Tumse Milne ki Chhuti - 9 in Hindi Love Stories by soni books and stories PDF | तुमसे मिलने की छुट्टी - 9

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तुमसे मिलने की छुट्टी - 9

“पहली छुट्टी… और परिवार का नया सपना”  के बाद की सुबह कुछ अलग थी।हवा हल्की थी, सूरज नरम…और घर में पहली बार कोई अलार्म नहीं बजा।आयुष देर तक सोया रहा—न यूनिफॉर्म, न बूट,बस एक आम-सा इंसान,जिसके सीने पर उसकी बेटी सो रही थी।जिया दरवाज़े पर खड़ी यह दृश्य देख रही थी।उसकी आँखों में सुकून था—यही तो सपना था… एक साधारण सुबह।✨ “आज छुट्टी है!”आयुष ने आँखें खोलीं तो आर्या उसके गाल पर उँगली फेर रही थी।“पापा… उठो…”“क्यों?” उसने आँखें मिचमिचाते हुए पूछा।आर्या ने गंभीर होकर कहा“आज आप ऑफिस नहीं जाओगे।मम्मा ने कहा है… आज पापा सिर्फ हमारे हैं।”आयुष हँस पड़ा।“ओह! तो आज मैं ऑन ड्यूटी नहीं…ऑन फैमिली हूँ?”जिया ने कॉफी का कप आगे बढ़ाते हुए कहा—“बिल्कुल।और आज कोई फ़ोन, कोई मीटिंग नहीं।”आयुष ने कप लिया,और पहली घूँट के साथ जैसे मन भी हल्का हो गया।✨ बाहर की दुनिया — तीन लोगों की छुट्टीछोटी-सी कॉलोनी, पास का पार्क,आर्या की साइकिल,और जिया का हँसता चेहरा।आयुष आर्या को साइकिल चलाना सिखा रहा था।“सीधा देखो… डरना नहीं…”आर्या गिरी, फिर उठी।“पापा, गिरने में भी मज़ा है!”आयुष ने उसकी पीठ थपथपाई—“जिंदगी भी ऐसी ही है, बेटा।”जिया दूर से देख रही थी—पति और बेटी…दोनों उसकी दुनिया।✨ जिया का सपना — पहली बार ज़ुबान परपार्क की बेंच पर बैठकरजिया अचानक बोली—“आयुष… एक बात कहूँ?”“हमेशा,” उसने कहा।जिया ने गहरी साँस ली—“मैं चाहती हूँ कि यहाँ बेस के बच्चों और पत्नियों के लिएएक छोटा-सा सेंटर शुरू करूँ…जहाँ डर, अकेलापन, और इंतज़ार थोड़ा कम हो सके।”आयुष उसे देखता रह गया।“ये तो बहुत बड़ा सपना है।”जिया ने मुस्कुराकर कहा—“छोटे सपनों से ही तो बड़ा जहाँ बनता है।”आयुष ने उसका हाथ थाम लिया।“तुम जो चाहो…मैं तुम्हारे साथ हूँ।”✨ आर्या का ऐलानआर्या बीच में कूद पड़ी—“और मैं वहाँ ड्रॉइंग सिखाऊँगी!और कहानी सुनाऊँगी!”दोनों हँस पड़े।आयुष बोला—“देखो जिया…हमारी बेटी पहले ही तुम्हारी टीम में है।”जिया की आँखें भर आईं।“हम तीनों…कुछ अच्छा कर सकते हैं।”✨ शाम — घर लौटते हुएसूरज ढल रहा था।आर्या थककर आयुष की गोद में सो गई।आयुष ने धीमे से कहा—“आज समझ आया…छुट्टी सिर्फ काम से नहीं…डर से भी मिलती है।”जिया ने सिर उसके कंधे पर टिका दिया—“और सपने डर के बाद ही जन्म लेते हैं।”✨ रात — एक नया संकल्पघर पहुँचकर आयुष ने कैलेंडर में एक तारीख घेर दी।“क्या है ये?” जिया ने पूछा।“तुम्हारे सेंटर की शुरुआत की तारीख,”आयुष ने मुस्कुराकर कहा।आर्या नींद में बुदबुदाई—“हमारा छोटा सा जहाँ…”तीनों की साँसें एक लय में चल रही थीं।क्योंकि अब उनका जहाँ सिर्फ उनका नहीं…दूसरों के लिए भी रोशनी बनने वाला था।✨ “जिया का पहला कदम… और आयुष की परीक्षा” सुबह  की धूप आज कुछ ज़्यादा ही उजली थी।जिया जल्दी उठ चुकी थी—मन में उत्साह,और दिल में हल्का-सा डर।आज उसका सपनापहली बार ज़मीन पर उतरने वाला था।✨ जिया का पहला कदमबेस के कम्युनिटी हॉल के बाहरछोटा-सा बोर्ड टंगा था—“हमारा जहाँ – Family Support Center”जिया कुछ पल वहीं खड़ी रही।उसे याद आया—हर वह रातजब उसने आयुष का इंतज़ार किया था,हर वह सुबहजब उसने डर को मुस्कान में छुपाया था।आज वही अनुभवकिसी और की ताक़त बनने वाला था।आर्या उसकी उँगली पकड़कर बोली—“मम्मा, आपका नाम लिखा है!”जिया झुकी,“हाँ… लेकिन ये जगह सबकी है।”अंदर कुछ महिलाएँ पहले से मौजूद थीं।किसी की आँखों में चिंता,किसी की आवाज़ में अकेलापन।जिया ने बोलना शुरू किया—“हम सब अलग-अलग कहानियाँ लेकर आए हैं…पर डर, इंतज़ार और उम्मीदहम सबकी एक जैसी है।”