प्रताप मेंशन प्रताप मेंसन बहुत बड़ा मेंशन है, जो इस शहर का सबसे बड़ा और महंगा मेंशन है ।क्योंकि शहर के सबसे बड़े माफिया और सबसे बड़े बिजनेसमैन का घर है। इसलिए यह इतना बड़ा और इतना सुंदर है कि आप इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते,
पूरा मेंशन व्हाइट कलर में था और बहुत बड़ा था, प्रताप मेंशन जाने के लिए एक बहुत बड़ा गेट होता है जिसकी पहरेदारी दो गार्डस करते हैं और जैसे ही प्रताप मेंशन के अंदर जाते हैं ,बहुत सारे बॉडीगार्ड और गॉड्स होते हैं।मेंशन के बाहर बहुत बड़ा गार्डन होता है, जिसमें बहुत सारे पेड़ -पौधे लगे हुए हैं, बहुत सारे फूलों की क्यारियां हैं। आसपास बहुत सारे स्प्रींकलर लगे हुए थे, और जैसे ही प्रताप हाउस की ओर आगे बढ़ते हैं एक बहुत बड़ा ब्यूटीफुल सा स्प्रींकलर ⛲⛲⛲ हैं । जिसमें से पानी दिन रात निकलते रहता है।
प्रताप मेंशन के बाहर 20- 30 कारे खड़ी थी जो बहुत ही महंगी लग्जरी थी। रात के समय में प्रताप मेंशन के चौका -चौध देखकर आंखे चौधिया जाए ऐसा नजारा होता है। शहर के बाकी लोगों का सपना होता है कि वह एक बार बस प्रताप मेंशन को देख सके ,लेकिन यहां आना किसी सपने से कम नहीं है। क्योंकि यह शहर के सबसे बड़े माफिया और शहर के सबसे बड़े बिजनेसमैन का घर होता है ।
इसलिए यहां पर बिना सिक्योरिटी के और बिना जांच पड़ताल करे, बिना परमिशन के आना अलाउड नहीं है। इसलिए यह लोगों का बस ड्रीम ही बनकर रह गया है ,यदि कोई गलती से यहां आ जाता है तो पहले उसकी पूछताछ बेसमेंट में की जाती है क्योंकि उनके गार्ड उन्हे पकड़ के ले जाते हैं और बिना आइडेंटिटी के उन्हें जाने नहीं दिया जाता।
(चलो प्रताप मेंशन के अंदर घुसते हैं) अंदर का नजारा किसी आलीशान महल से कम नहीं था ,बड़े-बड़े रूम , बड़ा हॉल और हाँल के ऊपर इतना विशाल झुमर लगा था, जितने भी समान नजर आते हैं वह सब ब्रांडेड थे एक से बढ़कर एक महंगी वस्तुएं रखी गई थी।
(चलो स्टोरी में आगे बढ़ते हैं )
प्रताप मेंशन के हाल में रुद्र प्रताप सिंह अपने पोते को गोद में लिए बैठे थे और उनका पोता काफी देर तक रो रहा था ,पास में बैठी जानकी देवी बार-बार उसके आंसू पोछते जा रही थी, ये कोई और नहीं बल्कि रुद्र प्रताप सिंह की धर्मपत्नी जी हैं। (मैंने आपको रुद्र प्रताप सिंह के बारे में बता दिया था कि वह इस शहर के सबसे बड़े बिजनेसमैन थे, और अपने जमाने के माफिया भी हुआ करते थे, पर जब से उन्होंने अपना सारा कारोबार अपने बेटे को दे दिया है तब से वह अपने घर में ही रहकर काम किया करते हैं और कभी-कभी ही ऑफिस जाया करते हैं, और उनकी धर्मपत्नी जानकी एक बहुत ही धार्मिक संस्कारी पत्नी है, वह हमेशा अपने पति और बच्चों की देखभाल करती है।)
घर में इतने सारे नौकर चाकर के होते भी घर का काम अपने हाथों से करना पसंद करती है और अपने बच्चों और अपने पति के लिए अपने हाथों से ही खाना बनाती है और जो बच्चा गोद में हैं, उनका पोता युवराज प्रताप है, जिन्हें "युवी कहते हैं । युवी बस अभी 5 साल का है। युवी (रोते हुए) - "दादी माँ !दादी माँ! बताओ ना पापा कब आएगे? मुझे उनकी बहुत याद आ लही है ?पहले मुझे मम्मी छोलकल चली गई ,और पापा ने बताया भी नहीं ,ममा कहां गई है ? पापा कभी-कभी आते हैं मेले पास, और मुझे ज्यादा समय नहीं देते और चाचू भी मेले साथ खेलते नहीं है ।
