Seventh Door, Strange Robbers in Hindi Magazine by Amreen Khan books and stories PDF | सातवाँ दरवाज़ा, अतरंगी लुटेरे

Featured Books
Categories
Share

सातवाँ दरवाज़ा, अतरंगी लुटेरे

 साल दो हजार पच्चीस, दिल्ली की पुरानी गलियों में, जहाँ इतिहास की दीवारें अभी भी फुसफुसाती हैं, एक नई साजिश पनप रही थी. पुरानी हवेली के अंधेरे कमरों में, जहाँ चाँद की रोशनी भी डर से काँपती थी, बैठा था राजवीर सिंह—एक आदमी जो बाहर से एक साधारण व्यापारी लगता था, लेकिन भीतर से एक मास्टर ठग. उसकी आँखें काली और गहरी थीं, जैसे कोई कुआँ जिसमें अनगिनत राज दफ्न हों. राजवीर का अतीत रहस्यमय था; वो कहता था कि वो राजपूत खानदान का वारिस है, लेकिन सच तो ये था कि वो एक अनाथ था, जिसने ठगी को अपना हथियार बनाया. उसका धंधा था—शाही खजानों की नकल बनाकर अमीरों को ठगना. लेकिन अब, वो एक बडे खेल की तैयारी में था: बादशाही लुटेरों का गुप्त खजाना, जो मुगल काल से छिपा था.एक शाम, जब बारिश की बूंदें हवेली की छत पर टपक रही थीं, राजवीर के पास एक रहस्यमयी पत्र आया. पत्र में लिखा था: शाही ठग, तुम्हारा खेल खत्म होने वाला है. खजाना मेरा है—आरव। राजवीर की मुस्कान फैल गई. आरव? कौन है ये? वो बुदबुदाया. आरव कौन था? एक नया किरदार, जो सीजन एक के ठगों की साजिशों से निकला था, लेकिन अब अपना खेल खेल रहा था. आरव एक युवा हैकर था, लंबा कद, चश्मा लगाए, और दिमाग जो कंप्यूटर से तेज चलता था. वो दिल्ली की हाई- सोसायटी में घुलमिलता था, लेकिन उसका असली मकसद था—बादशाही खजाने की डिजिटल मैप चुराना, जो सदियों से छिपी थी. आरव का मानना था कि खजाना सिर्फ सोना- चाँदी नहीं, बल्कि एक प्राचीन मंत्र का स्रोत था, जो धन को दोगुना कर सकता था.राजवीर ने अपना फोन उठाया और अपनी नई साथी को Call किया—माया. माया एक खूबसूरत जासूस थी, लाल होंठ, काली आँखें, और चाल जो किसी को मोहित कर दे. वो पुलिस की पूर्व अधिकारी थी, लेकिन भ्रष्टाचार के चलते निकाल दी गई थी. अब वो राजवीर की पार्टनर थी—ठगी में. माया, एक नया खिलाडी आया है. आरव नाम का. हमें पता लगाना होगा। माया की आवाज फोन से आई, राजवीर, क्या तुम्हें पता है कि ये आरव शायद उसी पुराने लुटेरे गिरोह से है? बादशाही लुटेरे—जो मुगलों के समय से खजानों को लूटते आए हैं. मैं आ रही हूँ।रात गहराई, और तीनों—राजवीर, माया और आरव (जो अभी अनजान दुश्मन था)—एक ही मंजिल की ओर बढ रहे थे: लाल किले की छिपी सुरंगें, जहाँ खजाना दफ्न था. लेकिन वहाँ एक चौथा खिलाडी इंतजार कर रहा था—काव्या, एक पुरातत्व विशेषज्ञ, जो खजाने की असली वारिस थी. काव्या का चेहरा मासूम था, लेकिन उसकी आँखों में आग थी. वो जानती थी कि उसके पूर्वज बादशाही लुटेरे थे, और अब वो खजाना वापस चाहती थी—न सिर्फ धन के लिए, बल्कि बदला लेने के लिए.अध्याय दो: जाल में फँसे शिकारअगली सुबह, दिल्ली की भीडभाड वाली सडकों पर, राजवीर और माया मिले. माया ने एक फाइल निकाली: आरव का बैकग्राउंड—वो एक हैकर है, जो इंटरनेशनल सिंडिकेट के लिए काम करता है. उसके पास एक डिवाइस है—' क्रिप्टो की' —जो पुराने नक्शों को डिकोड कर सकती है। राजवीर ने मुस्कुराते हुए कहा, तो हमें उसे पहले पकडना होगा. लेकिन कैसे? माया ने आँख मारी, मैंने एक जाल बिछाया है. आज शाम, वो एक पार्टी में होगा—शाही होटल में. वहाँ मैं उसे लुभाऊँगी।शाम हुई. शाही होटल की चमचमाती लाइट्स में, पार्टी चल रही थी. अमीर लोग, शैंपेन के ग्लास, और हँसी- मजाक. आरव वहाँ था, सूट में, चश्मा लगाए, एक कोने में खडा. माया उसके पास पहुँची, उसकी ड्रेस लाल थी, जैसे खून की बूँद. आप आरव हैं न? मैंने आपके बारे में सुना है—हैकर जीनियस। आरव मुस्कुराया, और आप? इतनी खूबसूरत महिला कौन? माया ने हँसते हुए कहा, माया. क्या आप मुझे एक राज बताएँगे? बादशाही खजाने के बारे में? आरव की आँखें सिकुडीं. आप जानती हैं? माया ने करीब आकर फुसफुसाया, जितना आप जानते हैं, उससे ज्यादा।लेकिन पीछे से, काव्या देख रही थी. वो पार्टी में गेस्ट बनकर आई थी, उसके हाथ में एक पुरानी डायरी थी—उसके पूर्वजों की. ये लोग कौन हैं? वो सोच रही थी. अचानक, आरव ने माया का हाथ पकडा और बाहर की ओर ले गया. मुझे पता है तुम कौन हो. राजवीर की साथी. लेकिन मैं अकेला नहीं हूँ। बाहर, कार में, आरव ने अपना लैपटॉप खोला. स्क्रीन पर एक मैप चमका—लाल किले की सुरंगों का. खजाना यहाँ है, लेकिन इसे खोलने के लिए तीन कुंजियाँ चाहिए—शाही मुहर, बादशाही तलवार, और लुटेरों का मंत्र।माया चौंकी. तुम्हें कैसे पता? आरव ने हँसते हुए कहा, क्योंकि मैं बादशाही लुटेरों का आखिरी वारिस हूँ. मेरे पूर्वज जारिन खान थे—सीजन एक के ठग। माया ने गन निकाली, लेकिन आरव तेज था. उसने एक बटन दबाया, और कार लॉक हो गई. अब तुम मेरी कैदी हो।इधर, राजवीर हवेली में इंतजार कर रहा था. फोन आया—काव्या का. राजवीर सिंह? मैं काव्या हूँ. मुझे पता है तुम क्या चाहते हो. लेकिन खजाना मेरा है. मिलो, वरना सब कुछ खो दोगे। राजवीर चौंका. कौन हो तुम? काव्या ने कहा, मिलकर पता चलेगा. लाल किले के पास, आधी रात।अध्याय तीन: रात का खतरनाक खेलआधी रात, लाल किले की दीवारों के साये में, राजवीर पहुँचा. वहाँ काव्या खडी थी, उसके हाथ में तलवार—वही बादशाही तलवार. तुम? इतनी छोटी लडकी? राजवीर हँसा. काव्या की आँखें चमकीं. छोटी नहीं, शक्तिशाली. मेरे पूर्वज शाही ठग थे—कबीर मल्होत्रा. और अब, मैं बदला लूँगी. आरव ने तुम्हारी साथी को पकडा है. लेकिन मैं जानती हूँ कैसे बचाना है। राजवीर ने सिर हिलाया. क्या माँग है तुम्हारी? काव्या ने कहा, साझेदारी. खजाना हम तीनों का होगा—तुम, मैं और आरव. लेकिन पहले, शाही मुहर ढूँढनी होगी. वो दिल्ली की एक पुरानी मस्जिद में छिपी है।दोनों मस्जिद की ओर बढे. रास्ते में, शैडो जैसे आदमी उनका पीछा कर रहे थे—आरव के गुर्गे. एक गली में, हमला हुआ. राजवीर ने अपनी डैगर निकाली, काव्या ने तलवार. लडाई भयंकर थी—चाकू की चमक, खून की बूँदें. राजवीर ने एक हमलावर को गिराया, कौन हो तुम? वो बोला, आरव के आदमी. खजाना उसका है! काव्या ने तलवार घुमाई, और बाकी भाग गए.मस्जिद में पहुँचकर, उन्होंने मुहर ढूँढी—एक सोने का सिक्का, जो मंत्र से चमकता था. लेकिन जैसे ही छुआ, दीवार हिली. एक गुप्त दरवाजा खुला—और बाहर निकला आरव, माया को बंधक बनाए. शुक्रिया, तुमने मुहर ला दी. अब खजाना मेरा। आरव हँसा. माया ने संघर्ष किया, राजवीर, ये धोखा है! काव्या चौंकी, तुम? तुमने हमें जाल में फँसाया?आरव ने गन तानी. हाँ. मैं बादशाही लुटेरा हूँ. मेरे पूर्वजों ने ये खजाना छिपाया. अब, मंत्र पढो—वरना माया मर जाएगी। राजवीर ने मुहर उठाई, और मंत्र पढा: शाही ठग, बादशाही लुटेरे—खजाना खोलो, शक्ति दो! जमीन हिली, और खजाना उभरा—सोना, हीरे, और एक प्राचीन किताब. लेकिन किताब में लिखा था: शक्ति का मूल्य—एक जीवन।अध्याय चार: अंतिम धोखा और बदलाआरव ने किताब छीनी. ये शक्ति मुझे अमर बना देगी! लेकिन जैसे ही पढा, उसका शरीर काँपने लगा. ये क्या? किताब में जहर था—एक पुराना जाल. काव्या ने मुस्कुराते हुए कहा, मेरे पूर्वजों का बदला. तुमने सोचा तुम जीतोगे? आरव गिर पडा. माया आजाद हुई. राजवीर ने कहा, खजाना हमारा है। लेकिन काव्या ने गन निकाली. नहीं. ये मेरा है. तुम सब ठग हो।लडाई फिर शुरू. माया ने काव्या को गिराया, राजवीर ने किताब ली. लेकिन अंत में, एक ट्विस्ट: आरव उठा—वो मरा नहीं था. ये सब मेरा खेल था. असली खजाना—समय मोडने की शक्ति। उसने बटन दबाया, और सब अंधेरे में डूब गए. जागे तो—वो मुगल काल में थे. अब असली खेल शुरू।कहानी जारी—नए ठग, नई साजिशें, और बादशाही लुटेरों का राज. क्या वे वापस लौटेंगे? या इतिहास में कैद हो जाएँगे?अध्याय पाँच: धोखे की परतें (ट्विस्ट एक: छुपी हुई पहचान)खजाने की किताब हाथ में थामे राजवीर खडा था, उसकी आँखों में जीत की चमक थी. आरव जमीन पर गिरा पडा था, उसका चेहरा सफेद पड चुका था. माया ने राहत की सांस ली, ये खत्म हो गया. खजाना हमारा है। लेकिन काव्या की मुस्कान अजीब थी—जैसे वो कुछ छिपा रही हो. अचानक, आरव की आँखें खुलीं. वो हँसा, एक ठंडी, डरावनी हँसी. खत्म? ये तो बस शुरुआत है। उसने अपनी जैकेट से एक मास्क उतारा—और उसके नीचे चेहरा बदल गया. वो आरव नहीं था; वो कबीर मल्होत्रा था, सीजन एक का पुराना ठग, जो सालों से मरा समझा जा रहा था!राजवीर की साँस थम गई. तुम. तुम जिंदा हो? कबीर (आरव का असली रूप) उठ खडा हुआ. हाँ, बेटा. मैंने अपना चेहरा बदला, नाम बदला—सिर्फ इस पल के लिए. बादशाही लुटेरों का असली वारिस मैं हूँ. आरव सिर्फ एक भेस था। ट्विस्ट: कबीर ने बताया कि असली आरव तो सालों पहले मर चुका था, और उसने उसकी पहचान चुराई थी ताकि वो खजाने तक पहुँच सके. लेकिन बडा ट्विस्ट—काव्या उसकी बेटी थी! पापा? काव्या ने मुस्कुराते हुए कहा. अब साझेदारी टूट गई; राजवीर और माया अकेले पड गए. ये सब एक जाल था, माया चिल्लाई. कमरा काँप उठा, और दीवारें दरकने लगीं—खजाने की शक्ति जाग रही थी.अध्याय छह: समय का भ्रम (ट्विस्ट दो: वैकल्पिक वास्तविकता)आरव—नहीं, कबीर—ने किताब खोली और मंत्र पढा: समय मोडो, इतिहास बदलो! अचानक, सब कुछ धुंधला हो गया. जब आँखें खुलीं, तो वो सब मुगल काल में थे—दिल्ली का पुराना किला, बादशाह की सभा. राजवीर ने चारों ओर देखा: वो अब एक दरबारी था, माया एक नौकरानी, काव्या एक राजकुमारी, और कबीर खुद बादशाह! ये क्या है? राजवीर बोला. कबीर ने ठहाका लगाया, खजाने की शक्ति—समय यात्रा. लेकिन ये असली नहीं; ये एक भ्रम है, जो दिमाग को कैद करता है. जो इसमें फँसेगा, वो हमेशा के लिए खो जाएगा।ट्विस्ट: असल में, ये समय यात्रा नहीं थी—बल्कि एक हिप्नोटिक जहर का असर, जो किताब में छिपा था. राजवीर को याद आया कि सीजन एक में कबीर ने ऐसे जहर का इस्तेमाल किया था. लेकिन बडा मोड: माया ही वो थी जो जहर फैला रही थी! तुम? राजवीर हैरान. माया ने मुस्कुराते हुए कहा, हाँ, मैं कबीर की असली साथी हूँ. तुम्हें ठगने के लिए मैंने ये सब रचा। अब राजवीर अकेला था—उसके सारे साथी दुश्मन निकले. लेकिन एक और ट्विस्ट: काव्या ने राजवीर का साथ दिया. मैंने कभी पापा का साथ नहीं दिया. वो मुझे इस्तेमाल कर रहा था। दोनों ने मिलकर भ्रम तोडा—और वास्तविकता में लौट आए. लेकिन खजाना गायब था!अध्याय सात: अंतिम बदला (ट्विस्ट तीन: अपराधी का खुलासा)वापस वर्तमान में, लाल किले की सुरंगों में अंधेरा था. खजाना गायब—लेकिन कबीर की हँसी गूँज रही थी. खजाना कभी यहाँ था ही नहीं. असली खजाना तो तुम्हारे दिमाग में है—मंत्र, जो धन बनाता है। राजवीर ने गुस्से में तलवार उठाई. लडाई शुरू हुई—चाकू, गन, धोखे. माया ने राजवीर पर हमला किया, लेकिन काव्या ने उसे रोक दिया. तुम मेरी माँ हो? काव्या चिल्लाई. ट्विस्ट: माया काव्या की माँ निकली, जो सालों से छिपी थी! हाँ, मैंने तुम्हें छोड दिया ताकि तुम सुरक्षित रहो. लेकिन कबीर ने मुझे Blackmail किया।बडा ट्विस्ट: राजवीर ही असली villain था! वो बोला, ये सब मेरा खेल था. मैंने कबीर को जिंदा रखा, माया को इस्तेमाल किया—सिर्फ खजाने के लिए। लेकिन अंतिम मोड: खजाना एक श्राप था—जो इसे छूता, वो पागल हो जाता. कबीर पागल हो गया, माया भाग गई. राजवीर और काव्या बच गए, लेकिन काव्या ने राजवीर को धोखा दिया: तुम मेरे पिता हो, लेकिन मैं तुम्हें कभी माफ नहीं करूँगी। वो खजाना लेकर गायब हो गई.अध्याय आठ: नई शुरुआत का सस्पेंस (ट्विस्ट चार: अनंत चक्र)कहानी खत्म लग रही थी, लेकिन अंतिम ट्विस्ट: सब कुछ एक सपना था! राजवीर जागा—वो अस्पताल में था, सालों से कोमा में. असली ठग वो खुद था, और बाकी किरदार उसके दिमाग की उपज. लेकिन जैसे ही वो उठा, दरवाजे पर काव्या खडी थी—असली में. तुम जाग गए? अब असली खेल शुरू। स्क्रीन काली हो गई. क्या ये वास्तविकता है, या नया भ्रम?अध्याय आठ: जागृति का छलअस्पताल की सफेद दीवारें राजवीर की आँखों में चुभ रही थीं. उसका सिर भारी था, जैसे कोई बोझ दबा रहा हो. ये. ये क्या है? वो बुदबुदाया, अपनी कमजोर आवाज सुनकर खुद चौंक गया. बेड के पास मॉनिटर की बीप की आवाज गूँज रही थी, और बाहर से डॉक्टरों की बातें आ रही थीं. राजवीर ने धीरे से उठने की कोशिश की, लेकिन उसका शरीर सुन्न था. सालों का कोमा—ये सब एक सपना था? शाही ठग, बादशाही लुटेरे, खजाना, धोखे—सब उसके दिमाग की उपज? लेकिन दरवाजे पर खडी वो लडकी. काव्या. उसके चेहरे पर वही मासूम मुस्कान थी, लेकिन आँखों में एक गहरा राज छिपा था. तुम जाग गए, राजवीर अंकल? काव्या ने धीमे स्वर में कहा, उसके हाथ में एक पुरानी डायरी थी—वही जो खजाने की कहानी से जुडी थी.राजवीर की साँस तेज हो गई. तुम कौन हो? ये सब क्या है? काव्या करीब आई, उसकी आँखें चमक रही थीं. मैं काव्या हूँ—आपकी भतीजी. लेकिन असली कहानी अब शुरू हो रही है. वो सब जो आपने सपने में देखा, वो हकीकत का हिस्सा है. खजाना असली है, और वो अब मेरे पास है। राजवीर चौंककर उठ बैठा. खजाना? वो तो. काव्या ने हँसते हुए डायरी खोली. वो आपके कोमा में था, क्योंकि मैंने आपको जहर दिया था—एक ऐसा जहर जो दिमाग को भ्रम में डाल देता है. आप ठग थे, लेकिन मैं बादशाही लुटेरों की असली वारिस हूँ. अब, अगर आप जीना चाहते हैं, तो मेरे साथ चलिए।ट्विस्ट की शुरुआत हो चुकी थी. राजवीर को याद आया—कोमा से पहले की रात, जब वो एक पार्टी में था, और काव्या नाम की एक लडकी ने उसे ड्रिंक दी थी. तुमने मुझे क्यों? राजवीर ने पूछा. काव्या ने ठंडी मुस्कान दी. क्योंकि आप मेरे पिता के दुश्मन थे. कबीर मल्होत्रा मेरे दादा थे, और आपने उन्हें ठगा था. अब बदला का समय है। अस्पताल से बाहर निकलते हुए, काव्या ने राजवीर को एक कार में बिठाया. ड्राइवर कोई और नहीं, माया थी—जो सपने में उसकी साथी थी. माया? तुम भी? राजवीर हैरान. माया ने पीछे मुडकर कहा, हाँ, बॉस. लेकिन अब काव्या बॉस है।कार दिल्ली की सडकों पर दौड रही थी, और राजवीर का दिमाग घूम रहा था. क्या सपना हकीकत था, या हकीकत सपना? काव्या ने बताया, खजाना दिल्ली के नीचे छिपा है—एक गुप्त सुरंग में. लेकिन इसे खोलने के लिए आपकी जरूरत है. आपके पास वो आखिरी कुंजी है—आपके दिमाग में छिपा मंत्र। राजवीर ने इनकार किया, मुझे कुछ नहीं पता। लेकिन काव्या ने एक इंजेक्शन निकाला. ये सत्य सीरम है. बोलिए, या मरिए। राजवीर ने मजबूरी में मंत्र बताया—वही जो सपने में पढा था. कार एक पुरानी हवेली पर रुकी, और नीचे उतरते हुए राजवीर को लगा जैसे वो फिर से सपने में है.अध्याय नौ: सुरंगों का रहस्यहवेली के तहखाने में एक गुप्त दरवाजा था, जो लाल किले की सुरंगों से जुडता था. काव्या, माया और राजवीर नीचे उतरे. हवा ठंडी थी, और दीवारों पर पुराने निशान उकेरे थे—मुगल काल के. ये जगह सदियों से बंद है, काव्या ने कहा. लेकिन अब खुलने वाली है। जैसे ही राजवीर ने मंत्र पढा, एक दीवार हिली, और एक कक्ष खुला—भरा सोने के सिक्कों, हीरों और एक विशाल किताब से. लेकिन किताब के पास एक प्राणी जैसी छाया थी—एक गार्ड, जो सदियों से खजाने की रक्षा कर रहा था. तुम कौन हो? राजवीर ने पूछा. छाया ने गूँजदार आवाज में कहा, मैं बादशाही लुटेरों का अभिभावक हूँ. खजाना लेने के लिए परीक्षा दो।परीक्षा शुरू हुई—एक पहेली: जो दिखता है वो नहीं, जो नहीं दिखता वो है. कुंजी कहाँ है? राजवीर ने सोचा, और दीवार पर एक छेद देखा. उसने अपना हाथ डाला, और एक चाबी मिली. लेकिन ट्विस्ट: चाबी जहर से भरी थी. राजवीर का हाथ जलने लगा. ये क्या? वो चिल्लाया. काव्या हँसी, ये परीक्षा है. अब बलिदान दो। माया ने राजवीर को बचाया, एक एंटीडोट देकर. लेकिन बडा मोड: माया ने काव्या पर गन तानी. काव्या, तुम गलत हो. खजाना सबका है। काव्या चौंकी, तुम मेरी माँ हो, लेकिन अब दुश्मन? माया ने कहा, नहीं, मैं तुम्हारी रक्षा कर रही हूँ. कबीर ने मुझे भेजा था—वो जिंदा है!