HUM PHIR SE MILE MAGAR ISS TARHA - 11 in Hindi Love Stories by MASHAALLHA KHAN books and stories PDF | हम फिर से मिले मगर इस तरह - 11

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हम फिर से मिले मगर इस तरह - 11

💓{हम फिर से मिले मगर इस तरह}💓

🌹{ऐपीसोड़ - 11}🌹


अरुण अरुषि से लास्ट मुलाकात याद कर अपने इरादे को मजबूत करता है, मगर वह यह भी तय करता है वह रूपाली जैसी दोस्त का साथ वह कभी नही छोड़ेगा और उसको एक दोस्त की तरह हमेशा अपनी जिन्दगी का हिस्सा बनायेगा पर साथ ही उसे रूपाली के लिए जो फिलिंग है उसे उसका कुछ करना होगा, और रुपाली तो उसे पहले से प्यार करती है, इसलिए वह उसे सब सच बता देना चाहता था, ताकि वह रुपाली का दिल ना दुखा सके .


इसी तरह रात का वक्त हो जाता है तो वह बिस्तर पर सोने के लिए चला जाता है, वह सो रहा होता है, तो उसे वो ही एक्सीडेंट वाला सपना दिखाई देता है मगर इस बार सपने मे उसे एक स्कूटर और हेलमिट लगाकर उस स्कूटर पर बैठा शक्स दिखाई देता है जो उसकी गाड़ी की साइड से टकराता है, फिर गाड़ी मे बहुत जोर का धमाका होता है तभी उसकी निन्द टूट जाती है, वह फिर से पसीना पसीना
उसकी दिल की बड़ी हुई घंडकने, और घबराहट थी फिर से वही सुबह का वक्त था वो ही पक्षियो की आवाजे वो ही ठंडी ठंडी हवाये, वोही प्रकृति की महक, और वो ही सुबह की खिलती हुई धूप जो इस ठंड को कम करने का काम कर रही थी.

मगर ये सपने जो उसे हर रोज आ रहे थे उसे डरा रहे थे जब से वह इस जगह आया है, इसका क्या मतलब था उसे समझ नही आ रहा था, क्यू उसे ये सपने आ रहे है, क्या इस जगह की वजह से या कोई और वजह है और इस बार तो सपने उसे कोई और भी दिखाई दिया जो उसकी गाड़ी से टकराया फिर धमाका हुआ, अरुण काफी वक्त तक इस सपने की उलझन मे ही उलझा रहा, जब उसे कुछ समझ नही आया तो वह जल्दी से वहा से अपनी ब्लेक जेकिट उठा उस तालाब पर आ पहुंचा, रुपाली वही तालाब पर उसका ही इन्तेजार कर रही थी, जब उसने अरुण को देखा तो उससे कहा,, आज बहुत देर लगा दी आने मे मैं तुम्हारा कब से इन्तेजार कर रही हूँ और तुम हो की अब आ रहे हो, सिर्फ पांच मिनट है मेरे पास आओ बैठो इधर वहा खड़े खड़े सारा दिन गुजारोंगे,

अरुण ने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया बस मुस्कुरकर उसके बगल मे बैठ गया, और इन्तेजार करने लगा रुपाली के आगे कुछ बोलने का, वह जानता था रुपाली ज्यादा देर चूप नही बैठेगी कुछ ना कुछ तो जरूर बोलेगी वह बस तालाब की ओर नजरे जमाये देखने लगा, वह सही था, फिर रुपाली ने जो बोलना स्टार्ट किया तो वह अपने दिये गये पांच मिनट भी पार कर गई, अरुण तो उसे सुनता हुआ बस देखे ही जा रहा था, उसके खुबसुरत चेहरे, उसकी ब्राऊन चमकदार, और उसके होठो से निकल कर आती हुई मिठी सी आवाज मे वह खोता चला गया, वह फिर भुल चला था उसका खुद से किया वादा, और उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है .

