Tere Mere Darmiyaan - 43 in Hindi Love Stories by CHIRANJIT TEWARY books and stories PDF | तेरे मेरे दरमियान - 43

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तेरे मेरे दरमियान - 43

अशोक कहता है -----


>" ये पैरो मे चोट और कल तुम कहां गयी थी , दामाद जी से पूछा तो उन्होने कहा के तुम अपने दोस्तो के साथ बाहर गयी हो । पर मैं जानता हूँ के तुम्हारे ऐसे कोई दोस्त है ही नही और ना ही तुम बाहर जाना पंसद करती हो , सिवाई विकास के ।


जानवी कहती है ----


>" कल मन थोड़ी खराब था इसिलिए मैं बाहर चली गई थी ।

अशोक नाराज होकर कहता है ---


>" ऐसे कौन बाहर जाता है , इतना फोन किया पर तुमने एक बार भी जवाब नही दिया , तुम्हें पता है कल महामाया इंफ्रा के टेंडर का लास्ट डेट था । जिसके लिए तुम्हें कितना कॉल किया ।


टेंडर का नाम सुनकर जानवी को याद आता है के कल तो वो इस बात के बिल्कुल भूल गयी थी , जानवी को बहोत पछतावा हो रही थी क्योकी वही सारी डिटेल जानती थी ।

जानवी अशोक से कहती है --


>" वो टेंडर किसे मिला पापा ?

अशोक कहता है ---

." वो टेंडर हमारे हाथ से चला ही गया था , पर पता नही आदित्य ने क्या किया फिर उस टेंडर का बिडिंग हूआ ही नही और वो टेंडर हमे डायरेक्ट ऑफर हो गया ।
जानवी ये जानकर हैरान हो जाती है के बिना बिडीग किये ही टेडंर कैसे मिल गया । 


जानवी कहती है---


>" आज से पहले ऐसा पहले कभी नही हूआ के महामाया इंफ्रा अपना टेंडर बिना बिडिंग के ही दे दे । हमने इससे पहले कितना 
 मेहनत किया था , तब जाकर हमे ये काम मिला , पर आप बोल रहे हो के आदित्य के एक फोन कॉल ने बिडिंग बंद करा दिया ।


अशोक कहता है ---

>" ये सच है बेटी । पता नही उसने किसे कॉल किया था । कल अगर वो नही होता तो आज वो कॉट्रेक्ट भी हमारे हाथो से चला जाता । 



 जानवी कहती है ---
>" I am so sorry papa , मुझे बिलकुल भी ध्यान नही था ।


अशोक कहता है --


>" अच्छा ठिक है पर यो बता ये चोंटे कैसे आई ? क्या आदित्य से कुछ झगड़ा हूआ है क्या ?


जानवी कहती है ---

>" नही पापा ऐसा कुछ भी नही है ।


अशोक कहता है --

>" कल तुम्हारे साथ क्य हूआ , तुम कहां पर थी मुझे सब सच सच जानना है ।

अशोक के कड़े शब्दो मे कहने पर जानवी कहती है ---

>" पापा वो मैं कल ......

इतना बोलकर जानवी सुहागरात से लेकर अब तक जो भी हूआ सब बोलकर सुना देती है , जिसे सुनकर अशोक की हैरान और परेशान हो जाता है , अशोक जानवी से कहता है ---


>" ये तु क्या कर रही है जानवी , डिवोर्स, तु आदित्य से डिवोर्स लेगी । तुने उस लंफगें विकास को लिए एक भोले भाले इंसान के जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रही है । जिसने तेरा हर कदम पर साथ दिया, तु उसके साथ ऐसा कैसे कर सकती है ।


जानवी कहती है ---

>" पापा मैं ये कभी नही चाहती थी के आदित्य के साथ ऐसा करु , पर जब भी विकास मेरे पास आता है , मैं सब कुछ भूल जाती हूँ ।

अशोक कहता है ---

>" और आदित्य , उसकी क्या गलती है , नही मैं आदित्य के साथ कुछ गलत नही होने दे सकता । मैं इस विकास को मार डालूगां ।
  

इतना बोलतर अशोक उठता है तो जानवी कहती है ---


>" रुकिए पापा , अगर विकास को कुछ हूआ तो मैं आदित्य को भी मार दूगां और खुद भी मर जाउगीं ।

जानवी की यो बात आदित्य सुन लेता है और वो चुप होकर अशोक के लिए चाय लेकर आता है । आदितेय को देखकर अशोक चुप हो जाता है और चाय पिने लगता है ।

पर आदित्य जानवी की और दैखता है तो जानवी थोड़ी सी गुस्से से आदित्य की और दैखती है , जिससे आदित्य घबरा जाता है ।सके कही सच मे जानवी की प्लानिंग उसो मारने की ना हो ।


अशोक चाय पिने के बाद उठता है तो आदित्य कहता है --

>" अरे पापा आप जा रहे हो क्या ? खाना खा के जाते ।

अशोक कहता है --
>" नही बेटा फिर कभी , वो एक जरुरी काम है इसिलिए मुझे जाना होगा ।

इतना बोलकर अशोक वहां से चला जाता है । इधर मोनिका उस रात को विक्की के साथ हूए बात को लेकर परेशान थी । उसे डर था के कही वो प्रेगनेंट ना हो जाए । इतना सौचता हूई मोनिका विक्की को कॉल करती है ।


विक्की कहता है ---


>" हाय बेब , केसे याद किया ?

