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ArUu

ArUu Matrubharti Verified

@aruuprajapat6784
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किसी एक शख्स का दुनियां हो जाना
ठीक वैसा है जैसा
नदी का तालाब हो जाना
बादल का बारिश हो जाना
पहाड़ का रेत हो जाना
वेदना का उत्सव हो जाना
संसार का सार्थक हो जाना
निशब्द का स्वर हो जाना
अँधेरे का दीप हो जाना
भटकन का दिशा हो जाना
तन्हाई का आश्रय हो जाना
मन की थकन का ठहराव हो जाना
अनकही दुआओँ का असर हो जाना
समर्पण का कहानी हो जाना
पीड़ा का प्रार्थना हो जाना
और
आत्मा का परमात्मा हो जाना
ArUu ✍️

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मैं कभी ईश्वर पर सवाल नहीं करती
मुझे उनके अस्तित्व पर पूर्ण यकीन है।
क्योंकि जब मेरी आवाज़ दुनिया ने नहीं सुनी,
तो मेरी खामोशी भी उन्होंने ही समझी।
जब मैं अपने ही सवालों में उलझ गई,
तो उत्तर बनकर वही मेरे भीतर जागे।
जब सारी ताकत छूट गई,
तो उसी अदृश्य हाथ ने मेरी पीठ पर हिम्मत रख दी।
मैंने महसूस किया है—
ईश्वर मंदिरों में कम,
इंसान के टूटे दिल
साफ हृदय और सच्ची नीयत में ज़्यादा बसते हैं।
वो रोशनी बनकर नहीं आते,
कभी एक राह,
कभी एक इंसान,
कभी एक इशारे के रूप में मिल जाते हैं।
मैं कितनी भी दूर चली जाऊँ,
वो मुझे मेरी ही तरफ लौटना सिखा देते हैं।

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हर औरत को हक है
अपने हिस्से की जिंदगी जीने का—
वो हिस्सा,
जो उसने कहीं पीछे छोड़ दिया था…
अपने पति,
भाई,
बाप,
सास,
और अपने बच्चों की खातिर…
उसी छूटे हुए हिस्से में से
बस कुछ पल, कुछ सांसें,
कुछ ख्वाहिशें जी लेने का
हक तो हर औरत को है।
क्योंकि औरत सिर्फ रिश्तों में बटी पहचान नहीं...
वह पूरी दुनियां...पूरी कायनात...पूरा ब्रह्मांड है।
ArUu ✍️

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और मैंने अंत में चुना खुद को
जहां चुनी जा सकती थी पूरी कायनात ...
जहाँ पलकों पर रखा था उसका नाम,
वहीं मैंने —
सारी मोहब्बत, सारे भ्रम, सारे घावों के बीच
चुना
बस खुद को
ArUu ✍️

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अच्छा और सुनो
एक बढ़िया सी बात बताती हूं
लोग कहते है... लोग मतलब पुरुष
वो कहते है कि देखो भाई इन औरतों को
इनका घुंघट बोझ लगता है और मुंह बांध के जाना शान लगता है...जब पूरा मुंह बांधना ही है तो फिर घुंघट से इतना ऐतराज क्यों?
कई बार ये बात मैने भी सुनी कुछ लोगों से ...पर कभी इतना ध्यान नहीं दिया...पर इन दिनों ये बात कुछ ज्यादा ही सुनने मैं आ गई तो,अब हम ठहरे overthinker ... अब इस बारे में विचार करना तो अपना फर्ज बनता है।फिर सोचा कि क्या घुंघट और आधुनिक लड़कियों के मुंह बांधने में क्या कोई फर्क नहीं...?
क्या वाकई लोगों का इन दोनों चीजों की तुलना करना सही है...फिर मन के किसी कोने ने आवाज दी...नहीं
ये दोनों एक कैसे हो सकते है।
एक महिलाओं को सशक्त बनाती है और एक ...
मुझे लगता है इसके लिए उपयुक्त शब्द मेरे पास नहीं है।
आधुनिक तरीके में आंखे खुली रहती है तो देखने में कोई दिक्कत नहीं आती पर घुंघट में अधरों के ऊपर का हिस्सा ढका रहता है। दोनों जब प्रयुक्त ही अलग मायनों में हो रहे तो दोनों समकक्ष कैसे हो सकते हैं।
एक जब धूप में पहना जाता है तो दूसरा छांव में।
एक से चमड़ी बचती है तो दूसरी से मर्यादा।
ऐसा वो कहते है मैं नहीं कहती।
और धूप से तो बचना जरूरी भी है...पर क्या घुंघट से मर्यादा बच जाती है?
खैर बहस करने को बहुत कुछ है इसलिए मुझे तो अभी धूप में जाना है
वो भी मुंह बांध के🫣😁
ArUu ✍️