ऑ माई गॉड - ऑ माई गॉड, कितना टाईम हो गया, अरे यार फिर से लेट हो गई, आज फिर प्रिसिंपल बरस पड़ेगा, तुम बता नही सकते थे मुझे पांच मिनट खत्म हो गये, और यू मुझे देखकर मुस्कुरा क्यू रहे क्या मेरे चेहरे पर कोई जोक लिखा है,, रुपाली ने एक ही सांस मे कहा .

अरुण,, अरे भाई मे मुस्कुरा कहा रहा था, मै बस तुम्हे ही सूने जा रहा था, तुम्ही इतना बिजी थी बोलने मे वक्त का पता ही नही चला और वैसे भी मै नही चाहता था कि तुम चूप रहो, तुम बोलती हुई बहुत प्यारी लगती हो, तुम्हारी ये लम्बी लम्बी मजेदार बाते सुनकर मै सब भुल जाता हूं, मेरी उदासी, गुस्सा, गम, परेशानिया सब खत्म हो जाती है, थेंक यू मेरा दोस्त होने के तुम्हारी वजह से मै इस दुनिया की भीड़ मे तन्हा होने से बच गया, और अपने आप को फिर से जिन्दा समझने लगा.

इतना कहकर अरुण इमोशनल हो गया उसकी आंखे भर आई और रूपाली के चेहरे के भाव भी बता रहे थे कि वह खुश भी थी मगर थोड़ा उदास भी अरूण ने उसकी अभी भी एक दोस्त की तरह सरहाना की, हालाकि वह आज इतना एक अरसे बाद बोली थी, उसकी जिन्दगी भी परेशानियो से कम नही गुजरी, वह भी एक मुश्किल दौर से गुजरती चली आ रही थी, और उनका डट कर सामना कर रही थी, मगर जब से वह फिर से अरुण से मिली है, उसकी जिन्दगी मे खुशिया लोट आई उसने अपनी परेशनियो को भुला दिया,और वो ही पुरानी हंसती मुस्कुराती दिल खोलकर बोलने वाली, जिन्दगी को एक अलग तरह से जिने वाली वही लड़की बनने लगी थी, और ये सब अरुण की वजह से ही था, जिसको वह आज भी बेहन्ताह प्यार करती थी, मगर वह जो उससे सुनना चाहती है वह दो लफ्ज अभी तक अरुण ने नही कहे, जिसके कारण वह फिर उदास थी, फिर भी अरुण उसके पास भलेहि कुछ दिन सही वह इन दिनो को खुशियो से भर देना चाहती थी और अरुण को भी उसकी परेशान, उदास जिन्दगी से बाहर निकालना चाहती थी .

अब तुम्हे देर नही हो रही क्या ? तुमने तो और पांच मिनट निकाल दिया और उसका इल्जाम फिर मेरे पर लगाना, फिर अपना वो करामाती गुस्सा दिखाना,, अरुण ने टोंट मारते हुए कहा,

तुम सुधरोगे नही अरुण, अभी मै जा रही हूं तुम्हे आकर बाऊंगी और ये तुम्हारी लम्बी सी नाक खीचकर और लम्बी कर दूंगी समझे तुम,, चिल्लाते हुए अरुण से कहा, फिर वह वहा भागते हुए चली गई 

अरुण मुस्कुराता हुआ वापस लोट आया और अपने काम मे व्यस्त हो गया, फिर दोपहर बाद वह उसी तालाब पर जा पहुंचा मगर रुपाली वहा नही थी उसने उसका इन्तेजार किया मगर आज वह नही आई और काफी वक्त इन्तेजार करने के बाद वह वुडन हाऊस लोट आया हालाकि वह दिन भर सोचता रहा है रूपाली दोपहर को क्यू नही आई फिर उसने सोचा उसे जरूर कोई काम होगा इसलिए नही आई, फिर वह अपने बिस्तर पर आ पहुंचा नींद और उस भयानक ख्वाब की दुनिया मे जा पहुंचा .




कहानी जारी है......✍️