Dhun ishq ki.... Par dard bhari - 57 in Hindi Love Stories by Arpita Bhatt books and stories PDF | धुन इश्क़ की... पर दर्द भरी - 57

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धुन इश्क़ की... पर दर्द भरी - 57

[ किरण और साहिल बाहर सिमरन को आवाज लगाते हुए ढूंढ रहे थे, तभी उन्हे एक पुराना गोडाउन जैसा दिखता है, जिसका दरवाजा बंद होता है, उन्हे शक होने पर वो दोनो उसके करीब जाते है। तभी किरण को विपिन की आवाज सुनाई देती है, जिसे सुनते ही वो पहचान जाती है कि हो न हो,इसके अंदर ही विपिन और सिमरन है। फिर साहिल उस दरवाजे को खोलने की कोशिश करता है,लेकिन वो अंदर से बंद होता है। तभी साहिल को भी सिमरन की आवाज सुनाई देती है, तो वो गुस्से और जोश दोनो से भर जाता है और दरवाजा तोड़ देता है। ]

सिमरन जैसे ही साहिल को देखती है तो उसके मन की घबराहट थोड़ी कम हो जाती है, पर फिर भी वो सच में बहुत घबराई हुई थी। साहिल जैसे ही अंदर आता है, तो देखता है कि विपिन, सिमरन के इतने करीब आकर क्या करने की कोशिश कर रहा है, ऊपर से सिमरन की ऐसी हालत देखकर उसे बहुत गुस्सा आ जाता है और वो जाते ही विपिन को एक लात मारता है, जिससे कि वो सिमरन से दूर जमीन पर जाकर गिरता है। पर इस बार विपिन भी पूरे गुस्से के साथ उठता है, और साहिल के ऊपर हमला करता है, लेकिन साहिल उससे बचते हुए विपिन को मुक्का मारता है, जिससे उसके नाक से खून निकलने लगते है। ऐसे ही दोनो के बीच में हाथापाई चल रही होती है, तब तक किरण, सिमरन के पास आती है और उसे रस्सियों से खोलती है। जैसे ही सिमरन के हाथ और पांव की रस्सियां खुलती है, तो वो उठकर किरण के गले लग जाती है, और रोने लगती है। सिमरन के इस तरह गले लगने से किरण को एक बार तो समझ नही आता है कि क्या करे, फिर वो उसके सिर पर धीरे धीरे हाथ फेरने लगती है। पहली बार किरण, सिमरन के इस तरह गले लगने पर अपनापन महसूस कर रही थी, और उसके इस तरह रोने से किरण की आंखों में भी आंसू आ जाते है, जिसे वो जल्दी से एक हाथ से पौंछ लेती है। उसे खुद विपिन के ऊपर गुस्सा आने लगता है, और वो विपिन की तरफ गुस्से से देखती है। फिर वो सिमरन के सिर पर हाथ फेरते हुए बोलती है कि;

किरण - अब आप बिल्कुल सुरक्षित हो दीदी, जरा उधर देखो, साहिल जीजू ने क्या हालत करी है उसकी! फिर सिमरन अपनी आंखें खोलकर देखती है कि साहिल गुस्से में विपिन को मारे जा रहा है, लेकिन इस बार वो जाकर उसे नही रोकती है। क्योंकि वो खुद विपिन को सजा देना चाहती होती है। उसकी आंखों से आंसू गिरे जा रहे होते है, तो किरण उसके कंधे पर हाथ रखती है, तभी सिमरन को अचानक से याद आता है कि उस समय किरण ने भी तो उसे मारने की कोशिश करी थी। तो फिर वो किरण का हाथ अपने कंधे से हटा देती है। किरण को अजीब लगता है तो वो पूछती है कि;

किरण - क्या हुआ दीदी आपको,अब आप ठीक हो और सुरक्षित हो! उसने सिमरन को ढांढस बंधाते हुए कहा। 

सिमरन - तुम्हारे रहते मैं कभी safe नही रह सकती हुं किरण! आज नही हो तो क्या हुआ, कभी तो तुम भी मुझे मारना चाहती थी, ना! 

