shaitaan kuuta in Hindi Thriller by sameer books and stories PDF | शापित कुत्ता

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शापित कुत्ता


शीर्षक: शापित कुत्ता

रात का सन्नाटा था। गाँव के बाहर पुरानी हवेली के पास हवा अजीब तरह से गूंज रही थी। पत्तों की सरसराहट के बीच, कोई कराहने की आवाज़ आती थी — मानो कोई जानवर रो रहा हो। उसी गाँव में रहता था बारह साल का आरव। मासूम, लेकिन बेहद जिज्ञासु। गाँव के लोग कहते थे कि हवेली के पास एक “शापित कुत्ता” घूमता है, जो रात में किसी को दिख जाए तो उसके सपनों में आकर उसे परेशान करता है।

आरव को इन बातों पर पहले हँसी आती थी। लेकिन एक दिन उसके दोस्तों ने उसे चिढ़ाते हुए कहा, “तू तो बड़ा बहादुर बनता है, चल फिर हवेली के पास चल!” आरव ने हिम्मत दिखाने की ठान ली। शाम ढलते ही, वो अकेला टॉर्च लेकर हवेली के पास पहुँचा। चारों ओर अंधेरा था, और एक सड़ी-गली बदबू फैली हुई थी। दीवारों पर बेलें लिपटी थीं, और हवेली के फाटक पर खून जैसे लाल निशान थे।

अचानक उसने देखा — फाटक के पीछे से दो चमकती आँखें उसे घूर रही थीं। वो टॉर्च का प्रकाश उस ओर घुमाता है — एक काला कुत्ता, जिसकी आँखें आग की तरह लाल थीं। उसके शरीर से धुआँ निकल रहा था। आरव का दिल जोर से धड़कने लगा। कुत्ता बिना आवाज़ किए धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ा। डर से आरव पीछे हटने लगा और जैसे ही उसने भागने के लिए मुड़ा — कुत्ता गायब हो गया।

वो किसी तरह घर पहुँचा, लेकिन उसके मन में उस कुत्ते की आँखें बस गईं। रात को बिस्तर पर लेटते ही, उसे लगा कोई उसके कमरे में घूम रहा है। पंखा बंद था, पर ठंडी हवा चेहरे को छू रही थी। उसने आँखें खोलीं — और देखा, वही काला कुत्ता उसके पलंग के पास बैठा है। आरव चिल्लाना चाहता था, मगर आवाज़ गले में अटक गई।

कुत्ते की आँखें उसके भीतर झाँक रही थीं। फिर वह धीरे-धीरे बोलने लगा — “तू क्यों आया था वहाँ? वो जगह तेरे लिए नहीं है…”

आरव डर के मारे कांप उठा। कुत्ता आगे बोला, “मैं इस हवेली का रखवाला था… इंसानों ने मुझे ज़िंदा जला दिया, और अब मेरी आत्मा चैन नहीं पा रही। जो भी उस जगह आता है, मैं उसे चेतावनी देता हूँ…”

अचानक हवा का झोंका आया और सब गायब हो गया। आरव उठ बैठा — पसीने से तरबतर, और उसकी माँ दरवाज़े पर खड़ी थी, “क्या हुआ बेटा, बुरा सपना आया?” आरव कुछ नहीं बोला।

पर अगले दिन से उसकी हालत बिगड़ने लगी। वो कम बोलने लगा, हर वक्त किसी छाया को घूरता रहता। रात में चीख पड़ता, “वो फिर आ गया!” उसकी माँ-पिता परेशान हो गए। उन्होंने गाँव के पुजारी को बुलाया।

पुजारी ने कहा, “यह बच्चा उस शापित आत्मा से जुड़ गया है। उसे मुक्त कराना होगा।”

अगले दिन सब लोग आरव को लेकर उसी हवेली गए। पुजारी ने मंत्रोच्चार शुरू किया। तभी कुत्ता फिर दिखाई दिया — इस बार और भी भयानक रूप में। उसकी आँखों से खून टपक रहा था। आरव की आँखें उलट गईं, और उसने कुत्ते जैसी गुर्राहट की आवाज़ निकाली। सब लोग भयभीत होकर पीछे हट गए।

पुजारी ने पवित्र जल छिड़का और चिल्लाया, “तेरी आत्मा को शांति मिले! यह बच्चा निर्दोष है!”

अचानक तेज़ हवा चली, बिजली कड़की, और कुत्ते की चीख पूरे जंगल में गूँज उठी। आरव बेहोश होकर गिर गया। जब वह होश में आया, सब कुछ शांत था। हवेली के फाटक पर अब कोई निशान नहीं था, और कुत्ते की आत्मा शायद मुक्त हो चुकी थी।

गाँव के लोग कहते हैं, उस दिन के बाद हवेली के पास कोई अजीब आवाज़ नहीं सुनी गई। लेकिन आरव के सपनों में कभी-कभी वो कुत्ता अब भी आता है — इस बार डराने नहीं, बस चुपचाप बैठकर उसे देखता रहता है।

कभी-कभी कुछ शाप अधूरे रह जाते हैं… और कुछ दोस्ती में बदल जाते हैं।