Adhuri Kitaab - 54 in Hindi Horror Stories by kajal jha books and stories PDF | अधुरी खिताब - 54

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अधुरी खिताब - 54

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✨ एपिसोड 54 — “किस्मत की दबी हुई आवाज़ें”

हवा में कुछ अनकहा ज़िंदा था।
जैसे किसी ने अधूरी किताब के पन्नों को छेड़ दिया हो,
और वे खुद-ब-खुद खुलकर अपने रहस्य बयान करने लगे हों।

रात का सन्नाटा कभी इतना भारी नहीं लगा था।

आर्या अपनी मेज के सामने बैठी थी।
दीवार पर टंगी पुरानी घड़ी की टिक-टिक
आज उसकी धड़कनों से भी ज़्यादा तेज़ सुनाई दे रही थी।

उसकी आँखें बार-बार उस अधूरी किताब पर जा टिकतीं—
वही किताब जिसे वह पिछले तीन एपिसोड से खोलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी।

“क्यों ऐसा लगता है… कि इसमें मेरा नाम लिखा है?”
उसने गहरी साँस ली।

पन्नों के किनारे पीले पड़ चुके थे,
कुछ जगहों पर हल्की सी राख जैसी परत जमी थी—
जैसे किसी आग में झुलसकर फिर भी बच गई हो।

और पन्ने के ठीक ऊपर लाल स्याही में उकेरे शब्द:

“जिसने पढ़ा, वह बचा—
जिसने समझा… वह डूबा।”

आर्या ने धीमे से किताब पर हाथ रखा।
उसी वक़्त सारी बत्तियाँ टिमटिमा उठीं।

उसने डरकर पीछे मुड़कर देखा—
कमरे में कोई नहीं था।
लेकिन एक ठंडी हवा उसके कंधे पर हाथ रखकर गुज़री,
जैसे कोई अदृश्य आवाज़ कह रही हो—

“तुम देर कर रही हो… पढ़ लो…”


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🌑 1. रहस्यमयी दस्तक

“आर्या!”

दरवाज़ा जोर से खुला।
आर्यन अंदर आया—
उसके चेहरे पर बेचैनी और डर साफ़ था।

“तुम फिर से इस रात में अकेली बैठी हो?
कितनी बार कहा है— वो किताब साधारण नहीं है।”

आर्या ने उसकी ओर देखा।
“तुम यह जानते हो, न?
यह किताब मेरी है—
या शायद… मैं इसकी हूँ।”

आर्यन उसकी बात पर चुप हो गया।
दो सेकंड…
तीन सेकंड…
चार—

“हाँ,”
उसने भारी आवाज़ में कहा,
“तुम दोनों एक-दूसरे से जुड़े हो।”

आर्या का दिल तेज़ी से धड़कने लगा।

“मतलब?”

आर्यन आगे बढ़ा, मेज पर हाथ रखकर झुक गया।

“मतलब…
इस किताब में लिखा हर शब्द,
हर रहस्य,
हर अधूरी कहानी—
तुम्हारे जीवन से मेल खाती है।
जैसे यह किताब… पहले से तुम्हें जानती थी।”

आर्या ने बुदबुदाया—
“लेकिन कैसे?”

आर्यन ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा—

“क्योंकि तुम इस कहानी की आखिरी किरदार हो, आर्या।
यह किताब तब तक पूरी नहीं होगी,
जब तक तुम इसे पूरा नहीं कर दोगी।”

आर्या के हाथों से किताब फिसलते-फिसलते बची।


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🌒 2. किताब का जागना

ठीक उसी क्षण—
किताब खुद-ब-खुद खुल गई।

पन्ने हवा से नहीं
बल्कि किसी अदृश्य आदेश से पलटे।

दोनों डरकर पीछे हट गए।

आर्या ने काँपती आवाज़ में पूछा—
“आर्यन… क्या तुमने इसे छुआ?”

“मैंने कुछ नहीं किया!”

पन्ना वहीं रुका जहाँ एक नई कविता उभरी थी—
जो कुछ घंटे पहले तक वहाँ नहीं थी।

“मैंने समय को रोका,
ताकि तुम पढ़ सको।
मैंने मौत को तोड़ा,
ताकि तुम समझ सको।
अधूरी हूँ मैं…
पर तुम्हारे बिना नहीं।”

आर्या के होंठ सूख गए।
“ये… मुझे संबोधित है?”

आर्यन ने धीरे से कहा—
“हाँ।
और सिर्फ तुम्हें।”

किताब के पन्ने जलने लगे—
धीमे, लाल चमक के साथ।
जैसे कोई रूह इन शब्दों में साँस ले रही हो।

आर्या अचानक पीछे हट गई।

“आर्यन… यह क्या हो रहा है?
क्या कोई… रूह इससे जुड़ी है?”

