A Boy and the Jinns - A Story Full of Mystery and Adventure in Hindi Horror Stories by sameer books and stories PDF | एक लड़का और जिन्नात - रहस्य और रोमांच से भरपूर कहानी

The Author
Featured Books
Categories
Share

एक लड़का और जिन्नात - रहस्य और रोमांच से भरपूर कहानी

**एक लड़का और जिन्नात — रहस्य और रोमांच से भरपूर कहानी 

रात का समय था। गाँव के आखिरी सिरे पर एक पुराना, जर्जर मकान खड़ा था, जिसे लोग *“उजड़ा हवेली”* कहते थे। कोई भी वहाँ जाने की हिम्मत नहीं करता था। गाँव में अक्सर यह अफवाह फैली रहती कि उस हवेली में जिन्नात रहते हैं, जो रात में अजीब आवाज़ें निकालते हैं। लेकिन 14 साल का **आरव** इन बातों पर ज़्यादा विश्वास नहीं करता था। उसे रहस्यमयी चीज़ें देखने और उनकी सच्चाई जानने का शौक था।

एक रात उसने तय किया कि वह हवेली के अंदर जाकर देखेगा कि आखिर असलियत क्या है। चाँद बादलों में छिपा था और हवा में हल्की ठंडक थी। आरव हाथ में टॉर्च लिए चुपके से हवेली की ओर बढ़ा। चारों तरफ सन्नाटा ही सन्नाटा था, जैसे रात उसकी हर चाल को सुन रही हो।

जैसे ही वह हवेली के टूटे हुए गेट के पास पहुँचा, उसे भीतर से एक धीमी फुसफुसाहट सुनाई दी—
“कोई… यहाँ… है…”

आरव का दिल तेज़ी से धड़कने लगा, लेकिन वह रुका नहीं। उसने साहस जुटाकर दरवाज़ा धक्का दिया। दरवाज़ा ज़ोर की चरमराहट के साथ खुला और अंदर अंधेरा पसरा हुआ था, जैसे वहाँ सदियों से रोशनी पहुँची ही न हो।

अंदर कदम रखते ही उसे अजीब सी ठंड महसूस हुई। मकड़ी के जाल, टूटी हुई दीवारें, और पुराने लकड़ी के खंभे जैसे किसी डरावनी कहानी के पात्र थे। अचानक टॉर्च की रोशनी दीवार पर कुछ चमकीले निशानों पर पड़ी—मानो किसी ने नाखून से खुरचकर बनाए हों।

तभी उसके पीछे से फिर वही आवाज़ आई—
**“तुम यहाँ क्यों आए हो?”**

आरव घूम गया। उसके सामने एक लंबा, धुँधले धुएँ जैसा आकृति खड़ी थी। उसकी आँखें अंगारों की तरह लाल, और शरीर हवा में तैरता हुआ। आरव डर से पीछे हट गया। उसकी आवाज़ गले में अटक गई।

“त…तुम कौन हो?” आरव ने काँपते हुए पूछा।

आकृति ने जवाब दिया,
“मैं *जज़ाब* हूँ, इस हवेली का जिन्न। सौ सालों से यह जगह मेरा घर है। इंसान यहाँ आने की हिम्मत नहीं करते। पर तुम… तुम अलग हो। तुम्हारे अंदर डर कम और जिज्ञासा ज़्यादा है।”

आरव ने हिम्मत करते हुए पूछा, “अगर तुम इतने समय से यहाँ हो, तो गाँववालों को डराते क्यों हो?”

जज़ाब धीमी आवाज़ में बोला,
“मैं किसी को डराता नहीं। मैं तो अकेला हूँ। इंसान ही अपनी कहानियों से डर पैदा करते हैं। मैंने तो बस अपनी मौजूदगी कभी-कभार जताई, पर लोग उसे अभिशाप समझने लगे।”

आरव धीरे-धीरे शांत हुआ। वह बोला,
“तुम यहाँ अकेले क्यों रहते हो? तुम बाहर क्यों नहीं जाते?”

जिन्न थोड़ा उदास लगने लगा।
“एक पुराने जादूगर ने मुझे इस हवेली से बाँध दिया था। जब तक कोई इंसान दिल से मेरी सच्चाई समझकर मेरा डर दूर नहीं करता, मैं यहाँ बंधा रहूँगा।”

आरव को अचानक अफवाहों की झूठी ताकत समझ में आई। उसने कदम बढ़ाकर कहा,
“अगर तुम्हें किसी के समझने की ज़रूरत है, तो मैं हूँ। मैं किसी को बताऊँगा कि तुम बुरे नहीं हो। लेकिन क्या मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ?”

जिन्न की आँखों की लाल चमक धीरे-धीरे फीकी होने लगी। उसने मुस्कुराते हुए कहा,
“तुमने मेरे अस्तित्व को बिना डरे स्वीकार किया। यही वह चीज़ थी जो मेरी कैद को तोड़ सकती थी।”

अचानक हवेली के अंदर तेज़ हवा चलने लगी। दीवारें काँपने लगीं। जज़ाब का धुँधला शरीर चमकने लगा। कुछ ही क्षणों में वह चाँदनी की तरह उजाले में बदलने लगा।

“धन्यवाद, आरव,” जज़ाब की आवाज़ दूर से आती हुई लगी,
“तुम्हारी हिम्मत ने मुझे आज़ाद कर दिया।”

इसके साथ ही वह एक तेज़ चमक के साथ गायब हो गया। हवेली में अचानक शांति छा गई। वह अब वैसी डरावनी नहीं लग रही थी, बल्कि खाली, शांत और मुक्त।

अगले दिन जब आरव ने गाँववालों को बताया कि हवेली में जिन्न था लेकिन वह किसी को नुकसान नहीं पहुँचाता, कोई नहीं माना। लेकिन आरव के चेहरे की सच्चाई देखकर लोग धीरे-धीरे डर कम करने लगे। कुछ महीनों बाद हवेली की मरम्मत हुई और वह गाँव की विरासत बन गई।

और आरव?
वह जान चुका था कि हर डर के पीछे सच्चाई छिपी होती है—बस हिम्मत करके उसे देखने की ज़रूरत होती है।