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मैं बात बात पर आंखे भिगोने वाली आजमा पाऊंगी क्या खुद को?😑 - ArUu
भाई कभी कभी न मुझे लगता है भगवान जी मेरी बड़ बड़ को ज्यादा ही सीरियस ले लेते है ग्रेड्यूशन टाइम जब लोग पूछा करते थे क्या बनना है तो मैं कहती थी कुछ भी हो जाए चपरासी बन जाऊ पर बस टीचर नहीं बनना क्योंकि बड़ी बोरिंग लाइफ है...वही सुबह उठा बस्ता उठाओ और स्कूल जाओ बच्चो से किच किच करो। किक नहीं मिलती कोई ...अब तो भाई साहब ऐसी जॉब मिली है जो मुझे ही रोज किक मारती है😭😂😂
बिना सोचे समझे मन में जो आए और बेमतलब बीच में बोलने की लत लग गई है। जहा चुप रहना होता है वहा मैं बिना बात के लप लप कर आती हूं और जहा बोलना होता है वहा मैं चुप चाप खड़ी हो के देखती हूं या लड़ आती हूं । जहा सीरियस रहना होता है वहा मुझे हंसी आ जाती है और जहा मजाक चल रहा होता है वहा में गुस्सा हो के लड़ आती हूं। पर फिर भी मैं खुद से खुश रहती हूं क्योंकि मैं मेरा पसंदीदा इंसान हूं🙈😂 कौनसा डिसऑर्डर है भाई ये😭😭
कल एक अजीब वाकया हुआ...बस से अपने सर्कल में जा रही थी गांव से कुछ ही दूर मेरे बगल वाली सीट पर बैठे आदमी ने अपनी जेब से दो बीड़ी निकली और बस से नीचे फेक दी।अगले ही पल उन्होंने माचिस की दो तीली भी बस से नीचे फेक दी।मैं ये सब बड़े ध्यान से देख रही थी।सामने देखा लोकदेवता मामा जी का थान था जो की हमारे पश्चिमी राजस्थान में हर गांव के बाहर मिल जाता है।तब जा कर समझ आया की उस आदमी ने मामा जी के सामने बीड़ी फेंकी थी। मुझे बड़ा अचरज हुआ।हम लोग खुद अपनी आस्था का मजाक बनाए बैठे है।भगवान को भोग लगाया जाता है उनके सामने कोई वस्तु फेंकी नही जाती।वो दाता है ग्राही नहीं।उनको अर्पण किया जाता है फेकना तो काफी अजीब चीज हो जाती है। एक पल को ऐसे लगा जैसे कह रहा हो की ले भाई बीड़ी पी ले। ऐसे मत किया करो यार...भगवान बस आस्था के भूखे होते है चढ़ावे के नही । उन्हें प्रेम,करुणा,संवेदना और हृदय से ही प्रसन्न किया जा सकता है चढ़ावा तो मात्र हमारा वहम है जिन्हें हम फेंक कर अपने कर्तव्य से मुंह मोड़ देते है ArUu✍️
वो सच्ची सखी मेरी समर्पित है मुझे पूर्णरूपेण मेरी हसी का हिस्सा वो उमर उलझ पगडंडी.. हमराही का किस्सा वो मैं उसके चाय की चुस्की🫣 वो मेरी दोपहर की झपकी🥱 गम हो तो पकड़े जाने के डर से उससे छुपती हूं मैं क्योंकि मेरे हंसते हुए चेहरे के पीछे की उदासी जानने में माहिर है वो और खुशी हो तो खिल जाती है वो मुझे देख कर...थोड़ा ज्यादा🤗 पर मान लो..... कुछ भी कहो हम दोनो का दिमाग मिला लो फिर भी होगा बस आधा😒 मां से कुछ कम पर सखी से थोड़ा ज्यादा ख्याल रखती है मैं बहुत खास हूं उसकी जिंदगी में कहती नहीं वो कभी पर हर वक्त मुझे अहसास करवाती है😌 बाते करते करते कई दफा हम चांद तक पहुंच जाते हैं पर एक दूसरे की टांग खींच जल्दी ही धरा पर लौट आते है 🤭 मैं अपने सारे राज उसके अधपके दिमाग में सहेज कर भूल जाती हूं तिजोरी है मेरी वो जिसे बस मैं अपने पासवर्ड से खोल पाती हूं।😍 ArUu💫✍️