किरण - यह आप क्या बोल रही है दीदी, उस दिन भी आप ऐसा ही कुछ बोल रही थी। पर मैं आपको क्यों मारना चाहूंगी? माना कि मैं पहले बहुत बुरी थी, लेकिन इतनी भी नही कि किसी की जान तक ले लूं! 

सिमरन - शादी वाली रात को जब तुम सभी ने मुझे बांधकर रखा था, तब क्या तुम मुझे मारने नही आई थी। 

किरण - यह सब आप क्या कह रही है दीदी? मेरा विश्वास कीजिए, मैं तो उसके बाद आपसे मिलने आई ही नही थी, एक सेकंड, अभी आपको इसका जवाब मिल जाएगा। और किरण विपिन के पास जाती है, जो साहिल की मार से जमीन पर गिरा हुआ था। किरण जाते ही उसका कॉलर पकड़ती है और बोलती है कि;

किरण - उस शादी वाले दिन क्या हुआ था? सिमरन दीदी के आउटहाउस में आग गलती से लगी थी या जानबूझकर? बोलो, वरना मैं तुम्हारी आज जान ले लूंगी! उसने विपिन का गला दबाते हुए कहा। 

विपिन - नही, वो आग तो तुमने लगाई थी ना किरण! याद करो! विपिन ने अटकते हुए कहा। फिर किरण समझ जाती है कि यह खेल विपिन ने खेला है, ताकि उसका इल्जाम कभी भी उसके ऊपर नही आए! ईशान और तानिया ने पुलिस को भी बता दिया था, तो वो पुलिस को लेकर आ जाते है। 

तब तक सिमरन जो पीछे खड़ी होती है, अचानक से बेहोश होकर गिर जाती है। 

जैसे ही सिमरन बेहोश होकर गिरती है, तो उसके गिरने की आवाज से साहिल पीछे मुड़कर देखता है। जैसे ही वो देखता है कि सिमरन जमीन पर गिरी हुई है तो उसके पास जाता है और उसे हिलाकर उठाने की कोशिश करता है। सिमरन को इस तरह से बेहोश देखकर साहिल बहुत चिंता में आ जाता है और उसकी आंखों से आंसू आने लगते है। तभी तानिया, ईशान, किरण भी उसके पास आ जाते है और तानिया बोलती है कि;

तानिया - हमे जल्दी ही सिमरन को हॉस्पिटल लेकर जाना चाहिए!

साहिल - हां दीदी, और वो जल्दी से सिमरन को अपनी गोदी में उठा लेता है और जल्दी से गाड़ी के पास पहुंचता है। इधर किरण और ईशान तब तक पुलिस को बोल देते है कि आप जल्दी से इस इंसान को हवालात की हवा खिलाइए, दोनो में काफी गुस्सा भरा हुआ होता है। विपिन को तो सिमरन को इस तरह बेहोश देखकर मजा आता है और वो हंस रहा होता है। पुलिस उसे लेकर चली जाती है। फिर ईशान और किरण भी जल्दी ही सिमरन के पास जाते है। किरण घर पर सभी को फोन करके बता देती है कि सिमरन मिल गई है और उसे अब हॉस्पिटल लेकर जा रहे है। राजीव जी यह सुनते ही और चिंता में आ जाते है,और सुहाना जी भी रोने लगती है। 

सुहाना जी - मेरी बच्ची को अब और कितनी तकलीफ सहनी पड़ेगी! राजीव जी, मुझे जल्दी से वहां लेकर चलिए, मैं सिमरन से मिलना चाहती हुं। अपनी बच्ची से मिलना चाहती हुं, ऐसा कहकर वो रोने लगती है। 

क्रमश :