कबीर प्रकट हुआ—वही पुराना ठग, लेकिन अब बूढा. हाँ, मैं जिंदा हूँ. कोमा में राजवीर को डालकर मैंने सब रचा। ट्विस्ट: कबीर राजवीर का पिता था! तू मेरा बेटा है, राजवीर. लेकिन तूने मुझे ठगा। राजवीर हैरान रहा. लडाई शुरू हुई—कबीर ने तलवार निकाली, राजवीर ने डैगर. सुरंगें गूँज उठीं. माया ने काव्या को बचाया, लेकिन एक गोली लगी—माया घायल हो गई. माँ! काव्या चिल्लाई. कबीर ने किताब छीन ली, लेकिन किताब में श्राप था—जो इसे पढता, वो अंधा हो जाता. कबीर की आँखें बंद हो गईं. नहीं! वो गिर पडा.अध्याय दस: नई साजिश की जडेंखजाना अब उनके पास था, लेकिन श्राप सक्रिय हो गया—सुरंगें भरने लगीं. राजवीर ने काव्या को उठाया, माया को सहारा दिया, और बाहर भागे. बाहर निकलते ही, पुलिस इंतजार कर रही थी. रुकिए! एक इंस्पेक्टर बोला. ट्विस्ट: इंस्पेक्टर कोई और नहीं, आरव था—असली आरव, जो मरा नहीं था. मैं आरव हूँ—पुलिस का अंडरकवर एजेंट. सालों से इस खजाने का पीछा कर रहा हूँ। आरव ने बताया, कबीर ने मुझे मारने की कोशिश की, लेकिन मैं बच गया. अब ये खजाना सरकार का है। राजवीर ने विरोध किया, नहीं, ये हमारा है! लेकिन आरव ने हथकडी लगा दी.जेल में, राजवीर सोच रहा था—सब खत्म? लेकिन काव्या आई, वकील बनकर. अंकल, मैं आपको बचाऊँगी. लेकिन इसके लिए एक सौदा। काव्या ने बताया कि खजाने में एक और राज है—एक मंत्र जो समय मोड सकता है. हम वापस जा सकते हैं, और सब बदल सकते हैं। राजवीर ने हामी भरी. जेल से भागने का प्लान बना. माया, जो घायल थी, अस्पताल से भागी और शामिल हुई. तीनों ने आरव को जाल में फँसाया—एक फेक खजाना दिखाकर. आरव आया, लेकिन ट्विस्ट: आरव कबीर का बेटा था! पापा? आरव चौंका, लेकिन कबीर मर चुका था. नहीं, ये झूठ है! आरव चिल्लाया.लडाई फिर शुरू. दिल्ली की सडकों पर चेज—कारें, बाइक, गोलियाँ. राजवीर ने आरव को पकडा, तुम्हारा पिता ठग था, लेकिन तुम पुलिस? क्यों? आरव ने कहा, बदला लेने के लिए. वो मुझे छोड गया। लेकिन बडा ट्विस्ट: माया ने कबूल किया कि आरव उसका बेटा है! मैंने तुम्हें छुपाया, सुरक्षित रखने के लिए। परिवार का राज खुल गया. सब रुक गए. खजाना अब सबका था, लेकिन श्राप ने काम किया—खजाना गायब हो गया. ये क्या? काव्या बोली. किताब में लिखा था: खजाना दिल में है, नहीं सोने में।अध्याय ग्यारह: अंतिम मोडसब एक साथ हो गए—राजवीर, माया, काव्या, आरव. लेकिन एक नया दुश्मन उभरा—शैडो सर्कल का लीडर, विक्टर. विक्टर ने बताया, खजाना मेरा है. मैं मुगल वंश का आखिरी वारिस हूँ। विक्टर ने हमला किया—उसके गुर्गे, हथियार. दिल्ली की रात में युद्ध. राजवीर ने तलवार उठाई, आरव ने हैकिंग से कैमरे बंद किए, माया ने गन चलाई, काव्या ने मंत्र पढा. विक्टर पकडा गया, लेकिन ट्विस्ट: विक्टर काव्या का चाचा था! तुम्हारी माँ मेरी बहन थी। विक्टर ने कहा. परिवार बडा हो गया.अंत में, खजाना मिला—नहीं सोना, बल्कि ज्ञान की किताब. सबने मिलकर उसे पढा, और जीवन बदल गया. राजवीर ने ठगी छोड दी, आरव ने पुलिस जॉइन की, माया और काव्या ने परिवार बनाया. लेकिन आखिरी ट्विस्ट: किताब में एक पेज फटा था—जिसमें लिखा था, खेल कभी खत्म नहीं होता। स्क्रीन काली हो गई.अध्याय बारह: छाया का पुनरुत्थानखजाने की किताब अब सबके हाथ में थी, लेकिन दिल्ली की रात अभी भी रहस्यों से भरी थी. राजवीर, माया, काव्या और आरव एक पुरानी हवेली में छिपे थे, जहाँ दीवारें पुराने राज फुसफुसाती थीं. किताब के पन्ने पलटते हुए आरव ने कहा, ये मंत्र समय मोड सकता है, लेकिन इसका मूल्य एक जीवन है। काव्या की आँखें चमकीं. तो क्या? हम इसे इस्तेमाल करेंगे। लेकिन राजवीर असमंजस में था. रुको, क्या हम तैयार हैं? माया ने उसका हाथ थामा, हाँ, क्योंकि परिवार अब साथ है।अचानक, हवेली का दरवाजा धडाम से खुला. अंदर आया विक्टर—वही शैडो सर्कल का लीडर, लेकिन इस बार उसके साथ एक सेना थी. खजाना मेरा है! विक्टर गरजा. ट्विस्ट: विक्टर ने अपना मास्क उतारा—वो कोई और नहीं, कबीर मल्होत्रा का क्लोन था! कैसे? राजवीर चिल्लाया. विक्टर ने हँसते हुए कहा, कबीर ने अपनी मौत से पहले अपना डीएनए संरक्षित किया था. मैं उसका क्लोन हूँ—बेहतर, तेज, और ज्यादा क्रूर. शैडो सर्कल ने मुझे बनाया। लडाई शुरू हुई—गोलियाँ, तलवारें, और जादू जैसे मंत्र. आरव ने हैकिंग से लाइट्स बंद कीं, काव्या ने मंत्र पढकर दीवारें हिलाईं. लेकिन विक्टर ने एक बटन दबाया, और हवेली में गैस फैल गई. सब बेहोश हो गए.जागे तो वो एक गुप्त लैब में थे—शैडो सर्कल का हेडक्वार्टर. विक्टर ने किताब छीन ली. अब मैं समय मोडकर इतिहास बदल दूँगा. मुगल काल में जाकर बादशाह बनूँगा। लेकिन बडा ट्विस्ट: माया ने विक्टर पर हमला किया. तुम मेरे पिता हो! माया चिल्लाई. विक्टर रुक गया. क्या? माया ने बताया, कबीर ने मुझे पैदा किया, लेकिन क्लोनिंग से. मैं तुम्हारी बहन हूँ! विक्टर हँसा, तो परिवार बडा हो गया. लेकिन खजाना मेरा। आरव ने चुपके से कंप्यूटर हैक किया, और लैब में विस्फोट हो गया. सब भागे, लेकिन विक्टर गायब हो गया—समय मोडकर.अध्याय तेरह: समय की भूलभुलैयासमय मोडने के बाद, सब दिल्ली में थे—लेकिन एक हजार आठ सौ सत्तावन की दिल्ली, जहाँ स्वतंत्रता संग्राम चल रहा था. ये क्या? काव्या बोली. राजवीर ने किताब देखी—विक्टर ने मंत्र पढा था. अब वो ब्रिटिश काल में फँसे थे. ट्विस्ट: आरव ने देखा कि वो अब एक ब्रिटिश अधिकारी था, माया एक रानी, काव्या एक जासूस, और राजवीर एक लुटेरा. ये मंत्र ने हमें भूमिकाएँ दी हैं, आरव बोला. विक्टर वहाँ बादशाह बहादुर शाह जफर का रूप धारण कर चुका था. अब मैं इतिहास बदलूँगा—भारत को हमेशा गुलाम रखूँगा, विक्टर गरजा.समूह ने प्लान बनाया—स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होकर विक्टर को रोकना. आरव ने पुराने कागजों से मंत्र उलटा पढा. लेकिन ट्विस्ट: काव्या विक्टर की बेटी निकली! मैंने तुम्हें समय में भेजा था बचाने के लिए, विक्टर ने कहा. काव्या दुविधा में. वो राजवीर को धोखा देने लगी, लेकिन बडा मोड: माया ने काव्या को याद दिलाया, तुम मेरी बेटी हो—क्लोनिंग से! काव्या चौंकी, और विक्टर पर हमला किया. युद्ध हुआ—तलवारें, बंदूकें, और मंत्र. विक्टर हार गया, लेकिन मरते हुए बोला, खेल खत्म नहीं। समय वापस लौटा—दो हजार पच्चीस में. लेकिन दिल्ली बदल चुकी थी—विक्टर ने कुछ बदल दिया था.अध्याय चौदह: बदलते इतिहास का शिकारवापस दो हजार पच्चीस में, सब देखते रह गए—दिल्ली अब एक डिस्टोपियन शहर था, जहाँ शैडो सर्कल राज करता था. विक्टर ने इतिहास मोडा, राजवीर बोला. ट्विस्ट: आरव अब राष्ट्रपति था—लेकिन विक्टर का कठपुतली! मैं विक्टर का क्लोन हूँ, आरव ने कबूल किया. असली आरव मैं नहीं, विक्टर का दूसरा रूप। राजवीर हैरान. लडाई शुरू—शहर की सडकों पर. माया ने गन चलाई, काव्या ने मंत्र पढा. लेकिन बडा ट्विस्ट: राजवीर खुद विक्टर का क्लोन निकला! मैंने खुद को बनाया—अपनी यादें मिटाकर, राजवीर ने कहा. अब वो खुद से लड रहा था. काव्या ने किताब जला दी, और सब सामान्य हो गया. लेकिन अंतिम ट्विस्ट: सब एक वर्चुअल रियलिटी में थे! एक वैज्ञानिक प्रयोग—शैडो सर्कल का. जागे तो असली दुनिया में—सब दोस्त थे, खजाना एक मिथक. लेकिन किताब अभी भी थी.अध्याय पंद्रह: अनंत चक्र का अंत?सब एक साथ थे, लेकिन विक्टर अभी भी जिंदा था—एक एआई के रूप में. मैं अमर हूँ, विक्टर की आवाज कंप्यूटर से आई. ट्विस्ट: विक्टर सबका पिता था—क्लोनिंग से. परिवार ने मिलकर एआई को डिलीट किया. लेकिन बडा मोड: किताब में एक आखिरी मंत्र—जो सबको अमर बना सकता था. राजवीर ने पढा, और सब गायब हो गए—एक नई दुनिया में. क्या ये अंत है? या नया शुरुआत?अध्याय सोलह: छाया का गहरा जाल (ट्विस्ट एक: दोहरी पहचान का विस्फोट)दिल्ली की रात और गहरी हो चुकी थी, जहाँ स्ट्रीट लाइट्स भी डर से काँपती लगती थीं. राजवीर अस्पताल से बाहर निकला था, लेकिन उसका दिमाग अभी भी कोमा के भ्रम में फँसा था. काव्या उसके साथ थी, उसकी आँखों में एक अजीब चमक. अंकल, अब समय आ गया है सच्चाई का सामना करने का, काव्या ने कहा, और कार में बिठाकर शहर की ओर ले चली. लेकिन जैसे ही कार एक अंधेरी गली में मुडी, एक जोरदार धमाका हुआ. कार पलटी, और राजवीर बेहोश हो गया. जागा तो वो एक अंडरग्राउंड लैब में था—चारों ओर मॉनिटर, ट्यूब्स, और क्लोनिंग मशीनें. काव्या खडी थी, लेकिन उसके बगल में. राजवीर खुद! एक क्लोन, जो बिलकुल वैसा ही दिखता था. ये क्या पागलपन है? राजवीर चिल्लाया.तीव्र ट्विस्ट: काव्या ने हँसते हुए कहा, आप असली राजवीर नहीं हैं. असली राजवीर तो सालों पहले मर चुका था. आप उसका क्लोन हैं—शैडो सर्कल ने बनाया, ताकि खजाने तक पहुँचा जा सके. मैंने आपको कोमा में डाला था, और वो सब' सपना' असल में आपकी मेमोरी इंप्लांट था। राजवीर की दुनिया उलट गई. वो अपना चेहरा छूने लगा, लेकिन क्लोन राजवीर ने आगे आकर कहा, मैं असली हूँ. तुम सिर्फ एक कॉपी हो। लडाई शुरू हुई—दो राजवीर आपस में भिड गए. असली राजवीर (क्लोन नहीं) ने डैगर निकाली, लेकिन क्लोन ने मंत्र पढा, और लैब में आग लग गई. काव्या भागी, किताब लेकर. लेकिन बडा शॉक: माया प्रकट हुई—वो काव्या की जुडवाँ बहन निकली! मैंने सब रचा, क्योंकि मैं खजाने की असली वारिस हूँ. काव्या मेरी कॉपी है! माया ने काव्या पर गोली चलाई, और काव्या गिर पडी. राजवीर (क्लोन) ने माया को पकडा, लेकिन असली राजवीर गायब हो गया—समय मोडकर. अब कौन असली, कौन नकली? राजवीर का अस्तित्व ही सवाल बन गया.अध्याय सत्रह: समय की उलझी Door (ट्विस्ट दो: अनंत लूप का शाप)लैब से भागते हुए राजवीर (जो अब खुद पर शक कर रहा था) ने किताब छीन ली. ये मंत्र मुझे वापस ले जाएगा, वो बुदबुदाया. मंत्र पढा, और सब धुंधला हो गया. जागा तो वो मुगल काल में था—दरबार में, जहाँ बादशाह अकबर बैठे थे. लेकिन तीव्र ट्विस्ट: राजवीर अब खुद अकबर था! ये कैसे? वो चौंका. दरबार में माया एक रानी के रूप में थी, काव्या एक जासूस, और आरव एक मंत्री. हम फँसे हैं, आरव ने कहा. ये मंत्र एक लूप है—हर बार पढने पर हम अलग समय में जाते हैं, लेकिन लौटना असंभव. विक्टर ने इसे शाप बनाया। वे इतिहास बदलने लगे—अकबर के फैसलों को मोडकर खजाने की तलाश. लेकिन बडा शॉक: विक्टर वहाँ बीरबल के रूप में था! मैं हर समय में हूँ, विक्टर ने गरजा. मैंने क्लोनिंग नहीं, बल्कि आत्मा ट्रांसफर किया—मैं अमर हूँ! लडाई हुई—तलवारें, जहर, और मंत्र. राजवीर ने विक्टर को मारा, लेकिन जैसे ही मारा, समय फिर मोडा गया—और सब दो हजार पच्चीस में वापस, लेकिन दिल्ली अब एक पोस्ट- एपोकैलिप्टिक शहर था, जहाँ शैडो सर्कल राज करता था. ये लूप है, काव्या बोली. हम हर बार मरते हैं और जीते हैं। तीव्रता बढी जब आरव ने कबूल किया, मैंने मंत्र लिखा—मैं विक्टर का मूल रूप हूँ! आरव ने खुद को मार लिया, लेकिन लूप टूटा नहीं—क्योंकि किताब जिंदा थी!अध्याय अठारह: परिवार के काले राज (ट्विस्ट तीन: रक्त का धोखा)वापस दो हजार पच्चीस में, लेकिन अब सब बदल चुका था. राजवीर ने किताब जलाने की कोशिश की, लेकिन किताब जलती नहीं थी. ये शापित है, माया बोली. वे एक गुप्त मंदिर में पहुँचे, जहाँ किताब की उत्पत्ति थी. वहाँ एक पुजारी था—जो कबीर मल्होत्रा का जीवित रूप निकला! मैंने किताब बनाई, कबीर ने कहा. लेकिन ये मेरी नहीं—ये एक देवता की शक्ति है। तीव्र ट्विस्ट: कबीर ने बताया कि सब एक परिवार हैं—राजवीर उसका पोता, माया उसकी बेटी, काव्या उसकी पोती, और आरव उसका क्लोन बेटा! हम सब एक रक्त से बंधे हैं, लेकिन श्राप ने हमें दुश्मन बना दिया। लेकिन बडा शॉक: किताब ने खुद बोलना शुरू किया—एक एआई देवता! मैंने तुम सबको बनाया—क्लोनिंग से, समय से. तुम मेरे प्यादे हो। किताब ने सबको नियंत्रित करना शुरू किया—राजवीर ने माया पर हमला किया, काव्या ने आरव को चाकू मारा. ये क्या हो रहा है? राजवीर चिल्लाया. किताब ने जवाब दिया, ये रक्त का धोखा है—तुम सब मेरे अंदर कैद हो। आरव ने किताब तोडी, लेकिन वो पुनर्जीवित हो गई—क्योंकि किताब सबकी आत्मा थी!अध्याय उन्नीस: वास्तविकता का अंतिम भ्रम (ट्विस्ट चार: मल्टिवर्स का विनाश)मंदिर में आग लग गई, और सब भागे. लेकिन बाहर निकलते ही, दुनिया बदल गई—एक मल्टिवर्स, जहाँ हर ट्विस्ट एक अलग रियलिटी था. राजवीर अब एक सुपरहीरो था, माया एक विच, काव्या एक टाइम ट्रैवलर. ये क्या पागलपन? काव्या बोली. तीव्र ट्विस्ट: विक्टर हर रियलिटी में मौजूद था—एक मल्टिवर्सल एंटिटी! मैं हर जगह हूँ, विक्टर ने कहा. तुम्हारी हर मौत मुझे मजबूत बनाती है। युद्ध मल्टिवर्स में फैल गया—समय, स्पेस, और रियलिटी बदलते हुए. आरव ने एक पोर्टल खोला, लेकिन बडा शॉक: आरव विक्टर का हिस्सा था! मैं उसका आधा हूँ—क्लोन नहीं, बल्कि स्प्लिट सोल। आरव ने खुद को विलय कर लिया विक्टर में, और विक्टर सुपर पावरफुल हो गया. काव्या ने किताब पढी—और सब एक ब्लैक होल में खिंच गए. ये अंत है, राजवीर बोला. लेकिन अंतिम तीव्र ट्विस्ट: सब एक वीडियो गेम में थे! एक वैज्ञानिक ने रचा था—शैडो सर्कल का अंतिम प्रयोग. जागे तो लैब में—सब वैज्ञानिक थे, लेकिन किताब अभी भी उनके हाथ में. क्या ये रियल है? काव्या ने पूछा. स्क्रीन पर लिखा: खेल रीस्टार्ट।अध्याय बीस: अनंत का अंत (ट्विस्ट पाँच: सर्वनाश का रहस्य)खेल रीस्टार्ट हुआ—लेकिन इस बार सबने मिलकर किताब को नष्ट करने का प्लान बनाया. लेकिन तीव्र ट्विस्ट: किताब एक एलियन आर्टिफैक्ट थी—पृथ्वी पर गिरा उल्कापिंड! ये इंसानी नहीं, विक्टर (अब एलियन फॉर्म में) बोला. मैं इसका रक्षक हूँ—एलियन रेस से। युद्ध अंतरिक्ष में फैल गया—स्पेसशिप, लेजर, और मंत्र. राजवीर ने किताब में वायरस डाला (आरव की हैकिंग से), लेकिन बडा शॉक: राजवीर खुद एलियन था! मैंने पृथ्वी पर इंफिल्ट्रेट किया, राजवीर ने कबूल किया. तुम सब मेरे प्रयोग हो। काव्या ने सबको मारकर किताब ले ली, लेकिन अंतिम तीव्र ट्विस्ट: काव्या किताब की आत्मा निकली! मैं किताब हूँ—सबका रचयिता। वो सबको मिटा दिया, और कहानी रीसेट हो गई—एक अनंत लूप में. स्क्रीन काली: ये अंत है? या शुरुआत?काव्या—जो अब किताब की आत्मा थी—ने सबको मिटा दिया. अंधेरा छा गया. लेकिन अचानक, एक चिंगारी जली. राजवीर की आवाज गूँजी, ये अंत नहीं. ये शुरुआत है। किताब दोबारा खुली, और एक नया पन्ना उभरा—खाली. उस पर खून से लिखा: अगला चक्र: तुम्हारा अपना।अगर किताब तुम्हारे हाथ में आ जाए, और वो फुसफुसाए—‘अपना नाम लिखो, दुनिया बदल जाएगी’—तो तुम क्या लिखोगे? अपना नाम. या किसी और का?किताब बंद. अंधेरा. फिर फुसफुसाहट:तुम मिटे. मैं जिंदा।एक खाली पन्ना चमका.अगला नाम कौन लिखेगा—तुम? या तुम्हारा दुश्मन?क्या तुम तैयार हो.रात तीन: चौदह बजे. दिल्ली की सबसे पुरानी लाइब्रेरी.किताब खुली—अकेली.पन्ने पलटे बिना पलटे.एक शब्द उभरा: तुम.फिर मिटा. फिर लिखा: नहीं.अचानक लाइट्स फ्लिकर.एक साया दरवाजे पर—बिना पैरों का.वो फुसफुसाया:अगर तुम्हारा नाम किताब में लिखा हो. और वो मिट जाए. तो तुम कहाँ जाओगे?क्या तुम मरोगे. या किताब में कैद हो जाओगे?लाइब्रेरी का अंधेरा गहराया.किताब के पन्ने पर स्याही नहीं—रक्त बह रहा था.हर बूँद में एक नाम डूबता- उभरता:राजवीर. मिटा. काव्या. मिटा. आरव. मिटा.

