'ओहो यह बदतमीज ड्राइवर कहां चला गया इतनी तेज़ गर्मी में घंटा भर से रुके हुए हैं क्या मजाल जो ये बस चलने का नाम ले ले !
हिना ने गर्मी की तेजी से बिलबिला कर अपने कटे हुए बालों को दोनों हाथों में समेटकर ऊपर उठाए ताकि पसीने में डूबीें गर्दन में हवा लग सके और दुपट्टे को पंखे की तरह झुलाया !
'यार कहीं बैठकर चाय पी रहा होगा यह लोग जब तक सात आठ रोटियां खाकर दो-तीन सिगरेट ना फूक ले तब तक ड्राइविंग नहीं कर सकते सवारिया भले ही जाएं भाड़ में' पिंकी ने भी जल भुनकर ड्राइवर को कोसा !
'ओह माय गाड, अकंल कितने सख़्त है अपनी गाड़ी देने के बजाय बस में भेज दिया बहुत शौक था मैडम को बस में जाने का भुगतो अब' ज़ारा ने भी हिना को सुनाया
तीनों गर्मी और गुस्से से बिलबिला रहीं थीं उनकी खिड़की के साथ ही टेक लगाए एक स्मार्ट सा नौजवान खड़ा था उसकी पीठ उन तीनों की तरफ थी मर्द लोग सभी बस से उतरकर सड़क पर टहल रहे थे तो कुछ लोग दरख़्तों की छांव में खड़े थे कुछ लोग होटल से बोतले लेकर पी रहे थे !
''एक्सक्यूज' मी हिना ने खिड़की से सर बाहर निकाल कर नजदीक खड़े स्मार्ट आदमी को अच्छे ढंग से पुकारा
' जी कहिए' जैसे ही उसने मुड़कर अपने मर्दाना खूबसूरत गंभीर आवाज में पूछा तो वह तीनों हैरानी से उसे देखती रहीं
जबरदस्त पर्सनालिटी है हिना ने भी दिल में माना ब्लू जींस और लाइट स्काई ब्लू शर्ट में वह बहुत अच्छा लग रहा था
'देखिए प्लीज अगर आप माइंड ना करें तो जरा ड्राइवर का पता कर ले कितनी देर हो गई है पता नहीं बेवकूफ कहां गया है उसे क्या पता हमारा वक्त कितना कीमती है पहले एडवांस रकम लेते हैं फिर खूब तंग करते हैं बेबस मजबूूर पैसेंजर क्या कर सकते हैं' हिना ने सारा गुस्सा उस शख्स पर उतारा !
उस वक्त अगर ड्राइवर उसके हाथ लग जाता तो उसकी शामत आ जाती वह तो अपनी गाड़ी के ड्राइवर की जरा सी लापरवाही पर उसे बुरी तरह डांट देती थी यहां तो बस नहीं चल रहा था आम सवारी की तरह जिंदगी में पहली बार सिर्फ शौक में और कुछ उसकी गाड़ी खराब थी इसलिए वह बस में सफर कर रही थी !!
'मैडम ड्राइवर तो अब छुट्टी पर गया है उसकी मौसी यानी मां की बहन मर गई है बदले में कोई और ड्राइवर ढूंढा जा रहा है सबर करें अभी इंतजाम हो जाएगा' वह लड़का हिना के अकड़ और हकीमाना लहजे के बजाय बहुत ठंडे अंदाज में बोला, "
'एक तो इन गरीब लोगों का हर रोज कोई ना कोई मर जाता है बहाने बनाने तो इन लोगों को खूब आते हैं और यह गाड़ियों के मालिक लोग हैं यह पहले से क्यों नहीं इंतजाम करके रखते हैं इस तरह लोगों को परेशान करके खुद मजे से अपने घरों में मौज करते है' उसके गुस्सीले मूड पर न जाने क्यों उस आदमी का रंग लाल हो गया कड़ी निगाहें हिना पर डालकर बोला, "' मोहतरमा बस और वैगन दोनों में सफर करने वालों को ज्यादातर ऐसे मसले पेश आते हैं और फिर मौत का ना तो वक्त मुकर्रर होता है और नहीं पहले से खबर होती है ड्राइवर को मजबूरी के बिना पर जाना पड़ा है अब तो उसके बदले काम करने वाले के इंतजाम में तो वक्त लगेगा ही ना' ?
' आज का दिन जाने कैसा है मेरे खुदा कम से कम ऐसी ही ऑन कर दें गर्मी ने बुरा हाल कर रखा है' उस आदमी की बात सुनकर हिना ने बुरा सा मुंह बनाकर उनकी तरफ मुड़कर कहा और वह दोनों चुपचाप बर्दाश्त कर रही थी थोड़ी देर बाद सब लोग बस में सवार हो रहे थे
' मेरा ख्याल है ड्राइवर का बंदोबस्त हो गया' ज़ारा ने उचक्कर सीट से आगे देखने की कोशिश की उनके सीट सबसे पीछे थी और मर्द लोग आगे खड़े थे बस चलने से उन्होंने सुकून का सांस लिया मगर अब नया मसाला उठ खड़ा हुआ था उनकी सीटे पीछे थी इसलिए कूलिंग बहुत कम लग रही थी और ऐसी भी बहुत हल्का चल रहा था बहुत देर तक तो वह दिल मसोस कर बैठी रही अगली सीटों पर बैठे एक दो लोगों ने जब एसी के बारे में ड्राइवर से शिकायत की तो हिना ने भी मौका पाकर कहा 'यह एसी बंद कर दें और खिड़कियां खोल दें ताकि हवा से कम से कम पसीना तो सूख जाए इतनी घुटन और गर्मी है चलने से पहले चेक तो करना चाहिए था कि ठीक से काम कर रहा है या नहीं' वह बहुत जोर-जोर से बोल रही थी सभी लोगों ने मुड़कर पीछे उनकी तरफ देखा ज़ारा को यह सब बहुत अजीब लग रहा था इसलिए उसने बाजू से दबाकर उसे आहिस्ता से खामोश होने को कहा 'अरे क्यों चुप रहूं जब हमसे इस हालत के पैसे चार्ज किए हैं तो प्रोवाइड क्यों नहीं करते' वह खूब बोल रही थी 'बहन जी इस जंगल वीराने में तो एसी ठीक नहीं हो सकता और ना हम ठीक करवा सकते हैं यह तो मालिकों का काम है लखनऊ पहुंचकर ही ठीक होगा' कंडक्टर टाइप आदमी उसकी लगातार बकवास से तंग आकर फ्रंट सीट से उठकर बोला, "
' ओह नो लखनऊ तो बहुत दूर है अभी तब तक तो कयामत आ जाएगी इस हिना के चक्कर में हम मर गए नहीं तो अंकल से कहकर मैं जीप का इंतजाम करवा ही लेती' ' 'अब बिना वजह हंगामा मत करो सब लोग इधर देख रहे हैं खामोशी से बैठी रहो' पिंकी ने उसे डांटा बहुत से मर्द बार-बार मुड़कर उनकी तरफ देख रहे थे वह भी एहसास करके चुप हो गई थी नहीं तो उस मोटू का सर जरूर फाड़ देती जो बार-बार मुड़कर उसकी तरफ नशीली नशीली आंखों से देख रहा था फिर वह आपस में जो बातें करना शुरू हुई तो वक्त गुजरने का एहसास ही नहीं हुआ सफर तेजी से कट रहा था वह तीनों दादी मां से मिलने लखनऊ जा रही थी ज़ारा और पिंकी हिना की कज़िन सिस्टर थी तीनों सहेलियां एक ही क्लास की थी और अपने M A के इम्तिहानो से छुटकारे के बाद उन्होंने घूमने फिरने का प्रोग्राम सेट कर लिया था पिछले दिनों में 15 दिन दिल्ली और 15 दिन देहरादून अपनी मौसी के यहां रहकर आई थी और अब आते ही दादी मां का बुलावा आ गया था पिंकी और ज़ारा तो पहले से ही तैयार थी उन्होंने हिना को भी मना लिया कि उसके बिना कहीं भी आने जाने का मजा नहीं आता था उसकी गाड़ी खराब थी और पापा अपनी गाड़ी इतने दिनों के लिए दे नहीं सकते थे कुछ हिना ने भी इसरार किया कि वह बस के सफर का मजा उठाना चाहती थी उसके लिए सफर एक एडवेंचर था मगर गर्मी की तेजी और लंबे सफर में बस का एडवेंचर खत्म कर हो गया
'अब क्या मुसीबत नाजिल हो गई' बस एक झटके से बीच सड़क में रुक गई तो सब परेशान हो गए हिना ने घबराकर जोर से कहा मर्द लोग नीचे उतर कर हालात का जायजा ले रहे थे वह तीनों भी खिड़की से झांकने लगी इंजन में कोई खराबी पैदा हो गई थी बस सड़क के एक तरफ खड़ी करके ड्राइवर इंजन ठीक करने लगा बस खाली हो गई थी सिवा उन तीनों के उनके चेहरों से बेजारी और कोफ्त टपक रही थी 'मिस आप भी बाहर आ जाए यहां बहुत गर्मी है बाहर हवा चल रही है वही आदमी अदब और तहजीब के तरीकों के सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए उनसे मुखातिब हुआ कोई और वक्त होता तो वह उसे बिना जरूरत फ्रैंक होने का मजा चखा देती मगर अब यहां इतनी देर से गर्मी में बैठे हुए वह खुद को बहुत बेवकूफ़ महसूस कर रही थी' शुक्रिया 'उसने भी अखलाक से कहा और पिंकी और ज़ारा के साथ नीचे आई।
बाहर की ठंडी ताजा हवा ने अच्छा असर किया और उन्होंने अपना मूड सही करके चारों तरफ देखा औरतें और बच्चे सड़क पर दूसरी तरफ लगे पेड़ों के नीचे बिछी चारपाई पर बैठे थे और मर्द लोग इधर-उधर बिखरे बातों में घूमते और बातों का टॉपिक मौजूद ट्रांसपोर्ट की अपने कारगुजारी थी ड्राइवर बोनट के अंदर घुसा हुआ बस ठीक कर रहा था और कंडक्टर उसे जरूरी औजार थमा रहा था हिना चलते-चलते उसके करीब रुकी और बोली 'मैं आप लोगों की बेड सर्विस की कंपनी वालों से शिकायत जरूर करूंगी इतना गंदा सफर एसी आपका खराब है अब इंजन भी खराब हो गया कोई चीज ठीक है इस बस की 8 घंटे का सफर 20 घंटे में पूरा होगा और ड्राइवर गाड़ी इतनी आहिस्ता चला रहा था कि कल तक ही लखनऊ पहुंचेंगे'
'बीबीजी लगता है पहली दफा बस से सफर किया है' कंडक्टर उसकी बात सुनकर हंसते हुए पूछने लगा' हां पहली और शायद आखरी बार भी मैं कभी ऐसी थर्ड क्लास गाड़ी में बैठना पसंद ना करूं' उसने हिक़ारत से कहा तो इंजन ठीक करता ड्राइवर पलट कर उनकी तरफ देखता हुआ नीचे उतर आया और वह तीनों तो देखते ही हैरत के मारे खामोश रह गई वही स्मार्ट खूबसूरत आदमी जो उनकी खिड़की के नजदीक खड़ा था और जिससे हिना ने बात भी की थी काले हाथों को मैले कपड़े से पोछता हुआ उनकी बातों का जवाब दे रहा था 'मैडम इतने दावे से आने वालों की बात नहीं किया करते जिस तरह आज आप किसी की मजबूरी के तहत इस बस में सफर करने पर मजबूर है इस तरह की मजबूरी आने वाले जमाने में भी हो सकती है'
'आप इस बस के ड्राइवर हैं' ? वह उसका फलसफा नजरअंदाज करते हो कुछ हैरानी और नफरत भरी नजरों से ताकते हुए मुंह बनाकर बोली बात करने का तरीका खास नफरत से भरा हुआ था उसने गहरी सी निगाह हिना पर डाली और बगैर कुछ बोले बोनट बंद करने लगा
' अब गाड़ी जरा फास्ट चलाना इस तरह रेंग रेंग कर तो लखनऊ नहीं पहुंच सकते' जाते जाते वह हुकुम दे गई पिंकी और ज़ारा भी उसकी बातों और तरीके पर शर्मिंदगी महसूस कर रही थी अपने से कम हैसियत कम रुतबा आदमी के साथ उसका रवैया हिकारत वाला हो जाता था वह तो सोने का चम्मच मुंह में लेकर पैदा होने वालों में से थी इकलौती होने की वजह से बात मुंह से निकलते ही पूरी हो जाती थी बचपन से लोगों पर धाक जमाती थी और अभी तक ऐसी ही मौजूद थी बल्कि वक्त गुजरने के साथ और भी ज्यादा हो गयी थी !!