कमरे में सन्नाटा था—फिर किसी ने धीमे से ताली बजाई।और जिया समझ गई—उसका पहला कदम सही था।✨ उधर आयुष की परीक्षाइसी बीच बेस परआयुष को अचानक बुलाया गया।कमांडर का चेहरा गंभीर था।“कॅप्टन ठाकुर,आपको एक हफ्ते की इमरजेंसी पोस्टिंग पर जाना पड़ सकता है।”आयुष का दिल एक पल को थम गया।एक हफ्ता…अभी-अभी जिया ने शुरुआत की थी।“सर… क्या कोई और”कमांडर ने बात काट दी“देश को ज़रूरत है।”आयुष ने सैल्यूट किया।फर्ज़ फिर सामने खड़ा था—बिल्कुल साफ़,बिल्कुल कठोर।✨ दो रास्ते — एक फैसलाशाम को घर लौटते हुएआयुष के कदम भारी थे।जिया ने दरवाज़ा खोला—चेहरे से ही समझ गई।“कुछ हुआ है?”आयुष ने धीरे से कहा—“मुझे कुछ दिनों के लिए जाना पड़ सकता है…”जिया चुप रही।कुछ पल बाद उसने कहा—“तुम्हें जाना चाहिए।”आयुष ने चौंककर उसे देखा।जिया मुस्कुराई—“आज मैंने दूसरों को हिम्मत दी है…तो अपनी हिम्मत खुद क्यों खो दूँ?”आर्या बीच में बोली“पापा, मैं मम्मा की मदद करूँगी!”आयुष ने दोनों को गले लगा लिया।“तुम दोनों मेरी सबसे बड़ी ताक़त हो।”✨ रात — वादा फिर से आर्या सो चुकी थी।जिया और आयुष बालकनी में बैठे थे।“डर लगता है?” आयुष ने पूछा।जिया ने सच कहा“हाँ…पर डर से भागना हमने कब सीखा है?”आयुष ने उसका हाथ थाम लिया“मैं जल्दी लौटूँगा।”जिया ने उसकी आँखों में देखकर कहा—“हम इंतज़ार करेंगे…पर टूटेंगे नहीं।”आयुष ने मन ही मन सोचा—आज सिर्फ मिशन नहीं…मेरे घर की परीक्षा भी है।✨“इंतज़ार, इम्तिहान और एक मासूम सवाल” आयुष  की गाड़ी मोड़ से ओझल हो चुकी थी,पर जिया अब भी वहीं खड़ी थी—जैसे नज़र से उसे थामे रखना चाहती हो।आर्या ने उसकी उँगली खींची।“मम्मा… पापा वापस आएँगे न?”जिया झुकी,उसकी आँखों में देखकर बोली—“आएँगे…क्योंकि घर उनका इंतज़ार करता है।”✨ “हमारा जहाँ” — पहली बड़ी चुनौती कम्युनिटी सेंटर में आज भीड़ थी।कुछ चेहरे गुस्से में,कुछ थकान में डूबे हुए।एक महिला रोते हुए बोली—“मेरे पति दो हफ्तों से बाहर हैं,कोई खबर नहीं…मैं कैसे बच्चों को संभालूँ?”जिया ने उसका हाथ पकड़ा।“आप अकेली नहीं हैं।यही जगह उसी के लिए बनी है।”धीरे-धीरे आवाज़ें ऊँची होने लगीं।डर, बेचैनी, सवाल—सब एक साथ फूट पड़े।जिया ने गहरी साँस ली।“हम खबर नहीं बदल सकते…पर एक-दूसरे का सहारा ज़रूर बन सकते हैं।”कमरा फिर से शांत हो गया।और जिया समझ गई—नेतृत्व किताबों से नहीं,दर्द बाँटने से पैदा होता है।✨ उधर मिशन पर — आयुषपहाड़ी इलाका,तेज़ हवा,और हर कदम पर खतरा।टीम थकी हुई थी,लेकिन पीछे हटने का सवाल नहीं था।एक जवान ने कहा—“सर, रास्ता मुश्किल है।”आयुष ने नक्शे पर नज़र डाली।“मुश्किल ही सही…पर हमें निकलना ही होगा।”उसके मन में जिया की आवाज़ गूँजी—‘हम टूटेंगे नहीं।’उसने कदम आगे बढ़ाया।✨ आर्या का मासूम सवालशाम कोजिया आर्या को सुला रही थी।आर्या अचानक बोली“मम्मा…पापा सबकी रक्षा करते हैं,तो पापा की रक्षा कौन करता है?”जिया का दिल भर आया।वह कुछ पल चुप रही,फिर बोली—“हमारी दुआएँ,हमारा प्यार…और उनका खुद पर भरोसा।”आर्या ने आँखें बंद करते हुए कहा—“तो मैं रोज़ दुआ करूँगी।”जिया ने उसके माथे को चूम लिया।✨ रात — दो जगह, एक धड़कनएक तरफकैंप की ठंडी रात,जहाँ आयुष आसमान की ओर देख रहा था।दूसरी तरफघर की खामोशी,जहाँ जिया खिड़की के पास खड़ी थी।दोनों एक ही चाँद को देख रहे थे।आयुष ने मन में कहा—‘मैं लौटूँगा…क्योंकि कोई मेरा इंतज़ार कर रहा है।’जिया ने दिल में दोहराया‘हम यहीं हैं…मज़बूत।’✨ अंत फोन की स्क्रीन जली।एक छोटा-सा मैसेज—“I’m okay.”जिया की आँखें नम हो गईं।उसने मोबाइल सीने से लगा लिया।आर्या नींद में मुस्कुरा रही थी।क्योंकि इंतज़ार भारी था…पर उम्मीद उससे भी बड़ी.... 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