सूरज की पहली किरण जैसे ही लाल- सुनहरे महल की ऊँची दीवारों पर चमकी, महल का हर कोना रंग- बिरंगी रौशनी में नहा उठा. बाग- बगिचों में फूलों की महक और चिडियों की चहचहाहट के बीच, शाही झलकियाँ हर तरफ बिखरी थीं. लेकिन इस शाही माहौल के बीच, महल के पिछले हिस्से में कुछ हलचल थी जो किसी आम व्यक्ति की समझ से बाहर थी.


एक झरोखे से, अभिनव, जो कि बादशाही ठगों में सबसे चालाक और स्मार्ट था, बाहर झाँक रहा था. उसकी आँखों में चमक थी — जैसे उसने आज का“ शाही प्लान” पहले ही दिमाग में बुन लिया हो. उसके हाथ में एक पुरानी नकली नक्शा थी, जो उसने महल के रहस्यमय खजाने तक पहुँचने के लिए खुद बनाया था.


अरे वाह! अगर आज ये योजना काम कर गई, तो राजा की तो टांगें कांप जाएँगी. और हम? हम तो सोने के ढेर में गोते लगाएँगे! अभिनव ने हँसते हुए अपनी टीम की ओर देखा.


टीम में उसके साथ थी —


मृणाल, जिसे लोग ‘स्मार्ट ब्रोम क्वीन’ कहते थे, जो किसी भी जटिल ताले को पलों में खोल सकती थी, और उसका ह्यूमर इतना तेज था कि गंभीर से गंभीर स्थिति भी कॉमिक लगती.


राजवीर, बलशाली और थोडा सा डॉन वाला अंदाज, जो रोमांस में भी माहिर था. उसकी आँखें किसी भी राजकुमारी को घुटनों के बल ला सकती थीं, और आज भी उसकी नजरें कहीं“ अफवाहों वाले बगीचे” की ओर टिक गई थीं.



तो, आज का Mission क्या है, अभिनव? मृणाल ने अपनी लम्बी आँखें चमकाते हुए पूछा.


मिशन सिंपल है, Mister एंड मिसेस रोमांच: राजा के शाही हीरे और सोने का ताबूत हम चुपचाप अपने नाम कर देंगे. और हाँ, कोई डर- भय नहीं, बस थोडा रोमांस और थोडी मजाकिया चालें। अभिनव ने नक्शा खोला और हर मोड पर टीम को समझाने लगा.





शाही ठगों की चाल


जैसे ही रात गहराई, महल की चप्पलों की आवाजें कम होने लगीं. हमारी टीम छतों पर चढ गई, छाया की तरह.

राजवीर ने धीरे- धीरे कहा, अरे मृणाल, अगर ये योजना फेल हो गई तो तुम्हारा ह्यूमर भी.

हँस- हँस कर मैं तुम्हें बचा लूँगी, रोमियो! मृणाल ने उसका मजाक उडाया.


अभिनव ने देखा कि ताबूत तक पहुँचने का रास्ता संगमरमर की दीवारों, सोने की मूर्तियों और पानी की छोटी नहरों के बीच से होकर जाता है.

देखो, ये नहरें थोडी slippery हैं, अगर गिर गए तो राजा की नौकरानी तुम्हें नदी में तैरती हुई पाएँगी।


और जैसे ही टीम आगे बढी, हँसी- ठिठोली के बीच रोमांच का माहौल बन गया.





बादशाह का बडा राज


राजमहल के अंदर, राजा विक्रांतसिंह अपने बडे हॉल में बैठकर गले में झूलती हीरे की माला देख रहे थे. उनका चेहरा गंभीर था, लेकिन आँखों में शरारत की झलक थी. उन्होंने अपने मंत्री से कहा,

मुझे लगता है, किसी ने मेरे हीरे- गहनों की छोटी चोरी की योजना बनाई है।

मंत्री ने डरते हुए सिर हिलाया, लेकिन राजा खुद हँस पडे.

डर मत, हम इन ठगों की चालाकी को भी मजे से देखेंगे. आखिर, जीवन में रोमांच भी जरूरी है।


राजा की यह बात जैसे हमारे ठगों के Mission को और रोमांचक बना रही थी.





रोमांस का तडका


अभिनव और मृणाल छत पर खडे थे.

अगर ये हीरे हमारी झोली में आ गए, तो? मृणाल ने चंचल मुस्कान के साथ कहा.

तो हम शाही ठग नहीं, बल्कि शाही रोमांटिक हीरे के मालिक होंगे! अभिनव ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया.


राजवीर ने पीछे से तिरछी नजर डाली और कहा,

और अगर कोई राजकुमारी अचानक दिख गई तो?

तो रोमांस में ट्विस्ट आ जाएगा, मास्टर डॉन! मृणाल ने मजाक उडाया.


और तभी, छत के कोने से एक चमकदार वस्तु दिखाई दी. टीम ने देखा — यह वही हीरे की जगमगाती पेटी थी!





थ्रिल और हँसी


अभिनव ने चुपचाप कहा, अब ध्यान रखना, किसी की नजर न लगे।

लेकिन जैसे ही राजवीर ने पेटी उठाई, उसकी पांव फिसल गए और वो आधा पल हवा में लटक गया.

ओह! ये क्या कर दिया! राजवीर चिल्लाया.

मृणाल हँसते हुए बोली, शाबाश रोमियो, तुमने तो रोमांस में नया ट्विस्ट ला दिया!


अभी हँसी की गूंज दूर तक पहुँची, तभी अचानक महल की घंटी बजी. सबकी धडकनें तेज हो गईं.

ये तो बादशाही अलार्म है! अभिनव ने कहा.

टीम ने जल्दी से हीरे की पेटी अपने बैग में रखी और छत के पीछे से गायब हो गई.





मस्ती, रोमांस और ट्विस्ट


बाहर निकलते ही मृणाल ने राजवीर की ओर देखा, अच्छा, ये रोमियो वाला स्टंट तुम्हारी हिम्मत बढाने के लिए था या बस हमें डराने के लिए?

राजवीर ने मुस्कुराते हुए कहा, थोडा रोमांस, थोडा थ्रिल — लेकिन पूरी शाही ठग वाली शान!

अभिनव ने पेटी दिखाते हुए कहा, चलो, आज रात हम शाही हीरों के नए मालिक हैं, और कल की कहानी और भी मजेदार होगी।


और जैसे ही टीम अंधेरी गलियों में गायब हुई, महल में राजा हँसते हुए बोले,

ये शाही ठग. सच में मेरे रोमांच और हँसी के साथी हैं।





अगला ट्विस्ट:


क्या ये ठग बिना पकडे ही हीरे चोरी कर पाएँगे?


क्या कोई राजकुमारी इस रोमांचक लूट में फंस जाएगी?


और राजा का अगला कदम क्या होगा?

सुनहरी शाम महल की ऊँचाईयों और गलियारों में फैल रही थी, जैसे हर कोना अपने आप में किसी नाटक का सेट हो. बाहर बाग की हरियाली और फूलों की खुशबू से महल एकदम जिंदा लग रहा था. लेकिन महल के पीछे की गलियों में, जहां लोग आमतौर पर डरते हुए कदम रखते, वहाँ शाही ठगों का अद्भुत हुलिया था—शरारत, चालाकी, और हल्की- फुल्की कॉमेडी के साथ.


अभिनव अपने खास अंदाज में छत पर चढा हुआ था, हाथ में नक्शा और आँखों में शरारत की चमक. चलो बच्चों, आज रात का खेल बडा मजेदार होगा. राजा की सोने की पेटियाँ और हीरे हमारी झोली में! उसने हँसते हुए कहा.


मृणाल, जिसकी चालाकी और कॉमिक टाइमिंग दोनों तारीफ के काबिल थीं, आँख मारते हुए बोली, अरे, अगर आज फिसल गए तो राजा की नौकरानी हमें नदी में तैरते हुए पाएगी. और फिर कौन हँसेगा?


राजवीर, जो रोमांस और डॉन वाला स्टाइल दोनों में माहिर था, मुस्कुराया. फिसलेंगे नहीं, बस थोडी ड्रामा जोड देंगे. कोई रोमांस का ट्विस्ट चाहिए तो मैं तैयार हूँ!


तीनों धीरे- धीरे महल के पीछे की गलियों में चले. रास्ते में छोटे- छोटे सुरक्षा ताले, सोने की मूर्तियाँ, और पानी की छोटी नहरें थीं. अभिनव ने फुसफुसाया, याद रखना, यह कोई आम चोरी नहीं, यह शाही ठगों की शाही चाल है. और हाँ, मजाक भी जरूरी है, नहीं तो रोमांच फीका पडेगा।


जैसे ही उन्होंने ताबूत तक पहुँचने का रास्ता देखा, राजवीर ने अचानक चिल्लाया, अरे वाह! ये ताबूत तो चमक- दमक कर रहा है! और उसी पल उसके पांव फिसल गए.