आर्यन ने ठंडी साँस ली।
“रूह नहीं… कई रूहें।
हर लेखक जिसने यह किताब लिखने की कोशिश की,
उसकी मौत हुई—
क्योंकि यह कहानी पूरी होने को जलती है।”

आर्या के पैरों तले मानो ज़मीन खिसक गई।


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🌘 3. आर्यन का सच — दबा हुआ दर्द

आर्यन खिड़की के पास जाकर खड़ा हुआ।
चाँदनी उसकी आँखों पर पड़ रही थी—
जिनमें आज अजीब सी थकान और डर था।

आर्या ने धीरे से उसका हाथ छुआ।
“तुम इतने परेशान क्यों हो?
क्या तुम मुझे कुछ छुपा रहे हो?”

आर्यन ने नजरें फेर लीं।

“अगर कहूँ कि तुम इस किताब की आखिरी उम्मीद हो…
तो क्या तुम मेरा यकीन करोगी?”

आर्या का दिल बैठ गया।

“आखिरी… उम्मीद?”

आर्यन की आवाज़ जैसे टूट गई।

“हाँ, आर्या।
क्योंकि तुम पहली हो—
जो इस किताब को बिना टूटे पढ़ पा रही हो।
बाकी सब… डर कर मर गए।”

आर्या ने अपना हाथ पीछे खींच लिया।
“क्या मतलब मर गए?
किसने? कैसे?”

आर्यन ने गहरी साँस लेकर कहा—

“मैंने अपने भाई को खोया है।
उसने भी इस किताब को पूरा करने की कोशिश की थी…
और जिस रात कहानी ने करवट ली—
उस रात वह… लौटकर नहीं आया।”

आर्या के पूरे शरीर में सिहरन दौड़ गई।

“तुम्हारा भाई…?”

आर्यन ने हाँ में सिर हिलाया।

“यह किताब जब खुलती है,
किसी को नहीं छोड़ती।
तुम्हारे पीछे भी है यह अब…
जाग चुकी है यह।”
उसने किताब की ओर इशारा किया।

आर्या की आँखें डबडबा गईं।

“लेकिन मैं क्यों?
क्यों मुझे चुना इसने?”

आर्यन उसकी ओर मुड़ा।

“क्योंकि तुम…
इस कहानी की आखिरी नायिका हो।
और शायद…
तुम्हें ही इसका अंत लिखना है।”


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🌑 4. किताब का पहला आदेश

किताब फिर चमकने लगी—
इस बार लाल नहीं, काली।

आर्या और आर्यन दोनों डर गए।
कमरे की बत्तियाँ बुझ गईं।
सिर्फ किताब से रोशनी निकल रही थी।

किताब ने एक वाक्य दिखाया—
जैसे वह आदेश दे रही हो:

“रात्रि के पहले प्रहर में
अपनी किस्मत की पहली याद खोजो।
नदी किनारे…
जहाँ कहानी शुरू हुई थी।”

आर्या ने ऊँचे स्वर में पढ़ा।

आर्यन ने तुरंत उसका हाथ पकड़ा।
“नहीं! वहाँ जाना खतरनाक है!”

“लेकिन किताब—”

“किताब मरवा देगी तुम्हें!”
आर्यन चिल्लाया,
उसकी आवाज़ दर्द से भर गई।

आर्या पहली बार उसे इतना टूटा हुआ देख रही थी।

“आर्यन…”
उसने धीरे से उसका चेहरा थामा,
“तुम मुझे खोने से डर रहे हो?”

आर्यन की आँखें नम हो गईं।

“हाँ, आर्या…
मैं तुम्हें खो नहीं सकता।
मेरे भाई के बाद…
तुम ही हो मेरे पास।”

दोनों के बीच एक अनकहा रिश्ता पल भर में गहरा हो गया।

हर चीज़ जैसे रुक गई—
लेकिन किताब का पन्ना अचानक जल उठा—

और एक नई लाइन उभर आई:

“जो डरता है… वह मरता है।
जो खोजता है… वही जीता है।”

आर्या का दिल धड़क उठा।

“हमें जाना होगा, आर्यन।
शायद यह ही मेरा रास्ता है।”

आर्यन ने आँखें बंद कर लीं।

“तो मैं भी चलूँगा…
चाहे कहानी मुझे भी ले ले।”


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🌑✨ 5. क्लिफहैंगर / हुक

दोनों दरवाज़े की ओर बढ़ते हैं।
किताब अपने-आप बंद हो जाती है।

और आखिरी चमक में सिर्फ एक लाइन उभरती है—

“नदी पर आज रात…
तीन रूहें इंतज़ार कर रही हैं।”

आर्या का गला सूख गया।

“तीन रूहें… कौन?”

आर्यन ने फुसफुसाकर कहा—

“एक तुम…
एक मैं…
और एक—
जो इस कहानी को पूरा करने नहीं देगी।”

कमरा फिर अँधेरे में डूब गया।


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🌙 एपिसोड 54 का हुक

आज रात नदी किनारे…
कौन सच सामने आएगा?
कौन सा राज़ खुल जाएगा?
और किसकी रूह… आर्या को पुकार रही है?