एक वादा हमेशा के लिए कैफे की उस मुलाकात के बाद जिया और आयुष्य की जिंदगी बदल गई थी अब उनके बीच सिर्फ मेसेज नाही योजनाएं थी शादी के घर की और साथ रहने की जिया के घर वाले पहिले थोड़ा हिचकीचाए फौजी की जिंदगी आसान नही होती माँ ने कहा जिया मुस्कुराई माँ मुझे आसान जिंदगी नही चाहिये आयुष्य दिल्ली आया घर वालो से मिला सबको अपनी सादगी से जीत लिया कुछ ही महीनों मे दोनो की सगाई हो गई सरल सी पर दिल से भरी हुई शादी की तारीख तय थी हुई 15 अगस्त आयुष बोला सोचा जिसके दिन पर हमारी जिंदगी का नया सफर सुरू करे जिया हसीं पड़ी तो तुम हर साल इंडिपेंडेंस डे और एनिवर्सरी साथ मे भूल नही पाओगे दोनो ने मिलकर घर सजाया सपने बूणे और भविष्य के प्लॅन बनाए पर किस्मत को कुछ और मंजूर था शादी से ठीक दो हप्ते पहिले कॉलिंग ऑर्डर मिला बॉर्डर पर इमर्जन्सी पोस्टिंग जिया चुप रही कुछ देर धीरे धीरे से बोली जाना पडेगा है ना आयुष ने उसकी आखो मे देखते हुए कहा देश बुला रहा है पर वादा है इस बार लोट कर सिर्फ छुट्टी नही पुरी जिंदगी लेकर आऊंगा दिन बितते गये जिया हर सुबह न्यूज चैनल देखती हर रात भगवान से एकही की दुवा मागती फिर एक दिन अचानक दरवाजे पर दस्तक हुई वर्दी मे खडा आयुष्य चेहरा धक्का हुआ पर आखो मे वही वादा वादा निभाने आया हू उसने कहा अब कोई बॉर्डर नही बस तू और मै जिया की आखो से आसू बह निकले कॉफी के कपो के बीच वो दिन फिर एक नही सुरुवात बन गया कुछ महीने बाद उसी कॉपी कैफे मे दोनो बैठे थे अब साथ पती-पत्नी बनकर जियाने पूछा अभी छुट्टी कब लोगे आयुष मुस्कुराया अब हर दिन तुमसे मिलने की छुट्टी है एक खत जो अधूरा नही था शादी को छह महिने हो चुके थे जिया और आयुष का छोटा -सा घर सुबह हसीं से भर जाता कॉफी की खुशबू युनिफॉर्म चमक से ज्यादा और जिया की चूहले तुम्हारी युनिफॉर्म से ज्यादा मै तुम्हारे बॅच पर गर्व करती हूँ जिया अक्सर कहती आयुष हसता और मै तुम्हारे इंतजार पर लेकिन फौजी के जिंदगी का सुकून कभी ज्यादा देर तक नही टिकता एक दिन फिर ऑर्डर आया पोस्टिंग जम्मू सेक्टर छह महिने जिया के होटो पर मुस्कान थी पर आँखों मे हल्की नमी तुम जाओगे मैं इंतजार करूंगी बस इस बार जल्दी लोटकर आना वादा है हर खत मे तुम्हारा नाम होगा आयुष् ने कहा दिन बिताते गए रोज शाम को खिडकी के पास बैठकर आयुष की पत्र पढती कभी मेल से आये हर खत मे वही बात कॉफी अभी तुम्हारे बिना अधुरी है पर एक दिन खत आना बंद हो गये जिया बेचैन रहने लगे हर खबर हर काल उसे डरा देता था तीन हप्तो बाद डाकिया दरवाजे पर आया हाथ मे एक पुराना सा लीफाफा था जियाने कापते हाथो से लीफाफा खोला अंदर सिर्फ दो लाईने थी अगर कभी लौट ना सका तो समजना मेरी आखरी छुट्टी तुम्हारी यादो मे थी जिया की आखो से आसू बह निकले वो रोही नही बस खत को सीने से लगा लिया उसे वक्त फोन बजा मॅडम कॅप्टन आयुष ठाकूर सुरक्षित है आपरेशन लंबा चला था पर अब लौट रहे है जिया हसते हसते रो पडी वो दौडी बहार आसमान की तरफ देखा भगवान इस बार उसे जल्दी भेज देना मुझे अपनी अधुरी कॉपी पूरी करनी है तीन दिन बाद दरवाजे पर दस्तक हुई जियाने खोला सामने वही वर्दी वही मुस्कान और वही प्यार आयुष ने कहा देखा वादा निभा दिया तुमसे मिलने की छुट्टी लेकर आया हू जिया ने उसकी बाहो मे सिर रख दिया कॉफी फिर से गरम थी और प्यार पहिले से जादा गहरा था.... Next part