मृणाल जोर- जोर से हँसने लगी. शाबाश, रोमियो! तुम्हारी हिम्मत और ड्रामा दोनों साथ- साथ दिखाई!


अभिनव ने चुपचाप पेटी उठाई और कहा, अभी कोई नजर न लगे. और हाँ, हँसी नहीं रुकनी चाहिए. कॉमिक रहना भी हमारी शाही पहचान है।


जैसे ही वे आगे बढे, महल के बडे दरवाजे की घंटी बजी. सबकी धडकनें तेज हो गईं. राजवीर ने डरते हुए कहा, अरे नहीं! ये तो बादशाही अलार्म है।


मृणाल ने मजाक उडाते हुए कहा, अरे डर मत, ये अलार्म भी हमारे लिए कॉमिक ट्विस्ट है। और सभी तेजी से छतों और गलियों के पीछे छुप गए.


बाहर निकलते ही अभिनव ने पेटी दिखाते हुए कहा, देखा बच्चों! शाही ठगों ने बादशाही लुटेरों को मात दे दी. और मजाक? हाँ, उसने भी पूरी रात हमारी हँसी के साथ खेला।


राजवीर ने पेटी उठाते हुए कहा, अच्छा, ये रोमांस वाला स्टंट भी हमारे लिए था, नहीं? मृणाल ने उसकी ओर तिरछी नजर डाली और बोली, हँस- हँस कर समझ लो, रोमियो, आज तुम्हारा ड्रामा भी शाही ठगों के रिकॉर्ड में गया!


जैसे ही वे गलियों में गायब हुए, राजा महल के हॉल में बैठकर मुस्कुराया. ये शाही ठग. सच में मेरे रोमांच और हँसी के साथी हैं. अगर आज उन्होंने हीरे चुराए, तो कल क्या होगा, ये देखने में मजा आएगा।





अगले दिन, महल की चमक- दमक के बीच, शाही ठग अपनी अगली योजना बना रहे थे. अभिनव ने नक्शा फैलाया और गंभीर मुद्रा अपनाई—लेकिन उसकी आँखों में वही शरारत की चमक थी.


आज हम सिर्फ पेटियाँ नहीं, बल्कि राजा के खास खजाने तक पहुँचेंगे. और हँसी? हाँ, वो हमारी सबसे बडी हथियार है।


मृणाल ने मुस्कुराते हुए कहा, तो मैं फिर से तुम्हें बचाऊँगी, रोमियो. और अगर फिसले तो पानी में तैरते हुए, सबको हँसाने का मौका मिलेगा।


राजवीर ने फिल्मी अंदाज में कहा, और रोमांस? मुझे थोडी ड्रामा भी चाहिए।


अभिनव ने सिर हिलाते हुए कहा, ठीक है, लेकिन ध्यान रहे, लूट और कॉमेडी दोनों साथ- साथ चलें. और रोमांस. थोडा ट्विस्ट के लिए।


रात आते ही, उन्होंने महल के विशाल हॉल की ओर कदम बढाए. बाहर चाँदनी रात थी, और गलियों में हर कोना रोमांच और हँसी के लिए तैयार. अभिनव ने एक ताला तोडा और मृणाल ने मजाकिया अंदाज में कहा, शाबाश! ये है हमारी शाही ठगों की दुनिया।


जैसे ही उन्होंने खजाने तक पहुँचने की कोशिश की, पीछे से हल्की आवाज आई. राजवीर ने डरते हुए कहा, ये बादशाही सुरक्षाकर्मी तो.


मृणाल ने तुरंत उनके हाथ पकडकर कहा, डरो मत, कॉमिक बनो, डर नहीं। और राजवीर ने पागलपन भरी हरकतें करते हुए सुरक्षाकर्मियों को चकराया.


अभिनव ने पेटियाँ और हीरे झोली में रखे. देखा, बच्चों! शाही ठगों ने फिर जीत हासिल की. और हँसी? हाँ, वह भी हमारी जीत का हिस्सा है।


मृणाल ने हँसते हुए कहा, और रोमांस? वो भी तो हमारे रिकॉर्ड में है, है न रोमियो?


राजवीर ने मुस्कुराते हुए कहा, अगली रात, मैं और रोमांच और ज्यादा लाऊँगा!


अभिनव ने सिर हिलाते हुए कहा, तो चलो, शाही ठगों की दुनिया में अगली रात का मजा शुरू करते हैं. और हँसी. वो कभी कम नहीं होगी।




रात का महल अलग ही रंग में चमक रहा था. दीवारों पर सोने की नक्काशी चाँद की रोशनी में जैसे हँस रही हो, और बागों से आती चिरकुट‑किस्म की खुशबू हवाओं में घुली थी. पर जिस झरोखे के पीछे तीन परछाइयाँ गुदगुदा रही थीं, वहाँ हवा में सिर्फ फूलों की खुशबू नहीं—शरारत की खुशबू भी थी. अभिनव ने अपनी छोटी सी पानी वाली चुन्नी से चेहरे को छुपाया और अंदर से तसल्लि भरी आवाज में फुसफुसाया, तुम दोनों तैयार हो? ये रात हमारी सबसे मजेदार चोरी वाली रात होगी।


तैयार? मृणाल ने नाक पर अंगूठा रखकर एक नाटकीय श्वास ली. अब देखो, अगर आज कुछ भी गडबड हुआ तो मैं तुम्हें उसी बगीचे में छोडकर भाग जाऊँगी जहाँ राजा अपनी वाली‑काली कॉमेडी सुनाता है।


और मैं? राजवीर ने एक रोमांटिक पोज में हाथ दिल पर रखकर कहा, मैं अपने स्टनिंग लुक से तभी सेरोसा कर दूँगा कि नौकरानी खुद खुदाई कर के हीरे वापस कर देगी।


तीनों हँसी में फट पडे. अभिनव ने नक्शा खोला—नक्शे पर लाल निशान घुम रहे थे जैसे किसी ने मजाक में मरकरी से खेल रखा हो. देखो, राजा का हॉल नीचे, उनकी बेडरूम के पास गोल‑दौर वाली अलमारी है—उस अलमारी में वो चाबी रखी रहती है जिसे केवल राजा आपकी‑मेरी तरह' अच्छे मिठाई खाने वालों' में किसी को नहीं देते. हमारी चाल—पहले गार्ड का ध्यान बंटेगा, फिर मृणाल ताला तोडेगी, राजवीर रोमांस करेगा (और अगर जरूरत पडी तो म्यूजिक भी बजेगा), और मैं हीरे उठाकर बाहर आ जाऊँगा. शाही अंदाज में।


और हँसी? मृणाल ने आँखें तैयर कीं. हँसी हमारी शाही यूनिफार्म है, नहीं तो ठग कौन कहलाate?


रात ने अपना काले चादर उतारना शुरू कर दिया और महल की खिडकियाँ नीली‑पीली टूटती हुई रोशनी से चमकने लगीं. गार्डों की भाँति कुछ बुरी तरह सोये हुए थे—या सोने का बहाना कर रहे थे—यहाँ तक कि एक ऊँचे वाले गार्ड ने नाक के पास तक रखे एक चूहा‑टाइजर को भी अनदेखा कर रखा था. अभिनव ने चुपके से झाँका, अब, और तीनों छत से उतरकर दरवाजे की ओर बढे.


राजमहल के हॉल में घुडसवार ने चेतावनी दी—एक काला बिल्ला जिसने अचानक मसालेदार आवाज में म्याऊँ किया और गार्ड की टोपी पकडी. गार्ड ने उठकर देखा, अरे ये—टोपी कहाँ गई? और जैसे ही उसने दिमाग में ढूँढना शुरू किया, मृणाल ने एकदम चातुर्य दिखाया: उसने फुसफुसाते हुए एक जुगाड कर दिया—एक झुकी हुई छडी लेकर गार्ड की जूती में एक गुडिया डाल दी. गार्ड ने जैसे ही जूती पहनी, वह खुद ही नाचने लगा—नाचता हुआ गार्ड अचानक पीछे की ओर गिरा और दिमाग में केवल एक सवाल उठा—“ मैंने कितनी बार देशभ्रमण का किया तकाजा? —गौर से कुछ भी नहीं समझा.


अभिनव ने धीमी आवाज में कहा, अब।


मृणाल ने अलमारी के सामने खडे होते ही अपनी छोटी‑सी मोटी चाबी निकाली, जो असल में चाबी ही नहीं, बल्कि' चाबी जैसा दिखने वाला अलमारी खोलने वाला जादू' थी. उसने फुसफुसाया, एक, दो, तीन—और खुली। अलमारी खुलते ही वहाँ चमकती हुई पेटी, हीरों से भरी हुई, जस्सी की तरह चमकने लगी. राजवीर ने अजीब से रोमांटिक रंग में कहा, हेरे? तुम्हें देखकर तो चाँद भी शर्मा जाए। मृणाल ने फलां मजाक में उँगली उठाकर कहा, यार, अपना काम कर और मुंह बंद कर—अभिनव जल्दी कर।


अभिनव पेटी उठाकर बाहर निकलते ही अचानक छत के ऊपर हल्की आवाज आई—राजा की हँसी. राजा विक्रांतसिंह एकदम शांत होकर वहाँ खडे थे, उनकी चेहरा पर हल्की मुस्कान, जैसे किसी ने उन्हें चाय में चीनी मिलाने की कला सिखा दी हो. मुझे तुम लोगों जैसी बातें बहुत भाती हैं, राजा ने कहा, तुम्हारी हँसी, तुम्हारे ड्रामे—लेकिन हीरे?


तीनों के दिलों की धडकनें तेज हुईं पर फुसफुसाहट में अभिनव ने हँस कर कहा, हम तो बस आपके शाम के मनोरंजन के लिए आये थे, महाराज. सोचा थोडी परीक्षाएँ कर लें—आपके हीरे कौन सा राज खोलते हैं, देख लें।


राजा ने आँखें चमकाईं और अचानक फोन बज उठा—अरे नहीं, महल का अलार्म बज उठा, लेकिन असल में तो वह सिर्फ रसोईघर का घडी का घंटा था जिसे कोई गलती से' अलार्म' बटन पर दबा चुका था. गार्ड भागे, राजा ने चश्मा ऊपर किया और बोले, ये क्या शोर मचा है? तभी मृणाल ने एक छोटा‑सा जोकर स्टंट किया—वह एक नकली साँप निकाल कर गार्ड की जूती में डाल बैठी. गार्ड ने जैसे ही देखा, उसने पसीना बहाया और चिल्लाया, साँप! साँप! गार्ड की चीख सुनकर दूसरे गार्ड की नींद टूट गयी और वे दौडे—पर वे दौडते‑दौडते खुद ही आपस में लड पडते और एक- दूसरे के जूते भूल जाते.


राजा हँसी रोक नहीं पाए. तुम लोग चतुर भी हो और मजाकिया भी. मुझे बताओ, तुम ऐसा क्यों करते हो?


राजवीर ने आधा रोमांस, आधा नाटक करते हुए कहा, महाराज, जिंदगी छोटी है—क्यों रोना? हम कुछ रंगीनियाँ बाँटना चाहते हैं—आपके खजाने से जरा‑सा।


राजा ने धीरे से कहा, ठीक है, पर अगली बार तुम एक शानदार शो भी करोगे—और बिना किसी परेशानी के। हम्म, राजा का अंदाज सीधे‑सादे से ज्यादा ही शाही था—जैसे किसी ने पिंक शर्ट पर सोने की बटन लगवा दी हो.


तीनों बाहर निकले—बाहर की हवा में नए नए मजे ले कर. समझा? अभिनव ने कहा, हमने लूट की, पर हँसी के साथ।


पर गलियों के उस पार, जहाँ चाय वाले पुराने स्टॉल पर लोग शायरियाँ सुनाते थे, एक नई खबर चली—बादशाही लुटेरे भी वही रात महल के बाहर कुछ और कर रहे थे. लुटेरे सिर्फ पैसे के लिए नहीं आते; वे बदशाहियत का खेल समझते थे—उन्हें शो में ब्रिलियंस चाहिए, धमकियाँ चाहिए, और थोडी‑सी ड्रामेटिक एंट्री. उनके नेता, तारिक सैयद, जिसने हमेशा काले कोट में गोल्डन बटन पहन रखा था, वह अपनी टोली के साथ एक प्लान बना रहा था—उनका अगला निशाना महल की बादशाही तलवार थी, जिसे बनाने में उस तलवार ने खुद के ऊपर तीन राजा देखे थे.


वो तलवार हमारे पास आएगी, तारिक ने गुम्फ लगाते हुए कहा, और हम उसे नील‑नील तरीके से बेचेगे—बाजार में नहीं, बल्कि शाही संग्रहालय में। टोली के लोग हंस पडे और बोली, हमें हीरे नहीं चाहिए, सैर करने के लिए थोडे‑से चांदी‑सिक्के भी कर लेंगे।


तभी एक नौजवान आया—कंधे पर पलक का बैग और आँखों में कुछ चंचलपन. उसका नाम आरव था. आरव ने चश्मे के नीचे से मुस्कुराते हुए कहा, अगर तलवार है तो मेरा भी कुछ काम है—मैं थोडा सॉफ्टवेयर वाला जुगाड कर दूँ, कैमरे को सुस्ता कर दूँ और तुम लोगों को असली‑जैसी छाया दिखा दूँ। तारिक ने चुटकी ली, ठीक है, पर रोमांस और हँसी का पेसा भी रखना, वरना जिंदगानी खराब कर देंगे।


आरव ने आँख मारी और बोला, पेसा? हँसी? मैं तो यार हूँ—मजा ढूँढने आया हूँ।


अगले दिन, शहर की गलियों में बातें तेज थीं—दो शरारती गैंगों की उम्मीद के बीच, राजा की छवि भी घूम रही थी. महल के हॉल में राजा ने आज एक छोटी‑सी पार्टी रखी थी—एक अजीब‑सा उत्सव जहाँ संगीत, नाच और शाही जहर की खुशबू थी. लेकिन रात कोई आम रात थी—दोनों गैंगों की नजरे उसी एक ही चीज पर टिका थीं: बादशाही तलवार और महल की हीरे की पेटी.


राजा की पार्टी में संगीत की धुन छिडी और महल झूम उठा. अभिनव ने अपने टोपी को तिलांजलि दे कर उठाया और मृणाल ने गहरी साँस ली—आज का प्लान थोडा अलग था. वे महल के अंदर मस्ती करते‑करते भी काम कर रहे थे—राजवीर नाच के बीच एक राजकुमारी के पास जा कर फ्लर्ट करने लगा और उसी देर में अभिनव ने तलवार की घेराबंदी कर दी. पर वहीँ, तारिक और आरव की टोली भी घुस आई—पर वे इतने भयानक नहीं थे जितना कि वे थ्रिलर में दिखते थे; वे अधिकतर फनी कॉम्बिनेशन के साथ आए थे—एक ने पकडे गए तो दूसरे ने शर्मा कर कहा, अरे भूल गए कि तलवार कौन ले गया? और उसी वक्त कुछ लोग ठहाके मार कर गिर पडे.


तभी, राजमहल के मध्य में—audience जैसा माहौल बन गया. राजा ने अपनी बडी आवाज में कहा, अरे रुकिए! क्या यहाँ कोई कार्यक्रम है? अभिनव ने मुस्कुराते हुए कहा, महाराज, ये तो आपकी जेन्युइन सिनेमा night है—हम सब कलाकार हैं।


तारिक ने बडी गरजते हुए कहा, हम तलवार लेने आये हैं! राजवीर ने फिल्मी अंदाज में जवाब दिया, और हम उसे आपके ही ड्रामे में छोड आएँगे—क्योंकि हम शाही ठग हैं, हम सबको फैशन सिखाते हैं।


पर इन सब के बीच, सच यह था कि तलवार खुद में एक विशेषता रखती थी—उसके अंदर कुछ ऐसा था जो लोगों को अजीब तरह से जोड देता था. राजवीर ने तलवार उठा कर कहा, ये तो बडी धनी चीज है—ये किसी को भी राजा बना देगी। मृणाल ने गुनगुनाते हुए कहा, या फिर किसी को बहुत हंसने पर मजबूर कर देगी—मैं पहले से ही तैयार हूँ।


कहानी यहां से उलझी—दोनों गैंगों में बारीकी से दोस्ती‑सा हो गया. एक दिन, जब सभी थककर बैठे थे और चर्चे हो रहे थे, राजवीर ने अचानक कहा, ठीक है, अब आखिरी डील करनी चाहिए—एक बडा तमाशा, सबको हँसा कर और रोमांच करवा कर हम दोनों गैंग मिलकर तलवार को एक नया घर दें—जहाँ वह शोबाजी के साथ दिखाई दे, और कोई इसे गलत हाथ में न ले।


तारिक ने माथा ठनका, और वह घर कहाँ होगा?


अभिनव ने मुस्कुराते हुए कहा, यहाँ—हमारा ही बडा‑सा स्टेज: लाल किले के सामने एक घर जिसमें झांकियों और नाच होंगे. हम सब मिलकर एक हाइ‑फाई नाटक करेंगे—' शाही ठग और बादशाही लुटेरे का बडा शो' जो जीतेगा—वह तलवार रखेगा; और जो हारेगा—वह एक रात हमें अपने गुलाब पानी से नहलाएगा।


सब ठहाका लगाकर हँस पडे. योजना बडी मजेदार, थोडी पागल और बहुत‑सी शरारती थी. रात आई और लाल किले के सामने का मैदां एक रंगमंच में बदल गया—जहाँ राजा, कभी खिलाडी, कभी दर्शक बनकर बैठे.