वह गाड़ी इतनी तेज चल रहा था कि अब मुसाफिरों में उसे आहिस्ता चलने की गुजारिश की
'बुज़ुर्गों आप लोग कहते हैं गाड़ी आहिस्ता चलाओ दूसरे लोग कहते हैं तेज चलाओ अब आपकी बात मानूं या उनकी' वह बड़े मजे से शीशे में उन्हें देखकर बोला, "
और वह बुजुर्ग आदमी नौजवान नस्ल की तेजी पर लेक्चर देना शुरू हो गए हिना ने खा जाने वाली नजरों से उसे देखा कमबख्त खूब मजे ले रहा था उनकी तो हड्डी पसली एक हो रही थी सबसे पिछली सीट पर झटके भी ज्यादा लगते हैं ऊपर से तेज ड्राइविंग ज़ारा और पिंकी हिना को बहुत डांट रही थी वह मुहं बनाएं उनके कड़वे कसीली बातें हजम कर रही थी सब्र के अलावा और चारा भी क्या था अलबत्ता दिल में ठान लिया था कि लखनऊ पहुंचकर उस बदतमीज ड्राइवर की शिकायत ऑफिस में जरूर करेगी !!
'शुक्र है खुदाया और मेरी तौबा आइंदा में किसी बस या बैगन में सफर नहीं करूंगी' लखनऊ पहुंचकर बस से उतरते हुए उसने जोर से कहा !!
शान्ज़ल खांन ने उसके लफ्जों को सुन लिया था और गहरी नजरों से उसे जाता देख रहा था जब तक वह चली नहीं गई वह ड्राइविंग सीट पर बैठा उन्हें देखता रहा वह बहुत प्यारी बोल्ड और नखरे वाली लड़की आज पहली बार किसी उसे मिली थी और इस मुलाकात में उसका घमंडी रूप सामने आया था वह काफी धड़ल्ले से उसके दिल के तमाम बंद दरवाजे खोलते उसके दिल में आ बसी थी उसकी मोहनी सूरत ने उसके दिल को एक नये अंदाज में धड़कना सिखाया था और शान्ज़ल खांन अपने मजबूत इरादे और अटल शख्सियत समेत पल भर में रेत के महल की तरह ढह गया था 'मोहब्बत यूं ही होती है अचानक से कोई अजनबी दिल के बहुत अंदर तक उतार कर जिस्म जान में लहू की तरह दौड़ने लगता है मोहब्बत इरादे और फैसलों से अलग होती है वक्त मौसम और माहौल की कैद से आजाद'
उसने कभी कोई आइडियल नहीं बनाया था खूबसूरती के साथ-साथ खुबसीरती भी उसकी कसौटी थी और दिल ने जिस जगह हार की आवाज लगाई वहां मुकाबले की सबसे बड़ी कमी उस लड़की का गुरुर और घमंड था और इस वक्त उसने एक अहम फैसला कर लिया यकीन था कि वह एक बार और उसे जरूर मिलेगी !!!
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तौबा है दादी अम्मा इस सफर ने तो मेरा जोड़ -जोड़ हिला दिया है इतना तकलीफ देह सफर है और पता नहीं लोग कैसे बसों में सफर कर लेते हैं वह जब से यहां आई थी लगातार दुख भरे सफर की कहानी हर एक को सुना रही थी दादी अम्मा तो सच में ही उसकी तकलीफ का एहसास करते हुए शर्मिंदा हो गई थी अर्सलान को फोन पर अलग डांटा कि उसने बच्चियों को प्राइवेट गाड़ी में क्यों भेजा 'मैडम हिंदुस्तान के सारे लोग आपकी तरह एयर कंडीशन गाड़ियों में सफर नहीं करते ऐसे ही बल्कि ऐसी के बगैर आम बस और वैगन में सफर करते हैं सैम ने तन्ज़िया अंदाज में हंसकर कहा वह बहुत देर से तंज भरी बातें सुन रहा था ' माय गॉड' उसने यूं कपकपा कर डरे हुए अंदाज में कहा कि उन्हें हंसी आ गई अच्छा अब बस जो हो चुका हो चुका चलो तुम आराम करो बहुत थक गए हो शाम को बाकी बातें होंगी दादी अम्मा ने नाजुक मिजाज पोती जो बहुत मगरूर थी हिना की नाराजगी दूर करने के लिए उसे बहलाया पिंकी और ज़ारा तो पहले ही अपने कमरों में जा चुकी थी वह भी ऐसी सोई की रात को बड़ी मुश्किल उसे उठाया गया उसके बिना खाना भी नहीं खाया जा सकता था वह दोनों उसे मना कर लाई थी अब जरा इसी लापरवाही पर यह तबीयत के खिलाफ कोई बात हो जाती तो वह ताने देने और मरने मारने पर उतर आती उसे तो उसके जिद्दी और और गुरूर वाले मिजाज का भी पता था अगरचे वह उनकी कजिन थी खुद वह भी किसी गए गुजरे खानदान की न थी मगर उनकी मां राबिया बेगम खुद बहुत सबर करने वाली शुक्र भेजने वाली और परदे में रहने वाली औरत थी अपनी बेटियों को भी उन्होंने अपने अंदाज में पाला पोसा था दौलत की फरावानी लाड प्यार और हाई सोसाइटी में रहने के अलावा उनमें कोई ऐसी बात ना थी जो पकड़ के काबिल होती बल्कि उनकी आदत और सुलझे हुए हमदर्दी वाले तरीकों की लोग तारीफ भी करते थे हिना का मिज़ाज उसके उलट था अर्सलान साहब बहुत बड़े बिजनेसमैन थे और बेगम खुद उनके बिजनेस में हाथ बटाती थीं बुटीक और पार्लर निहायत फायदे वाले काम वह खुद देख रही थी यूं ही इकलौती बेटे को अपने गैर मौजूदगी में ज्यादातर आया ही देखा करती थी बचपन से जिद्दी और हटीलेपन में अपनी मिसाल अपने आप थी उसे राजी और खुश करने के लिए वह जो भी मांगती वह उसे मिलता इसीलिए उसकी बुरी आदत इस कदर मजबूत हो गई थी कि जरा सी भी उसके मिजाज के खिलाफ बात हो जाती तो वह तूफान उठा देती अगले दिन उसने ऑपरेटर से पूछ कर पहला काम यह किया की ट्रांसपोर्ट कंपनी के ऑफिस फोन किया भला अपनी बेइज्जती वह आसानी से कहां भूल सकती थी
'हैलो शान्ज़ल खांन ट्रांसपोर्ट कंपनी' दूसरी तरफ से निहायत खूबसूरत गंभीर आवाज में आवाज आई 'हैलो कौन बोल रहे हैं'
'शान्ज़ल खांन ट्रांसपोर्ट कंपनी' शान्ज़ल आसानी से उसकी आवाज पहचान गया था 'देखिए शान्ज़ल खान साहब मुझे आपके एक ड्राइवर की शिकायत करनी है आपके ट्रांसपोर्ट का वैसे तो बहुत नाम मशहूर है मगर सर्विस और सर्वेंट दोनों बहुत बुरे हैं इसलिए शिकायत का हक़ रखती हूँ जो कि आपकी बस में सफर किया है'
'श्योर व्हाय नॉट आप प्लीज बताएं हम अपनी कमी दूर करने की कोशिश करेंगे उसने मुश्किल से हंसी दबाई वह उसके नाराजगी और गुस्से वाले जुमले सुन रहा था बेहद ही अच्छी आवाज में बोली 'कल लखनऊ जो बड़ी बस आई है मैंने उसमें सफर किया है उसका ड्राइवर बहुत बदतमीज आदमी था जिसे लोगों से बात करनी भी नहीं आती थी ना ही उसे सही ढंग से ड्राइविंग करनी आती थी आप लोगों की बस का एसी भी काम नहीं कर रहा था दो बार बस खराब भी हुई और हम 2 घंटे लेट भी हो गए' वह उसे हकीमाना अंदाज में गलतियां बता रही थी जैसे कि अपने नौकर से पूछताछ कर रही हो शान्ज़ल खान ने गुस्से में दांत पीसे कल ड्राइवर के गैर मौजूदगी में उसे हंगामी तौर पर ड्राइविंग करनी पड़ी थी बदले में इंतजाम भी नहीं हो सका था तमाम सीट्स बुक हो चुकी थी तो उसने यह जिम्मेदारी ले ली और इतनी लंबी ड्राइविंग के बाद सारा बदन थकान से चूर था और यह नवाब की बेटी सारे किए कराये पर पानी फेर रही थी उसने खुद पर काबू किये रखा उसे यकीन था कि यह सब होगा उसने भी बहुत शानदार मंसूबा बनाया और बोला, " 'ओह वेरी बेड मैडम आई एम सॉरी मैं बहुत शर्मिंदा हूं आपको दोहरी परेशानी का सामना करना पड़ा' 'बहुत-बहुत शुक्रिया आपने हमारी कमी को याद दिलाया हम वादा करते हैं अपनी सर्विस को बेहतर बनाने की कोशिश करेंगे और कोई खिदमत' ?
'जी हुकुम तो क्या मगर आप उस ड्राइवर को जरूर निकाल कर बाहर कर दें जो आपको बदनाम कर रहा है उसका बेड बिहेवियर देखकर कौन दोबारा शान्ज़ल खान सफर करना चाहेगा वह तो आपके बिजनेस को नुकसान पहुंचा रहा है जैसे मुझे बुरा लगा ऐसे कोई और भी बुरा मान सकता है' शान्ज़ल खान उसकी चालाकी पर हैरान रह गया जब तक ड्राइवर को सजा न मिल जाती उसे सुकून नहीं आता' यू आर राइट मैडम बाकी ऐसे आदमी को तो सर्विस से निकाल ही देना चाहिए मैं फौरन मालिकों से बात करता हूं' वह अदब के लहजे में बोल रहा था' बिल्कुल ठीक आप उसे जॉब से निकाल दें फौरन' हिना उसकी आजिजी और मजबूरी पर खुश होकर बोली 'मैडम आप अपना नंबर लिखवा दें मैं आपको खुद कॉल करके बता दूंगा कि हम अपने पैसेंजर का कितना ख्याल रखते हैं जल्दी ही आप उस बदतमीज के निकाले जाने की खबर सुन लेंगी' हिना ने कुछ देर इंतजार किया फिर दादी अम्मा का नंबर लिखवा दिया वह कौन सा यहां सदा रहने आई थी चंद दिनों बाद चली जाती इसलिए फोन नंबर लिखवाने से पहले जो डर जहन में आया था वह झटक दिया !
