Tumse Milne ki Chhuti - 3 in Hindi Love Stories by soni books and stories PDF | तुमसे मिलने की छुट्टी - 3

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तुमसे मिलने की छुट्टी - 3

अब हमारा छोटासा जहा ँ सर्दीयो की एक शांत  सुबह थी  जिया रसोई मे काफी बना रही थी वही खुशबू वही कप आदत बन चुका था लेकिन आज घर मे एक नन्ही आवाज घुंझ रही थी एक नन्ही सी किलकारी छोटी सी गुलाबी सी कंबल मे लिफ्टी आर्या जिया आयुष् कि बेटी आयुष् अपनी बाहो मे उठाते हुए कहा अब ये मेरी सबसे प्यारी ड्युटी है जिया मुस्कुराये उठी  अब अगर बोर्डर जाओगे तो ध्यान रखना घर मे दो लोग तुम्हारा इंतजार करेंगे समय बीता आयुष् कि पोस्टिंग फिर से बॉर्डर पर हो गई पर अब उसकी हर छुट्टी का मकसद सिर्फ एक था आर्या को गोद मे उठाना और जिया की आखो मे सुकून देखना हर महीने आयुष का एक खत आता जिसमे वो जिया के लिये नही आर्य को लिखता था मेरी छोटी सी सिपाही जब तक पापा लौटेंगे नही मम्मा की मुस्कान का ध्यान रखना जिया उन खातो संभालकर रखती हर रात बेटी को सुनाती और मन ही मन  कहती है छुट्टी अब हमारी बन चुकी है एक दिन दरवाजे की घंटी बजी जियाने दरवाजा खोला सामने वही वर्दी वही मुस्कान और कंधे पर एक छोटासा गुलदस्ता आयुष झुककर बोला रिपोर्टिंग टू आर्या ठाकूर सर छोटी सी आर्यो हसीं पडी और हसीं मे जैसे पुरी जिंदगी खिल उठी जिया ने आसू पोछते हुए कहा कहा था ना अब ये तुमसे मिलने की छुट्टी नही रही अब ये हमसे मिलने की छुट्टी है आयुषने दोनो को गले से लगा लिया कॉफी फिर से बनी तीन कप एक जिया के लिए एक उसके लिए और एक छोटा कप बस खुशबू के लिये एक कप खुशियों का सुबह की पहली किरण खिडकी से  झाक रही थी आयुष् कि नींद अभी अधूरी थी पर आर्या की  खिलखिलाहाट ने पुरे घर को जगा दिया जिया रसोई  मे थी वही पुरानी कॉफी की खूशबू वही कप एक  नया स्वाद था आयुष ने आर्या को गोद मे उठाया रिपोर्टिंग ऑफिसर आर्या ठाकूर आज का मिशन क्या है मिशन हम मम्मा अँड पप्पा तीनो हसे पडे कॉफी टेबल पर तीन कप रखे थे एक जिया का एक आयुष का और एक छोटासा कप जो खुशबू के लिये नही  बल्की आर्या के दूध के लिए था जियाने मुस्कुराते हुए कहा देखा कॅप्टन अब तुम्हारी छुट्टी सच मे स्थायी हो गई है आयुष् बोला हा और इस बार कोई रिपोर्ट नही बस रिपोर्टिंग टू होम रात को जब सब सो  रहे थे जिया बाल्कनी मे बैठी थी हवा मे कॉफी और मिठी की मिली जुली खुशबू थी आयुष् पीछे आया उसके कंधे पर हाथ रखा जिया सोचता हूँ इस बार अपना छोटासा कॅफे खोले नाम रखेंगे हमारा जहान जियाने मुस्कुराते हुए कहा और कापी की हर खुशबू मे हमारी कहानी घुल जायेगी उस रात आर्याने अपने टेडी के कान मे फुसफुसाया मम्मा पप्पा अब हमेशा घर रहेंगे ना और टेडी की आखे चमक उठे हाँ आप कोई जंग नही बस प्यार और अपनेपण की पेहरेदारी अब हमारा छोटासा जहान सालों बीत गये कॅप्टन आयुष ठाकूर सर नही बस आर्या के पापा कहलाते थे उनके मेडल्स अब घर की दीवार पर नही हमारा जहान के कैफे दिवार पर डांगे थे हर कप कॉफी के साथ एक कहानी परोसी जाती थी जिया काउंटर के पीछे मुस्कुराते ग्राहक को कापी के साथ अपनी पुरानी यादे देती कापी मशीन के पास एक बोर्ड मे एक ठंगा था हर कप मे एक याद हर खुशबू मे एक वादा..... Next part