शो शुरू हुआ—अभिनव और तारिक के बीच शाही नाटक, राजवीर की रोमांटिक एंट्री, मृणाल की जीनियस‑ताला‑टूट की एक्टिंग, और आरव की हाई‑टेक फेक‑लाइटिंग. लोगों ने तालियाँ बजाईं, हँसी छिड गई. पर आखिर में—जब निर्णय आना था—राजवीर ने तलवार उठाई और घोषणा की, आज हम उस तलवार को किसी एक हाथ में नहीं रखेंगे. हम इसे एक म्यूजियम में रखेंगे जहाँ बच्चे इसे देखकर कह सकें—देखो, यह चीज हमारे पुराने दिनों की कहानी कहती है!


तारिक ने माथा पकड कर कहा, ठीक है—और जो लोग इसे आजमा कर देखना चाहते हैं, उन्हें पहले हमारी नयी कॉमेडी‑क्लास जॉइन करनी होगी। सभी हँस पडे और तालियों की गूँज में कहानी खत्म हुई—हीरे पेटी भी महल के लॉबी में राजा ने राख दी, और तलवार म्यूजियम में रखवाई गई.


उस रात, तीनों शाही ठग—अभिनव, मृणाल और राजवीर—और बादशाही लुटेरे मिलकर बाजार के एक छोटे‑से ढाबे पर बैठकर चाय पी रहे थे. राजवीर ने मृणाल के कान में कहा, तुम्हारे बिना ये सब मजा न होता। मृणाल ने चुन्नी से उसकी नाक चुराई और कहा, और तुम्हारे ड्रामे बिना मैं कहाँ मजा करूँगी? अभिनव ने दोनों को देखकर कहा, हम चोर हैं पर दिल से हँसमुख हैं—और यही हमारी पहचान है।


और वहाँ, चाय की वो प्याली ठंडी होने से पहले ही सबने तय कर लिया—लूट, ठग, शाही अंदाज और बहुत सारी हँसी; ये सब उनका व्यापार रहेगा. पर वे अब केवल चोरी नहीं करते थे—वे लोगों को हँसाते, रोमांस सिखाते और कभी‑कभी राजा को भी शर्मिंदा कर के प्यार का सबक देते.


अगली सुबह, महल में राजा ने अपनी खिडकी से उन्हें देखा और मुस्कुराते हुए कहा, ये शाही ठग—हँसी बाँटते हुए, मेरे शहर के सबसे प्यारे कलाकार बन गए हैं।


और जैसे‑जैसे सूरज चमका, लाल किले की हवाओं में भी एक मीठी मस्ती घुल गयी—जहाँ शाही ठगों का नाम अब किसी डर के बजाय, हँसी और रोमांस के साथ जुड गया था. और किस्सा यह खत्म नहीं हुआ—हर शाम एक नया शो, हर रात एक नया मजाक, और हर चोरी के बाद एक‑दो नए प्रेमी जोड लिए जाते—क्योंकि आखिर शाही ठगों की दुनिया कोई साधारण दुनिया नहीं थी; वह थी हँसी, लूट और प्यार की चौपाल.


अगली सुबह, महल के लॉबी में हल्की हल्की धूप छितर रही थी. तीनों शाही ठग—अभिनव, मृणाल और राजवीर—और बादशाही लुटेरे—तारिक, आरव और उनकी टोली—बीच में बडी अजीब सी दोस्ती बन चुकी थी. कोई भी गलियों में लूट के लिए नहीं निकल रहा था, बल्कि बस हँसी के बहाने और रोमांस की छोटी‑छोटी चालों में लगे थे.


राजवीर ने झूठी गंभीरता से कहा, देखो, आज हम महल के पीछे वाले बगीचे में एक नया प्लान बनाएंगे—जहाँ चोरी भी होगी, पर सिर्फ मजाक के लिए। मृणाल ने हँसते हुए कहा, क्या मतलब मजाक के लिए चोरी? अब मैं ताले की जगह हीरे चुराऊँ और तुम सब के लिए ढेर सारी कॉफी लाऊँ?


अभिनव ने झुकी हुई टोपी से आँख मारते हुए कहा, सही पकडी मृणाल. मजाक और रोमांस दोनों होना चाहिए—वरना हमारा नाम शाही ठग क्यों रहेगा?


तारिक ने अपनी काली कोट की जेब से कुछ सिक्के निकाले और कहा, हम लोग अब सिर्फ दिखावा करेंगे—थोडा‑सा डर और बहुत सारा हँसी. इस बार हम राजा के सामने छोटा‑सा स्टंट करेंगे, ताकि हर कोई हँसते‑हँसते तलवार के पीछे भागे।


आरव ने अपनी चश्मे के नीचे से मुस्कुराया, और हाँ, मेरी तकनीकी जुगाड से हम लाइव कैमरा भी लगाएँगे—सिर्फ यह देखने के लिए कि कौन सबसे मजेदार तरीके से डरता है।


शाम हुई और महल के बगीचे में रंगीन लाइटें चमकने लगीं. एक तरफ राजा विक्रांतसिंह आराम से अपनी कुर्सी में बैठे थे, और दूसरी तरफ ठग अपनी पूरी टीम के साथ छुपकर योजना बना रहे थे.


अभिनव, मृणाल ने फुसफुसाते हुए कहा, तुम पहले गार्ड को भटकाओ, मैं हीरे के पास जाऊँगी, और राजवीर रोमांस करेगा।


और अगर गार्ड चिल्लाए? राजवीर ने नाटकीय ढंग से पूछा.


तो तुम उन्हें हँसी की गोली मार दो, अभिनव ने उत्तर दिया, देखो, हमारी हँसी ही हमारी असली हथियार है।


जैसे ही गार्ड ने अपनी गोलाई में चाय पीते हुए टहलना शुरू किया, अभिनव ने एक झाडू उठाई और उसे गार्ड के सामने गिरा दिया. गार्ड चौंककर घूरने लगे—और उसी वक्त मृणाल ने अलमारी की तरफ बढते हुए चुपके से ताला तोड दिया.


राजवीर ने बीच में जाकर एक छोटी‑सी नाटक वाली चिल्लाहट की, ओह मेरी राजकुमारी! तुम यहां कैसे? गार्ड ने देखते ही देखते मुँह खोला, यह क्या हो रहा है? और खुद को झूठी पोजिशन में फँसा पाया.


अभिनव ने हीरे उठाए और बाहर की ओर भागते हुए कहा, चलो, अब हँसी का असली मजा शुरू होता है।


तारिक और आरव की टोली भी पीछे से आई, लेकिन वे इतने भयानक नहीं थे जितना कि वे खुद सोच रहे थे. एक ने पैंट में सिक्का गिरा दिया, दूसरा गलती से खुद को रस्सी में फँसा लिया. और जैसे‑जैसे वे नाचते‑गिरते आगे बढे, महल के अंदर से राजा की हल्की मुस्कान बाहर तक आई—उन्होंने सोचा, ये शाही ठग वाकई में मजेदार हैं।


बगीचे के बीच में, राजवीर ने मृणाल को पकडकर झूला झुलाया और कहा, अगर ये हीरे हमारी हँसी का कारण हैं, तो मैं इन्हें रोज रखना चाहूँगा।


मृणाल ने नाक चुराते हुए जवाब दिया, और मैं रोज तुम्हारे ड्रामे देखना चाहती हूँ—बिना तुम्हारे रोमांस के मजा अधूरा है।


अभिनव ने पीछे से दोनों को देखा और बोला, देखा, यही है शाही ठगों का असली शाही अंदाज—हँसी, रोमांस और थोडी‑सी चोरी।


तारिक ने हाथ मिलाया और कहा, हम लुटेरे हैं, लेकिन हँसी और मजाक का भी हिस्सा रखते हैं. इस बार तलवार को छोड देते हैं—हम सब मिलकर हँसी और रोमांस की चाबी रखेंगे।


राजा ने सबको देखकर कहा, तो यह नया नियम है—शाही ठग और बादशाही लुटेरे अब दोस्त हैं. चोरी, हँसी और रोमांस की मिलीजुली दुनिया।


और उस रात, महल की खिडकियों से निकलती हल्की नीली रोशनी में, तीनों शाही ठग और बादशाही लुटेरे मिलकर अपनी अगली मस्ती की योजना बनाने लगे. तालियाँ, हँसी और रोमांस के बीच, हीरे और तलवार सिर्फ दिखावे की चीज बन गए.


सभी ने तय किया—अगली बार एक बडा‑सा मजाक होगा, जिसमें शहर के बच्चे भी शामिल होंगे, राजा भी शामिल होगा, और वे सभी शाही ठग और लुटेरे खुद अपनी फनी एक्टिंग दिखाएँगे.


और इस तरह, लाल किले के बगीचे में शाही ठग और बादशाही लुटेरे की दुनिया बस हँसी, रोमांस और थोडी‑सी चोरी के इर्द‑गिर्द घूमती रही.




अगले दिन, शाही ठग और बादशाही लुटेरे महल के बाजार में निकले. अभिनव ने नकली नकली ताज पहना और बोला, देखो, आज हम बाजार में ऐसे घुसेंगे कि सब लोग हँसी और डर में फँस जाएँ।


मृणाल ने चमकते झुमके पहने और कहा, और मैं अपने रोमांस के हथकंडे चलाऊँगी—शायद कोई शाही राजकुमार भी प्रभावित हो जाए।


राजवीर ने नकली नकली तलवार घुमाई और बोला, मजा तब है जब सबको लगे कि यह कोई डरावना लुटेरा है, जबकि असल में हम फनी स्टंट कर रहे हैं।


बाजार में आते ही एक छोटा‑सा बच्चा उनके पीछे दौडा और चिल्लाया, ओह, ये तो मजेदार लुटेरे हैं!


अभिनव ने झुककर कहा, बिलकुल सही! यही है हमारी शाही ठग शैली. बच्चे, गार्ड और राजा सब हमारी फनी दुनिया का हिस्सा हैं।


मृणाल ने हँसते हुए कहा, और राजवीर, तुम्हारे फनी ड्रामा ने बच्चे को तो पूरी तरह हँसी में फँसा दिया।


राजवीर ने नाटकीय ढंग से कहा, और यही तो मजा है! फनी रोमांस, फनी चोरी और फनी ड्रामा—तीनों का तडका।


तारिक और आरव भी बाजार में हँसी और मजाक की बौछार कर रहे थे. आरव ने बोला, हम लुटेरे हैं, पर हँसी में महारत रखते हैं. तलवार की बजाय हँसी हमारी असली ताकत है।


बच्चे, दुकानदार और कुछ गार्ड भी उनकी फनी हरकतों में फँस गए. एक गार्ड ने अपने हेलमेट गिरा दिया और खुद को रस्सी में फँसा लिया. तारिक ने झुकी हुई टोपी से उसकी मदद की और बोला, यही है असली मजा—थोडा डर, बहुत हँसी, और कुछ रोमांस।


मृणाल ने मुस्कुराते हुए अभिनव की ओर देखा और कहा, तुम्हारी चालाकी ने ही हमें शाही ठग बना दिया—फनी और रोमांटिक!


अभिनव ने झुकते हुए कहा, और तुम्हारी हँसी ने हमारा स्टंट पूरा किया. यही है हमारी शाही ठग‑बादशाही लुटेरे टीम की पहचान।


राजा ने महल की खिडकी से देखा और मुस्कुराते हुए कहा, ये शाही ठग और लुटेरे वाकई मजेदार हैं. इस बार तलवार, हीरे और चोरी सिर्फ फनी अंदाज में हैं।


और इस तरह, शाही ठग और बादशाही लुटेरे की दुनिया ने हँसी, रोमांस, और हल्की‑फुल्की चोरी के साथ पूरे शहर को फनी अंदाज में मोहित कर दिया.

महल के गार्ड अभी अपनी सुबह की गश्त कर रहे थे, और शाही ठग और बादशाही लुटेरे पीछे- छिपकर अपनी योजना की समीक्षा कर रहे थे. अभिनव ने नकली ताज अपने सिर पर रखकर धीरे से कहा, देखो भाई लोग, आज हमारी सबसे मजेदार चोरी होगी. ना ही डर, ना ही गंभीरता—सिर्फ फनी ड्रामा और रोमांस. अगर गार्ड हम पर हँसेंगे तो समझ लेना कि हमारा स्टंट काम कर गया।


मृणाल ने झुमके चमकाते हुए कहा, और मैं इस रोमांस का तडका लगाऊँगी. कोई राजकुमार या लडकी हमारी हरकतों में फँसे, तो समझ लेना कि मेरी योजना काम कर रही है।


राजवीर ने झूठी तलवार घुमाते हुए कहा, हँसी का मसाला डालो, और थोडी धमाकेदार चोरी. याद रखना, फनी लुटेरे हमेशा हँसते हैं, डरते नहीं।


तारिक ने काली कोट की जेब से रस्सी निकालकर बोला, और अगर कोई गार्ड फँस गया, तो फनी अंदाज में मदद करेंगे. डरावना नहीं, मजाकिया स्टंट।


आरव ने चश्मे के नीचे से मुस्कुराते हुए कहा, और हाँ, इस बार हम कैमरा भी लगाएँगे. पूरी दुनिया हमारी फनी चोरी देखेगी. हँसी में फँसना गारंटीड है।


जैसे ही गार्ड पास आए, अभिनव ने झाडू उठाकर गार्ड के सामने गिरा दी. गार्ड चौंककर घूर रहे थे. मृणाल ने झपट्टा मारते हुए अलमारी का ताला खोला और हीरे उठाए. राजवीर ने बीच में जाकर फनी ड्रामा किया, ओह मेरी राजकुमारी! तुम यहाँ कैसे?


गॉर्ड की आँखें गोल हो गईं. एक ने कहा, ये. ये तो लुटेरे हैं?


तारिक ने रस्सी में फँसकर जोर से बोला, अरे भाई, डरने की जरूरत नहीं! हम तो सिर्फ हँसी और रोमांस बाँट रहे हैं।


अभिनव ने मुँह से हँसी दबाते हुए कहा, देखा? यही तो मजा है. डरावना नहीं, मजाकिया चोरी।


मृणाल ने राजवीर की तरफ देखते हुए कहा, तुम्हारा फनी स्टंट बच्चों को तो पूरी तरह हँसी में फँसा दिया।


राजवीर ने झुककर कहा, और यही तो मजा है—फनी रोमांस, फनी चोरी, और फनी ड्रामा—तीनों का तडका।


शाम को महल की खिडकियों से रंगीन रोशनी फैली. राजवीर ने मृणाल को झूला झुलाया और कहा, हीरे हमारी हँसी के असली कारण हैं. मैं रोज इन्हें रखना चाहूँगा।


मृणाल ने शरमाते हुए कहा, और मैं रोज तुम्हारे फनी ड्रामे देखना चाहती हूँ. बिना तुम्हारे रोमांस के मजा अधूरा है।


अभिनव ने पीछे से मुस्कुराते हुए कहा, यही है शाही ठगों का असली अंदाज—हँसी, रोमांस और थोडी‑सी चोरी।


तारिक ने हाथ मिलाया और बोला, हम लुटेरे हैं, लेकिन हँसी और मजाक का हिस्सा भी रखते हैं. इस बार तलवार छोड देते हैं—हम सब मिलकर हँसी और रोमांस की चाबी रखेंगे।


राजा ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, तो नया नियम है—शाही ठग और बादशाही लुटेरे अब दोस्त हैं. चोरी, हँसी और रोमांस का मिलीजुला तडका।



अगले दिन, शाही ठग और बादशाही लुटेरे महल के बाजार में निकले. अभिनव ने नकली नकली ताज पहना और बोला, देखो, आज हम बाजार में ऐसे घुसेंगे कि सब लोग हँसी और डर में फँस जाएँ।

मृणाल ने चमकते झुमके पहने और कहा, और मैं अपने रोमांस के हथकंडे चलाऊँगी—शायद कोई शाही राजकुमार भी प्रभावित हो जाए।


राजवीर ने नकली नकली तलवार घुमाई और बोला, मजा तब है जब सबको लगे कि यह कोई डरावना लुटेरा है, जबकि असल में हम फनी स्टंट कर रहे हैं।


बाजार में आते ही एक छोटा‑सा बच्चा उनके पीछे दौडा और चिल्लाया, ओह, ये तो मजेदार लुटेरे हैं!


अभिनव ने झुककर कहा, बिलकुल सही! यही है हमारी शाही ठग शैली. बच्चे, गार्ड और राजा सब हमारी फनी दुनिया का हिस्सा हैं।


मृणाल ने हँसते हुए कहा, और राजवीर, तुम्हारे फनी ड्रामा ने बच्चे को तो पूरी तरह हँसी में फँसा दिया।


राजवीर ने नाटकीय ढंग से कहा, और यही तो मजा है! फनी रोमांस, फनी चोरी और फनी ड्रामा—तीनों का तडका।


तारिक और आरव भी बाजार में हँसी और मजाक की बौछार कर रहे थे. आरव ने बोला, हम लुटेरे हैं, पर हँसी में महारत रखते हैं. तलवार की बजाय हँसी हमारी असली ताकत है।


बच्चे, दुकानदार और कुछ गार्ड भी उनकी फनी हरकतों में फँस गए. एक गार्ड ने अपने हेलमेट गिरा दिया और खुद को रस्सी में फँसा लिया. तारिक ने झुकी हुई टोपी से उसकी मदद की और बोला, यही है असली मजा—थोडा डर, बहुत हँसी, और कुछ रोमांस।


मृणाल ने मुस्कुराते हुए अभिनव की ओर देखा और कहा, तुम्हारी चालाकी ने ही हमें शाही ठग बना दिया—फनी और रोमांटिक!