' जरा सी बात पर उस गरीब ड्राइवर की तुम दुश्मन बन गई हो उसे निकलवा कर तुम्हें क्या मिलेगा तुम्हें दोबारा बस में जाना है ना आना है तुम्हें क्या सुकून मिलेगा बेचारा कितना मजबूर और जरूरतमंद होगा अच्छा पढ़ा लिखा और समझदार लगता था पता नहीं कौन से हालात की वजह से नौकरी करने पर मजबूर था' ज़ारा को उसकी बात सुनकर बहुत गुस्सा आया था उसे ड्राइवर पर रह रहकर तरस आ रहा था पिंकी भी उसकी हम ख्याल थी कि किसी गरीब और मजबूर आदमी की रोजी-रोटी छीन लेना बहुत बड़ा गुनाह है मगर उसे गुनाह और सवाब के चक्कर में सबसे ज्यादा अपनी शान की तस्कीन की जरूरत थी भला उसके साथ बदतमीजी करने वाला उसके नजरिये के खिलाफ सजा से कैसे बच सकता था।
अगले ही दिन शान्ज़ल खांन का फोन आ गया 'मिस हमने उसे ड्राइवर को नौकरी से निकाल दिया अब आप खुश हैं'?
'जी थैंक यू' हिना ने बड़े मजे से कहकर फोन रख दिया कितनी बेहिस लड़की थी वह तो समझ रहा था कि उसकी बात सुनकर उसे अफसोस होगा मगर वह तो थैंक यू कह रही थी। कोई बात नहीं है मेरा नाम भी शान्ज़ल खांन है तुम्हें सीधे रास्ते लाकर तुम्हारा सारा घमंड ना तोड़ा सा मेरा नाम भी शान्ज़ल खान नहीं वह बहुत देर तक अपने प्लान पर गौर करता रहा ।
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'' हिना अब बस भी करो क्या सारा बाजार खरीद लोगी क्या इतने सूट खरीद चुकी हो क्या बुटीक के लिए ले रही हो'' ज़ारा ने उसकी शॉपिंग से तंग आकर कहा 4 घंटे से वह कढ़ाई वाले सूट खरीद रही थी पागलों जैसे जब से वह लोग दादी अम्मा के पास आए थे रोज ही बाजार का चक्कर लगता था और हर रोज अपने लिए तीन-चार सूट खरीद लिया करते थे पसंद आने पर कुछ अपने लिए और कुछ बुटीक के लिए। 'भई इतनी अच्छी कढ़ाई की तो बहुत मांग है कि लखनऊ की फेमस कढ़ाई है मम्मा यकीनन मेरी पसंद की दाद देंगी अगर उन्हें अच्छे लगे तो और ऑर्डर देकर भी बनवा लेंगे बाजार की छोटी-छोटी दुकानों की तरह कीमतें ज्यादा नहीं बल्कि कुछ कम ही थी। वह तीनों एक गली से गुजर रही थी जब एकदम ही वह बहुत परेशान सा बुरे हाल में सामने आ गया '' बीबीजी तुम बहुत जालिम हो दौलत ने तुम्हें अंधा कर रखा है इसी के बलबूते पर तुम दूसरों की रोजी-रोटी छीनती फिर रही हो'' शान्जल खान बहुत ज्यादा गुस्से में उनसे मुखातिब था जरा देर के लिए तो वह तीनों ही घबरा गई फिर बहुत संभल कर हिना ने गुस्से से उसे देखा '' क्या बकवास कर रहे हो तुम होश में तो हो''?
'' होश होश तो अच्छा भला बंदा भूल जाता है जब पांच छोटे-छोटे भूखे बच्चे बिलबिला रहे हो मेरी रोजी तुम्हारी वजह से चली गई शान्जल खान ट्रांसपोर्ट कंपनी ने मुझे तुम लोगों की वजह से नौकरी से निकाल दिया अब मैं कहां जाऊं जब तक नई नौकरी नहीं मिलती कहां से बीवी बच्चों को खिलाऊं और अपना घर चलाऊं बताओ मुझे तुम्हें क्या मिला मेरा रिज्क छीन कर मेरे बच्चों की आहें तुम पर पड़ेगी बीबीजी''
पिंकी और ज़ारा के साथ-साथ हिना भी उसकी फरियाद सुनकर घबरा गई थी मगर हारना तो हिना की डिक्शनरी में ही ना था तूनक कर बोली '' बदतमीज को गलती की सजा जरूर मिलती है आने वाले दिनों में कभी हम जैसों से बात करने से पहले अपनी औकात को तो नहीं भूलोगे न'' वह गुरुर से उसे देखती हुई आगे की तरफ चल पड़ी।
ज़ारा तो बुत बनी उसे देख रही थी उसका कहा एक-एक लफ्ज़ उसके दिल पर असर कर गया था वह कांप गई बहुत मायूसी और अफसोस से वह जा रहा था ज़ारा ने एकदम उसे पुकारा '' सुनो भाई सॉरी माफी चाहती हूं हिना ने आपका दिल दुखाया और आपकी नौकरी जाने का भी मुझे बहुत अफसोस है यह कुछ रकम रख लें बच्चों के लिए और आप मेरे चाचा दुर्रानी साहब से मिल लेना आप को कोई ना कोई नौकरी मिल जाएगी मैं खुद उनसे कह दूंगी'' वह शुक्रिया भरी नजरों से देख रहा था रकम उसने नहीं ली थी वह इसी तरह ज़ारा के हाथ में थी।
"बहुत-बहुत शुक्रिया बहन आपका कहना ही मेरे लिए बहुत है''
'' यह रुपए तो ले लो'' ज़ारा ने दोबारा उसे रुपए आगे बढ़ाये '' नहीं मैं इतना गया गुजरा नहीं की भीख मांगना शुरू कर दूं'' आपके हौसले और खुलूस का दिल से शुक्रिया अदा करता हूं ''
'' आप गलत ना समझें सच तो यह है कि मेरा इरादा आपको जलील करने का नहीं है मैं तो यूं ही दे रही हूं '' ज़ारा ने जल्दी से अपनी नियत का इजहार किया है वह न जाने क्या समझ रहा था हालांकि ज़ारा के इस फैसले में शान्जल खान के दिल में उसकी कदर बहुत बढ़ा दी थी वह भी उसे मगरूर तुनक मिजाज सारी दुनिया को धूल समझने वाली लड़की की कजिन थी मगर उसके मिजाज से बहुत अलग।
ज़ारा अफसोस से उसे जाते देखती रह गई दिल बहुत उदास और डरा हुआ था उस आदमी की बातों ने हिला कर रख दिया था पिंकी को भी बड़ा अफसोस हो रहा था यह सब सुनकर और उस पर कौड़ी भर भी असर नहीं हुआ था अपनी बात पर डटी थी कभी कभार जब भूले भटके उसका ख्याल आ भी जाता तो फौरन सर झटक कर खुद को अपने इरादों में समेट लेती ।
बहुत दिनों तक लखनऊ से आने के बाद भी वह दोनों ज्यादातर बार उस मजबूत खूबसूरत आदमी की बातों को याद करके शर्मिंदा सी हो जाती थी सिर्फ उनकी वजह से वह अपनी नौकरी खो बैठा था उसके बच्चों की रोजी रोटी छिन गई थी गलत बातों का दिल में असर लेने वाली ज़ारा ने तो पिंकी से भी ज्यादा इस बात का असर लिया था मगर वह जो इन तमाम बातों की जिम्मेदार थी वह वाकई लापरवाह थी उसकी बला से किसी को खाने को मिलता है या नहीं मिलता उसे तो भरपेट हर तरह के खाने मिलते थे उसे भूख का क्या शिकवा उसे कौन बताए गरीबी और मुफलिसी क्या क्या रंग दिखाती है तोड़ती और झुकाती है उसे कुछ पता नहीं था कि गरीबी और गुरबत दोनों लफ्ज़ उसकी जिंदगी की डिक्शनरी में मौजूद न थे शान्जल को भी उससे इस कदर पत्थर दिली की उम्मीद ना थी वह तो यह उम्मीद कर रहा था कि उसकी पुकार सुनकर और दर्द भरी कहानी सुनकर जरूर उसका दिल दुखेगा और कुछ तो नदामत और गलती का एहसास होगा लेकिन वह हिना ही क्या जो झुक जाए उसे सिर्फ दूसरों को झुकाना आता था और जो झुक न झुकता वह उसे तोड़ देती थी उसका गुरुर तोड़ने वाला या झुकाने वाला कोई न था।
लेकिन शान्जल खांन ने दिल में मजबूत इरादा कर लिया था कि वह इस लड़की का गुरूर और घमंड तोड़ कर रहेगा।
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सुनो इस साल की बिग न्यूज पिंकी गला फाड़े ऐलान करने के अंदाज में बाहर से ही चिल्लाती हुई आ रही थी। 'क्या है भई प्लीज अपनी सस्पेंस फैलाने वाली आदत पर कंट्रोल करो सख्त जहर लगती हो यूँ आंखें चला चला कर दूसरों को बेचैन करती हुई' 'पिंकी को हिना की डाट का जर्रा बराबर असर न था पहले आदत के तौर पर वह माअनीखेज मुस्कुराहट लिए उसे देखे जा रही थी।' हां बताओ क्या न्यूज़ है'
'सुनते ही होश खराब हो जाएंगे और सोलह तबक रोशन हो जाएंगे बी बन्नो के'
'अब बता भी दो पिंकी ज्यादा सस्पेंस दिलचस्पी खत्म कर देता है'
ज़ाया ने बेचैनी से करवट बदली वह जानती थी पिंकी वाकई कोई खबर लाई है जो यूं सता रही थी वह तो जासूस के नाम से मशहूर थी बड़ों की खिदमत गुजारी के बहाने सारी बातें सुन लेती थी फैमिली के सारे राज़ उसे मालूम थे।
' चलो बता देती हूं क्या याद रखोगी तुम भी हिना जरा तुम लापरवा नजर आने का पोज ना करो गौर से सुनो बात तुम्हारी ही है शान्जल खान ट्रांसपोर्ट कंपनी के डायरेक्टर शान्जल साहब ने हिना अरसलान खान को प्रपोज किया है'उसने ठहर कर बताया ज़ारा तो चौंकी ही थी हिना भी उछल पड़ी 'क्या कहा मेरा प्रपोजल'?
'हाँ जी हां तुम्हारा मेरा नहीं अगर ऐसा होता तो तुम्हारी तरह मैं चिल्लाने की बजाय पीला दुपट्टा ओढकर किसी कोने में सजना के सपने देख रही होती'!
