Tumse Milne ki Chhuti - 10 in Hindi Love Stories by soni books and stories PDF | तुमसे मिलने की छुट्टी - 10

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तुमसे मिलने की छुट्टी - 10

“जब हौसले काँपे… और फैसले पुख़्ता हुए” सुबह  की शुरुआत बेचैनी से हुई।जिया ने आँखें खोलीं तो दिल में अजीब-सा डर था—जैसे आज कुछ बदलने वाला हो।आर्या पास ही सो रही थी,उसकी मासूम साँसें जिया को थामे हुए थीं।जिया ने मन ही मन कहा—“जो भी हो… मुझे मज़बूत रहना है।”✨ मिशन का सबसे ख़तरनाक मोड़पहाड़ों में मौसम अचानक बदल गया।घना कोहरा,फिसलन भरी चट्टानें,और रेडियो सिग्नल टूटता हुआ।टीम रुक गई।एक जवान घबराकर बोला—“सर, अगर आगे बढ़े तो फँस सकते हैं।”आयुष ने चारों ओर देखा।पीछे हटना उतना ही ख़तरनाक था जितना आगे जाना।उसने दृढ़ स्वर में कहा—“हम यहीं रुकेंगे नहीं।सही फैसला वही होता है जो सबसे सुरक्षित लौटाए।”टीम ने उसकी बात मानी।एक वैकल्पिक रास्ता चुना गया—जो लंबा था,पर जान बचाने वाला।आयुष के मन में एक ही आवाज़ थी“मुझे घर लौटना है।”✨ “हमारा जहाँ” पर संकट इधर कम्युनिटी सेंटर मेंअचानक खबर फैली“सेंटर को अस्थायी रूप से बंद किया जा सकता है।”कुछ लोगों ने शिकायत कर दी थी“यह ज़रूरी नहीं है…यह संसाधनों की बर्बादी है।”जिया के सामने कागज़ रखे थे।नियम, अनुमति, सवाल…सब एक साथ।एक महिला बोली—“अगर ये बंद हो गया,तो हम कहाँ जाएँगे?”जिया ने पहली बार आवाज़ ऊँची की“ये सिर्फ एक कमरा नहीं है।ये उन लोगों की साँस हैजो हर दिन डर के साथ जीते हैं।”कमरे में सन्नाटा छा गया।✨ आर्या — हिम्मत की छोटी-सी तस्वीरजिया घर लौटी तो थकी हुई थी।आर्या ने उसका चेहरा देखा और बोली—“मम्मा, आप रो रही थीं?”जिया ने झूठी मुस्कान ओढ़ ली—“नहीं बेटा… बस थोड़ा काम था।”आर्या दौड़कर आईऔर अपनी ड्रॉइंग दिखाई—तीन लोग हाथ पकड़े खड़े थे,ऊपर लिखा था“हमारा जहाँ।”जिया की आँखें भर आईं।उसने आर्या को सीने से लगा लिया।“तुम्हें पता है…तुम कितनी बहादुर हो?”आर्या ने मासूमियत से कहा—“क्योंकि मम्मा बहादुर हैं।”✨ रात — फैसले की घड़ी जिया टेबल पर कागज़ फैला कर बैठी थी।अगर उसने यह जिम्मेदारी छोड़ी,तो मुश्किल खत्म हो सकती थी…लेकिन अगर डटी रही—तो रास्ता कठिन था।उसने फोन उठाया।आयुष को कॉल मिलाया।नेटवर्क कमजोर था,आवाज़ टूट-टूट कर आ रही थी।“जिया…?”“आयुष…सेंटर बंद हो सकता है।”कुछ पल चुप्पी।फिर आयुष की आवाज़ थकी हुई,पर मज़बूत।“तो उसे बचाओ।”“पर रास्ता मुश्किल है।”“तुमने मुझे सिखाया है—मुश्किल रास्ते ही सही होते हैं।”जिया की आँखों से आँसू गिर पड़े।“मैं डर रही हूँ।”“डर के बावजूद खड़े रहनाबहादुरी होती है, जिया।”कॉल कट गई।✨  अंत जिया ने कागज़ समेटे।पीठ सीधी की।उसने खुद से कहा— “हमारा जहाँ बंद नहीं होगा।”उधर पहाड़ों मेंआयुष ने आसमान की ओर देखा—“बस थोड़ा और…फिर घर।”दोनों अलग थे…पर एक ही जंग लड़ रहे थे “मिशन का अंतिम टकराव… और हमारा जहाँ की जीत” ✨(जिया ठाकुर • आयुष ठाकुर • आर्या ठाकुर)सूरज अभी उगा ही था,और बेस पर हलचल पहले से ज़्यादा थी।आयुष की टीम तैयार थी।हर जवान की आँखों में डर था,पर आयुष की आँखों में सिर्फ एक सोच—घर लौटना।✨ पहाड़ों में आखिरी मोड़टीम अंतिम इलाका पास पहुँच चुकी थी।रेडियो पर अचानक आवाज़—“संकेत बदल गया… दुश्मन आगे बढ़ रहा है।”जवान घबराए।आयुष ने शांत स्वर में कहा—“सर्वाइव करना हमारी पहली प्राथमिकता है।हम पीछा नहीं करेंगे… हम सुरक्षित लौटेंगे।”जैसे ही टीम ने कदम बढ़ाया,एक तेज़ धमाका हुआ।मिट्टी और धूल चारों ओर।