मोनिका :- विक्की मुझे उस रात के बारे मे सौच कर टेंशन हो रही है ।

विक्की ( अनजान होकर ) :- कौन सी रात माई डार्लिंग ।

मोनिका :- ओहो विक्की , ज्यादा बनो मत , मैं उस रात की बात कर रही हूँ जिस रात को तुम और मैं एक साथ थे । विक्की मुझे तो बहोत घबराहट हो रही है । 


विक्की :- किस बात कि घबराहट है मेरी जान ।


मोनिका :- यही के , अगर कुछ हो गया तो , मेरा मतलब अगर मैं प्रेगनेंट हो गई तो ?

विक्की :- Don't worry babby कुछ नही होगा । 

मोनिका : - विक्की , क्यों ना हम भी शादी कर ले ।

विक्की :- क्या बच्चो जैसी बात कर रही हो मोनिका ।

मोनिका :- शादी करने बोल रही हूँ , इसमे बच्चों जैसी क्या है , क्या तुम मुझसे प्यार नही करते । 


विक्की :- Ofcourse करता हूँ जान ।

मोनिका: - तो फिर शादी करने मे क्या दिक्कत है ।

विक्की: - अच्छा ठिक है शाम को मिलते है , बॉय ।

विक्की फोन काट देता है तो मोनिका कहती है --

मोनिका: - ये विक्की बात को टाल क्यो रहा है । कही मेरे से ... नही नही विक्की ऐसा नही कर सकता ।

इधर जानवी आदित्य के पास बैठी थी , आदित्य अपना मोबाइल फोन चला रहा था , जानवी आदित्य को दैखकर सोचती है --


" ये आदित्य कितना प्यारा , कितना स्वीट लड़का , हेंडसम, केयरिंग है , इसमे वो सब गूण है जो एक एक लड़की अपने पती मे ढुडंती है । पर मैने इसका जिंदगी ही बर्बाद कर दी । ये तुने अच्छा नही किया जानवी , एक तो बेचारा पहले से ही अपने प्यार के लिए दूखी था और तुने इसे और दूखी कर दिया । ये तुने अच्छा नही किया ।

जानवी इतना सौच ही रही थी के आदित्य जानवी से कहता है --


आदित्य: - जानवी , जानवी ।

जानवी :- हां ।

आदित्य :- कहां खोयी हो , क्या सौचने लगी ।

जानवी :- नही वो मैं ।

आदित्य: - तुम विकास के बारे मे सौच रही हो ना । अरे टेंशन क्यों लेती हो , मैं हूँ ना , मैं समझा दूगां तुम्हारे पापा को । मेरा भरोसा करो , मैं मना लुगां । और वो डिवोर्स तो बस और कुछ दिन सब्र करो । अब चलो ज्यादा टेंशन मत लो और डिनर करते है चलो । 

जानवी आदित्य की शादगी और अच्छाई से बहोत प्रभावित होती है और कुर्सी मे बैठकर एक टक आदित्य को दैखती रहती है । आदित्य जानवी के लिए उसका फेवरेट पनीर टिक्का और स्पाइसी बिरयानी बनाया था । 

आदित्य जानवी को खाना परोसता है और जानवी आदित्य को दैखती रहती है , जानवी को बहोत बुरा फिल हो रहा था , क्योकी आदित्य उसके हर काम मे हर फेसले पर उसका साथ दे रहा था जो एक पती अपनी पत्नी के लिए करता है , आदित्य के मन मे जानवी के लिए ना कोई गुस्सा था और ना कोई शिकायत । जानवी अपने अदर गिल्ट महसूस कर रही थी क्योकी जो बर्ताव उसने आदित्य के साथ किया था , उसके लिए वो बहोत शर्मिंदा थी ।


तभी वहां पर आदित्य के मामा त्रिपुरारी आता है और कहता है ---

त्रिपूरारी :- ओए , भांजे क्या हो रहा है । 

त्रिपूरारी को दैखकर आदित्य बहोत खुश हो जाता वो दौड़कर अपने मामा के पास जाता है और गले लगते हूए कहता है --


आदित्य :- अरे मेरे प्यारे कंश मामा ।


To be continue.....286