'ऐसी की तैसी सजना के सपने की उसके इतनी हिम्मत की मेरे फोन करने पर वह ऐसा फैसला कर बैठा 'हिना दांत पीस कर बोली
इसमें इतना गुस्सा होने की क्या जरूरत है बन्नू तुम्हारी उम्र शादी की हो गई तुम्हारे आगे पढ़ने का इरादा भी नहीं फिर आंटी को अचार नहीं डालना तुम्हारी शादी करनी है।
पहले ही बहला फुसलाकर अपनी ज़िद से मजबूर होकर पढ़ाया था रिश्वतों के सहारे पास करवा लिया था उसे किताबों से कोई दिलचस्पी नहीं थी सर में दर्द होने लगता था जैसे तैसे जबरदस्ती M A किया था उसे इस टॉपिक से बहुत चिड़ थी '' देखो ज़ारा मुझे पढ़ाई का ताना ना दिया करो नहीं तो किसी दिन सचमुच तुम्हारे सर फोड़ दूंगी रही शादी की बात तो अभी मैं मम्मा से बात साफ करके आती हूं '
हिना गुस्से से तनतनाती बाहर निकल गई ज़ारा हंसते हुए कहकर खामोश हो गई ।
' सुनो पिंकी क्या वाकई शान्जल ने हिना को प्रपोज किया है 'ज़ारा ने उचटते हुए यकीन से पहले जानना चाहा' तो और क्या मैं झूठ कह रही हूं अभी दादाजन का फोन अर्सलान अंकल सुन रहे थे शान्जल के पापा ने दादा जान से इस रिश्ते के लिए बात की है
ज़ारा का अंदाज सोचने वाला था वह सोचते हुए बोली 'क्या ख्याल है अंकल आंटी मान जाएंगे'' मेरा तो ख्याल है मान ही जाएंगे बुनियादी बात तो पैसे और स्टेटस की है यह दोनों चीज ही मांगे हुए रिश्ते में मौजूद है सुना है शान्जल भी बहुत खूबसूरत और पढ़ा लिखा है इंकार की तो कोई सूरत नजर नहीं आती अगर हिना रुकावट ना बने तो ।
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पिंकी की बात एकदम ठीक थी जब हिना ने मां से बात पूछी तो उन्होंने बड़े इत्मीनान से जवाब दिया 'हां तुम्हारा एतराज जायज है वैसे तो अभी हमने फैसला नहीं किया है पहले खुद देखभाल करेंगे वैसे तुम्हारे दादा जान पर पूरे तौर पर तैयार है मगर मुझे और अर्सलान को पसंद आ गया तो साफ-साफ जवाब मंजूरी में देने में कोई हर्ज नहीं है'
'मगर मम्मा इतनी जल्दी मैं अभी आजाद रहना चाहती हूं लाइफ एंजॉय करना चाहती हूं '
उसने प्रोटेस्ट किया मां ने कहा' तुम शादी के बाद ज्यादा एंजॉय करोगी तुम हमारी बेटी हो और वैसे भी ऐसे रिश्ते किस्मत से ही मिलते हैं बिना वजह से रिश्ते ठुकरा कर गलती नहीं करूंगी' मगर मम्मा मैं उन्होंने उसकी बात काट दी' बस कहा ना जो भी होगा बेहतर ही होगा अब तुम जाओ इंजॉय करो गुड गर्ल' मां ने उसके प्रोटेस्ट पर और गुस्से को नजर अंदाज करते हुए उसे बच्चों की तरह चुमका कर वापस भेज दिया उसकी तो जान पर बन आई थी दादा जान के फोन पर फोन आ रहे थे जवाब मिलने के साथ वह लोग रसम करना चाहते थे पिंकी और ज़ाया ने उसे छेड़ छेड़ कर नाक में दम कर दिया था पता नहीं क्यों उसे इस जल्दबाजी से डर महसूस हो रहा था दादी जान ने उसे फोन पर बहुत समझाया था शायद मां ने उसकी हालत बताई होगी उनकी बातों से हौसला हुआ था 'हिना बुजुर्गों पर यकीन करके देखो सब ठीक हो जाएगा शान्जल खान बहुत अच्छा शरीफ और समझदार लड़का है वह तुम्हें बहुत खुश रखेगा तुम्हारे मां-बाप दादा दादी चाचा जान और खुद मै हम सब राजी हैं तुम भी बेवजह इंकार ना करो दौलत की भी कोई कमी नहीं उनके यहां तुम्हारे अपने घर जैसा माहौल मिलेगा अच्छे बच्चों की तरह घर बसाने का ख्याल करो।
'किन ख्यालों में गुम हो हिना डियर' पिंकी उसके एक-एक लम्हे पर नजर रखे हुए थी 'हां' वह चौंकी 'कुछ नहीं आओ बैठो' पिंकी उसके नजदीक आ गई 'पता है इतनी जल्दी मचा रखी है शान्जल खान ने चट मंगनी पट ब्याह चाहता है वह' उसने चौंक पर उसकी शक्ल देखी 'मगर क्यों' उसने बेचारगी से सवाल किया.. दिल ऐ खाना खराब अब और ज्यादा इंतजार नहीं कर सकता तुम्हारी जुदाई की आग में जल जलकर काला हो गया है मिलन की घड़ी को तरस रहा है शान्जल खान का दिल' उसने बहुत अफसोस से कहा दुखी साथी की तरह दिल पर हाथ रख कर दुहाई दी पिंकी इसी तरह हर बात हंसी मजाक में उड़ाती थी वह भी हंसने लगी दिल की अजब सी हालत होने लगी जब से शान्जल खान का नाम लेकर उसे छेड़ा जाने लगा था उसके दिल की धड़कन है उस अनदेखे आदमी के नाम पर बहुत तेज हो जाती थी शान्जल का नाम सुनते ही चारों तरफ खुशबू से फैल जाती थी फूल खिल से जाते थे और वह अपनी हालत पर हैरान होती की मोहब्बत यूं भी होती है सिर्फ एक आदमी का नाम उसके साथ का मान और यकीन चुरा कर ले गया था मम्मा और पापा बहुत खुश थे मम्मा ने उसे गले लगा कर बहुत सारा प्यार किया शान्जल खान की कितनी तारीफ है कि कि उसे पूछने की जरूरत ही नहीं पड़ी एक अजीब बात और थी कि कोई उसका फोटो भी नहीं लाया था कि वह देख लेती मम्मा भी भूल गई थी हां मगर शान्जल की बहनों को कह दिया था कि उसका फोटो जरूर लाएं शान्जल की बहने बेहद खूबसूरत और बाअखलाक थी उसे इतनी मोहब्बत और प्यार से मिली कि उसका सर गुरूर और फख्र से ऊंचा हो गया। भाभी आप बहुत प्यारी हैं हमारे भाई के साथ आपकी जोड़ी चांद सूरज की होगी छोटी नन्द उसकी खूबसूरत उंगलियां वाला खूबसूरत हाथ थाम कर कहा वह आहिस्ता से हंसकर अपनी नजर झुका गई माशाल्लाह आपकी बेटी बड़ी प्यारी है हम जल्दी ही अपनी बच्ची को अपने घर ले जाएंगे अब तो सबर नहीं कर सकते सास साहिबा ने उसका चेहरा हाथों में थाम कर बलाओं ली। अपनी तारीफें सुनकर वह और अकड़ गई।
भाई हम तो प्यार करने वालों में ज्यादा दिन जुदाई बर्दाश्त नहीं कर सकेंगे बस अब जल्दी-जल्दी अपनी भाभी को ले जाएंगे बड़ी नंद आसिया ने प्यार से गाल छूकर कहा और वह शर्मा गई हमारे शान्जल भाई तो बहुत बेचैन है अब भाभी आप मुझे बता दे मैं और किसी को नहीं शान्जल भाई को बता दूंगी रज़िया ने उसके कान में पूछा वह क्या जवाब देती हैरान थी कि वह क्या जवाब दे और हैरान थी कि कैसे-कैसे सवाल किया जा रहे हैं वह तो शान्जल खान से मिली भी नहीं थी कभी बात भी नहीं की थी सिवाय एक फोन के तो फिर यह लोग किस तरह की बातें कर रहे हैं मोहब्बत तो यकीन आपकी बेमिसाल है मेरा भाई मजनू बना हुआ है अपने लैला की मोहब्बत में रजिया लगातार उसे छेड़ रही थी वह राजी बस करो मत छोड़ो देखो तो कैसे लाल गुलनार हो गई है भाभी आसिया ने उसे डांटा पिंकी ने अंदर जाकर आसिया से पूछा वह क्या शादी के बाद दूसरे ही दिन बाहर टूर पर निकल जाने की हनीमून मनाना उनका हक है मगर दूसरे दिन सब कुछ छोड़कर भाग जाना यह क्या तरीका है ऐसी भी क्या बेसब्री है उन दावतों का क्या होगा जो उनकी इज्जत ओनर में दी जाएगी पिंकी की बात सुनकर उसने हैरत से देखा यह बात तो उसे अभी-अभी मालूम हुई थी कि शान्जल खान ने अगले ही दिन फॉरेन टूर पर जाने का प्रोग्राम बना दिया था इसलिए रजिया उसका पासपोर्ट और जरूरी कागजात मांग रही थी उसके बड़े जेठ दुबई में रहते थे उन्होंने बुलाया था और शान्जल बिजनेस के सिलसिले में सिंगापुर और शारजाह आता जाता रहता था वहां काफी दोस्ती थी यहां भाई से मिलना जरूरी था करीब 2 महीने का टूर था इसलिए दो महीने बाद वलीमा रजिया की शादी के साथ करना था उसे इतनी ही मोहब्बत की उम्मीद थी हमेशा से चाहे गई थी तमाम लोगों से खास नजरों से देखते थे उसकी तारीफ में कहानी कही जाती थी हर आदमी तारीफ करता था उसे हर जगह खास तरीके से पेश किया जाता था यही वजह थी कि उस पर तवज्जो दी जाती थी जिस पर उसे ने और घमंड का नशा था अपने से नीचे देखना तो जैसे उसकी शान के खिलाफ था फिर जो ही उसकी मंगनी हुई शादी का तकाजा भी उतनी ही बेचैनी से किया जाने लगा उसके मां-बाप के पास दौलत की कमी नहीं थी हर चीज मिनट में बाजार से रेडीमेड मिल सकती थी सो शान्जल खान की फरमाइश पर अर्सलान साहब ने एक महीने बाद की तारीख दे दी और उसका एक महीना काफी मुश्किल से गुजरा दूसरी तरफ एक महीने का वक्त काम की वजह से मसरूफ था दिन रात बाजारों के चक्कर दहेज की लंबी चौड़ी लिस्ट भी थी अर्सलान साहब अपनी हैसियत और स्टेटस से कहीं ज्यादा बढ़कर उसे दहेज दे रहे थे हर सामान इतना बढ़िया कीमती था की आंखें चमक की वजह से चुन्धिया जाती थी शादी शानदार होटल में की गई थी दोनों तरफ से काफी खर्च हुए थे और पैसा पानी की तरह बहाया गया था वह अपनी किस्मत पर बहुत खुश थी जैसे शानदार जिंदगी मां-बाप के घर गुजारी थी वैसा ही माहौल आगे मिलने वाला था वह बहुत ज्यादा खुश थी।
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लखनऊ तक का सफर बहुत लंबा था मगर इतना भी नहीं की खत्म ही ना हो बैठे-बैठे सर झुकाए उसकी गर्दन तक अकड़ गई अपनों से बिछड़ने का गम अंजानी और अजनबी जगह जाने का डर अनदेखे हमसफर के साथ उम्र बिताने का बेनाम खौफ और सबसे बढ़कर एक लंबा सफर जो थका देने वाला था एक जगह गाड़ी रोककर शान्जल खान के कजिन ने स्टेरिंग उसके हवाले कर दिया और खुद उतर कर दूसरी गाड़ी में आराम करने के लिए चला गया अब वह अकेली उसके साथ गाड़ी में थी पता नहीं क्यों उसकी नंदे उसे आराम से लेटने को कहकर उतर गई थी सफर लंबा था आराम से कमर सीधी कर सकती थी मगर यूं अकेले उसकी मौजूदगी में लेटना उसे अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए वह सर झुकाए बैठी रही वह भी खामोशी से ड्राइविंग कर रहा था गाड़ी एक झटके से रुकी तो वह चौंक कर सीधी हो गई वह दरवाजा खोलकर नीचे उतरा और फिर उसकी तरफ का दरवाजा खोलकर उसे नीचे उतरने के लिए सहारा देने की वजह से अपना हाथ थमा दिया हैरान परेशान झिझकते हुए उसका हाथ थाम कर मुश्किल से भारी भरकम लहंगे को संभालती वह नीचे उतर आई उसके स्वागत के लिए ना नंन्दे थी न सा.. नहीं फुल हाथ में थामे लड़कियां.. उसे एकदम डर सा महसूस हुआ इतनी खामोशी इतनी वीरानी खुदाया खैर करे यह क्या हो गया है हो गया है उसने घबराकर दिल थाम लिया शान्जल खान उसकी हैरत भरी कैफियत से बनियाज़ उसे लिये हुए एक गली में जा घुसा था मारे हैरानी वह परेशानी के उसकी घिग्घी बन्ध गई थी यह कहां आ गए थे यह कौन सी जगह थी किसका घर था सब लोग कहां रह गए कितनी लंबी चौड़ी बारात थी हजारों औरतें थी और वह शान्जल के साथ क्यों अकेले इस वीराने में लाई गई थी शान्जल के हाथ में दबा उसका हाथ बिल्कुल ठंडा हो रहा था वह मजबूती से उसे थामे दरवाजा खोलकर अंदर ले आया.... छोटा सा कमरा कच्ची मिट्टी का फर्श उसकी बरदाश्त जवाब दे गई थी एक झटके से उसने अपना घूंघट उलटते हुए शान्जल खान की तरफ देखा और दूसरे ही लम्हे शान्जल के चेहरे पर पड़ी उसकी आंखें खतरनाक हद तक फैल गई थी चेहरा सफेद हो गया वह सर से पांव तक कांप उठी...... '' तुम........ त.. त्त.. तुम... तुम...... तुम, वह बिना सोचे समझे बोल रही थी .....' कक...क... कौन हो तुम' अपना हाथ छुड़ाकर तेजी से कोने की दीवार से जाकर लग गई थर-थर कांपते हुए उसके ज़हन में पहला ख्याल यही आया कि उसे किडनैप कर लिया गया है...
