Quotes by Archit Pathak in Bitesapp read free

Archit Pathak

Archit Pathak

@architpathak203124


इश्क़ करके हम भी बहुत खराब हो गए

जमाना कहता रहा कि खुद को छुपाते रहो

हम थे कि सारे ज़माने में बेनकाब हो गए

-Archit Pathak

Read More

😞

-Archit Pathak

आपन देश सदा चमके यस काम  करो तुम दुनिया में

ना कछु पीर रहे सबका तुम भारत नाम करो दुनिया में

आंखि निकारि धरो वहके तुम  तिरछी जव आंख करें दुनिया में

भारत के तुम आग बनौ यस जो दुख राख करै दुनिया में। 

-Archit Pathak

Read More

कैसे गिराऊं इन आंसुओं को ,
जो उनकी नजरों में पानी हैं।
ये आंसू ही तो हैं जो ,
उनकी आखिरी निशानी हैं।

-Archit Pathak

सहारों का आदित्य उदित हुआ,
खुशियों के दिन तक रहा उजाला।
ज्यों-ज्यों खुशियों के दिन बीते,
भड़क उठी सबकी अंतर्ज्वाला।
मजबूरी की रात अंधेरी जब आयी,
हर ओर था फैला उलझन का जाला।
अपने बल पर चराग जलाया जब मैंने,
तो देखा सबने पी थी स्वार्थ भरी हाला।
जो खुद को अपना-अपना कहता था,
वो दिन के भेष में अंधकार था काला।

-Archit Pathak

Read More

नारी आरती
जय नारी देवी मैया जय नारी देवी।
सद्गुण वैभव शालिनि तुम समाजसेवी।।
दो - दो परिवार का रखती मान।
फिर भी तेरा होता अपमान।।
पेट में ही दुनिया तुमको मारन चाहे।
जो जग में आओ सबके चेहरे मुरझाये।।
तुम पर सदा से रहते पहरे।
तुमको शिक्षित करने में सबको आते नखरे।।
दुष्ट सभी तुमको वस्तु भोग की माने।
न वंश चले बिन तेरे सब मूरख न ये जाने।।
ना ये नारी शक्ति को जाने।
देख तेरा अपमान बने सभी अनजाने।।
चहुँ ओर बजे तेरा डंका।
नारी के कारण ही भष्म हुई थी लंका।।
महिमा से तेरी है सब परिचित।
आरती तेरी गावें “अर्चित”।।
मेरी प्रभु से यही कामना।
हो दण्डित जो तेरी करे अवमानना।।

-Archit Pathak

Read More

आज बस की खिड़की से उनका चेहरा दिखा,
चेहरे पर उनके काले बालों का पहरा दिखा,
जो उठी आे सीट से अपनी तो,
ओ होंठ, नैन, नक्श, वही बदन इकहरा दिखा,
जो मेरी आंखो ने कुछ शरारत करनी चाही,
तो आंखों में उनकी राज कुछ गहरा दिखा।

-Archit Pathak

Read More

राष्ट्रपिता का दर्जा पाने वाले ,
भारत फिर से तुझे पुकार रहा।
तुम सत्य अहिंसा के अनुयायी,
भारत में केवल भ्रष्टाचार रहा।
ना बात तेरी लोगों ने मानी,
कहने को राष्ट्रपिता से प्यार रहा।
तुमने नारी सम्मान का स्वप्न सजाया,
लेकिन दुष्टों से भारत लाचार रहा।
हे बापू हम जीत गए गोरों से,
लेकिन हावी हम पर हिंसा का हार रहा।

-Archit Pathak

Read More

इंतजार करते-करते दिन बीता रात हुई,
चाह कर भी न उनसे मुलाकात हुई,
हमारे ही दिल मे सूखा पड़ा रहा देखो,
छोड़कर यहां सारे जहां में बरसात हुई।

-Archit Pathak

Read More

जरा सी सुंदरता और खुद पे त्राटक चाहिए इनको,
प्रेमी नहीं मन मुताबिक नाटक चाहिए इनको,
गीत तो छोड़ो चुटकुले भी नहीं हैं ये
और 'अर्चित' के जैसा पाठक चाहिये इनको।

-Archit Pathak

Read More