मैं उसके खर्ची की पोटली वो मेरे नोट की गड्डी ❤️ ArUu
एक लड़का है जो मुझे बड़ा अच्छा लगता है बिन कहे समझ जाता है मुझे दर्द से कहराऊ मैं तो कुछ गम सताता है उसे इस झूठी जालिम दुनिया में मुझे बस वो सच्चा लगता है मेरी सफलता का हकदार हैं वो मेरी कठिन सफर का हमसफर है वो मेरा खर्चों और खुशियों का इंश्योरेंस है वो बहुत ज्यादा मासूम प्यारा सा बच्चा लगता है गुस्से में भी मुझे खोने का डर उसे डरावना लगता है रूठ जाऊ मैं तो उसे अपना संसार वीराना सा लगता है दिमाग से मजबूत और दिल से थोड़ा कच्चा लगता है कैसे कहूं मैं उसे .... मुझे वो हर हाल में अच्छा लगता है😌🙈 ArUu❤️
And finally the wait is over🥳 जिस लम्हे का इतना इंतजार किया वो आज आ गया आज राजकीय सेवा के दो साल पूरे कर लिए और हां आज ही वो दिन है जिसका इंतजार दिन रात किया । गिन गिन के कैसे दिन निकले ये मुझसे ज्यादा देविका समझ सकती है 😂 क्योंकि वो रोज याद दिला देती आज इतने दिन बचे है अपने प्रोबेशन को..पूरे दिन एक ही बात की रट लगाए रहते थे ...एक बार प्रोबेशन पीरियड पूरा होने दो फिर देखना😂ज्ञापन ,पेपर लीक,फर्जी अभ्यर्थी , स्टे के दौर में प्रोबेशन पूरा होना ही घरवालों के लिए असली उपलब्धि है बाकी मास्टर ,कंपाउंडर ,कृषि पर्यवेक्षक के लिए ये नॉर्मल है पटवारी सचिव के लिए तो स्थाईकरण भी झंडे गाड़ने के बराबर है... प्रोबेशन प्रोबेशन ही होता है 😄 चलो तो अब हम भी सरकार के स्थायी कर्मचारी बन जायेंगे और टेंशन के साथ सैलरी भी बढ़ जायेगी🥳 अब चलो फटाफट सब congratulations बोल दो😌 ArUu✍️
#Positive चलो आज बात कुछ यूं कर ले अपने अपने दायरो का हिसाब कर ले तेरे हिस्से में कितना तू आता है मेरे हिस्से में कितनी मैं चल ये बात भी आज साफ कर ले सवाल ये है कि... तेरे हिस्से में जवाब ही क्यों मेरे हिस्से में सवाल ही क्यों तेरे हिस्से में पूरी मर्जी तेरी मेरे हिस्से में सिर्फ इजाजत ही क्यों ? तुम्हें नहीं लगता ये जायज नहीं तेरे हिस्से में सिर्फ तू मेरे हिस्से में पूरी मैं भी नहीं क्यों न रिश्ता की इस दोहरे चेहरे की धूल भी साफ कर ले अपने अपने दायरो का हिसाब कर ले सवाल ये है कि... मुझे मेरे हिस्से में जीने के लिए तेरी इजाजत की जरूरत क्यों है ? हर रोज तेरी हां और ना के बीच घुटते रहने की जरूरत क्यों है ? ये सारे कायदे सारे बोझ मेरे हिस्से में क्यों है ? मेरा हिस्सा तेरे तंग दिल इजाजत का मोहताज क्यों है ? जब हिस्से बराबर है तो दस्तूर क्यों नहीं ? तू भी मेरी इजाजत की घुटन का बोझ उठाने के लिए मजबूर क्यों नहीं ?
मिट्टी से जुड़े लोग कभी बंजर नहीं होते क्योंकि धरा जानती है हर हाल में सहेजना❤️ -ArUu
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