inteqam - 20 in Hindi Love Stories by Mamta Meena books and stories PDF | इंतेक़ाम - भाग 20

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इंतेक़ाम - भाग 20

1 दिन निशा की बेटी गुनगुन निशा के पास आई और बोली मम्मा हमारी स्कूल में छोटे बच्चों का फैंसी ड्रेस कंपटीशन होने वाला है, मैंने भी उस में भाग लिया है मम्मा आप भी मेरे लिए एक अच्छी सी ड्रेस लेकर आना,,,,

यह सुनकर निशा बोली फैंसी ड्रेस कंपटीशन,,,,

यह सुनकर गुनगुन  बोली हां मम्मा,,,,

तब निशा बोली कब है,,,,

गुनगुन बोली 2 दिन बाद में आप मेरे लिए अच्छी ड्रेस ला होगी ना मम्मा,,,,

यह सुनकर निशा मुस्कुराते हुए बोली हां मैं अपनी परी बेटी के लिए ऐसी ड्रेस लाऊंगी की किसी के पास भी नहीं है, अब चलो चलो जल्दी से हाथ मुंह धो लो भैया तुम्हारा इंतजार कर रहा है, दोनों खाना खा लो,,,,

यह कहकर निशा ने उनके हाथ  मुंह धुलाई और दोनों को खाना खिला दिया खाना खाकर दोनों बहन भाई खेलने लग गए,,,,

निशा सोचने लगी कि गुनगुन के लिए अच्छी सी ड्रेस वह कहां से लाएगी क्योंकि अगर वह किसी अच्छी दुकान पर से अच्छी सी ड्रेस खरीदे की तो काफी महंगी आएगी लेकिन फिर भी अपनी बेटी की खुशी के लिए उसने कहीं दुकानों पर  ड्रेस देखी लेकिन जो छोटी दुकानें थी उन पर अच्छी सी ड्रेस नहीं मिली और जो बड़ी थी उन पर से ड्रेस खरीदने की हैसियत निशा की नहीं थी,,,,

थक हार कर निशा के कुछ समझ में नहीं आ रहा था तब निशा ने सोचा कि क्यों न मैं ही एक प्यारी सी अच्छी सी ड्रेस अपनी बेटी के लिए बना दूं,,,,

यह सोचकर उसने एक अच्छी सी ड्रेस गुनगुन के लिए तैयार कर दी ड्रेस इतनी प्यारी थी कि कोई देखकर सोच भी नहीं सकता था कि यह निशा ने खुद ने सील कर बनाई है, सबको यही लगेगी निशा ने यह काफी महंगी खरीदी होगी,,,,,

ड्रेस को देखकर गुनगुन भी काफी खुश हो गई और प्यार से अपनी मम्मा के गले लग गई,,,,,

कॉन्पिटिशन के दिन गुनगुन  नई ड्रेस को पहनकर गुनगुन बहुत ही प्यारी लग रही थी सब उसे देखे ही जा रहे थे, उस ड्रेस को पहनकर गुनगुन ने कॉन्पिटिशन में हिस्सा लिया और उस कंपटीशन में जीत गई और उसे फर्स्ट प्राइज मिला,,,,,

जब वह अपने जीत की ट्रॉफी लेकर अपनी मां के पास आई तो निशा को भी बहुत खुशी हुई और उसने प्यार से गुनगुन को गले लगा लिया,,,,

गुनगुन अपने कॉन्पिटिशन की बातें बताते हुए नहीं थक रही थी कि लोगों ने उसकी ड्रेस कितना अच्छा बताया और उसकी कितनी तारीफ कि,,,, मम्मा आप वह ड्रेस कहां से लाई थी,,,,

यह सुनकर निशा मुस्कुराते हुए बोली बस एक परी रानी आई थी और मैंने उससे अपनी छोटी परी के लिए ड्रेस मांग ली और उसने खुशी खुशी दे दी,,,,,

यह कहकर निशा हंस पड़ी तब गुनगुन मासूमियत से बोली लेकिन मम्मा वह परी रानी मुझे से मिलकर तो गई ही नहीं,,, 

तब निशा प्यार से उसका गाल थपथपाते हुए बोली अब जब आएगी ना तब उसे बहुत डांट लगाऊंगी की बह मेरी परी बेटी से मिलकर क्यों नहीं गई,,,,

तब गुनगुन बोली हां मम्मा उसे बहुत डांटना और जब मुझे मिलेगी ना तो मैं भी बहुत डांट लगाऊंगी, पता है मेरी फ्रेंड है ना वह चिंकी कहती है कि परी के पास एक ऐसी छड़ी होती है जिससे बहुत सारे खिलौने जो हम मांगे वह दे देती है,,,,

जब परी आई ना मम्मा तो आप उसे मेरे लिए ढेर सारे खिलौने मांग लेना और फिर गुनगुन मुस्कुराते हुए बोली अच्छा मम्मा मैंने खाना खा लिया अब मैं भैया और मैं खेलने जाए,,,,,

यह सुनकर निशा बोली हां कुछ देर खेल कर आ जाना फिर पढ़ाई भी करनी है समझी तुम,,,,,,

तब गुनगुन अपनी मम्मा के गले लगती हुई बोली यस मम्मा,,,,

यह कहकर गुनगुन अपने भैया के साथ चली गई तभी निशा भी अपने काम में लग गई,,,,

तभी अचानक बंगले के आगे एक गाड़ी रुकी और उसमें से एक सूट बूट पहने हुए और आंखों पर काला चश्मा लगाए हुए आदमी अंदर आया, उसे देख कर निशा हैरान रह गई की यह कौन है उस आदमी ने आगे बढ़कर निशा से नमस्ते कहा,,,,,