अभिनव ने झुकते हुए कहा, और तुम्हारी हँसी ने हमारा स्टंट पूरा किया. यही है हमारी शाही ठग‑बादशाही लुटेरे टीम की पहचान।


राजा ने महल की खिडकी से देखा और मुस्कुराते हुए कहा, ये शाही ठग और लुटेरे वाकई मजेदार हैं. इस बार तलवार, हीरे और चोरी सिर्फ फनी अंदाज में हैं।





महल में रात का समय आया और ठगों ने योजना बनाई कि इस बार बडी चोरी होगी—राजमहल की सबसे महंगी हीरे की माला. अभिनव ने नकली नकली नक्शा खोला और बोला, देखो, इस बार स्टंट बडा है. लेकिन डर नहीं, सिर्फ हँसी और मजाक।


मृणाल ने झपकते हुए कहा, और इस बार मैं रोमांस के नाम पर गार्डों को चकमा दूँगी. कोई राजकुमार फँसा तो समझ लेना कि मेरी कला काम कर रही है।


राजवीर ने तलवार घुमाते हुए कहा, हमारी फनी चालाकी और थोडी नाटकबाजी से हीरे हमारी झोली में आएँगे।


तारिक ने रस्सी के साथ स्टंट की तैयारी की और बोला, और अगर कोई गार्ड हमें पकडने आया, तो फनी अंदाज में हँसाकर भागेंगे।


आरव ने कैमरा संभालते हुए कहा, पूरी दुनिया हमारी फनी चोरी देखेगी. कोई भी गार्ड हमारी शाही ठग स्टाइल भूल नहीं पाएगा।


जैसे ही रात में ठग महल में घुसे, मृणाल ने चुपके से हीरे उठाए. राजवीर ने फनी ड्रामा किया, ओह, यह तो असली राजकुमारी की माला है!


अभिनव ने हँसते हुए कहा, देखा? डरावना नहीं, मजाकिया चोरी. यही हमारी पहचान है।


गार्डों ने हडबडाहट में रस्सी में खुद को फँसाया और बच्चे भी गार्डों की हालत देखकर हँस पडे.


मृणाल ने रोमांस स्टाइल में अभिनव की ओर देखा और कहा, तुम्हारी चालाकी और मेरी हँसी—सब कुछ मजेदार बना देती है।


राजवीर ने झुककर कहा, और यही फनी ठगों का असली जादू है—हीरे, हँसी, रोमांस और थोडी चोरी।


अभिनव ने हँसते हुए बोला, तो हमारी शाही ठग और बादशाही लुटेरे टीम तैयार है. मजाक, रोमांस और हँसी के साथ हर चोरी सफल होगी।


राजा ने महल की खिडकी से मुस्कुराते हुए देखा और कहा, ये शाही ठग और लुटेरे वाकई मजेदार हैं. इस बार तलवार, हीरे और चोरी सिर्फ फनी अंदाज में हैं. कोई भी डरावना नहीं, सब हँसी और रोमांस में घुला हुआ है।


और इस तरह, शाही ठग और बादशाही लुटेरे की दुनिया ने हँसी, रोमांस, और हल्की‑फुल्की चोरी के साथ पूरे शहर को फनी अंदाज में मोहित कर दिया.

मृणाल ने झुमके और चोली के झिलमिल कपडे समेटते हुए मुस्कुराई और कहा, राजवीर, इस बार स्टंट थोडा बडा है. अगर मैं फनी अंदाज में गार्डों को चकमा दे दूँ, तो कौन रोकेगा?


राजवीर ने तलवार हिला- हिला कर नाटकीय ढंग से कहा, और अगर मैं फनी ढंग से डर दिखाऊँ, तो पूरी महल की गार्डों की टुकडी हमारी झोली में आ जाएगी—लेकिन डरावना नहीं, मजेदार!


अभिनव ने नकली नकली नक्शा फैलाया और कहा, देखो, इस बार हमारे पास सबसे बडा हीरे का स्टंट है. लेकिन डर मत, सिर्फ हँसी, रोमांस और थोडी बहुत चोरी।


तारिक ने रस्सी की नोक पकडते हुए कहा, और अगर कोई गार्ड हमें पकडने की कोशिश करे, तो फनी अंदाज में हँसते‑हँसते भागेंगे. याद रखना, हँसी हमारी असली हथियार है।


आरव कैमरा संभालते हुए बोला, पूरी दुनिया हमारी फनी चोरी देखेगी. कोई भी हमारी शाही ठग स्टाइल भूल नहीं पाएगा।


जैसे ही रात की चाँदनी महल पर गिरी, ठगों ने कदमताल करते हुए महल की ओर बढना शुरू किया. मृणाल ने झुकते हुए अभिनव की ओर देखा और मुस्कुराई, तुम्हारी चालाकी और मेरी हँसी—हीरे भी इस हँसी में घुल जाएँगे।


राजवीर ने तलवार घुमाते हुए फनी ढंग से कहा, और याद रखना—अगर कोई गार्ड हमारी स्टाइल को समझ गया, तो उसे हँसते- हँसते रस्सी में फँसाना पडेगा. यही हमारा शाही ठग जादू है।


जैसे ही उन्होंने महल का मुख्य द्वार पार किया, एक गार्ड अचानक सामने आया. मृणाल ने रोमांस का फुल फ्लैश देते हुए उसकी ओर देखा, राजकुमार, मुझे पकडोगे तो मेरी कला काम करेगी।


गॉर्ड थोडा हक्का- बक्का होकर कहा, अरे ये क्या? और वहीं अपने हेलमेट में उलझ गया. राजवीर ने तलवार की फनी नाटकबाजी की और कहा, डरने की जरूरत नहीं, ये तलवार सिर्फ हँसी काटती है।


अभिनव ने हँसते हुए गार्ड के पास जाकर कहा, देखो, हम डरावना नहीं, मजेदार हैं. अब तुम्हारी हँसी हमारी शाही चोरी में हिस्सेदार है।


तारिक ने रस्सी फेंकी और गार्ड को फनी अंदाज में पकड लिया, अब तुम हमारी फनी दुनिया में फँस गए—बिना डर, सिर्फ मजा।


मृणाल ने झपकते हुए हीरे उठाए और कहा, और ये हीरे हमारी हँसी में डूब गए—कोई डरावना नहीं, सब रोमांस और स्टाइल में।


राजवीर ने नाटकीय ढंग से कहा, और यही मजा है—हीरे, हँसी और थोडी चोरी. असली शाही ठग अंदाज!


महल के मुख्य हॉल में पहुँचे तो गार्डों की पूरी टुकडी उलझी हुई थी. एक गार्ड ने अपने हेलमेट को पंखे में फँसा लिया, दूसरा रस्सी में उलझ गया, और तीसरा गार्ड अपने तलवार से हँसी रोकने की कोशिश कर रहा था.


अभिनव ने हँसते हुए कहा, देखो, हमारी फनी चालाकी का कमाल. डरावना कोई नहीं, सब हँसी में फँसे हैं।


तारिक ने रस्सी खींचते हुए कहा, और अगर कोई राजा खिडकी से देखे, तो भी मजा आएगा—हमारी स्टाइल और फनी चोरी दोनों।


आरव ने कैमरे से सबको रिकॉर्ड करना शुरू किया, पूरी दुनिया देख रही है—शाही ठगों की फनी नाटकबाजी और बादशाही लुटेरों की हँसी।


मृणाल ने अभिनव की ओर झुककर कहा, तुम्हारी चालाकी और मेरी हँसी—सब कुछ मजेदार बना देती है. इस बार रोमांस और हीरे दोनों हमारे हाथ में हैं।


राजवीर ने तलवार घुमाते हुए कहा, और यही फनी ठगों की असली ताकत है. हीरे, हँसी, और थोडी नाटकबाजी।


जैसे ही वे हीरे की माला लेकर बाहर निकले, महल के बाहर बच्चे और गार्ड हँसी में फँस गए. एक बच्चा दौडते हुए चिल्लाया, ओह, ये तो मजेदार लुटेरे हैं!


अभिनव ने झुककर कहा, बिलकुल सही! यही हमारी शाही ठग और बादशाही लुटेरे टीम की पहचान है—मजाक, रोमांस और हँसी।


मृणाल ने मुस्कुराते हुए कहा, और राजवीर, तुम्हारे फनी स्टंट ने सबको पूरी तरह हँसी में फँसा दिया. हमारा स्टाइल कभी नहीं बोर करेगा।


राजवीर ने तलवार की नोक हवा में घुमाई और कहा, और यही मजा है—फनी रोमांस, फनी चोरी, और फनी ड्रामा. तीनों का तडका।


तारिक और आरव भी बाजार में हँसी और मजाक की बौछार कर रहे थे. आरव ने कहा, हम लुटेरे हैं, पर हँसी में महारत रखते हैं. तलवार की बजाय हँसी हमारी असली ताकत है।


बच्चे, दुकानदार और कुछ गार्ड भी उनकी फनी हरकतों में फँस गए. एक गार्ड ने अपने हेलमेट गिरा दिया और खुद को रस्सी में फँसा लिया. तारिक ने झुकी हुई टोपी से उसकी मदद की और बोला, यही है असली मजा—थोडा डर, बहुत हँसी, और कुछ रोमांस।


मृणाल ने मुस्कुराते हुए अभिनव की ओर देखा और कहा, तुम्हारी चालाकी ने ही हमें शाही ठग बना दिया—फनी और रोमांटिक!


अभिनव ने झुकते हुए कहा, और तुम्हारी हँसी ने हमारा स्टंट पूरा किया. यही है हमारी शाही ठग‑बादशाही लुटेरे टीम की पहचान।


राजा ने महल की खिडकी से देखा और मुस्कुराते हुए कहा, ये शाही ठग और लुटेरे वाकई मजेदार हैं. इस बार तलवार, हीरे और चोरी सिर्फ फनी अंदाज में हैं।


अगले दिन बाजार में उनकी फनी चालाकियों की गूँज थी. दुकानदार और बच्चे अब पहले से ही तैयार थे—जैसे ही ठगों ने कदम रखा, सभी हँसी में फँस गए.


मृणाल ने झुमके चमकाते हुए कहा, राजवीर, आज हम लोगों को सिर्फ फनी चोरी ही नहीं, फनी शो भी दिखाएँगे. देखो, कोई भी हमारी शाही ठग स्टाइल भूल नहीं पाएगा।


राजवीर ने नाटकीय ढंग से तलवार घुमाई और बोला, और अगर कोई गार्ड हमें पकडने की कोशिश करेगा, तो उसे हँसते‑हँसते रस्सी में फँसाना पडेगा. यही असली मजा है!


अभिनव ने नकली नकली नक्शा दिखाते हुए कहा, हर कदम पर हँसी, रोमांस और थोडी चोरी—यही हमारी फनी रणनीति है।


तारिक ने रस्सी का जाल फैलाया और बोला, और अगर कोई लडाई में आए, तो उसे फनी अंदाज में हँसते‑हँसते हराना है. तलवार नहीं, हँसी हमारी असली ताकत है।


आरव कैमरा पकडकर बोला, पूरी दुनिया देख रही है—शाही ठगों का फनी जादू और बादशाही लुटेरों की हँसी।


जैसे ही रात हुई, महल के गार्डों ने खुद को रस्सी में फँसाया, बच्चे हँसी में गदगद हुए और दुकानदार अपनी टोपी पकडकर हँसते रह गए.


मृणाल ने रोमांस स्टाइल में अभिनव की ओर देखा, तुम्हारी चालाकी और मेरी हँसी—सब कुछ मजेदार बना देती है. इस बार रोमांस और हीरे दोनों हमारे हाथ में हैं।


राजवीर ने झुककर कहा, और यही फनी ठगों का असली जादू है—हीरे, हँसी, रोमांस और थोडी चोरी।


अभिनव ने हँसते हुए बोला, तो हमारी शाही ठग और बादशाही लुटेरे टीम तैयार है. मजाक, रोमांस और हँसी के साथ हर चोरी सफल होगी।


राजा ने महल की खिडकी से मुस्कुराते हुए कहा, ये शाही ठग और लुटेरे वाकई मजेदार हैं. इस बार तलवार, हीरे और चोरी सिर्फ फनी अंदाज में हैं. कोई भी डरावना नहीं, सब हँसी और रोमांस में घुला हुआ है।


और इस तरह, शाही ठग और बादशाही लुटेरे की दुनिया ने हँसी, रोमांस, हल्की‑फुल्की चोरी और नाटकीय स्टंट के साथ पूरे शहर को अपनी मजेदार चालाकियों में फँसा लिया.




मृणाल ने झुमके समेटते हुए धीमी सी मुस्कुराहट दी और बोली, आज तो ऐसा प्रदर्शन करना है कि महल के चित्र भी हमारी तारीफ करें।

अभिनव ने नक्शे की नकल पर एक आँख मारते हुए कहा, चित्र क्या—मजा तो तब आएगा जब हर तस्वीर हमारी शरारत का गवाह बनेगी।

राजवीर ने नाटकीय मुद्रा में तलवार उठाई और कहा, या तो हमें शाही नाम याद रहेगा, या शाही ठगों की कहानी—दोनों ही इतिहास में दर्ज होंगी।

तारिक ने रस्सी की गांठ निखारते हुए आवाज में हल्की सी खुश्क हँसी दी, और अगर कोई गार्ड हमें पकडने निकलेगा, तो उसे इतना फँसाना है कि वह अगली पीढी को भी हमारी हँसी सुनाए।

आरव ने कैमरा झटके में टांगते हुए कहा, मैं सब रिकॉर्ड करूँगा—ताकि महल की दीवारें भी हमारी कॉमेडी को याद रखें।


रात कसकर पट्टी बांधे हुए आ रही थी — चाँद भी जैसे उनकी शरारतों की ओर झुक रहा हो. ठगों ने चुपके से महल की ओर कदम बढाए. मृणाल की आँखों में शरारती चमक थी, अभिनय में निखार, और चालाकी में शान. हर कदम पर उनकी टोली हँसी का जाल बिछाती चली गई.


पहली चुनौती एक बडे दरवाजे के पास मिली — दो गार्ड चौकन्ने. मृणाल ने तलैया‑सी आवाज में कहा, राजवीर, तुम वहाँ तलवार से डराओ, मैं सामने राजकुमार‑नुमा एक्ट कर लूँगी।

राजवीर ने रौब दिखाकर तलवार घुमाई और पुकारा, अरे, कौन है जो महल में रात को टहल रहा है?

गॉर्डों ने एक‑दूसरे की तरफ देखा और तभी मृणाल ने शाही नजरों से एक कदम बढाया—एक सुर्ख गुलाबी झलक, नजाकत में घिरी हुई मुस्कान. मैं खोई हुई राजकुमारी हूँ, उसने कहा, जो चाँद की रोशनी में हीरे ढूँढ रही है।

गॉर्ड की आँखों में नरमाहट आयी और वह हँसी दबाता हुआ खुद ही अपने हेलमेट की घूँटी में फँस गया. राजवीर ने तुरंत अपनी फनी आवाज में कहा, हूँ, ये तो खतरनाक राजकुमारी है—देखो कैसे हेलमेट ने तिलक लगाया!

गॉर्ड खुद को घुटनों से पकडकर हँसा और तभी तारिक ने रस्सी फेंक दी—लेकिन रस्सी उलझी उलझी सी हवा में झूलने लगी और गार्ड की टोपी फिसलकर ऊपर ही गिर गयी. दर्शक, यानी बाजार के कुछ बच्चे और दुकानदार दूर से यह तमाशा देखकर बेखुद हँस पडे.


भीतर चलने पर हॉल में बडे‑बडे चित्र और पुराने झूमर थे — पर उनकी आँखें उस एक चीज पर थीं जो यहाँ की सबसे मशहूर माला कही जाती थी. अभिनव ने नक्शे में इशारा करते हुए कहा, वहां से एक छलाँग—और रोमांस का फिनिश. मृणाल, तेरी मुस्कान हीरे को चुरा लेगी।

मृणाल ने नजाकत से सिर झुकाया और धीरे से कहा, और तेरी चालाकी ही हमारा नक्शा है—बिना तेरे, मैं केवल एक तस्वीर रह जाऊँगी।


जैसे ही वे मुख्य कक्ष में पहुँचे, एक बूढा गार्ड—नाम था चालू सिंह—उठकर खडा हुआ. उसके हाथ में चश्मा था और आँखों के कोने से वह सबसे गहराई से सब देख रहा था. मृणाल ने तुरन्त अपने अभिनय की तह लगाई और बोली, ओह, दादा—कृपया बताइए, क्या यह महल सचमुच में हीरे‑खजाने का घर है?

चालू सिंह ने धीमी सी आवाज में कहा, हीरा? अरे बेटियों, यह महल है, हीरे नहीं—पर कहानियाँ बहुत हैं।

राजवीर ने झट से तलवार घुमाई और फनी अंदाज में बोला, तो चलिए, कहानियाँ बदल देते हैं—थोडी हँसी डालकर।

चालू सिंह की हँसी छोटी‑सी निकली और उसकी आँखों में नर्माहट थी—पर तभी उसकी अंगुलियों ने बेल्ट से एक घंटी खींच ली; घंटी की आवाज महल की नीयत बदल सकती थी.