'मैं आपका शौहर हूं मैडम आपके चेहरे पर डर और खौफ क्यों है' वह मुस्कुराते हुए कह कर आगे बढ़ा... 'खबरदार जो एक कदम भी आगे बढ़ाया.... तुम तुम झूठे धोखेबाज़ तुम... तुम झूठ बोल रहे हो तुमने बदला लेने के लिए मुझे किडनैप किया है मैं जान दे दूंगी मगर तुम्हारे गलत इरादों को पूरा नहीं होने दूंगी '' '....…. वह कांपते हुए चिल्ला कर बोली...' अरे यह तुम क्या कर रही हो मैं शान्ज़ल हूं तुम्हारा शौहर'... तुम्हारी मेरे साथ शादी हुई है और यह कपड़े तो तुम पहचानती हो ना तुम्हारी मां ने यानी मेरी सास ने मेरे लिए खरीदे थे और तुम्हारी पसंद के भी थे अगर अभी यकीन नहीं आता तो यह रहा सर्टिफिकेट लो पढ़ लो '..... अपनी जेब से शादी का सर्टिफिकेट निकाल कर उसे दिखाया और वह डरी हुई पागल बनी हैरान खड़ी हिना के करीब आकर उसकी आंखों के आगे लहराया वह शादी का सर्टिफिकेट तो क्या देखती आंखों के आगे धुंध सी छा रही थी हां लेकिन जो कपड़े शान्ज़ल ने पहने हुए थे उन कपड़ों को वह अच्छी तरह पहचानती थी उनके यहां दूल्हा दुल्हन के घर आता है तो दुल्हन वालों की तरफ से जो कपड़े मिलते हैं उनमें से कपड़े जरूर पहनते हैं और वापसी उन्हें कपड़ों में होती है अभी वह यही कपड़े पहने हुए था उसका सर घूम गया यह सब क्या था...।
'प्लीज.. प्लीज यह सब मुझे बता दो और नहीं तो मेरा दिल बैठा जा रहा है मैं पागल हो जाऊंगी यह क्या हो रहा है क्या हुआ है मुझे प्लीज बताओ'.. वह घबराकर चिल्ला उठी और चीख - चीख कर पागल सी होने लगी थी...
'बताता हूं.. बताता हूं.. सब कुछ बताऊंगा पहले तुम यहां आराम से बैठ तो जाओ सब कुछ सच-सच बता दूंगा'.....
उसने मुश्किल से अपने आप को संभाला और बान की खुरदुरी चारपाई पर एक कोने में टिक गई जैसे उसकी बात सुनकर यहां से भाग जाएगी वह हंस पड़ा... 'हां तो बेगम साहिबा तुम सब कुछ जानना चाहती हो तो सुनो मैं शान्ज़ल खान.. शान्ज़ल खांन ट्रांसपोर्ट कंपनी का एक मामूली ड्राइवर हूं शान्ज़ल खान के फादर अहमद साहब मुझे अपने बेटे जैसा ही समझते हैं और मुझे प्यार भी बहुत करते हैं उनका बेटा शान्ज़ल खान मेरा हम नाम है जिसे तुमने फोन करके मुझे नौकरी से निकलवाने का हुक्म दिया था और उस वक्त तुम्हारी बेरहमी और संग दिली पत्थर दिली देखकर मैंने फैसला कर लिया था कि तुम्हें दूसरे की रोजी-रोटी छीन्ने का मजा जरूर चखाऊंगा तुम गरीबों को ना पसंद करती हो ना तुम्हें भी ऐसी ही जिंदगी गुजारने के काबिल बना दूंगा की तुम याद रखोगी और फिर मैं और मेरे मंसूबे बंदी कामयाब रही आज तुम यहां मेरे छोटे से कच्चे घर में मेरी बीवी बन कर बैठी हो'.....
उसका एक-एक जुमला जहर में मुझे तीर की तरह कलेजे में उतर रहा था वह उसे बदला लेने के लिए ब्याह लाया था मगर उसके बाप मां कैसे मान गए थे और वह उसकी सोच को पढ़ रहा था मैं जानता हूं तुम क्या सोच रही हो जो लोग खेल खेलते हैं वह चाल चलने से अच्छी तरह वाकिफ होते हैं शान्ज़ल खान साहब को मैंने एक झूठी कहानी सुनाई कि तुम और मैं एक दूसरे को बहुत चाहते हैं एक दूसरे से मोहब्बत करते हैं और हमारे बीच दौलत की दीवार सबसे बड़ी रुकावट है तुम्हारे मम्मी पापा कभी भी एक ड्राइवर को अपना दामाद बनाना पसंद ना करते और शान्ज़ल खान 3 महीने के लिए युरोप गया हुआ है तो मैं उनका बेटा बन गया नाम की भी प्रॉब्लम ना हुई क्योंकि वह मेरा हम नाम है और मेरी तरफ से गार्जियन भी शान्ज़ल खान के मां-बाप ही थे मां-बाप का रोल भी वही अदा कर रहे थे आसिया बाजी रजिया बाजी अपनी बहनों की तरह मोहब्बत करती है मुझे उन्होंने हक़ अदा कर दिया तुम्हारे मां-बाप के हम पल्ला सब काम करके और मेरे मां-बाप का एक मकान था वह मैंने बेच दिया और कुछ शान्ज़ल खान साहब ने भी मदद कि आखिर को मैं उनके वफादार ड्राइवर था'' वह बोले जा रहा था.. और वह दम साधे उसकी बात सुन रही थी बेयक़ीनी लगातार थी..।
'बकवास झूठ यह कैसे हो सकता है सब लोगों ने हमें धोखे में रखा फ्रॉड किया मैं नहीं मानती तुम झूठ बोल रहे हो,,
गुस्से से चीख़ उठी...
' धीरे बोलो यह गरीब शरीफ लोगों का मोहल्ला है कच्ची मिट्टी की दीवारें पक्की ईंटों की दीवारों की तरह आवाज नहीं दबा सकती तुम्हें यकीन है कि नहीं है तो ना सही मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता मुझे तुम्हें हासिल करना था सो कर लिया और इतनी खूबसूरती से सारा मंसूबा बनाया की कोई पहचान न सका तुम्हारे घर वाले मुझे शान्ज़ल खान समझते रहे और वह दो मोहब्बत भरे दिलों को मिलाने ने के लिए जो मैं कहता गया वह करते गए'..... वह इतने मजे से कह रहा था कि उसकी आंखों से चिंगारियां निकलने लगी।
' 'तुम... घटिया.. घटिया इंसान मैं तुम्हें पुलिस के हवाले कर दूंगी मेरे पापा तुम ऐसी सजा देंगे कि तुम उम्र भर याद रखोगे एक-एक को देख लूंगी जो भी इस प्लानिंग में शामिल है सबको उल्टा लटकवा दूंगी तुमने मेरी ताकत का गलत इस्तेमाल किया मैं तुम जैसे दो टके के आदमी को 1 मिनट में औकात याद दिला दूँगी... वह जैसे पागल हो गई थी सब कुछ भूल गई थी जो मुंह में आ रहा था कहे जा रही थी शान्ज़ल खान अपने पर ज़ब्त किए बैठा था शान्ज़ल को उससे भी बढ़कर गुस्से की उम्मीद थी इसलिए सब सुन रहा था..।
'' मैं यहां नहीं रहूंगी मैं जा रही हूं... मैं अभी अपने घर वापस जाऊंगी'' .....
वह पागलपन में घर से बाहर दरवाजे की तरफ भागी मगर आधे रास्ते में ही शान्ज़ल ने मजबूत हाथों से उसका बाजू जकड़ लिया.. और सख्ती से उसे खींच लिया..।
'' बस.... बहुत बोल लिया तुमने और बहुत सुन लिया मैंने बहुत बोलती हो तुम अब संभल जाओ कहां जा रही हो तुम यहां से एक कदम भी बाहर निकाला तो टांगे तोड़ दूंगा तुम्हारी''..... उसने गुस्से से उसे जताया.... '' छोड़ो मुझे मैं लानत भेजती हूं तुम पर''
वह आपे से बाहर हो रही थी...।
चटाख़..... शान्ज़ल खान ने भरपूर हाथ उसके नाजुक गाल पर रसीद कर दिया वह बहुत बर्दाश्त कर रहा था मगर उसकी बातें बर्दाश्त की सारी हदें पार कर चुकी थी वह चीखती चिल्लाती एकदम खामोश और बर्फ की तरह जमकर फटी फटी नजरों से उसे देख रही थी उसको तो तारे नजर आ गए थे जिसे कभी फूलों की छड़ी से भी नहीं छुआ गया था आज भी पहली बार वह भी इस खूबसूरत रात में जब आंखो में हजारों सपने सजे होते हैं तो उसके नाजुक गाल पर इतना भारी हाथ पड़ा कि उसका गाल दहक उठा....।
'' बहुत सुन लिया मैंने और नहीं सुनूंगा एक जानवर और जाहिल भी इससे ज्यादा बुरा सुलूक कर सकता है अपनी ज़ुबान काबू में रखो तुम कुछ नहीं कर सकती याद रखो आज ही हमारी शादी हुई है और मैं यह बात नहीं भूला हूँ.. मुझे मेरे हक से कोई नहीं रोक सकता समझी.. बैठो आराम से''.. .. उसने उसे चारपाई पर धकेल दिया और वह पलटी जैसे नीचे स्प्रिंग लगे हुए हैं.....