" नहीं बेटा! ऐसी बातें नहीं है, युवी रोना बंद करो! पापा आ जाएंगे और चलो कुछ खा लो बहुत समय हो गया बेटा तुमने कुछ खाया नहीं है।
(रुद्र प्रताप युवी के बालों को सहलाते हुए कहता है )हां यूवी बेटा! यह अच्छी बात नहीं है अगर आपके पापा को पता चला कि आपने अभी तक कुछ खाया नहीं है तो उन्हें कितना बुरा लगेगा।जानकी: हां! चलो रोना बंद करो ,और कुछ खा लो ,
" नहीं!! जब तक पापा नहीं आएंगे मैं नहीं खाऊंगा," यह भी बहुत देर तक रो रहा था उसकी छोटी प्यारी आंखें काफी ज्यादा सुज गई थी ,सब उसे चुप कराना कि बहुत कोशिश किया जाता है ।पकवान बनाए जाते हैं खिलौने सामने रखे जाते हैं लेकिन यह भी नहीं मानता अपनी दादी की गोद में बैठा रो रहा होता है। दादा- जिद नहीं करते बेटा, कुछ खा लो जाकर, वरना तुम बीमार पड़ जाओगे ।
युवी- नहीं डाडा! जब तक पापा और चाचू वापस नहीं आएंगे मैं नहीं खाऊंगा ,मैं उन के साथ ही खाऊंगा, कल भी पापा नहीं आए थे, वह बोले थे कि वह आ जाएंगे और वह फिल भी नहीं आए ।
(बच्चा बहुत जोर जोर से रोने लगता है😭) वीर-युवी!! बेटा रोना बंद करो देखो हम आ गए।(वीर के तेज अवाज से बुलाने पर तीनों उनकी ओर मुड़कर देखते हैं)
युवी- पापा!! चाचू !!! आप आ गए(ये कह कर यूवी भागते-भागते जाता है और अपने पापा को गले लगा लेता है। अनुराग वही घुटनों के बाल बैठा हुआ युवी को गले लग रहा था)
पापा! आप बहुत बुले हैं ,आपने इतना समय क्यों लगाया ?युवी कब से आप लोगों का इंतजार कल लहा है ।आप आए क्यों नहीं? आप इतनी देल तक क्या कल लहे थे ? औल चाचू मैं आपसे भी बहुत गुस्सा हूं ,आपने भी बहुत समय लगा दिया, मैं आप दोनों से बहुत गुस्सा हूं ।
वीर- (युवी को गोद में लिए) बेटा !पापा अपने काम में बिजी थे और चाचू आपके लिए चॉकलेट लेने गए थे यह देखो चाचू आपके लिए कितने सारे चॉकलेट और खिलौने लाये हैं। आपने तो अपने चाचू से कहा था ना कि आपको खिलौने और चॉकलेट चाहिए इसलिए मैं आपके लिए लाने गया था ।
"नहीं! मुझे चॉकलेट औल खिलौने नहीं चाहिए मुझे आप चाहिए, मुझे आपके साथ खेलना था, पर आप आए ही नहीं ,आपको पता है आज पूरा दिन में घर पल बैठा आपका इंतजाल कल लहा था, फिल भी आप नहीं आए।"
वीर- ओह ! सॉरी बेटा! मुझे पता है आज आपकी स्कूल की छुट्टी थी और मैंने आपको प्रॉमिस किया था कि आज के दिन में आपके साथ खेलूंगा ,पर आज चाचू को काम आ गया था, इसलिए चाचू घर से बाहर थे ।मैं अगले संडे आपको प्रॉमिस करता हूं कि मैं आपको बाहर ले चलूंगा।
युवी- प्रॉमिस !
वीर- युवी वाला! पक्का प्रॉमिस।"पापा चलिए खाना खाते हैं मुझे बहुत भूख लगी है।""युवी! मैंने कितनी बार कहा है बेटा आपको कि जब हम नहीं हुआ करते हैं तो आप दादा !दादी !के साथ खाना खा लिया करें।"नहीं पापा! मैं तो बस आपके साथ ही खाना खाऊंगा!
