भूतिया कार – एक रहस्यमयी सफ़र
रात के लगभग बारह बज रहे थे। मौसम में हल्की-हल्की ठंडक थी और सड़क पर दूर-दूर तक सन्नाटा पसरा हुआ था। मोहित, जो शहर का एक युवा फार्मासिस्ट था, अपनी नाइट ड्यूटी पूरी करके बाइक से घर लौट रहा था। रास्ते में घने पेड़ों से घिरी पुरानी हाईवे रोड पड़ती थी, जहाँ लोग कम ही जाना पसंद करते थे। क्योंकि लोगों का कहना था कि वहाँ पर एक भूतिया कार रात में घूमती दिखाई देती है—अपने अगले शिकार की तलाश में।
मोहित इन सब कहानियों पर ज़्यादा विश्वास नहीं करता था। उसे लगता था कि ये सब अंधविश्वास हैं, पर उस रात कुछ ऐसा हुआ जिसे वह कभी भूल नहीं पाया।
उसकी बाइक तेज़ी से आगे बढ़ रही थी कि अचानक उसे पीछे से गाड़ियों की तेज़ रोशनियों का एहसास हुआ। उसने सोचा कोई कार ओवरटेक करना चाहती होगी, लेकिन रोशनी इतनी असामान्य थी कि उसे पीछे देखने का मन हुआ। जैसे ही उसने मिरर में नज़र डाली, उसका दिल धड़क उठा—पीछे से काले रंग की विंटेज कार आ रही थी, जिसके हेडलाइट लाल रंग में चमक रहे थे।
मोहित ने बाइक को साइड में कर थोड़ा धीरे किया, मगर कार उसे ओवरटेक नहीं कर रही थी। वह बस उसके पीछे उसी गति में चल रही थी, जैसे किसी की नज़र उसे लगातार देख रही हो।
अचानक कार का हॉर्न बजा—एक ऐसा हॉर्न, जिसमें इंसानी चीखों की मिलावट सी लग रही थी। मोहित डर गया और उसने तेजी से बाइक दौड़ा दी। लेकिन चाहे वह जितनी भी स्पीड बढ़ाता, वह कार उसके पीछे उतनी ही तेज़ हो जाती। ऐसा लग रहा था जैसे वह कार किसी अदृश्य शक्ति से चल रही हो।
कुछ दूरी बाद मोहित के रास्ते में एक मोड़ आया, जहाँ सड़क के किनारे एक टूटी हुई, जली हुई कार का ढांचा पड़ा था। लोग कहते थे कि सालों पहले वहाँ एक भयानक एक्सिडेंट हुआ था, जिसमें एक परिवार की मौत हो गई थी और उनकी आत्माएँ कभी शांति नहीं पा सकीं। कहा जाता था कि उसी हादसे के बाद से वहाँ रात में एक रहस्यमयी कार दिखाई देती है।
जैसे ही मोहित उस जगह से गुज़रा, पीछे की लाल हेडलाइटें अचानक गायब हो गईं। सड़क फिर से शांत हो गई। मोहित को लगा वह बच गया, पर उसकी रीढ़ में अभी भी अजीब सा डर था। उसने थोड़ी राहत की सांस ही ली थी कि आगे अचानक वही काली कार सड़क के बीचों-बीच खड़ी दिखाई दी।
उसमें कोई ड्राइवर नहीं था—स्टेयरिंग अपने आप घूम रहा था।
कार के दरवाज़े अपने आप खुल गए जैसे किसी को अंदर आने का न्योता दे रहे हों।
मोहित ने डर के मारे बाइक गिरा दी और पीछे की ओर भागा। तभी कार के स्पीकर से एक कराहती आवाज़ आई—"रुको... हमें अकेला मत छोड़ो..."
मोहित ने पीछे मुड़कर देखा तो कार धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ रही थी। वह पूरी ताकत से जंगल की तरफ भागा और एक पेड़ के पीछे छिप गया। कार कुछ देर वहीं रुकी, फिर अपने आप पीछे मुड़ी और तेज़ी से अंधेरे में गायब हो गई।
काफी देर तक जब वह वापस नहीं आई तो मोहित हिम्मत करके सड़क पर लौटा। बाइक को उठाकर किसी तरह घर पहुंचा। उस रात वह लगातार कांपता रहा।
अगली सुबह वह डरते-डरते उस जगह वापस गया, ताकि अपनी बाइक की डैमेज्ड चीजें देख सके। पर वहाँ जाकर वह दंग रह गया—सड़क पर कार के निशान बिल्कुल नहीं थे, जैसे कोई कार आई ही न हो। सिर्फ उसी पुराने एक्सिडेंट वाली जली हुई कार का ढांचा था… और उसमें एक नई चीज़ दिखाई दी: पिछली रात की तरह लाल रंग में हल्की-हल्की चमक।
मोहित आज भी उस रात की घटना याद करके सिहर उठता है। उसने कसम खा ली कि वह दोबारा कभी उस सड़क से रात में नहीं गुज़रेगा।
लोग कहते हैं कि वह कार अब भी उन्हीं लोगों को दिखाई देती है जो रात के सन्नाटे में उस रास्ते से गुज़रते हैं—किसी खोई हुई आत्मा की तरह… किसी नए साथी की तलाश में।