकी के पुस्तक स्वागत योग्य है, इसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है। मूल्य वाजिब हैं । --------------------------------------------
●उदयपुर प्रवास के दौरान बूक्स स्टाल पर गया । कोई किताब खरीद लूं । तभी बूक्स स्टाल वाले के पास एक पार्सल आया । उस में इंग्लिश चम्पक थी । झट से खरीद ली।● ■ देखा तो मेरी कहानी छपी थी ।सुखद अनुभूति हुई ।■ ○● आज भी स्वीकृति अच्छी लगती हैं । कहानी छपे तो ओर भी अच्छा लगता हैं । चम्पक जुलाई (प्रथम) 2019 में कहानी प्रकाशित ।●○
लघुकथा— सेवा दो घंटे आराम करने के बाद डॉक्टर साहिबा को याद आया, '' चलो ! उस प्रसूता को देख लेते हैं जिसे आपरेशन द्वारा बच्चा पैदा होगा,हम ने उसे कहा था,'' कहते हुए नर्स के साथ प्रसव वार्ड की ओर चल दी. वहां जा कर देखा तो प्रसूता के पास में बच्चा किलकारी मार कर रो रहा था तथा दुखी परिवार हर्ष से उल्लासित दिखाई दे रहा था. '' अरे ! यह क्या हुआ ? इस का बच्चा तो पेट में उलझा हुआ था ?'' इस पर प्रसूता की सास ने हाथ जोड़ कर कहा, '' भला हो उस मैडमजी का जो दर्द से तड़फती बहु से बोली— यदि तू हिम्मत कर के मेरा साथ दे तो मैं यह प्रसव करा सकती हूं.'' '' फिर ?'' '' मेरी बहु बहुत हिम्मत वाली थी. इस ने हांमी भर दी. और घंटे भर की मेहनत के बाद में प्रसव हो गया. भगवान ! उस का भला करें.'' '' क्या ?'' डॉक्टर साहिबा का यकिन नहीं हुआ, '' उस ने इतनी उलझी हुई प्रसव करा दूं. मगर, वह नर्स कौन थी ?'' सास को उस का नामपता मालुम नहीं था. बहु से पूछा,'' बहुरिया ! वह कौन थी ? जिसे तू 1000 रूपए दे रही थी. मगर, उस ने लेने से इनकार कर दिया था.'' '' हां मांजी ! कह रही थी सरकार तनख्वाह देती है इस सरला को मुफ्त का पैसा नहीं चाहिए.'' यह सुनते ही डॉक्टर साहिबा का दिमाग चक्करा गया था. सरला की ड्यूटी दो घंटे पहले ही समाप्त हो गई थी. फिर वह यहां मुफ्त में यह प्रसव करने के लिए अतिरिक्त दो घंटे रुकी थी. '' इस की समाजसेवा ने मेरी रात की डयूटी का मजा ही किरकिरा कर दिया. बेवकूफ कहीं की,'' धीरे से साथ आई नर्स को कहते हुए डॉक्टर साहिबा झुंझलाते हुए अगले वार्ड में चल दी. ---------------------------- ०७.०३.२०१८ ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” सशि, पोस्ट ऑफिस के पास रतनगढ़-४५८२२६ मप्र
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