'' यह जगह है लखनऊ से बहुत दूर और तुम्हारे लिए बिल्कुल नई जगह है हम अपने घर में हैं यह बात सारे लोग जानते हैं इस मोहल्ले के सब लोग जानते हैं कि मैं तुम्हें ब्याह कर लाया हूं यहां सब औरतें तुम्हारे आने की खुशी में सरशार हैं अगर बारात में देर ना होती तो यह सब हमारा स्वागत करते इसलिए बेकार शोर मचाने से कोई फायदा ना होगा इससे अपने ही बेइज्जती होगी और उसके अलावा कुछ हासिल नहीं होगा और वैसे भी तुम्हारे घर वाले तुम्हें फॉरेन टूर पर गया हुआ समझ रहे हैं ''.......
उसके दिल में एक धमाका हुआ कितने इंतजाम और मंसूबों के साथ उसे उस आदमी ने ट्रैप किया था हिना को आसिया और रजिया की बातें भी शक भरी लग रही थी अब समझ में आ रही थी वह बार-बार शान्जल का नाम ले लेकर क्यों छेड़ रही थी हालांकि ऐसा कोई मामला भी नहीं था उन्हें दूसरी ही कहानी सुना रखी थी दोनों खानदान को किस तरह बेवकूफ बनाया गया था उसे असली शान्जल खान साहब और उनकी फैमिली पर भी गुस्सा था किस कदर घटिया लोग थे और चालबाजी में अपने मिसाल आप थे हवा तक न लगने दी और मम्मी पापा भी सिर्फ दौलत ही देखकर खुश हो गए थे बाकी पूछताछ और मालूमात करना उन्होंने जरूरी नहीं समझा जल्दबाजी का काम ऐसा ही होता है।
तमाम वाक्यात की कड़ियां अपने आप ही जुड़ती चली जा रही थी उसने कराह कर सर दोनों हाथों में थाम लिया इस कदर भारी हाथ पड़ा था कि दिमाग अभी तक चकरा रहा था गाल सनसना उठा था। बहुत तेज दर्द से उसके आंसू बह निकले कितना बुरा हुआ था उसके साथ कितना बड़ा धोखा फ्रॉड और इतने बड़े अंदाज से प्लानिंग करी गई थी अकेले उस आदमी की मेहरबानी पर जो काफी बेरहम और जालिम था जो बदला लेने के लिए उसे बीवी बनाकर ले आया था जैसे-जैसे वह सोच रही थी डर और खौफ ज्यादा बढ़ता जा रहा था शान्जल खान चुपचाप बैठा उसे बुरी तरह रोते हुए देख रहा था दिल यह चाह रहा था कि उसे सब सच बता दे अपने से लगाकर मगर उसकी यह हालत देखी नहीं जा रही थी लेकिन उसे तो अभी ज़ब्त करना ही था हर सूरत खुद को उस छुपाना ही जरूरी था कि वह संभल सके सीधे रास्ते पर जा सके।
तब शान्ज़ल खान ने उससे कहा'' देखो अपने आप को संभालो इस सूटकेस में तुम्हारे कपड़े हैं वहां सहन में बाथरूम में जाकर कपड़े चेंज कर लो''... वह उसे कहकर बाहर निकल गया अब वह अकेली थी कमरे में और भी तेजी से फूट-फूट कर रोने लगी कुछ समझ में नहीं आ रहा था भरोसे और इरादों के बीच लटकी हुई थी उसे पूरा यकीन था कि सुबह जरूर यहां से चली जाएगी क्योंकि उसे लेने घर से कोई ना कोई जरूर आएगा और जब वह यहां नहीं मिलेगी तो मम्मी पापा उसके बारे में पूछेंगे जरूर और इस तरह उसे तलाश कर लिया जाएगा शान्ज़ल को उसकी मक्कारी और झूठ बोलकर काम निकालने के लिए और गुस्से का बदला लेने के लिए की सजा जरूर दिलवाएगी कि वह याद रखेगा पता नहीं उसका इतना कीमती जहेज़ कहां रखा गया था उसकी तो एक चीज भी इस घर के लायक न थी उसके तो सर्वेंट क्वार्टर भी इस कच्चे मकान से अच्छे थे।
रह-रह कर उसे बुरी तरह रोना आ रहा था बहुत देर तक वह ऐसे ही बैठी रही एक लंबा थका देने वाला सफर और ऊपर से जोरदार तमांचा खौफनाक हालात.. वह अपने को बरसों की बीमार और निढाल महसूस कर रही थी.. तभी दरवाजा खुला और शान्ज़ल खान ट्रेन में खाने का सामान उठाए अंदर आया उसने उसे उसी हालत में बैठे देखा और फिर खाने के बर्तन लकड़ी के तख्त पर रखकर उसकी तरफ मुड़ा... '' देखो हिना इस तरह तुम जिद करके सारी उम्र नहीं गुजार सकती जिद और जबरदस्ती को छोड़ो कुछ खा लो लड़ने के लिए ताकत का होना जरूरी है और ताकत भूखे रहने से नहीं आती चलो आओ शाबाश खाना खाओ'' वह नरमी से कहता हूआ उसकी तरफ बढ़ा फिर भी हिना लापरवाही से बहरी बनी बैठी रही और बैठी बैठी जमीन को घूरती रही शान्ज़ल खान ने कुछ देर अपने को ठहराए रखा फिर यह सोचकर कि उसे सर चढ़ाने से नुकसान ही होगा एक दूसरी चारपाई पर बैठकर खाना खाने लगा उसने एक बार भी सिर उठाकर उसकी तरफ नहीं देखा खाना खाकर वह हाथ धोने बाहर निकल गया और वापस आकर उसने बर्तन वहीं रख दिए और खुद बगैर कुछ कहे चारपाई पर आकर उसकी तरफ से पीठ कर ली... बहुत देर बाद उसने पलट कर करवट बदली तो उसे देखकर वह चौंक उठा.. वह तकिए पर औंधी लेटी हुई थी दोनों पांव नीचे लटक रहे थे एक बाजू भी नीचे लटक रहा था दुपट्टा बुरी तरह गर्दन के चारों तरफ उलझा हुआ था वह चुपचाप उठा और उसका बाजू तकिये पर रखा फिर दुपट्टा गर्दन से उतारा.. पता नहीं वह कितनी मदहोश गहरी नींद में सो रही थी कि उसे मालूम ही नहीं हो पा रहा था फूलों की तरह उसने दोनों हाथों पर उठाकर चारपाई पर लिटा दिया उसके आंसू गालों पर जम गए थे वह सोते में भी सिसकियां ले रही थी भीगी-भीगी पलकें उसके दिल पर कयामत ढा रही थी.. जी चाहा झुककर उसकी पलके सुखी कर दे अगर वह जरा सा भी लचकदार तरीका रखती तो आज उसकी ये हालत ना होती... धीरे-धीरे उसका ज़ेवर उतारते हुए ईमान कई बार डगमगाया... वह अपना हक भी रखता था हालांकि उसे रोकने वाला कोई न था उसकी अपनी प्यारी बीवी और फिर रात की तन्हाई मगर वह खुद को कंट्रोल कर रहा था वह धोखेबाज तो उसकी नजर में था ही ख़यानत करने वाला नहीं कहलाना चाहता था....
उसे काफी हद तक आराम देह कमरे में लाकर वह बाहर आ गया उसे तेजी से प्यास महसूस हो रही थी आग सीधी दिल में महसूस हो रही थी..।
खुले सहन में पड़ी चारपाई जो खुरदुरी पड़ी थी बिछाकर वह लेट गया रात अच्छी खासी ठंडी थी बहुत देर तक उसकी सोच हिना की तरफ भटकते रही और फिर न जाने कब वह गहरी नींद सो गया...।
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सुबह दरवाजा बहुत जोरदार अंदाज में बजाया जा रहा था उसने कसमसा कर करवट बदली और अधखुली आंखें पूरी खुल गई हैरत से खुद को और चारों तरफ कमरे को देखा.. वह रात को चारपाई पर बैठे-बैठे ही सो गई थी दिमाग सोच सोच कर इतना थक गया था कि वह अपने पर कंट्रोल ही ना कर सकी और मदहोश हो गई उसने अपने ऊपर काली और सफेद वाली गर्म चादर को देखा.. उसे इस बिस्तर पर कौन लाया और उसका जेवर उसकी नजर मेज पर जा पड़ी.. सारा जेवर रखा था एकदम ही दिल उछलकर हलक में आ गया एक ख्याल ने उसे चकरा दिया... वह कमरे में नहीं था उसने अपनी हालत पर ग़ौर की.. फिर उसे तसल्ली हुई उसी वक्त दरवाजा खोलकर शान्ज़ल खान अंदर आया शायद गहरी नींद से उठा था आंखें मसल रहा था '' तुम उठ गई हो'' उसने कहा '' चलो अब मुंह धो लो हमारा नाश्ता आ गया है भाभी भी आ गई है'' वह उसे खबर देकर दोबारा दरवाजे की तरफ हुआ '' आओ भाभी आओ रुक क्यों गई'' दरवाजे से एक दुबली पतली औरत ट्रे उठा अंदर आए तो वह खुद में सिमट गई और वहीं बैठी रही वह मेज पर बर्तन रखकर उसकी तरफ पलटी गुड मॉर्निंग हिना कैसी हो भई रात तो हम लोग बहुत देर तक इंतजार करते रहे मगर तुम लोग आए ही नहीं मजबूर होकर घर जाना पड़ा बहुत शर्मिंदा है दुल्हन को ऐसे ही बिना इस्तकबाल ही घर आना पड़ा वह अच्छी खासी बातूनी लग रही थी वह क्या जवाब देती चुपचाप नजरों को झुकाए बैठी रही '' आओ मैं तुम्हारा मूंह धुलवा दूं भाभी उसका हाथ थामने को आगे बढ़ी मगर उसने नजरअंदाज करते हुए अपने लहंगे को संभाल कर खुद ही नीचे कदम रखा शान्ज़ल खान गौर से उसे देख रहा था उसका यही अंदाज था मगर वह उसे देख ही कहां रही थी।
रिया भाभी एक तरफ हो गई वह धीरे-धीरे चलती हुई सूटकेस की तरफ आई सूटकेस खोलकर एक हल्का सा कॉटन का सूट निकाला उसे सिल्क के कपड़े पसंद नहीं थे इसलिए ज्यादातर लिबास कॉटन के पहनती थी.. वह अभी तक चुप थी कपड़े निकाल कर पलटी तो रिया भाभी ने उससे कहा आओ मैं बाथरूम ले जाती हूं वह चुपचाप उनके पीछे चल दी...।
कच्चे सहन के बाथरूम का रास्ता मगर बाथरूम थोड़ा ठीक था हालांकि उसके घर जैसा नहीं था बाल्टी पानी से भरी रखी थी साबुन तौलिया भी मौजूद था नहाने के बाद उसकी तबीयत की सुस्ती बदन से निकल गई गीले बालों को रगड़ते हुए तौलिया हाथ में लिए बाथरुम से निकली और कमरे में आ गई..। रिया भाभी मुस्कुराते हुए कमरे का सामान ठीक तरह से सजा रही थी और शान्ज़ल से बातें भी करती जा रही थी..।
'' आओ हिना आओ बैठो वह हैरानी से उन्हें देखती चारपाई पर बैठ गई रिया भाभी को उसका नाम भी मालूम था रिया ने हैरत भांप ली थी मुस्कुरा कर बोली भाई शान्ज़ल ने तुम्हारे बारे में इतनी सारी बातें बता रखी है नाम भी इसीलिए मैं जानती हूं सुबह शाम तुम्हारा ही जिक्र होता था असल मजनू के बाद यह शान्ज़ल दूसरा मजनू बना हुआ था बहुत खुशकिस्मत हो तुम इतना प्यार करने वाला शौहर मिला है खुदा तुम्हें सदा सुहागन रखे''.......
