✨ “नए कैंप का पहला चैलेंज… और जिया की नई ज़िम्मेदारी” ✨ पोस्टिंग का दूसरा दिन था…पर आज सुबह की हवा पिछली रात से अलग थी—थोड़ी तेज़, थोड़ी बेचैन।आयुष तैयार हो रहा था और जिया उसकी आँखों में कुछ अनकहा पढ़ रही थी।“कुछ हुआ है क्या?”जिया ने धीरे से पूछा।आयुष ने एक पल चुप रहकर कहा—“आज रूटीन ड्यूटी नहीं है…एक स्पेशल ऑपरेशन की ब्रीफिंग है।”जिया के हाथ ठिठक गये।उसने दिखाया नहीं, पर दिल धड़क उठा।“खतरा…?”आयुष ने मुस्कुरा कर उसका हाथ थाम लिया—“तुम्हारी वजह से ही तो सुरक्षित लौटना पड़ता है।”आर्या ने कमरे में उछलते हुए कहा—“पापा सुपरहीरो हैं! वो हमेशा जीत कर आते हैं।”जिया उसकी बात सुनकर थोड़ा संभल गई।आर्या उनके बीच की हिम्मत थी…हमेशा से।---✨ बेस पर: पहला बड़ा चैलेंजब्रिफ़िंग रूम में माहौल गंभीर था।नक्शे मेज पर फैले थे, रेड जोन गोल दागा हुआ, और सबकी आँखें आयुष पर।कमांडर ने कहा—“कॅप्टन ठाकुर, आपको टीम लीड करना है।यह आसान मिशन नहीं है।हमें एक सुरक्षित रास्ता निकालना है…और समय बहुत कम है।”आयुष ने शांत स्वर में कहा—“मैं अपनी टीम और अपने वादे— दोनों निभाऊँगा।”वह वादा…जो उसने जिया और आर्या से किया था।---✨ उधर घर पर… जिया की नई ज़िम्मेदारीजिया बाहर बालकनी में कपड़े सुखा रही थी जब अचानक दरवाज़े की घंटी बजी।सामने बेस के कुछ परिवार और दो महिलाएँ खड़ी थीं।“आप कैप्टन आयुष ठाकुर की पत्नी हैं?”“जी,” जिया ने संकोच से कहा।“हमें बताया गया है कि यहाँ नए फैमिली सपोर्ट ग्रुप की लीड चाहिए…और सबने आपका नाम सुझाया है।”जिया चौंक गई।“मैं…? लेकिन मैं तो नई हूँ यहाँ।”दूसरी महिला मुस्कुराई—“इस जगह को नए लोगों की समझ चाहिए।आपके शांत स्वभाव और सबको जोड़ने की क्षमता की चर्चा हुई है।”जिया सकपका गई थी।ज़िम्मेदारी बड़ी थी।पर आर्या दरवाज़े से झाँकती हुई बोली—“मम्मा, आप भी सुपरहीरो हो सकते हो!”जिया अनायास हँस पड़ी।उसी पल उसने हल्के से सिर हिलाया—“ठीक है… मैं संभाल लूँगी।”---✨ शाम—दोनों अपने-अपने मोर्चे परआयुष ऑपरेशन की प्लानिंग में लगा था…और जिया अपने नए ग्रुप की महिलाओं से मिल रही थी—किसी की चिंता सुनती, किसी की मदद लिखती, किसी के डर को बाँटती।आर्या दोनो के बीच दौड़ती-फिरती,एक-एक को पानी देती—“पापा की मीटिंग… मम्मा का काम…मैं असिस्टेंट हूँ!”सब हँस पड़े।जिया को एहसास हुआ—ये सिर्फ आयुष की पोस्टिंग नहीं,बल्कि उनकी फैमिली की नई शुरुआत है।---✨ रात—दो दुनियाएँ एक जगह आकर मिलती हैंआयुष देर रात लौटा।थका हुआ, पर संतुलित।जिया ने दरवाज़ा खोला,“सब ठीक?”“हाँ,” आयुष ने कहा,“पहला बड़ा चैलेंज खत्म… लेकिन आगे और भी हैं।”फिर उसने हल्के से पूछा—“और तुम्हारा दिन?”जिया ने बताने से पहले थोड़ा हिचकिचाया—“आज मुझे बेस की फैमिलीज़ की जिम्मेदारी दी गई है।”आयुष एकदम रुक गया।उसने उसे गौर से देखा—गर्व, भरोसा और प्यार… तीनों एक साथ।“जिया… तुम करोगी भी।क्योंकि तुम सिर्फ मेरी पत्नी नहीं…इस घर की हिम्मत हो।”जिया की आँखें भर आईं।“और तुम…?”आयुष ने आर्या को अपनी गोद में उठाते हुए कहा—“मैं?मैं तो तुम्हारी हिम्मत से लड़ता हूँ…और इस नन्ही की मुस्कान से जीतता हूँ।”आर्या दोनों को जोड़कर बोली—“हम तीनों… एक टीम!”और उस रात, तीनों एक साथ बैठे—थोड़ा काम का तनाव,थोड़ा प्यार,थोड़ी हँसी…और एक पूरा “जहाँ” जिसे they were building together.✨ “ऑपरेशन का दिन… और घर की धड़कनें” सुबह पूरे बेस पर असामान्य-सी हलचल थी।हवा भारी थी, जैसे वह भी जानती हो कि आज कॅप्टन आयुष ठाकुर का मिशन आसान नहीं।जिया ने जल्दी से नाश्ता बनाया,पर उसके हाथ बार-बार काँप रहे थे।वह दिखाना नहीं चाहती थी… पर आज डर उससे छिप नहीं पा रहा था।