आयुष ने सभी को इशारा किया—“साइड के रास्ते से निकलो।”हर कदम सोच-समझ कर…हर सांस संभाल कर। घर पर जिया की लड़ाई कम्युनिटी सेंटर में सुनवाई हो रही थी।कुछ अधिकारी कह रहे थे—“ये संसाधन नहीं हैं।”जिया ने उठकर कहा—“आप नहीं जानते…यहाँ डर और उम्मीद दोनों रहते हैं।अगर इसे बंद किया गया तोकई लोगों की ज़िंदगी अधूरी रह जाएगी।”कमरा चुप।कागज़ों की खामोशी,जिया की दृढ़ता।आखिरकार—सुनवाई उनके पक्ष में हुई।✨ आर्या का मासूम जश्नजिया ने आर्या को गोद में उठाया।“हम जीत गए, बेटा।”आर्या ने ताली बजाई—“हमारा जहाँ… बच गया!”जिया मुस्कुराई,“हमेशा याद रखना—छोटा जहाँ भी बड़ा बदलाव ला सकता है।”✨ आयुष की वापसी टीम सुरक्षित बेस लौट आई।आयुष थका हुआ था,पर आँखों में चमक थी।जिया दरवाज़े पर खड़ी थी।आर्या उसके साथ थी।जिया ने कहा—“हमारा जहाँ सुरक्षित है।”आयुष ने मुस्कुराया।“और मैं भी…सुरक्षित लौट आया।”आर्या दौड़कर उसके पास आई।“पापा! मैंने कहा था ना…हीरो कभी हारते नहीं!”आयुष ने उसे गले लगा लिया।“और तुम मेरी सबसे बड़ी हीरो हो।”जिया ने उनका हाथ थाम लिया।“हमारा जहान—अब सच में हमारा है।”✨ रात — परिवार की पूरी जीततीनों साथ बैठे।कॉफी के कप, हल्की हँसी,और तीन दिल—एक धड़कन में।जिया ने धीमे से कहा“आज हमने दो लड़ाइयाँ जीत लीं…एक बाहर की और एक अंदर की।”आयुष ने सिर हिलाया।“और हमारी जीत हमेशा तभी होती है,जब हम तीनों साथ हों।”आर्या ने सोते हुए बुदबुदाया—“हमारा छोटा जहाँ…”और इस बार, उनका जहाँ पूरी तरह सुरक्षित था✨ “पहला पिकनिक डे… और छोटे-छोटे खुशियों के पल” सुबह की धूप हल्की और सुनहरी थी।आज का दिन किसी ख़ास त्योहार की तरह था—पहला पिकनिक डे।जिया ने छोटी-सी टोकरी तैयार की—सैंडविच, जूस, और आर्या के लिए कुछ खास बिस्किट।आर्या ने पिकनिक बैग खुद उठाया।“मम्मा… पापा… देखो, मैं भी पैक कर रही हूँ!”आयुष ने हँसते हुए कहा—“बस यही तो असली मदद है, छोटी सी सुपरहीरो।”✨ पार्क में पहली झलकपार्क में पहुँचते हीआर्या दौड़कर झूला पकड़ने गई।आयुष और जिया हाथ में हाथ डालकर चले।जिया ने कहा—“देखो… आज कोई काम नहीं, कोई चिंता नहीं।बस हम तीनों और कुछ मीठी यादें।”आयुष ने मुस्कुराते हुए कहा—“और कॉफी।”जिया हँस पड़ी“ठीक है, आज तुम भी सिर्फ फ्री हैं।”आर्या बीच में कूदती रही“पापा, देखो मैं उड़ रही हूँ!”आयुष ने उसे पकड़ा और कहा—“तुम सच में उड़ रही हो… मेरे जहान की खुशी लेकर।”✨ छोटा सा खेल, बड़ा सा प्यारजिया ने blanket बिछाया।खाना रखा।आर्या ने अपनी ड्रॉइंग दिखाई—“ये हमारा जहान है… तीनों के लिए।”आयुष ने उसे गौर से देखा—“और इस जहान को तुम्हारे हाथ ने सजाया है।”तभी एक पतंग आसमान में उड़ रही थी।आर्या ने चिल्लाया—“मम्मा, पापा, मुझे भी उड़ना है!”आयुष ने उसे गोद में उठाया।“तुम उड़ोगी… और हम हमेशा नीचे सुरक्षित पकड़ेंगे।”जिया की आँखें भर आईं।“हमारा जहान सच में उड़ रहा है…पर हमें एक-दूसरे के सहारे की ज़रूरत है।”✨ शाम — कॉफी और बातेंघर लौटते समयतीनों ने पार्क की बातें दोहराईं।आर्या बोली—“आज सबसे मज़ेदार दिन था।”जिया ने हँसते हुए कहा—“हमने आज न सिर्फ खेला…बल्कि यादें भी बनाई।”आयुष ने अपना हाथ जिया के कंधे पर रखा।“और इस बार कॉफी नहीं…ये पल हमारी यादों की कॉफी है।हर घूँट में सिर्फ प्यार।”आर्या ने सोते हुए बुदबुदाया—“हमारा छोटा जहान… हमेशा साथ।”✨  एक दिन का पिकनिक…लेकिन यादें ज़िंदगी भर रहेंगी।तीनों ने महसूस किया—सपने, प्यार और विश्वास ही उनके जहान की नींव हैं। next part पढ़ने के लिए मुझे फॉलो करें.........