Tumse Milne ki Chhuti - 4 in Hindi Love Stories by soni books and stories PDF | तुमसे मिलने की छुट्टी - 4

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तुमसे मिलने की छुट्टी - 4

नयी सुबह : हमारा जहाँन फिर से धड़क उठा”सुबह की हल्की सुनहरी रौशनी “हमारा जहाँन” कैफ़े की खिड़कियों पर पिघल रही थी।कॉफी मशीन की धीमी खनक, और रसोई से आती ताज़ी ब्रू की खुशबू —मानो घर और कैफ़े, दोनों एक साथ जाग रहे हों।जिया ठाकुर ने सबसे पहले कप उठाया।वो मुस्कराई…पिछली रात उसने सोचा था —प्यार, परिवार, और ये छोटा सा कैफे… यही तो उसका जहाँन है।उधर आयुष ठाकुर नींद से उठते हुए बोले,“मैडम जिया ठाकुर, कॉफी की खुशबू तो जगी है,पर आपकी बेटी अभी भी नींद के हुकूम जारी कर रही है।”दोनों हँस पड़े।कमरे में जाकर आयुष ने धीरे से अपनी बच्ची को उठाया —“मिस आर्या ठाकुर, आपकी सुबह रिपोर्टिंग का समय हो गया है।”छोटी आर्या अपनी आँखें मलते हुए बोली,“पापा… पहले हग, फिर उठूँगी।”आयुष ने उसे गोद में उठा लिया —और बस उस एक पल मेंघर, प्यार और सुरक्षा — तीनों एक साथ महसूस हो गए।नीरा नहीं, अब जियारसोई में कॉफी के तीन कप रख रही थी —एक मजबूती के नाम,एक यादों के नाम,और तीसरा छोटा कप —आर्या की मुस्कानों के लिए।जब तीनों एक साथ टेबल पर बैठे,तो आयुष ने जिया की ओर देखते हुए कहा,“पता है, आज का दिन कुछ अलग लग रहा है।”जिया मुस्कुराई,“क्योंकि आज से हम सिर्फ़ कैफ़े नहीं चला रहे,आज से हमारा जहाँन नई धड़कनें सीख रहा है।”उसी वक्त कैफ़े का दरवाज़ा खड़का।सुबह इतनी जल्दी कौन आया होगा?दरवाज़ा खुलते ही हल्की हवा आई —और बाहर खड़ा था एक युवक।कंधे पर कैमरा,हाथ में छोटा-सा गिफ्ट,और आँखों में साफ़-सुथरी चमक।वह मुस्कुराकर बोला —“गुड मॉर्निंग मैम… मैं आरव।‘हमारा जहाँन’ की कहानी पर प्रोजेक्ट बनाना चाहता हूँ।क्या मैं आज की सुबह यहीं से शुरू कर सकता हूँ?”जिया एक क्षण को ठिठक गई…मानो उसकी धड़कन एक सेकंड के लिए रुक गई हो।कहीं अंदर कोई पुरानी मीठी याद जग गई थी।आयुष ने धीरे से जिया का हाथ दबाया —“हर सुबह नई होती है, जिया…उसे शुरू होने दो।”आर्या उछलकर बोली —“मामा, उसे कॉफी दो ना!शुरुआत कॉफी से ही तो होती है हमारे यहाँ।”तीनों हँस पड़े।और इसी हँसी के बीचकैफ़े की गर्माहट में एक नई कहानी जन्म ले रही थी।हमारा जहाँन आज फिर से जीवित हो गया था —एक नई सुबह के साथ।---❤️ बिल्कुल ❤️

अब कहानी यहीं से आगे बढ़ती है —

जिया, आयुष और उनकी बेटी आर्या के छोटे से “जहान” में…

जहाँ एक नया किरदार – आरव

धीरे-धीरे अपनी जगह बना रहा है।

☕✨  पहली कॉफी, पहली झिझक

कैफ़े की हल्की-सी रोशनी में

आरव अंदर आया तो हवा जैसे ज़रा ठहर गई।

कंधे पर उसका कैमरा और आँखों में उत्सुकता —

जिया पहली बार इतना नर्वस महसूस कर रही थी

जितना वह खुद स्वीकार नहीं करना चाहती थी।

जिया ठाकुर ने एप्रन ठीक किया और काउंटर पर खड़ी हो गई।

आयुष ने मुस्कुराते हुए धीरे से कहा —

“आराम से… यह बस एक नया ग्राहक है,

कोई फौजी इंक्वायरी नहीं।”

जिया ने पलटकर उसे देखा —

उसकी मुस्कान कह रही थी,

“आप जानते हैं, ये सिर्फ़ ग्राहक नहीं है…”

आर्या आगे बढ़कर बोली,

“हाय! मैं आर्या ठाकूर!

आप कौन-सी कॉफी लोगे?”

आरव झुककर बोला,

“हाय, ऑफिसर आर्या!

मैं लूंगा… वही जो तुम सुझाओ।”

आर्या को कोई बहुत बड़ा पद मिल गया हो जैसे —

“मामा! इनके लिए मामा स्पेशल कॉफी बनाओ!”

जिया हँस पड़ी,

“मामा स्पेशल? ये कब से बनती है?”

“आज से!” आर्या ने गर्व से कहा।

जिया कॉफी बनाने लगी —

पर उसकी उंगलियों में हल्की-सी घबराहट थी।

भाप उठ रही थी,

खुशबू फैल रही थी,

और वह सोच रही थी —

ये लड़का क्यों अलग लगता है?

आरव टेबल पर कैमरा रखकर बोला,

“मैम… आपका कैफ़े सिर्फ़ कैफ़े नहीं,

भावनाओं का घर है।

मैं इसे अपने प्रोजेक्ट में बिल्कुल वैसे ही दिखाना चाहता हूँ

जैसे यह महसूस होता है।”

जिया धीरे से कप बढ़ाते हुए बोली,

“कैसे दिखाएँगे आप इसे?”

आरव ने कॉफी का एक घूंट लिया —

आँखें बंद कीं,

फिर धीरे से बोला —

“इसकी खुशबू में…

प्यार है।

इंतज़ार है।

और… एक अधूरी सी कहानी भी।”

जिया का दिल एक पल के लिए अटक गया।

उसने धीमे से पूछा —

“आपके पास कैमरा है…

क्या आप दिल की कहानी भी कैप्चर कर लेते हैं?”

आरव ने जिया की ओर देखा —

नर्मी, संकोच और थोड़ी सी समझदारी के साथ।

“कुछ कहानियाँ कैमरे में नहीं,

लोगों की आँखों में कैप्चर होती हैं, मैम।”

जिया की पलकों में हल्की सी चमक थी।

पिछले कई सालों में

किसी ने उसे इस तरह नहीं देखा था।

पीछे से आयुष ने स्थिति संभालने वाली मुस्कान के साथ कहा —

“आरव, तुम्हारा प्रोजेक्ट यहाँ से शुरू हो गया है।

पर याद रखना —

इस कैफ़े की सबसे कीमती चीज़ है हमारा भरोसा।”

आरव ने सम्मान से सिर झुकाया —

“मैं उसका पूरा ख्याल रखूँगा, सर।”

आर्या तालियाँ बजाते हुए बोली —

“तो आज से आरव अंकल हमारी फैमिली का दोस्त है!”

जिया और आयुष एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराए।

कई बार बच्चे भविष्य पहले देख लेते हैं।

उस शाम “हमारा जहाँन” में

पहली बार

कॉफी की खुशबू के साथ

एक नई झिझक, एक नई धड़कन,

और एक नया रिश्ता

जन्म ले रहा था।

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