आयुष यूनिफॉर्म में उसके सामने आ खड़ा हुआ।वह उसे ध्यान से देख रहा था—जैसे उसके दिल में उठते हर सवाल को पढ़ लेता हो।“जिया…”“मुझे पता है,” जिया ने धीमे से कहा,“ये तुम्हारी ड्यूटी है…पर आज जाने दे रही हूँ तो वापस आने का वादा करके जाना।”आयुष ने उसकी ठुड्डी ऊपर उठाई और कहा—“मैं कभी वादा नहीं तोड़ता…तुम्हारे पास लौटना मेरी सबसे बड़ी जीत है।”उन दोनों के बीच खड़ी आर्या ने अपने छोटे हाथ आगे किए—“हग! फैमिली हग!”तीनों एक दूसरे को थामे खड़े रहे…जैसे यह आलिंगन आज उनका कवच हो।---✨ बेस पर — ऑपरेशन शुरू होने वाला थाऑपरेशन रूम में सभी तैयार थे।नक्शे, वायरलेस, कोड, टाइमिंग…सब कुछ दबाव में था।कमांडर ने आयुष की तरफ देखा—“कॅप्टन ठाकुर, आप टीम लीड कर रहे हैं।अगर एक गलती हुई तो कई ज़िंदगियाँ दांव पर होंगी।”आयुष ने दृढ़ आवाज़ में कहा—“मैं अपनी टीम को वापस लेकर आऊँगा, सर।”पर भीतर कहीं…जिया और आर्या का चेहरा चमक रहा था।यही उसकी ताकत थी।---✨ उधर घर पर — इंतज़ार की सबसे कठिन घड़ीजिया घर का काम कर रही थी,पर हर पाँच मिनट में घड़ी देख लेती थी।दिमाग में बस वही एक बात—कहीं कुछ ग़लत न हो जाए…आर्या चुप थी, अपने खिलौनों को लाइन में लगाकर बैठी हुई।जिया ने पूछा—“आर्या, क्या हुआ?”छोटी सी आर्या बोली“मम्मा… मैंने सब सोल्जर खिलौनों को कहा है,पापा की रक्षा करना।क्या भगवान भी सुनते होंगे?”जिया ने उसे कसकर गले लगा लिया।“भगवान, फ़रिश्ते, दुआएँ… सब पापा के साथ हैं।”आर्या बोली—“और हम भी ना… दिल में?”जिया ने आँसू रोकते हुए कहा “हमेशा…”---✨ ऑपरेशन — खतरे के बीच आयुष टीम बिलकुल लक्ष्य के पास थी।हवा में धूल, रेडियो पर हल्का शोर,जूतों के नीचे कंकड़…हर आवाज़ जानलेवा हो सकती थी।एक जवान ने फुसफुसाकर कहा—“सर, सामने हलचल है…”आयुष ने संकेत से सबको साइड में रखा।सांसें थमी हुई थीं।कुछ पल बाद…इलाका साफ़ मिला।लेकिन उन्हें पता था—मिशन अभी बाकी है।आयुष ने मन ही मन कहा—“जिया… आर्या… मैं वादा निभा रहा हूँ।”---✨ घर पर — फोन की वो एक घंटीअचानक जिया का फोन बजा।उसका दिल धक से हुआ।स्क्रीन पर नंबर आया—“बेस कम्युनिकेशन”जिया की हथेलियाँ ठंडी पड़ गयीं।उसने धीरे से रिसीव किया—“हाँ…?”वह एक सेकंड…एक पूरा युग लग रहा था।फिर दूसरी तरफ से आवाज आई“मैडम, ऑपरेशन सक्सेसफुल है।कॅप्टन ठाकुर सुरक्षित हैं।”जिया की आँखों से आँसू निकल आए।वह बुदबुदाई—“थैंक गॉड… थैंक गॉड…”आर्या दौड़कर आई“क्या हुआ मम्मा?”जिया ने उसे उठा लिया—“तुम्हारे पापा जीत गए!”आर्या ने खुशी से ताली बजाई—“मैंने कहा था ना!हीरो कभी हारते नहीं!”---✨ शाम — दरवाज़े पर वो सबसे प्यारी दस्तकदरवाज़ा खुला।थका हुआ, धूल से भरा, पर सुरक्षित—आयुष ठाकुर सामने खड़ा था।जिया सीधा उसके गले लग गई।“तुम ठीक हो… बस यही काफी है।”आयुष ने उसकी पीठ थपथपाई—“क्यों नहीं होता?मेरी दुनिया मुझे बुला रही थी।”आर्या उनकी टाँगों से लिपटकर बोली—“पापा, मैंने भगवान को बोला था!”आयुष घुटनों पर बैठ गया और उसे गले लगा लिया।“और तुमने ही मुझे वापस लाया, मेरी शेरनी।”---✨ रात — तीनों एक साथ कॉफी के कप फिर से मेज़ पर रखे हुए—एक जिया का,एक आयुष का,और छोटा-सा एक आर्या का।आयुष ने जिया का हाथ पकड़ा।“ये ऑपरेशन जितना मुश्किल था…उतना ही आसान हुआ… क्योंकि मुझे पता थाकि यहाँ दो दिल मेरा इंतज़ार कर रहे हैं।”जिया ने मुस्कुराकर कहा—“और हम हर बार यहीं होंगे…तुम्हारी दुआ बनकर।”आर्या बीच में बैठती हुई बोली—“हम तीनों…हमारा छोटा सा जहाँ!”तीनों ने एक-दूसरे को देखा—प्यार, सुरक्षा, विश्वास…सब एक साथ।क्योंकि हर जीत…घर लौटकर ही पूरी होती है। next part पढने के लिए मुझे फॉलो कीजिए......