नहीं बेटा!! यह गलत बात है, पापा को बहुत काम होता है ना, तो आप उनके साथ ही खाना खा लिया करें।
"अगल मैं समय पल खाना खाऊंगा तो क्या ममा मुझसे मिलने आएंगे ? बोलो ना पापा ,( युवी के सवालों का अनुराग कोई जवाब नहीं देता है ,और बस उसे निहारता रहता है, इसलिए वीर युवी का ध्यान बांटाने की कोशिश करता है,)युवी !चलो हम खाना खाते हैं,
(यह कहकर वीर युवी को लेकर डाइनिंग टेबल की ओर चला जाता है ,और उसे कुछ खिलाने लगता है। तभी जानकी जी अनुराग के पास आती है।)
मैं जानती हूं अनु! की तुम अब तक अपनी पत्नी को नहीं भूल पाए हो, लेकिन बेटा यह भी तो सोचो कि इतना छोटा बच्चा अपनी मां के बिना कैसे रहेगा।
"मांँम! मैं जानता हूं कि आप मुझे क्या कहना चाहती है, पर मैं आपको कितनी बार कह चुका हूं मैं अपनी निहारिका की जगह किसी और को नहीं दे सकता।और घर में तो हम लोग इतने सारे हैं ना ,हम युवी को निहारिका की कमी कभी महसूस होने नहीं देंगे ।डैड है ,आप है वीर है, मैं हूं ।
"माँ !!! पर उसकी मां तो नहीं है ना , इतना छोटा बच्चा अपनी मां के सिवा किसी और का ख्याल कैसे कर सकता है।तुम ही बताओ जब तुम छोटे थे, तो मैं एक दिन कहीं चली गयी तो, तुमने पूरा दिन खाना नहीं खाया था, बस पूरा दिन रो रहे थे । तुम्हें याद है ना, तो सोचो उस छोटे से बच्चे ऊपर क्या बीतती होगी ,जब उसे यह कहा जाता है कि उसकी मां कभी न कभी आएगी ।या फिर कभी नहीं आएगी।
अनुराग - मैं जानता हूं , युवी के लिए उसकी मां को भूल पाना बहुत मुश्किल है और मेरे लिए भी उतना ही मुश्किल है ,पर आप मुझे भी समझने की कोशिश कीजिए, मैं निहारीका से बहुत ज्यादा प्यार करता हुँ, मैं उसकी जगह किसी और को नहीं दे सकता। पर अनु...
नहीं !माँम इस बारे में और बातें नहीं होगी।
इतना कह कर अनुराग कमरे की ओर जाता है, जानकी जी बस अनुराग को कमरे की ओर जाते देखी है ,और उनके आंखों में से आंसू छलकने लगते हैं, तभी रुद्र प्रताप उनके पास आते है )
"तुम चिंता मत करो !एक दिन सब ठीक हो जाएगा हमारा परिवार फिर से पूरा हो जाएगा,
" अनुराग कब समझेगा कि युवी को एक मां की जरूरत है, और उसे भी एक जीवनसाथी की जरूरत है वह कब तक अकेला रहेगा, मैं जानती हूं वह किसी से कुछ कहता नहीं है, पर वह अंदर से कितना अकेला है वह कभी नहीं बतायेगा कि उसके दिल में कितना ज्यादा दर्द है।लेकिन मैं जानती हूं, मैं एक मां हूं ना, जानती हूं मेरे बच्चे पर क्या बीत रही है वह बार-बार निहारिका को याद कर अंदर ही अंदर रोता है, हम भी निहारिका को कभी भूल नहीं पाएंगे और कोई भी निहारिका की जगह नहीं ले पाएगा ।पर अकेलेपन को दूर करने के लिए तो कोई जीवनसाथी चाहिए ना और यूवी की उम्र ही क्या है ?वह तो अभी छोटा सा बच्चा है ना उसे तो अपनी ममां चाहिए ना ,पता नहीं अनुराग इस बात को कब समझेगा ।
"जानकी!! तुम रोना बंद करो, और चिंता मत करो सब कुछ ठीक हो जाएगा ,पता नहीं हमारे घर की खुशियों को किसकी नजर लग गई हमारे घर के हंसते खेलते परिवार पर ग्रहण लग गया ।