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मैं ख़्वाब हूँ
किसी टूटे परिंदे का,
जिसे पाने की चाह में
वो दूर तक उड़ता गया।

मैं उसके पंखों में बसी उम्मीद हूँ,
उसकी तमन्नाओं का सबसे खूबसूरत मंजर ।
मैं ख़्वाब हूँ — जो उसके अश्कों से जन्मा,
पर उसकी पलकों पर ठहरना मेरी किस्मत में कहाँ था…

वो मुझे पाने की धुन में
पंख फैलाए खुले गगन में उड़ा,
थककर एक शाख़ पर ठहरा,
आसमान देखा — मानो फिर से सँवरा।
पर हवाओं ने छीन लिया बसेरा,
और वो फिर गिरता चला गया।

वो गिरा तो पंख टूटे उसके,
पर दरक मैं भी उतना ही गया —
फ़र्क बस इतना था…
वो ज़मीन पर बिखर गया,
और मैं उसकी रूह में उम्रभर की चुभन बन गया।
ArUu ✍️

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और कुछ लोग कहते है
ज्यादा आजादी दे दी इसलिए इतनी नक्चढ़ी हो गई है
तो भाई बता दूं तुम्हारी जानकारी के लिए
पहली बात तो मुझे आजादी दी नहीं किसी ने
मैंने अपने हक की आजादी छीनी है
और दूसरी बात
आजाद हूं इसलिए शांत हूं
अगर कैद होती... तो इतनी उग्र होती
कि तुमसे झेली नहीं जाती।
इसलिए चुप चाप अपनी जिंदगी जीओ
और जीने दो🙏🏻
जय हिंद जय भारत

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लड़कियां उड़ाती रही पैसे
लड़कों ने हिसाब दिया अपनी एक एक कमाई का
- ArUu

अगर छूट गया मुझसे हाथ तुम्हारा —
तो मैं ज़िंदगी को ज़हर,
प्रेम को पाप,
आत्मा को अंत,
और तुम्हारे साथ को स्वर्ग लिखूंगी।
हर धड़कन को सज़ा
और हर याद को दाह-संस्कार लिखूंगी।
मोहब्बत के देवता को
अपनी तकदीर का गुनहगार लिखूंगी।
जिस रास्ते पर तुम चले हो कभी,
उसी राह की धूल में
अपनी आख़िरी साँस लिखूंगी
फिर जो भी बचेगा मुझमें
वो तुमसे मिली बर्बादी का
अमर प्रमाण लिखूंगी।
और हाँ…
अगर छूट ही गया तुमसे मेरा हाथ
तो याद रखना,
मैं टूटकर भी— खुद को तुम्हारी जीत लिखूंगी।
ArUu ✍️

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इतना खौफ का माहौल रहता है कि अपनी नौकरी पर proud भी नहीं कर सकते
कभी मन कर भी जाए proud करने का तो भाई साहब नजर भी इतनी तेज गति से लगती है कि कब चार्जशीट हाथ में आ जाए पता भी न लगे
लेकिन कुछ भी हो थोड़ा सा सुकून इस बात का है कि
ये नहीं कहना पड़ता कि हम सरकारी पटवारी है😂😂

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