HUM PHIR SE MILE MAGAR ISS TARHA - 2 in Hindi Love Stories by MASHAALLHA KHAN books and stories PDF | हम फिर से मिले मगर इस तरह - 2

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हम फिर से मिले मगर इस तरह - 2

हम मिले फिर से मगर इस तरह - 2

((((((((((((((((ऐपीसोड - 2)))))))))))))))))

{बुरा सपना}

विक्रम से बात करने के बाद वह गाड़ी की  स्पीड़ बढ़ देता है  ,गाड़ी रास्ते पर बढ़े जा रही थी कि अचानक उसे झटका लगता है ये जानकर कि उसकी गाड़ी के बरेक काम नही कर रहे है ,वह गाड़ी रोकने की कोशिश करता मगर रोक नही पाता और गाड़ी फूल स्पीड चली जा रही थी अरुण कुछ नही कर पा रहा था शायद वह अपने अंत की ओर खीचा चला जा रहा था ,उसकी तमाम कोशिशे नाकामियाब रही अंत मे वह गाड़ी पहले किसी चीज से टकराती है फिर एक पेड़ से टकरा जाती है गाड़ी मे एक जोरदार धमाका होता है .

अब आगे....

इस धमाके के साथ अरुण को एक जोर का झटका लगता  और उसकी की नींद टूट जाती है ,वह बहुत जोर से चिल्ला कर उठता है उसका शरीर पसीने से भीग जाता है घबराहट और डर से कांप रहा था .

थोड़ी देर बाद जब उसकी घबराहट कम होती है तो वह अपने चारो ओर देखता है तो वह अपने आप को उस लकड़ी के घर मे पाता है जो उसने  किराये पर लिया था फिर वह अपने आप को थोड़ा शांत करता है और सोचता है 

अरुण : ( मन मे खोफ के साथ सोचता ) क्या भयानक सपना था यार , मेरी तो आत्मा भी काप उठी ,लगा सब  ख्तम हो गया भाई ऐसा लगा मेरी जिन्दगी ही खत्म हो गई लेकिन मे तो अभी भी  जिन्दा हूँ  ,जो भी था बहुत ज्यादा भयानक था , लगता है इस जगाह का असर हो रहा है , सही कहते है लोग अकेले नही रहना चाहिये , वरना क्या क्या ख्याल आते यार " वैसे भी 2 दिन हो आये हुये , पक्षियो और जानवरो के अलावा कुछ नही दिखा यहा , और ये केयरटेकर भी हफ्ते भर बाद आयेगा और तो और नेटवर्क भी नही यहा दूर-दूर तक , वैसे  ये भी अच्छा है 

कोई परेशान नही करेगा कुछ दिन और स्टोरी पे काम आसानी से कर पाऊंगा कोई शोर शराबा नही ना गाड़ियो की आवाजे ना लोगो की परवाह शांत सुकुन हरयाली और मौसम का ये आन्नद खुबसूरत सुबाह यादगार शाम शकून भरी राते मेरी कलम और ये किताबे बस और क्या चाहिये जिन्दगी से वैसे कमाल की जगाह ये ‘दि ब्यूटि आफ नेचर, चारो ओर हरियाली ,पक्षियो की आवजे फ्रेश हवा मिट्टी की महक  बादलो से घिरा आसमान कितना सुकून है यहा लगता है कोई दुसरी दुनिया मे आ पहुचा हूँ .

ना गाड़िओ का शोर ,ना लड़ाई ना किसी डान्ट ,ना डर ,ना सुबह की दौड़" ना थकान ,ना कोई भी परेसानी नही" काश सारी जिन्दगी युही सुकून से रहे पाता" पर यह  सम्भाव नही है, मै यहा स्टोरी पर काम करने आया हूँ" और मुझे करना पड़ेगा  वैसे भी दो कमरो का ये लकड़ी का मकान मेरे मकसद से बड़ा नही हो सकता , और मे वो हासिल कर के रहूंगा और स्टोरी मेरी पहली सीढ़ होगी .

बेटे अरुण खड़ा हो अब बहुत हो लिया आराम अब लग जा काम पर दिखा अपने कलम का जादू और बन्द उन आवाजो को जो तुझे  खिच रही उस दल दल मे जहा से तू बड़ी मुश्किल से बाहर आया है .

अरुण अपने बेड़ से उठ खड़ा होता है फिर वह उस कमरे की खिड़की की ओर जाता है जहा हल्की हल्की धूप की किरणे उस कमरे मे प्रवेश कर रही थी, वह ठोड़ा ओर खिड़की के करीब जाता है सूरज की आती किरणे उसके चहरे पर पड़ती है तो उसे चेहरे पर गर्माहट का अहसास होता है .

वह खिड़की से बाहर की ओर देखता है जहा चारो तरफ पेड़ पोधो का ही बसेरा था पक्षियो चह चह की आवजे पहाड़ो निकलकर  पेड़ो से होती हुई ठंडी ठंडी हवाएं एक नयी ताजगी एक नयी सुबह की शुरुआत करती हुई, जिसे महसूस करके अरुण का मन शांत और तरोताजा हो जाता है 

फिर वह चलकर किचन मे जाता है और अपने लिए कॉफी  बनाता है फिर कॉफी लेकर लग जाता अपनी नयी कहानी लिखने जिसके लिए वह यहा तक आया था .

वो मन लगकर स्टोरी पर काम कर  रहा था मगर ठोड़ी समय बाद उसे किसी के बोलने की  आवाज सुनाई देती है जो कि घर के बाहर से आ रही थी ये आवाज शायद किसी लड़की की थी , जिसे सुनकर अरुण ठोड़ा गुस्सा होता है

अरुण : (गुस्से मे ) ऐ भागवान ऐसा क्यू करते हो मेरे साथ इतना सब छोड़ के लोगो की गालिया खाकर यहा सकुन से एक कहानी लिखने आया था लेकिन यहा भी शोर शराबा मेरा पिछा नही छोड़गा अब ये कौन आ गया मेरा जिना हराम करने, क्यू परेशान करते है लोग मुझे कही तो अकेला छोड़ दो .

फिर वह घर से बाहर आ कर देखता है कहा से आवाजे आ रही है वह इधर उधर देखता फिर वह वहा चल देता है जहा से आवाज आ रही थी .

यहा घर के बाहर ही कुछ दूरी पर एक कच्चा रास्ता था जो हाइवे की ओर जाता था उसी रास्ते को करोस करते ही थोड़े से आगे जाकर   एक तालाब था ये तालाब काफी पुराना था उसके  आस पास काफी बड़े छोटे पेड़ थे  उस तालाब के चारो तरफ  कई तरह फूलो के छोटे -छोटे पेड़ जो फूलो और कलियो से भरे हुए थे ,उस तालाब के करीब पत्थरो से  बनी दो छोटी बेंच भी थी .

अरुण  आवाज की दिशा जानकर उसी ओर चला जा रहा था फिर वह वहा पहुंचता है ,जहा से आवाज आ रही थी वहा जाकर देखता है कि वहा एक लड़की खड़ी थी उस लड़की की पीठ अरुण की तरफ थी उस लड़की के सामने के पेड़ था जिसके उपर एक बन्दर बैठा हुआ था उस बन्दर के हाथ मे उस लड़की का स्कार्फ था , वो लड़की उस बन्दर चिल्ला चिल्लाकर कुछ बोले जा रही थी जिसे सुनकर वो बन्दर बस उसे चिड़ा रहा था .


कहानी जारी है ....✍️