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•?((¯°·..• कलम-ए-इश्क •..·°¯))؟• खुद को गमों की चादर में लपेटे रहते है आप, और एक हमें सारी खुशियों की सौगात देते हो, जरूरत एक शर्ट कि होती है मुझे तो आप दो ले देते हो, और खुद सालों तक एक ही शर्ट से काम चला लेते हो। यूं तो गुस्सा दिखाते हो आप हमको बहुत, मगर दिल में मेरे लिए हमेशा प्यार ही है, मेरी जिंदगी में मै जो भी हूं आज , उन सब की वजह तो बस एक आप ही हो।।
બે ખબર
•?((¯°·..• कलम-ए-इश्क •..·°¯))؟• अरसे बीत गए है लेकिन जैसे , कल की ही बात हो "पागल" हाय, 🤦🏼♀ देखकर बताओगे क्या अच्छा सुनो तुम्हे क्या नाम दे, रावण के 10 सर जैसे होते है, वैसे ना तुम्हारा नाम सही है बहुत होते है और हर जगह होते है।। तुम्हारे सोंग चुरा लिए हमने तुम ना कभी रिप्लाइ नहीं देते😡 शर्माते बहुत हो, रुको मुझे चलाने दो, कैसे किया तुमने, हमको नहीं बताओगे, और आखिर में , तुम सब जानते हो फिर भी।। 🖊️☕𝒦𝒶𝓁𝒶𝓂-𝒜𝑒-𝐼𝓈𝒽𝓀 ☕🖊️
•?((¯°·..• कलम-ए-इश्क •..·°¯))؟• नींद नही आयी मगर सोया बहुत हूँ याद में तेरी रात भर रोया बहुत हूँ। ये आँखे तुम बिन कब सोती है मगर हाले दिल कहा किसी से कहती है।। 🖊️☕𝒦𝒶𝓁𝒶𝓂-𝒜𝑒-𝐼𝓈𝒽𝓀 ☕🖊️
दर्द-ए दिल क़ी दवा लेकर सो कर देखा,,, ¡¡ दर्द कम न हुआ फिर मैंने रो कर देखा...!!
में अपने ही किये पर शर्मींदा हूँ बेवफा तेरी खिदमत में जिंदा हूंँ क्या खयाल होगा तेरा मेरे लिए तेरे खयाल से में खुश परिंदा हूँ
हम को याद न आओ अब भर जाने दो घाव अब आग बुझाओ तन-मन की ऐसा मेंह बरसाओ अब जाना है उस पार हमें माँझी और न नाव अब अपने रोज़ा-दारों को रमज़ान का चाँद दिखाओ अब रूठा यार मनाना है कोई स्वाँग रचाओ अब
उसका मेरी और देखना, मेरा आंखे चुराना, उसका मुझ पर हसना, मेरा दिल से खुश होना, उसका मुझसे मिलना, मेरा धड़कनों को संभालना, उसका मुझपे गुस्सा करना, मेरा दिल मे सेहम जाना, उसका मुझसे लड़ाई करना, मेरा दिल में खोने का डर जागना, उसका मुझसे रूठ जाना, मेरा उसको मनाना, उसका मुझसे प्यार करना, मेरा उसपे दिल हार बैठना.... हा यही तो कहानी है मेरी ओर मेरे हमसफ़र की।
जिंदगी तुने बोहोत गम दिये हम इसे उदास नहीं है किसी से ये बात कियी जाये ऐसा कोई खास नही है
भले ही वो मेरी नज़रों से बोहोत दूर था अंधेरे में भी ऊसका साया मुझे जुहूर था ईतनी तारीफों भरें नगमे गायें थे मैंने ,उनी नगमों के वजह से उसे खुद पे गुरूर था मुहब्बत में गलतीयां होती रहती है सबसे लेकिन मेरे हिज्र में किसी और का कसुर था उसके हुस्न पर गजलें लिखते थे तुम आदि वही गजलें सुन के तो उनके चेहरे पे नूर था
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