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इस राख़ के ढेर में कहीं कोई चिंगारी बची है क्या, सुलगता रहा है रात भर कोई उम्मीद बची है क्या तोड़ दिया है ख़ुद को बस बिखरने की ही नौबत है यादों में रह जाऊं ज़िंदा, कोई तस्वीर बची है क्या लाख चीख़ लूँ ख़ुद पर मैं बस एक ख़ुद के ही लिए मेरे सिवा मुझे समझाने की कोई तरक़ीब बची है क्या छोड़ देता हूँ ये जो मैं कई दिनों तक लिखना ग़म को सुधार लूँ आदत अपनी कोई उम्मीद ऐसी बची है क्या नहीं चाहता कोई हो अपना जो साथ दे आख़िर तक सफ़र कहाँ हो आख़िरी,थोड़ी सी ज़िन्दगी बची है क्या इस राख़ के ढेर में कहीं कोई चिंगारी बची है क्या -Broken_Feather
""नारी है क्या ये कौन समझा यहाँ, जो समझा इन्हें, हुआ नतमस्तक यहाँ. ना मानो तो कुछ भी, नहीं वो किसी की, मानो तो वज़ूद है वो हर इन्सान का यहाँ. एक माँ है,बहन है तो एक बेटी भी है, हर पल निभाती साथ वो एक पत्नी भी है. कभी ना छोड़ा साथ किसी का भी मुश्किल में, बिना रोशनी के वो हमारे साथ परछायी सी यहाँ. कहते हैं कुछ कि समझना नामुमकिन सा इन्हें, हम कहते है क्या कभी कोई खुदा को समझा यहाँ. इन्सान को देती जिन्दगी एक खुदा सी है वो यहाँ. झुक के करता हूँ, दिल से नमन आप सबको.., आप सा ना कभी हो पाया ना कभी हो पायेगा यहाँ..""
बेवज़ह बेसबब बेइंतिहा ये मेरा इश्क़, उसपे तेरा बेमुरब्बत सा फसाना इश्क़ क़ैद-ए-ज़िस्म है ये रूह मेरी जो तेरी है बेवफ़ा से हो गया ये मुझे बावफ़ा इश्क़ कर कितना भी नज़रंदाज़ तू मुझे सनम तन्हाई में तुझे भी तड़पायेगा मेरा इश्क़ ये जो एहसास घुटन का कफ़स सा है याद मेरी तेरे ज़ेहन में छोड़ जाएगा इश्क़ यूँ अश्क़िया न हो इश्क़िया में मेरे हमदम बन रहा है लम्हा-लम्हा आज़माइश इश्क़ क़द्र नहीं है मेरी वाकिफ़ हूँ तेरी आदत से फ़िक्र न कर ख़त्म हो ही जायेगा ये इश्क़ -Broken_Feather
"ख़यालों में मेरे वो गुम है याद आती नहीं, याद आ जाये तो फ़िर भुलाई जाती नहीं" -Broken_Feather
करता हूँ आज कल तो बसर मैं रात तन्हा, होती नहीं मुलाक़ात, रह जाती बात तन्हा अरसे से नहीं देखा है मैंने उस साक़ी को छोड़ा न था जिसने कभी मैख़ाने में तन्हा -Broken_Feather
"उसकी मोहब्बत में क्या कोई गुंजाइश बाकी है, कहीं दिल पर लिखा मेरा नाम क्या अब बाकी है, बेशक धड़कता है उसका दिल अब किसी नाम से, क्या वो मेरे लिए धड़केगा ये आस अब बाकी है मोहब्बत में कहानी उसकी मेरी एक सी ही रही, पाने को मुक़ाम मेरा भी बाकी उसका भी बाकी है अब थामना चाहता हूं मैं वो हाथ उसका यारों, होगा क्या ये मुमकिन क्या कोई गुंजाइश बाकी है कहने को तो है वो मेरा उस चाँद का एक टुकड़ा, पाने को क्या मुझमें अब वो काबिलियत बाकी है" -Broken_Feather
"बढ़े किस्से आशिकी के इस जमाने में बेहिसाब, पर वफ़ा थी कितनी वफ़ादार नहीं कोई हिसाब..!!" -Broken_Feather
"खामोशी से गुज़री जा रही है ज़िन्दगी, ना खुशियों की रौनक ना गमों का कोई शोर. ..... आहिस्ता ही सही पर कट जायेगा ये सफ़र, पर ना आयेगा दिल में उसके सिवा कोई और.." -Broken_Feather
"ना भूलना है मुमकिन ना याद रखना जरूरी है, तू एक वो हिस्सा है, जिसे बस रहना जरूरी है" -Broken_Feather
है मुसाफ़िर यहां हर एक आदमी, खुद से ही तो जूझ रहा है आदमी कोई है सादगी से भरा एक साधु तो कोई लगता हैवान सा आदमी जरूरी है जब अनेकता में एकता तब धर्म-जाति खेल रहा आदमी आज है आयी मनुष्यता खतरे में तो इसे और बढ़ा रहा है आदमी भूल के पुण्य पाप और कर्म को ख़ुद में भगवान हो रहा आदमी है मुसाफ़िर यहां हर एक आदमी खुद से ही तो जूझ रहा है आदमी -Broken_Feather
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