(इतना कह कर रूद्र सिंह जी अपनी पत्नी को गले लगा लेते हैं और कुछ समय उन्हें शांत करने की कोशिश करते हैं)
जानकी जी!! क्या आज मुझको भूखा मारने का इरादा है ?क्या आज खाना नहीं देंगगी? आप ऐसे ही अपने आंसुओं से पेट भरेंगी।आप भी ना ,चलिए खाना खा लीजिए। वीर- माँम! हमने खाना खा लिया है, मैं युवी को लेकर अपने कमरे में जा रहा हूं मैं उसके साथ थोड़ी देर खेलूंगा फिर मैं उसे अपने साथ आज सुला लूंगा।
माँ- हां ठीक है !जाओ पर ज्यादा देर खेलना मत उसे कल सुबह स्कूल भी जाना है ।
"जी माँम। "
(इधर अनुराग अपने कमरे में बैठा हुआ एक तस्वीर अपने हाथ में लेता है)"मुझे माफ कर दो निहारिका !मैं तुम्हारे बच्चे का ध्यान ठीक से नहीं रख पा रहा हूं, वह बार-बार पूछता है कि उसकी ममा कहां है?,
मैं कैसे बताऊं उसे ,कि तुम कहां हो! मैं जानता हूं कि युवी को एक मां की जरूरत है पर मैं तुम्हारी जगह किसी और को कैसे दे सकता हूं। तुम्हारी जगह जो मेरे दिल में है मैं उसकी जगह किसी और को कैसे रख सकता हूं।
ये मुझसे नहीं होगा ,तुम क्यों छोड़ कर चली गई हमें, तुम्हें गए पूरे डेढ़ साल हो गए पर इतने सालों में एक पल भी ऐसा नहीं गया कि मैंने तुम्हें याद नहीं किया हो। तुम मेरे साथ नहीं हो पर मैं तुम्हारी यादों के सहारे जी लूंगा, जो मैंने तुम्हारे साथ बिताए हैं, वो काफी है मेरे लिए , मुझे और किसी की जरूरत नहीं है ।"
(यह कहते ही अनुराग की आंखों से आंसू छलकने लगते हैं तभी उनकी मांम उनके पास आती है।
अनु !!मैं जानती हूं बेटा तुम उसकी यादों के साहारे अपनी सारी जिंदगी काट लोगे ,पर युवी के तो बारे में सोचो?
नहीं मां! जैसे जैसे यूवी बड़ा होता जाएगा उसे समझ आ जाएगा लेकिन मैं अपनी निहारिका की जगह किसी और को नहीं दूंगा ,और आप प्लीज उस बारे में बातें मत कीजिए।
"अच्छा ठीक है! आगे से मैं इस बारे में और बातें नहीं करूंगी, पर चलो तुमने आज खाना नहीं खाया है चलो कुछ खा लो।
"माँम !मेरा आज नीचे आकर खाने का बिल्कुल मन नहीं है तो आप ऐसा कीजिए मेरा खाना ऊपर ही भिजवा दीजिए ।
माँ- ठीक है मैं चलती हूं ।
Time skip
(कमरे में खाना खाकर अनुराग वीर के कमरे में जाता है जहां पर वीर और युवी दोनों एक साथ सोए हुए थे । अनुराग युवी के पास जाता है और उसके बालों को सहलाकर उसकी माथे को चुमता है ।)
"अपने पापा को माफ कर देना बेटा, पर तुम्हारे पापा मजबूर है, तुम्हारे पापा दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार तुम्हें ही करते हैं यूवी! तुम नहीं जानते कि तुम मेरे लिए क्या हो ,तुम मेरे और निहारिका के प्यार की निशानी हो, वह तो मेरे पास नहीं है पर तुम हो मेरे पास हो ,यही मेरे लिए बहुत बड़ी बात है ।:"
(इतना कहकर अनुराग युवी के माथे पर गुड नाइट किस करता है और वहां से अपने कमरे की ओर सोने के लिए चला जाता हैं।) अगर आप लोगों को मेरी स्टोरी अच्छी लग रही है तो प्लीज यार मुझे भी कमेंट कर दिया करो।😔😔😔