वाकई वह बहुत बोलती थी खूब हंस-हंसकर सारी कहानी बता दी इसी बीच हिना ने शान्ज़ल पर निगाह डाली और गुस्से से बल खाकर खामोश रही वह उसकी हालत से फायदा उठा रहा था।
'' चलो शुरू हो जाओ इससे अच्छा नाश्ता यहां नहीं मिल सकता और मैं औरतों के नखरे उठाने का कायल नहीं हूं'' उसका बर्ताव अपने आप सख्त हो गया उसकी हठ उसे गुस्सा दिला गई हिना ने गुस्से से कहा '' मैं तुम जैसे आदमी से नखरे उठवाना अपनी तौहीन समझती हूं''....... वह ऊंची आवाज और गुस्से और घमंड से बोली उसे इन लफ्जों पर बहुत गुस्सा आया और वह इन्हें ज़ब्त न कर सका। ऐसी बेहिस लड़की शर्म ना एहसास ना गुफ्तगू का सलीका उसके माहौल से बहुत अलग था।
वह चुपचाप खाना खाता रहा रिया भाभी थरमस में चाय और ट्रे में प्यालिया रख कर ले आई भाभी मुझे एक कप चाय दे दो शान्ज़ल ने नाश्ता कर लिया था रिया भाभी ने चाय का कप बढ़ाते हुए उसकी तरफ देखा वह इसी तरह बैठी थी। '' अरे हिना तुमने नाश्ता नहीं किया.. क्या पसंद नहीं आया कुछ मुझे बता दो जो कुछ खाती हो मैं वही बना लाती हूं'' वह हैरत से उसे यूं हाथ बंधे मुंह बनाए देखकर बोली। '' अरे नहीं भाभी यह सब खा लेती है बस घर वालों की याद में इस तरह उदास बैठी है चलो हिना फिक्र ना करो दुखी होने की कोई बात नहीं हम जल्दी ही तुम्हारे घर वालों से मिलेंगे जाकर।
शान्ज़ल खान बड़ी नरमी से कह रहा था हिना ने बड़े हैरत ज़दा अंदाज में उसे देखा।
'' हां भई हम है ना तुम्हारे पास और अभी फौजिया और नाजिया भी आ रही हैं तुम्हारा दिल हो बहल जाएगा चलो मेरी अच्छी बहन कुछ खा लो''...... वह प्यार से उसके कंधे पर हाथ रखकर बोली शान्ज़ल खान गौर से उसे देख रहा था एकदम उठ खड़ा हुआ अच्छा भाभी आप इसका ख्याल रखिए मैं कुछ काम निपटा कर आ रहा हूं।
'' आज के दिन भी तुम्हारे काम खत्म नहीं हुए हद करते हो जल्दी आना''
शान्ज़ल को भाभी ने डांटा तो वह हंसते हुए बाहर निकल गया उसके जाने के बाद भाभी के बहुत कहने सुनने के बाद उसने नाश्ता शुरू किया उसने भी सोच लिया था कि खाएगी नहीं तो मुकाबला कैसे करेगी और रात को उसने अपने को काफी तसल्ली दी थी कि आज के दिन ही तो यहां रहना है फिर तो उसे जाना ही है कल तक कोई ना कोई जरूर उसे लेने आएगा और इसी बात ने उसे सोने की हिम्मत दिलाई और हौसला जगाया नाश्ता उसने अच्छी तरह किया बहुत बढ़िया तरह के बने हुए पराठे थे शायद उसे भूख की वजह से अच्छे लगे थे बहरहाल दो कप चाय पीकर उसे सुकून मिला था सर का दर्द भी ठीक हुआ था वह बालों को सुलझा ही रही थी जब फोजिया और नाजिया आ गई वह दोनों नौजवान प्यारी सी लड़कियां थी चहकते हुए अन्दाज में हुए उससे मुखातिब हुई थी।
वह बहुत कम बोल रही थी उसकी तबीयत को देखते हुए दोनों जल्दी ही उठ गई और वह दोबारा चुपचाप लेट गई इंतजार का एक-एक पल भारी था आज का दिन था या फिर शायद आज की रात इस क़ैद खाने में थी वह कल अपने घर पहुंच जाएगी वह यही सोच रही थी। रात भर की जगी तो न थी मगर आराम में भी न थी सो वह सो गई और जब रात को उसकी आंख खुली तो शान्ज़ल खान मौजूद था वह दूसरी चारपाई पर लेटा हुआ था आंखें खुली थी उसने करवट जब बदली तो शान्ज़ल ने मुस्कुरा कर पूछा कैसी हो बहुत देर से सो रही थी वह चुप थी पता नहीं क्यों खामोश थी शान्ज़ल को उसकी हरकत पर बहुत गुस्सा आया था। '' नाराज हो क्या'' वह उसके नजदीक आकर उसके बालों को छूने लगा इन हरकतों पर उसे जैसे बिजली का करंट लग गया बुरी तरह हाथ झटक कर उसने उठना चाहा मगर वह मर्द था हक भी रखता था मिनटों में वह उसके कब्जे में थी रोना तड़पना चिल्लाना सब बेकार साबित हुआ। आज भी उसने रो रो कर बुरा हाल कर लिया था सुबह तक वह रोती रही और वह मज़े से सोता रहा।
न जाने कितनी बद्दुआ दी थी उसने उसे सिर्फ एक इस बात पर बर्दाश्त कर रही थी कि आज कोई ना कोई जरूर आएगा उसे लेने मगर जब रात भी ढल गई कोई ना आया तो उसे शान्ज़ल की कही एक-एक बात सच लगी वह अपने ख्यालों में घूम बैठी थी जब शान्ज़ल ने उसे बुलाया और उसका नाम पुकारना गजब हो गया।
'' नफरत है मुझे... तुमसे नफरत है... मुझे आजाद कर दो... मुझे जाने दो मैं तुम्हारे साथ नहीं रहना चाहती मुझे छोड़ दो... वह इतनी तेजी और फैसला कुन अंदाज में कह रही थी कि लम्हा भर को शान्ज़ल का दिल भी रुक गया उसकी चुप्पी जिस आंधी की पहचान थी वह आ चुकी थी। वह रो रही थी उसका बस चलता तो वह शान्ज़ल को जान से मार डालती बहुत नफरत थी उसे इस आदमी से इस बंद कमरे में रहते रहते उसे बहुत नफरत हो गई थी वह तो आजाद तितली थी अपनी मर्जी की मालिक थी। हुकुम के गुलाम हर वह काम को करने के लिए इंतजार में खड़े रहते थे वह इस नापसंद आदमी के साथ नहीं रह सकती थी ज्यादा दिन तक।
उसने सोच लिया था वह खुद मर जाएगी या उसको मार देगी और वह मौके की तलाश में थी कि वह किसी भी तरह से अपने बाप को फोन कर दे यह खुद किसी के साथ अपने घर चली जाए वह अजनबी जगह के अंजान रास्ते से कोई जानकारी भी नहीं रखती थी रिया भाभी फौजिया नाजिया मासी सभी शान्ज़ल की तरफदार थी।
वह तो गुरुर भरे तरीकों के बावजूद भी शान्ज़ल की मोहब्बत में चली आती थी। सुबह शाम का खाना भी रिया भाभी ही लाती थी।
उसे एक हफ्ते से भी ज्यादा हो गया था आए हुए और इस बीच रोने के अलावा कुछ नहीं किया था उसने। घर और घर के काम सब भुलाए बैठी थी जब शान्ज़ल ने उसे दो टुक लफ्जो में कहा... '' 'सुनो बहुत ऐश कर लिए तुमने यहां तुम्हारे बाप के नौकर नहीं है कि तुम आराम से पड़ी सोती रहो और पका पकाया मिल जाए और खाती रहो आज से अपना घर संभालो मैं जरूरत की कुछ चीज़े ले आया हूं किचन मौजूद है तुम देख लो बाकी जो कमी हो मुझे बता देना' '
वह बोल रहा था और वह हैरत से बुत बनी खड़ी उसे देख रही थी।
'' मैं... मैं.... पकाऊंगी मैं.... उसने अपनी तरफ इशारा करके हैरानी से पूछा...