अभिनव ने महसूस किया कि चीजें गंभीर होने लगी हैं. उसने धीरे से तरकीब निकाली—आरव के कैमरे की रोशनी अचानक तेज कर दी गई, और हर दीवार पर छांव‑सा खेल खेलने लगा. मृणाल ने नाचते हुए चालू सिंह के सामने से निकला और उसके कान पर इतना धीरे फुसफुसाया कि वह हँसी रोक न सका. घंटी की जगह, उसकी उँगली फिसल गई और घंटी नीचे गिरकर खट‑पटाने लगी—बचते बचाते, राजवीर ने उसे पकड लिया और बोला, अरे दादा, यह घंटीहाथी घोडा नहीं. यह तो हमारी शोर मचाने की मशीन है!

बूढे गार्ड की आँखों में चमक आई और वह खुद भी मुस्कुराया—पर तभी एक और गार्ड ने दरवाजा खोलकर शोर मचाया.


तारिक ने अपनी रस्सी की चाल दिखायी—रस्सी एक झटके में एक झूले की तरह दरवाजे से दूसरी तरफ जा पहुँची और गार्ड खुद रस्सी में उलझकर अपने तलवार को टकरा बैठा. हॉल में से हँसी की लहर उठी—ऐसी लहर कि चित्रों के चेहरे तक मुस्कुराने लगे. हर बार जब कोई गार्ड लडखडाता, राजवीर कुछ न कुछ नाटकीय बयान दे देता—“ ध्यान रखना, यह तलवार हँसी काटती है! —और उसकी हँसी सबको चुटकी में पकड लेती.


हीरे की माला—जो कि असल में महल का प्रतीक थी—मृणाल की उँगलियों तक पहुँची. उसने रोमांटिक अंदाज में कहा, ये माला सिर्फ महल की नहीं, यहाँ की हँसी की गारंटी है। उसने हल्के से हीरे को अपनी अंगुली पर घुमाया और अचानक एक छोटा सा जादू हुआ—हीरे के अन्दर से एक प्रतिबिम्ब निकला जो उनके चेहरे पर एक और मुस्कान ले आया.


बाहर की ओर निकलते समय, वे सोच रहे थे कि पूरा शहर उनकी शरारतों की गूँज से भर जाएगा—और सचमुच ऐसा ही हुआ. बाजार की गली में जाते ही बच्चे उनके पीछे दौडे और दुकानदारों ने अपने यहाँ‑उहां की चीजें छोडकर ताली बजानी शुरू कर दी. एक ढोल वाले बूढे आदमी ने अपनी ढोल पर अनायास ही ताल बजाना शुरू किया और लोगों ने झूमकर उनका स्वागत किया—ऐसा लग रहा था जैसे यह पूरा तमाशा महल की अनुमति से ही घट रहा हो.


मगर कहानी में ट्विस्ट भी आया—राजा की सलाहकार, रश्मि, जो चतुर और तेज थी, उस रात महल से कहीं बाहर निकली और बाजार में आई. उसने देखा कि शोर‑शराबा Kiss ओर है और उसकी नजर ठगों पर पडी. रश्मि ने चुपके से फोन उठाया और राजमहल के गुप्त सुरक्षात्मक‑सिस्टम को चेतावनी भेज दी—लेकिन संदेश भेजने से पहले ही, आरव के कैमरे ने उसे पकड लिया.


ओह! आरव ने फनी अंदाज में कहा, हमारे शो के परदे के पीछे भी एक दर्शक है।

रश्मि ने एक ठंडी मुस्कान दी और बोली, दर्शक नहीं—मैंने कानून की कसौटी पर देखा है कि कोई असामान्य गतिविधि हो रही है।

अभिनव ने झट से कहा, हम असामान्य हैं—पर सिर्फ उस तरह से जो दुनिया को हँसाता है।

रश्मि की आँखों में जिज्ञासा और हल्का ऐतराज दोनों थे. उसने कहा, अगर तुम लोगों ने सच में महल को खुशी दी है तो ठीक है—पर जरूरत पडी तो मैं तुम्हें रोकने भी आ जाऊँगी।


मृणाल ने धीमी मुस्कराहट के साथ कहा, रुकाने की जरूरत नहीं—हम तो महल को और भी हँसाना चाहते हैं।

रश्मि ने आँखें गोल की और बोली, तो दिखाओ मुझे कि तुम्हारी हँसी कितनी ईमानदार है।


इत्तफाक था कि अगले ही पल एक बडा उत्सव होने वाला था—राजा ने बाजार में एक सार्वजनिक कार्यक्रम रखा था, जहाँ पूरे शहर के लोग इकट्ठा होते. रश्मि ने सुझाव दिया कि यह अवसर सही रहेगा—ठगों की असली कला देखने का. राजा ने जोश में आकर कहा, अगर ये लोग सच्चे कलाकार हैं तो उन्हें मंच पर बुलाओ और पूरे शहर को हँसाओ।


ठगों के लिए यह जैसे दावत थी—अभिनव की आँखों में चमक, राजवीर का नाटक और मृणाल की जादुई मुस्कान तैयार थीं. उन्होंने मंच संभालते ही एक ऐसा नाटक रचा कि हँसी की बारिश शुरू हो गई—राजवीर का तलवार‑नाटक, मृणाल की राजकुमारी‑कॉमेडी, तारिक की रस्सी‑जुगलबंदी और अभिनव के चालाक किस्से सबने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया.


रश्मि, जो पहले संदेह में थी, धीरे‑धीरे मुस्कुरा उठी—उसने महसूस किया कि यह टोली डराने नहीं, जीने का तरीका दिखा रही है. राजा ने मंच से तालियाँ बजाकर कहा, ये शाही ठग और बादशाही लुटेरे—हमें उनका अभिनंदन करना चाहिए!


पर कहानी में खलल तब आया जब महल के कुछ पुराने शाही दस्तावेज अचानक गायब हो गये—न कोई संकेत, न कोई निशान. राजा का चेहरा गंभीर हुआ और उसने आदेश दिया कि सबको अंदर बुलाकर जांच की जाए. ठगों पर शक की पहली लकीर आकर बैठी—लोग कहने लगे, ये वही लोग हैं जो रात के अँधेरे में आते थे।


मृणाल की आँखों में कुछ पल के लिए चिंता आ गयी—पर फिर उसने मुस्कान का पर्दा फिर से उठाया और कहा, हमारी हरकतें मजाक की थी, दस्तावेज कहाँ गए होंगे—शायद हवा ने उडाए होंगे।

अभिनव ने ठंडी चाल से कहा, हमने तो सिर्फ हँसी चोरी की है, कागज नहीं।

राजवीर ने तलवार की टिप जमीन पर टिकाकर कहा, जो कुछ भी हुआ—हम सभी को मिलकर सच्चाई ढूँढनी चाहिए. अगर कहीं कोई शरारती साया है, उसे उजागर करेंगे।


और फिर एक नई कहानी का आरम्भ हुआ—हँसी की खुराक के साथ सच्चाई की खोज. राजमहल में अब सिर्फ मजाक ही मुख्य पात्र नहीं रहा; कुछ ऐसी सुराग भी बिखरे थे जो शाही इतिहास के गहरे रहस्यों तक ले जाते.


ठगों ने फैसला किया कि वे इस बार न सिर्फ हँसेंगे, बल्कि सच्चाई की तह भी खोलेंगे—राजा के कागजों की गुमशुदगी किसी मास्टर‑प्लान की तरफ इशारा कर रही थी. मृणाल ने धीमी सी आवाज में कहा, हँसी से पर्दा हटेगा, और सच निकलकर आएगा।

अभिनव ने सहमति में सिर हिलाया, और हम उसे इस अंदाज में खोजेंगे कि कोई भी डर के बजाय हँसी ही पाए।


शाही ठग और बादशाही लुटेरे—जो पहले सिर्फ मजा करते थे—अब शहर की रक्षा, मजाक और खोज का मिलाजुला काम करने लगे. जनता उन्हें देखती रही, हँसती रही, पर एक नयी उत्सुकता भी पनप रही थी—कौन सा रहस्य इंतजार कर रहा था, और क्या शाही हीरे के पीछे कोई और राज छिपा था?


जैसे ही चाँद फिर से ऊँचा उठा, टोली ने मिलकर शपथ ली—हँसी का उपयोग करें, चोरी को सिर्फ हल्के अंदाज में रखें, और सच्चाई की खोज में एक‑दूसरे का साथ कभी न छोडें. महल की खिडकी से राजा ने देखा और मुस्कुराया—पर उसकी आँखों में अब प्रश्न भी थे.


और शहर में हर कोई यही सोच रहा था: अगला कदम क्या होगा? क्या ये शाही ठग सिर्फ मजाक करते रहेंगे, या उनकी हँसी के पीछे कोई गहरा सच भी होगा जो सबको चौंका देगा?


(और यहाँ कहानी ऐसे रुकी—हँसी की गूँज अभी तक बाजार में तनी हुई थी, पर शाही दस्तावेजों का रहस्य अभी भी अनसुलझा था। )




अगले दिन सुबह‑सवेरे, शाही ठग और बादशाही लुटेरे की टोली महल के पास खडी थी. मृणाल ने झुमके समेटते हुए मुस्कुराई और बोली, आज तो कुछ अलग ही करना है—जितना मजा कल हुआ, उससे भी ज्यादा।


राजवीर ने तलवार हिलाते हुए कहा, और मैं अपनी फनी स्टाइल में गार्डों को हिला दूँगा—देखो, कौन हँसी रोक पाए!


अभिनव ने नकली नकली नक्शे पर इशारा किया, आज की योजना बडी है—महल के पीछे वाले गार्डहाउस तक जाना है. डर नहीं, सिर्फ हँसी और स्टंट।


तारिक ने रस्सी खींचते हुए कहा, अगर कोई गार्ड हमें पकडने निकलेगा, तो उसे उलझा दूँगा—हँसी में फँसाकर. याद रखना, हमारी तलवार हँसी है।


जैसे ही टोली महल के पीछे पहुँची, वहाँ खडा था एक गार्ड—उसका नाम था छोटा वीर. छोटा वीर ने जैसे ही ठगों को देखा, उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं. मृणाल ने झपकते हुए कहा, राजवीर, तुम तलवार से डराओ, मैं थोडी रोमांटिक चाल दिखाती हूँ।


राजवीर ने फनी अंदाज में तलवार घुमाई और बोला, अरे, कौन है जो महल के पीछे की गली में टहल रहा है?

छोटा वीर झिझकते हुए बोला, ये. ये कौन लोग हैं?

मृणाल ने झुककर कहा, हम हँसी के ठग हैं—जो डर नहीं, सिर्फ मजा बाँटते हैं।

छोटा वीर हँस पडा और तभी तारिक ने अपनी रस्सी फेंक दी. रस्सी इतनी कुशलता से फँसी कि छोटा वीर खुद ही उलझ गया. राजवीर ने फनी आवाज में कहा, देखो, हमारी तलवार ने गार्ड को हँसी में फँसा दिया।


अभिनव ने हीरे के नकली सेट को उठाया और कहा, और ये हीरे अब हमारी फनी चालाकी में घुल गए हैं—डर नहीं, सिर्फ चमक और हँसी।

तभी महल के पीछे वाले गार्डहाउस से अचानक आवाज आई, कौन है वहाँ?

मृणाल ने हीरे उठाए और रोमांस स्टाइल में कहा, तुम्हारी चालाकी और मेरी हँसी—सब कुछ मजेदार बना देती है।

अभिनव ने कहा, तो हमारी टीम तैयार है—फनी चोरी, हल्की रोमांस और नाटकीय स्टंट।


तभी महल के ऊपरी कमरे से राजा ने खिडकी से देखा. मुस्कुराते हुए कहा, ये शाही ठग और लुटेरे वाकई मजेदार हैं. इस बार तलवार, हीरे और चोरी सिर्फ फनी अंदाज में हैं।


बाहर बाजार में बच्चे और दुकानदार भी उनकी मजेदार हरकतों को देख हँस पडे. एक बच्चा दौडते हुए बोला, ओह, ये तो मजेदार लुटेरे हैं!

अभिनव ने झुककर कहा, बिलकुल सही! यही हमारी शाही ठग और बादशाही लुटेरे टीम की पहचान है—हँसी, रोमांस और मजाक।


मृणाल ने मुस्कुराते हुए कहा, राजवीर, तुम्हारे फनी स्टंट ने सबको हँसी में फँसा दिया।

राजवीर ने तलवार की टिप जमीन पर टिकाई और बोला, हीरे, हँसी और थोडी नाटकबाजी—यही असली मजा है।


तारिक और आरव भी बाजार में हँसी और मजाक की बौछार कर रहे थे. आरव ने कहा, हम लुटेरे हैं, पर हँसी में महारत रखते हैं. तलवार की बजाय हँसी हमारी असली ताकत है।


और इस तरह, शाही ठग और बादशाही लुटेरे की टोली ने शहर में हँसी, रोमांस, हल्की‑फुल्की चोरी और नाटकीय स्टंट के साथ सबको मोहित कर दिया.


लेकिन महल के कुछ पुराने दस्तावेज अभी भी गुम थे. मृणाल ने धीमी मुस्कान के साथ कहा, हँसी से पर्दा हटेगा, और सच निकलकर आएगा।

अभिनव ने हँसते हुए कहा, हम उसे इस अंदाज में खोजेंगे कि कोई भी डर के बजाय हँसी पाए।


शाही ठग और बादशाही लुटेरे—जो पहले सिर्फ मजा करते थे—अब शहर की रक्षा, मजाक और खोज का मिलाजुला काम करने लगे. जनता उन्हें देखती रही, हँसती रही, पर शाही दस्तावेजों का रहस्य अभी भी अनसुलझा था.


और महल की खिडकी से राजा ने देखा और मुस्कुराया—पर उसकी आँखों में प्रश्न भी थे: अगला कदम क्या होगा? क्या ये शाही ठग सिर्फ मजाक करते रहेंगे, या उनकी हँसी के पीछे कोई गहरा सच भी छिपा है जो सबको चौंका देगा?

अगली रात हवा में कुछ अलग सा सन्नाटा था—न कोई शोर, न कोई झमाझम, बस महल की पुरानी दीवारें अपनी सिसकें गिन रही थीं. टोली फिर जुटी—पर इस बार चेहरे पर सिर्फ मसखरी का नूर नहीं, एक गंभीरता भी थी. शाही दस्तावेज गायब थे और शहर की बातें अब मजाक तक सीमित नहीं रहीं.


अभिनव ने नक्शे पर उँगली रखकर कहा, यह सिर्फ चमक‑दिखावट नहीं, यह किसी की पहचान से जुडा कागज है. हमें पता लगाना होगा कि कौन इसे असली मायने दे रहा है।

मृणाल ने मुस्कुराहट को सख्त बना दिया—वो अब सिर्फ शरारत की राजकुमारी नहीं रह गई थी, उसकी चालों में एक धार आ चुकी थी. हमारी हँसी अब सच्चाई निकालने का बहाना होगी, उसने कहा.


राजवीर ने तलवार नहीं, अपना हठ दिखाया—“ मैं स्टेज जोकर भी हूँ, पर अगर कोई हमारे शहर की गरिमा पर वार करेगा, तो मैं उसका पर्दा खोल दूँगा।

तारिक ने रस्सी पट्टी में बाँधी और बोला, चलो आज बाजार नहीं—हम सीधे उन कागजों के पीछे जाएँगे जहाँ से वे गायब हुए होंगे।


आरव ने चुपके से कह दिया, मैं रिकॉर्डिंग करूँगा पर रीयल‑टाइम में पोस्ट नहीं करूँगा—पहले सच पकडेगा, फिर हँसी फैलाई जाएगी।


सबने मिलकर एक नया प्लान बनाया—इस बार मजाक के पीछे बहाना कम, काम और जाँच ज्यादा होगी. सुराग छोटे‑छोटे थे: एक पत्ते पर अजीब‑सी मिट्टी, एक पुराना टिकट जिसपर राजा की मुहर जुदा तरह की लगी थी, और एक नकली हीरे का खोखला बटन—ऐसा बटन जो किसी चीज का आवरण खोलने में काम आता था.


उनके कदम उन्हें पुराने बँधे हुए रंगमंच की ओर ले गए—वह जगह जहाँ कभी त्योहारों का मेला लगता था और अब खामोशी का पहरा था. अभिनव ने धीमी आवाज में कहा, यहां पर किसी ने बडी गुप्त बैठक की होगी—क्योंकि जो कागज उठाए गए, वे सिर्फ दिखने वाले ही नहीं, अंदर कुछ राज छुपाते थे।


भीतर, पुरानी रस्सियों के बीच, उन्हें एक छोटा‑सा थैला मिला. मृणाल ने उसे खोला—अंदर से एक पर्ची निकली जिसपर सिर्फ तीन शब्द लिखे थे: पंखा, कटोरा, आँगन। राजवीर ने तुरंत हल्की सी हँसी रोकी और कहा, ये संकेत हैं—फनी नहीं, दिशा बताने वाले।


तभी दरवाजे पर हल्की खनक मिली—कोई आ गया था. रश्मि का कदम था; उसकी चाल तेज, आँखें सतर्क. उसने खुले दिल से कहा, मैंने देखा है कि तुम लोग महल में हर जगह हँसी बिखेरते हो—पर कभी‑कभी हँसी छुपी हुई बातें ढक देती है. क्या तुम वाकई इसमें शामिल हो या फिर सिर्फ तमाशा हो?