'' हां.... हां... तुम पाओगी... तुम नहीं तो भूखी मरोगी मेरा क्या है मैं तो बाहर ही कुछ खा लूंगा''
वह बड़े मजे से कह कर चला गया उसने गुस्से से पैर पटके '' माय फुट मैं भूखी मर जाऊंगी मगर किचन में नहीं जाऊंगी नहीं तो उसे आदत हो जाएगी मुझे नौकरानी समझ रखा है''
वह भी अपने मिजाज की एक थी उसने पकाना तो दूर देखा तक नहीं कि वह क्या लाया है दोपहर से शाम हो गई कोई भी तो नहीं आया था रोजाना रिया भाभी फौजिया और नाजिया में से कोई ना कोई जरूर चक्कर लग जाती थी और बावजूद नफरत के उसे उनकी आदत हो गई थी जब वह आती तो कोई ना कोई चीज खाने की जरूर लेती आती थी अब नया मसाला खड़ा हो चुका था सुबह से अब तक वह कई बार रो चुकी थी भूख ने अलग सता रखा था रात को शान्ज़ल आया तो उसने उसे उसी तरह बैठे देखा तो अफ़सोस से सिर हिला कर रह गया वह बहुत जिद्दी थी मगर उसका वास्ता भी शान्ज़ल खांन जैसे आदमी से पड़ा था जो ऐसे जिद्दी और सरकश लोगों की ज़िद दूर करके सुधारना जानता था...।
आज वह बहुत उदास था सारी रात बेचैनी और बेक़रारी में सो नहीं सका था कल उसे हिना को लेकर उसके घर जाना था और यह इरादा कर लिया था कि अगर वह उसकी असल हकीकत जानकर उसके साथ रहना चाहेगी तो वह कबूल नहीं करेगा यही सब करना था तो इतना बखेड़ा इतनी मुसीबत मोल लेने की क्या जरूरत थी बात तो वही की वही रही उसे इस तरह की दौलत की पुजारी जाहिर आराम में ऐश आराम की तरफ जान छिड़कने वाली लड़कियां पसंद नहीं थी हां एक अफसोस था जो दिल को काटे जा रहा था कि वह उसकी चाहत थी और उसे अपनी मोहब्बत पर बहुत ही यकीन था मान था अपनी शख्सियत पर गुमान था उसे अपने प्यार की सच्चाई पर पूरा यकीन था कि उसे वह बदल देगा सीधे रास्ते पर ले आएगा मगर यहां तो वहीं ढाक के तीन पात थे।
उसकी उदासी और बेचैनी देखकर वह खुद को मुजरिम समझता था अपनी मर्जी से जिंदगी गुजारने का हक सबको हासिल था अपनी हद तक तो उसने कोशिश की ही थी अब मुकद्दर में उसका साथ नहीं था।
'' हिना हम कल यहां से तुम्हारे घर जाएंगे सुबह तैयार रहना''
बहुत हैरानी से वह उसे देख रही थी ना खुशी ना गम अजीब बे असर सा चेहरा था यह बात सुनने को तो उसके कान एक अर्से से तरस रहे थे कई रातें जागकर उसने ख्वाहिश की थी रो रो कर दुआएं की थी किसी तरह वह वापस अपने घर चली जाए और वह खबर सुना रहा था तो पता नहीं दिल खुश क्यों नहीं था चार महीने की नजदीकी ने उसे शान्जल खान का आदी बना दिया था शायद इसे ही मोहब्बत कहते हैं उसे शान्ज़ल खान का अंदाज उसके जुमले उसका चेहरा उदास कर गया पता नहीं क्यों दिल एकदम बुझ गया था इतनी बड़ी खुशखबरी जिसका बेचैनी से इंतजार किया था दिल को बहला ना सकी दिल में हौल से उठ रहे थे उसकी जुदाई का सोचकर ही दिल कांप गया था उसने खुद को लानत मलामत की अपने पहले वाले मिजाज को याद करके अपने अंदर की हिना को आवाज दी।
'' हिना तुम इतनी घटिया क्यों हो गई हो इतनी सस्ती हो गई हो कि एक ड्राइवर अनपढ़ दो कौड़ी के नौकर से दिल लगा लिया वह धोखेबाज मक्कार है आदमी अपना बदला लेने के खातिर तुमसे शादी करके तुम्हें यहां ले आया अब तुम्हें रिहाई दे रहा है तुम इस पर अपने को निछावर कर रही हो लानत है तुम पर छोड़ दो उसे जी भर जाने के बाद तुम्हें अलग कर रहा है लानत है तुम पर छोड़ दो उसका ख्याल छोड़ दो उसका साथ निकाल फेको इसे दिल से अगरचे मना करने वाली ताकत जोरआवर होती है मगर यह आसमानी रोशनी इतनी जल्दी बुझने वाली न थी सारी रात वह जगती रही सोचती रही और सुबह अज़ान की आवाज सुनकर चौंक कर उठी वुज़ू करके नमाज पढ़ी बहुत देर तक वह जाय नमाज़ पर बैठकर रो-रो कर दुआ मांगती रही और सही फैसले की हिदायत मांगती रही और यही उसकी नेकी खुदा के साथ पर भरोसा था कि एक फैसला करके सो गई बंद आंखों से वह पुर सुकून थी शान्जल ने उसे देखा तो उसके दिल का दर्द तेजी से जाग उठा वह उसके आइडल के मुताबिक ढल गई थी पांच वक्त नमाज पढ़ती खाना खुद बनाती और खाना भी बहुत अच्छा बनाने लगी थी घर का काम खुद करती उसने कभी अपने घर झाड़ू को हाथ नहीं लगाया था अब वह खुद सफाई करती थी कभी बर्तन नहीं धोए थे अब नल से पानी भरकर बर्तन धोती थी उसके हालात आदत और तरीकों में भी बहुत बदलाव आ गया था मोहल्ले की बहुत सी औरतें उसके पास आकर गपशप कर लेती खत वगैरा लिखवाने आ जाया करती थी वह बड़े छोटे की तमीज़ करके वह सब का काम कर देती थी पहले वह किसी से बात भी नहीं करती थी और काम तो दूर की बात क़ुरआनी तालीम का उस पर बहुत अच्छा असर हुआ था।
'' हिना जल्दी से तैयार हो जाओ यहां से 7:00 बजे बस चलती है उसे देखकर वह खड़ा हुआ वह बहुत गौर से उसे देखने लगी फिर मुड़कर बाहर चली गई शान्ज़ल का जी चाहा अभी अपनी मोहब्बत का हवाला देकर उसे जाने से रोक ले मगर किस भरोसे से रोके उसने तो सब कुछ सीखा ही महज़ अपनी रिहाई के लिए था।
इतनी जल्दी सब सीखने का मक़सद जल्दी रिहाई ही तो थी।
'' शान्जल मैं आपसे कुछ कहना चाहती हूं वह नज़रें झुकाए धीरे से बोली उंगलियां मरोड़ती वह बहुत बेचैन नजर आ रही थी।
'' हां.. हां... कहो... ''
वह उससे भी ज्यादा हैरान परेशान था..।
'' आप... वह कुछ कह ना सकी ...
'' वह..... वह.... आपने जो कुछ किया था वह आपका काम था.... आपने झूठ बोला... धोखा दिया... इसलिए आपसे मुझे नफरत थी.... मगर मैंने सारा मामला खुदा पर छोड़ दिया है.... अपनी तरफ से तो मैंने आपको माफ किया... आप भी मेरी बदतमीजी और गुस्ताखियां माफ कर दें..... और अगर आप चाहे तो मैं उम्र भर यहां रहने को तैयार हूं....।
वह क्या कह रही थी शान्जल हैरत से आंखें फाड़ कर उसे देखे जा रहा था।
यह.... यह.... तुम क्या कह रही हो हिना... तुम...... तुम..... होश में तो हो....?
हिना उसकी भरोसे मंदी को समझती थी उसने फिर से उसकी आंखों में झांका।। ।
'' होश में तो अब आई हूं'..
वह धीरे से बोली...
' मगर यह उलट पलट यह बदलाव है... या यह क्या है... नया खेल या... कोई नई चाल...?
'' कुछ भी नहीं बदगुमानी को दिल में जगह न दें... मेरे अंदर मजहब की रोशनी फैली है तो मुझे हर चीज साफ दिखाई देने लगी... मैंने दर्स व तबलीग़ी कामों में लगकर अपनी ज़ात को समझा.... और मुझे बहुत कुछ मिला... मैं तो इससे पहले अंधेरों में भटक रही थी... अच्छाई बुराई को समझने से बहुत दूर थी.... नफ़्स की ताकत मुझ पर हावी थी.... बहुत खतरनाक थी मैं... मगर अब ईमान की रोशनी में अच्छाई बुराई की तमीज कर सकती हूं.... जिस औरत से उसका शौहर नाराज हो गया.... वह औरत खुदा के नजदीक पसंद नहीं की जाती.....।
'प्लीज शान्जल मुझे माफ कर दें वह हाथ जोड़ कर उसके सामने खड़ी थी आंसुओं के कतरे लगातार गिर रहे थे।
और शान्जल तो सर से पैर तक बुत बन गया था।
' 'हिना... तुम..... तुम.... वह.... आगे कुछ बोलना था उसको मजबूत हाथों में जकड़ लिया।
' 'तुम कामयाब हो गई हो हिना... खुदा की तरफ कोई एक कदम चले तो ख़ुदा 10 कदम चलकर आता है तुमने नेकी की राह पर तमाम कदम रखे तो तमाम आसानी तुम्हारे पास चली आई है... तुम इम्तिहान में कामयाब हो गई हो...
ओह मेरे खुदा तेरा लाख-लाख शुक्र है.....।
वह पागलों की तरह बे सोचे समझे बोले जा रहा था खुशी के मारे उसकी हालत दीवानों जैसी हो रही थी वह हैरत से उसे देख रही थी उसने उसकी हैरानी भांप ली थी।
'' आओ तुम्हें सब कुछ बता दूँ अब ज्यादा तंग करके और गुनहगार नहीं होना चाहता'....
उसने उसका हाथ थाम कर अपने करीब बिठा लिया और उसे पूरी कहानी सुना दी वह हैरत और खुशी से सब सुन रही थी।
' इसका मतलब है पापा भी इस प्लानिंग में शामिल थे'......
' 'हां वह भी तुम्हारी आदत से तंग थे... सुधार का कोई तरीका और उनके नजदीक कारगर नहीं था सो मेरी प्लानिंग पर उन्होंने भी मंजूरी दे दी और देख लो तुम्हारे यूं बदलने से कितनों को खुशियां मिलेगी..।
'मगर पिंकी और ज़ारा ने भी मुझे खूब बेवकूफ बनाया मेरी दोस्त होकर भी बेखबर रखा'
वह शिकायत करने लगी ।
'' आप सब जानते थे और आपने मुझे कितना सताया कितना रुलाया बड़े ख़राब है आप'....।
' अरे... अरे.... शौहर से नाराज नहीं होते'.... और उसकी बात सुनकर वह शर्मिंदा सी फिर वापस बैठ गई।
' 'नहीं.. नहीं मैं नाराज नहीं हूं...
उसने खुद उस क़ाबू किया वह अपने सब्र पर काबू ना पा सका और उसे अपने से करीब कर लिया।
' 'हिना सब्र का फल मीठा होता है.......... थोड़ी सी मेहनत करके जो इनाम मिलता है...... वह बिना मांगे मिलने वाली दौलत से लाख दरजे बेहतर होता है......... इसलिए खुदा ने तुम्हारी नेकी के बदले में तुम्हें हर वह चीज दी है..... जिसकी तुम्हें चाहत थी...... तुम्हें पता है..... ईद में सिर्फ कुछ हफ्ते ही बाकी है..... और मैं सब लोगों के ईद के साथ-साथ यह खुशखबरी भी सुनाऊंगा..... दोहरी ईद हो जाएगी '......।। ।
उसने हैरत से कहा....' 'मगर मैं तो ईद को भूल बैठी थी' '.....' 'लेकिन मुझे याद था... और दिल मुरझाया हुआ था... तुमने रिहाई मांगी थी..... मैं वादे का पक्का हूं..... तुम जिस दिलचस्पी से सारा काम सीख रही थी..... मैं सोचता था.... समझता था...... कि तुम कामयाब होकर जल्दी से जल्दी अपने घर जाना चाहती हो..... इसलिए बहुत बेचैन था..... कल पापा फोन पर कह रहे थे अब जल्दी से घर आ जाओ ईद आ रही है और बहू की पहले ईद हम अपने घर मनाएंगे.....। शानदार तरीके से ईद मनाएंगे..। ।
'' हां चलिए मैं भी सब लोगों के बिना बहुत उदास हो गई हूं''
वह जल्दी से बोला तुम सब लोगों से मिल लो मैं कुछ काम निपटा लूं फिर चलेंगे''..। ।
फिर रिया भाभी फौजिया नाजिया सबसे गले मिलते हुए सचमुच बहुत उदास थी यह लोग बहुत खुले दिल के और बहुत प्यार करने वाले थे दौलत और ऐश के समान उनके पास नहीं थे मगर खुशी और सच्चे जज्बों की कमी न थी।
मासी की नसीहत और हुस्न की ए सुलूक ने हिना पर बहुत अच्छा असर किया जिसने उसे एक मिसाली औरत बनाया जिससे उसका शौहर भी खुश था।
वाक़ई खुदा किसी को मायूस नहीं करता भरोसे की कमी इंसान के अंदर होती है..।
सबने उसे बहुत प्यार और रंजीदा होकर रुखसत किया था उन लोगों के बीच रहते हुए उसे उनसे मोहब्बत हो गई थी।।
'' बेगम साहिबा प्लीज खुद को संभाल लें... यह रोना धोना तो बहुत कर चुकी अब मुस्कुरा दें... उसे लगातार आंसू पोंछते देखकर वह हंसते हुए बोला तो वह भी हंस पड़ी...
ज़िन्दगी के सफर में खुदा ने इतनी खुशियां दे दी कि के लिए दामन छोटा पड़ गया...
ख़त्म
The End..🌸💚🌿🍀