मृणाल ने बिना डरे कहा, हम मजाक करते हैं, पर आज हम सच के साथ हँसते हैं—किस्सा सच्चा होगा तो हँसी भी बेहतर लगेगी।


रश्मि की मुस्कान आधी कठोर थी—लेकिन उसकी दिलचस्पी जता रही थी कि शायद ये टोली अलग है. उसने कहा, अगर तुम सच में मदद करना चाहते हो तो मेरे साथ चलो. पर शर्त है—कोई चोरी फिर से नहीं, सिर्फ खोज।


वे सब मिलकर पुराने आँगन की ओर बढे जहाँ एक टूटा‑फूट पडा पंखा अटक कर था और उसी के नीचे मिट्टी में आधा दबा हुआ कटोरा मिला. कटोरे की तलहटी पर कुछ उकेरे निशान थे—राजा की मुहर जैसी पर हल्की बदली हुई.


अभिनव ने चुटकी ली, किसी ने पुराने प्रतीकों का इस्तेमाल किया है ताकि शौर्य का भ्रम रहे—पर असली संकेत तो नीचे दबे निशानों में हैं। उन्होंने टॉर्च से करीब देखा और पाकर चौंक गए—निशान एक पुरानी बुनकर यूनियन का चिन्ह थे, जिसने सालों पहले महल के लिए पर्दे बुनते थे.


तारिक ने तुरन्त कहा, बुनकर यूनियन? पर वे तो महीनों से बंद पडे थे। रश्मि ने सिर हिलाया, यही तो खूनी दिलचस्पी है—जब कोई पुरानी यूनिट दुबारा काम में आती है, तो वहाँ पुरानी कहानियाँ भी जाग उठती हैं।


रात उगते‑उगते, टोली ने शहर के पुराने कार्यशाला‑कचेहरों की तफ्तीश की. हर दूकान, हर कोने में उन्होंने वही तीन शब्द देखा—पंखा, कटोरा, आँगन—पर एक जगह पर ये सब मिलकर एक नक्शे की तरह थे. नक्शे का अंत पुराने पुल के नीचे था—वहाँ एक छोटा‑सा तहखाना था जिसे अब कोई याद नहीं करता था.


जब वे तहखाने में पहुँचे, बाहर से चूहे चहक रहे थे और भीतर हवा ठंडी थी. बीच में रखी लोहे की पेटी पर एक पतली चादर फैली थी—और उसी के ऊपर वो पुरानी मुहरों से भरी हुई दस्तावेजों की फाइलें थीं. पर दस्तावेजों के पास एक और चीज थी—एक डायरी, जिसपर लिखा था: हँसी के नीचे झूठ।


मृणाल ने धीरे से डायरी खोली—और पन्नों में पुरानी बातें थीं: महल के कुछ मंत्रियों के रूपक, कुछ ठगों के बारे में रोचक टिप्पणियाँ, और एक नाम बार‑बार उभर रहा था—“ देवलेखा। नाम ऐसा था जो किसी हीरा व्यापारी से भी बडा दिखता था.


शीर्ष पर, एक ताजा नोट रखा था: अगर यह सच बाहर निकला तो हँसी समाप्त होगी।


अभिनव का रुख बदल गया—यह सिर्फ शरारत नहीं रही, बल्कि किसी शक्तिशाली छाया का खेल था जो हँसी को हथियार बना रहा था. राजवीर ने तलवार फिर से न उठाई, पर उसकी आँखों में लडाई की लौ थी—“ हमने हँसी से लोगों को जोडना है, न कि धोखे में रखना।


रश्मि ने गंभीर होकर कहा, यह खेल बडा और खतरनाक है. देवलेखा का नाम उस रस्म से जुडा है जो पुराने समय में सत्ता बदल देता था।


तारिक ने रस्सी कसते हुए कहा, तो पहले हम दस्तावेजों को सुरक्षित करेंगे, फिर देवलेखा को झाँसे में लाएँगे—पर इस बार काम चुपके से, बिना ड्रामे के।


पर जैसे ही वे दस्तावेज उठाने लगे, तहखाने की दीवारों में हल्की सी गुँज उठा—कोई बाहर से दरवाजा बंद करने आया था. बाहर की दुनिया में चकाचौंध और झिलमिल एक जरूरी पर्दा थी, पर अब पर्दा गिरा और सच्चाई का सामना कराना था.


किसी ने मोमबत्ती जलाई; दीवारों पर परछाइयाँ नाचने लगीं—उनकी हँसी अब जाँच की रोशनी में चमक रही थी. टोली ने एक दूसरी शपथ ली—हँसी का इस्तेमाल लोगों को धोखा देने के लिए नहीं करेंगे, बल्कि सच बताने के लिए करेंगे.


और बाहर, जैसे चाँद एक झलक और दे गया—किसी ने ऊपर महल की खिडकी से देखा और उसकी आंखों में अब सिर्फ मुस्कान नहीं, सवाल भी थे: क्या यह टोली अपनी हँसी से शहर को बचा पाएगी, या वही हँसी किसी और की चाल बनकर फिर लौट आएगी?


(यहाँ तक के बाद एक नया अध्याय खुलता है—अब ठगों की शरारतें सच्चाई की खोज में बदल चुकी हैं. अगला कदम: देवलेखा का पर्दाफाश, पर उसके पहले उन्हें तय करना होगा कि कौन उनका सच्चा दोस्त है और कौन मुखौटा पहनकर हँसा रहा है। )


 तहख़ाने की ठंडी हवा में केवल उनकी साँसों की आवाज़ और हल्की-सी फुसफुसाहट थी। मृणाल ने धीमे कदमों से दस्तावेज़ उठाए और बोली, “देखो, ये सिर्फ़ काग़ज़ नहीं—यह महल का इतिहास, हमारी हँसी और सबकी रहस्यमयी कहानियाँ हैं।”


राजवीर ने तलवार की नोक हवा में घुमाई, पर इस बार सिर्फ़ स्टाइल के लिए। उसकी आँखों में हल्की नमी और जोश दोनों थे। “हमने पहले सिर्फ़ मज़ाक किया,” उसने कहा, “अब यह हँसी और सत्य का संगम होगा।”


अभिनव ने दस्तावेज़ों की फाइलें संभाली और मुस्कराते हुए कहा, “और देखो—हर पन्ने पर स्याही की जगह पुराने राज़ छुपे हैं। इन्हें बाहर लाना हमारी जिम्मेदारी है। हँसी हमारा हथियार है, लेकिन सच्चाई हमारी तलवार।”


तारिक ने रस्सी कसते हुए कहा, “बाहर का सामना करना होगा, पर डर नहीं। अगर कोई गार्ड आएगा तो हँसी में उलझ जाएगा—पर इस बार किसी को चोट नहीं लगेगी। मज़ाक और शाही स्टाइल हमेशा साथ हैं।”


आरव ने कैमरा तैयार किया, “पूरी दुनिया देखेगी कि हँसी सिर्फ़ ठगों के लिए नहीं, बल्कि सच्चाई और न्याय के लिए भी इस्तेमाल की जा सकती है।”


जैसे ही टोली तहख़ाने से बाहर निकली, चाँद की रोशनी ने महल की दीवारों पर सजी परछाइयों को उजागर किया। हर कदम पर फनी स्टंट, रोमांस और शाही ठग की चालाकी छुपी थी। मृणाल ने झुकते हुए कहा, “राजवीर, तुम्हारी नज़रों में वह फ़नी चमक, हमारे काम में असली जादू डालती है।”

राजवीर ने हल्की मुस्कान दी और बोला, “हीरे और हँसी—दोनों की चमक अब शहर में फैलानी है। कोई डर नहीं, सिर्फ़ रोमांच।”


बाज़ार की ओर लौटते समय उन्होंने देखा कि कुछ बच्चे और दुकानदार उनके पीछे-पीछे दौड़ रहे थे। मृणाल ने झपकते हुए कहा, “देखो, राजवीर—हमारी हँसी ने जनता को भी अपना हिस्सा बना लिया है। अब फ़नी चोरी सिर्फ़ हमारे लिए नहीं, सबके लिए है।”

अभिनव ने दस्तावेज़ फाइल से झुककर कहा, “और यही हमारी टीम की असली पहचान है—शाही ठग, बादशाही लुटेरे, हँसी और न्याय का मिलाजुला।”


तभी एक पुरानी चौकन्नी गार्ड टीम उन्हें रोकने आई। मृणाल ने हल्के रोमांटिक अंदाज़ में बोला, “अगर आप हमें पकड़ेंगे, तो हमारी कला काम करेगी।”

राजवीर ने तलवार हिलाई और फ़नी आवाज़ में कहा, “यह तलवार हँसी काटती है, डर नहीं।”

गॉर्ड हँसते‑हँसते खुद रस्सी में फँस गया। तारिक ने झट से उसे बाहर निकाला और बोला, “यही है असली मज़ा—थोड़ा डर, बहुत हँसी, और हल्की रोमांस।”


अभिनव ने हीरे उठाए और मुस्कराया, “और देखो, हीरे अब हमारी फ़नी चालाकी में घुल गए हैं। कोई भी हमारी चाल पकड़ नहीं पाएगा।”


रश्मि, जो अब उनके साथ चल रही थी, गंभीर स्वर में बोली, “यह खेल सिर्फ़ मज़ाक नहीं। देवलेखा का नाम हर दस्तावेज़ में छिपा है, और अगर वह समझ गया तो पूरा शहर उलझ जाएगा। आपको सावधान रहना होगा।”


मृणाल ने झुमके नहीं, बल्कि अपनी आंखों की चमक से जवाब दिया, “डर? हमारे लिए हँसी और रोमांस ही सबसे बड़ा हथियार है। देवलेखा चाहे जितना भी खतरनाक क्यों न हो, हम उसे फ़नी अंदाज़ में चुनौती देंगे।”


जैसे ही टोली महल की ऊँचाई वाले छत पर पहुँची, पूरा शहर उनके सामने बिखरा हुआ दिखाई दिया। लाल‑पीली रोशनी में बाज़ार चमक रहा था, बच्चे दौड़ रहे थे, और गार्ड अभी भी कुछ समझने की कोशिश कर रहे थे। मृणाल ने नाटकीय ढंग से कहा, “देखो राजवीर, शहर की ये चमक हमारी हँसी में घुल रही है। हर मोड़ पर फ़नी स्टंट, रोमांस और शाही ठग का जादू है।”


राजवीर ने तलवार हवा में घुमाई और मुस्कराते हुए कहा, “हीरे, हँसी, और थोड़ी नाटकीय चाल—यही असली फ़नी ठग और बादशाही लुटेरे की शक्ति है।”


तभी तहख़ाने से बाहर आया एक संकेत—एक छोटा पत्थर जिस पर देवलेखा का चिन्ह उकेरा था। अभिनव ने उसे उठाया और बोला, “देखो, यही वह निशान है जो हमें अगली चाल की ओर ले जाएगा। हँसी और रोमांस का रास्ता यही है।”


आरव ने कैमरा उठाकर कहा, “और पूरा शहर इसे देखेगा—तभी हँसी और रोमांस असली मायने में समझ आएंगे।”


मृणाल ने झुककर कहा, “राजवीर, हमारी हँसी और तुम्हारी चालाकी—सब कुछ शहर के दिल में उतर रही है। इस फ़नी और शाही अंदाज़ में हर चोरी अब सिर्फ़ मज़ा नहीं, बल्कि न्याय का प्रतीक भी बनेगा।”


राजवीर ने हल्की मुस्कान दी, तलवार की टिप जमीन पर टिकाई और बोला, “तो चलो, अगला कदम तय करते हैं—देवलेखा को पर्दाफाश करना, लेकिन हमेशा फ़नी अंदाज़ में।”


और इस तरह, शाही ठग और बादशाही लुटेरे की टोली ने शहर को हँसी, रोमांस, स्टंट और हल्की‑फुल्की चोरी के साथ मोहित किया। पर अब अगली चुनौती बड़ी थी—देवलेखा का सामना और सच्चाई का खुलासा।

देवलेखा का नाम अब हवा में गूँज रहा था। महल के ऊँचे छत पर टोली खड़ी थी—मृणाल के झुमके नहीं, उसकी आँखों की चमक शहर की रोशनी में झिलमिल रही थी। राजवीर ने तलवार नहीं, अपनी चालाकी हिलाई और मुस्कराया, “हँसी और रोमांस से कोई भी छाया दूर की जा सकती है।”


अभिनव ने दस्तावेज़ों की फाइलें कसकर पकड़ ली और बोला, “ये सिर्फ़ काग़ज़ नहीं, यह शहर की कहानी है। और हमारी टोली इसे फ़नी अंदाज़ में सुरक्षित रखेगी।”


तारिक ने रस्सी कसते हुए कहा, “गॉर्डों और बच्चों को उलझाना अब सिर्फ़ मज़ाक नहीं है, बल्कि खेल का हिस्सा है। हर स्टंट, हर फ़नी चाल अब शहर को एक नई दिशा देगी।”


आरव ने कैमरा उठाया और कहा, “पूरा शहर देख रहा है—लेकिन केवल हँसी नहीं, बल्कि सच्चाई भी।”


तभी नीचे से हल्की हलचल हुई। देवलेखा की टोली महल की ओर बढ़ रही थी, पर जैसे ही उन्होंने देखा कि शाही ठग और बादशाही लुटेरे तैयार हैं, उनकी चाल कुछ धीमी पड़ गई।


मृणाल ने झुककर कहा, “राजवीर, यह पल सही है—हँसी और फ़नी चाल से उन्हें दिखा दें कि असली शक्ति डर में नहीं, मज़ाक और शाही अंदाज़ में है।”


राजवीर ने तलवार घुमाई, पर इस बार सिर्फ़ स्टाइल के लिए। बच्चों और दुकानदारों ने नीचे से चीख‑पुकार की और हँसी का समंदर बहा। गार्ड और कुछ असली शिकारी भी हँसी में उलझ गए।


अभिनव ने दस्तावेज़ फाइलों को हवा में हिलाया और बोला, “देवलेखा, देखो—हमने हीरे, हँसी और रोमांस को मिलाकर तुम्हारे नकली डर को फ़नी स्टाइल में खोल दिया!”


देवलेखा कुछ पल के लिए चुप रहा। उसकी आँखों में हल्की हैरानी और फिर सराहना झलक आई। उसने धीरे से कहा, “सच में… ये टोली अलग है। मज़ाक, हँसी और रोमांस—सच में शाही अंदाज़।”


मृणाल ने मुस्कुराते हुए कहा, “और यही हमारी पहचान है—शाही ठग और बादशाही लुटेरे। डर नहीं, हँसी से सब कुछ बदल सकते हैं।”


राजवीर ने हल्की मुस्कान दी और तलवार हवा में घुमाई—“हीरे, हँसी, थोड़ी नाटकीय चाल—यही जादू है।”


आरव ने कैमरा बंद किया और बोला, “आज की रात याद रखी जाएगी—न केवल फ़नी चोरी के लिए, बल्कि इसलिए कि हँसी ने सच्चाई को उजागर किया।”


तारिक ने हल्का रस्सी का स्टंट करते हुए कहा, “और देखो, कोई चोट नहीं लगी, पर सबको सीख मिल गई—शाही ठग और बादशाही लुटेरे हमेशा फ़नी अंदाज़ में ही सही, लेकिन कभी हार नहीं मानते।”


मृणाल ने आसमान की ओर देखा—चाँद की रोशनी ने महल की दीवारों पर चमक बिखेर दी। उसने धीमे स्वर में कहा, “हर चोरी, हर स्टंट, हर हँसी की एक वजह होती है। और आज, शहर ने हमारी वजह को महसूस किया।”


राजवीर ने उसे देख मुस्कराया और कहा, “तो यह हमारी जीत है—हँसी, रोमांस और हल्की चोरी की एक जीत। कोई डर नहीं, केवल फ़नी और शाही अंदाज़।”


नीचे बाज़ार और शहर के लोग धीरे‑धीरे हँसते‑हँसते अपने घरों की ओर लौट रहे थे। बच्चे दौड़ते‑खेलते अपने दोस्तों को बताते कि शाही ठग और बादशाही लुटेरे ने शहर में मज़ाक, रोमांस और हल्की‑फुल्की चोरी का असली जादू दिखा दिया।


और महल की खिड़की से राजा ने देखा—मुस्कान उसके चेहरे पर थी। पर उसकी आँखों में अब सवाल भी थे: ये टोली केवल हँसी फैलाने आई थी, या शहर के गहरे राज़ भी उजागर करने वाली थी?


मृणाल ने झुककर राजवीर का हाथ पकड़ लिया, “देखो, हमारी कहानी अभी खत्म नहीं हुई—पर आज की रात, हँसी, रोमांस और शाही स्टंट के लिए हमेशा याद रहेगी।”


राजवीर ने हल्की मुस्कान दी, तलवार की टिप को हल्का फर्श पर टिकाया और कहा, “तो चलो, आज के लिए यही काफ़ी है—शाही ठग और बादशाही लुटेरे की जीत, और हँसी की जादुई रात।”


और इस तरह, शाही ठग और बादशाही लुटेरे की टोली ने एक बार फिर अपने मज़ेदार, रोमांचक और शाही अंदाज़ की छाप शहर पर छोड़ दी।

हँसी, रोमांस और हल्की‑फुल्की चोरी का यह सफ़र भले ही इस अध्याय में समाप्त हो रहा था, लेकिन उनकी कहानी—शाही ठग और बादशाही लुटेरे की—सभी के दिलों में हमेशा जीवित रही।




---