HUM PHIR SE MILE MAGAR ISS TARHA - 9 in Hindi Love Stories by MASHAALLHA KHAN books and stories PDF | हम फिर से मिले मगर इस तरह - 9

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हम फिर से मिले मगर इस तरह - 9

💓हम फिर से मिले मगर इस तरह💓

🌹{एपीसोड़ - 9}🌹

अरुण बेंच पर उदास बैठा आरुषि के बारे मे सोच रहा था तब रूपाली उसके थोड़ा करीब होकर उसके कंधे पर हाथ रखती है तो अरुण रूपाली की तरफ देखता है तो रूपाली उसका हाथ पकड़ कर अपने हाथ मे रखती है, वह अरुण की आंखो मे आंसू देखती है तो वह उसे अपने गले लगा लेती है, वह उसके दर्द को कम करने की कोशिश करती है, और इसका असर भी होता है जब अरुण आरुषि के ख्यालो से बहार आ जाता है, तब वह अपने आप को रूपाली की बाहो मे पाता है, उसके दिल को सुकु मिलता है, उसका गुस्सा शांत हो जाता है, और उसके उदास पड़े चेहरे पर सुकु के भाव आ जाते है .

ये पहली बार था जबसे आरुषि उसकी जिन्दगी से गई है, उसको इस तरह गले लगाकर उसका गम, उसकी उदासी कम करने की किसी ने कोशिश की थी,वरना वह हमेशा शराब के नशे का सहारा लेता आ रहा था, रूपाली धीरे धीरे उसी पीठ को थप थपा रही थी, अब उसे थोड़ा अच्छा लगने लगा तो वह खुद रुपाली से अलग हुआ .

थेंक यू … अरुण ने रूपाली का हाथ अपने हाथ मे लेकर उसकी आंखो मे देखकर कहा, रूपाली ने अपनी पलके झपका कर उसका थेंकस लिया .

फिर दोनो के बीच धीरे धीरे फिर से बाते शुरू हो गई, फिर वह दोनो अपने कॉलेज के दिनो को याद कर मुस्कुराने लगे, अरुण को रूपाली का मुस्कुराता चेहरा देख उसको बहुत अच्छा लगता है, वह उससे कहता भी है,, तुम हमेशा मुस्कुराती रहा करो, तुम मुस्कुराती हुई बहुत अच्छी लगती हो, तो रूपाली भी उसे कहती है,, तुम भी यू उदास ना रहा करो मिस्टर लाइटर चोर तुम्हारे चेहरे पर उदासी अच्छी नही लगती, तब अरुण उसकी ओर घूरता है, तो वह,, सोरी सोरी बोलकर उठ कर जाने लगती है .

अब तुम कहा जा रही हो … अरुण ने बड़े प्यार से कहा .

मिस्टर अरुण मेने आपको कल बताया था ना कि मै एक टिचर हूं तो अपने काम पर जा रही हूं और शायद काफी लेट भी हो गई , प्रिंसीपल की आज बच्चो के साथ उनकी टिचर को भी डांट पड़ेगी … रूपाली ने साहलिनता से जवाब दिया .

मत जाओ ना थोड़ी देर और रूक जाओ मेरे लिए… अरुण ने बड़ी ही मासूमियत से कहा .

नो मिस्टर अरुण आपको दोपहर तक मेरा इंतेजार करना पड़ेगा इस तरह मासूम बनने से बात नही बनेगी … रूपाली ने मुस्कुराकर जवाब दिया .

फिर रुपाली वहा से मुस्कुराते हुए चली जाती है मगर कुछ था जो वह अरुण के पास छोड़ गयी थी वह था उसका अहसास , उसका अपनापन , उसका मुस्कुराता चेहरा जो अरुण के दिल मे छाप छोड़ रहा था , उसको एक बार फिर से मोहब्बत के दरिया मे धकेल रही थी, मगर वह अब इस दलदल मे नही गिरना चाहता था , इसीलिए वह घर आकर अपना ध्यान स्टोरी पर लगाने लगा और काफी कुछ लिखा भी, जो उसे खुश करने के लिए काफी था .

दोपहर का वक्त हुआ तो वह ना चाहते हुए भी उस तालाब के पास पहुंच गया,वही खड़ा खड़ा उस तालाब को देखने लगा .

कही कूदने का तो इरादा नही है तुम्हारा … मुस्कुराते हुए उसकी ओर आते हुए रूपाली ने कहा .

वह रूपाली को देखकर मुस्कुराता है , जिस तरह से रूपाली आरूण की ओर चली आ रही थी ,उसकी दिल की धड़कनो ने गति पकड़ ली थी उसके शांत मन ने उथल पुथल मचाना शुरू कर दिया था वह अपनी आंखो को उससे हटा ही नही पा रहा था वो उसमे डूबता ही जा रहा था, वह उसमे डूबा ही हुआ था तभी रूपाली ने उसके हाथ पर चुटकी काटी तब वह होश मे आया .

आउच ये क्या कर रही हो तुम कितनी जोर से कोई दबाता है क्या … आरुण ने कम्पलेन की .
कहा खोये थे तुम मै कब से तुम्हे पुकार रही हूं… रूपाली ने कहा .

कही नही तुम ये बताओ इतनी देर क्यू लगा दी आने मे … अरुण मे कहा .

तो तुम सच मे मेरा इंतेजार करने लगे… रुपाली ने मुस्कुराकर कहा .

अरुण,,अब यहा है कौन तुम्हारे अलावा जिसका मे इंतेजार करूंगा.

रुपाली,, वैल ये भी सही है, वैसे भी तुम दोस्त बनाते ही कहा हो, तुम्हारी लिस्ट तो तुम्हारे दुश्मनो से भी पड़ी है जो हमेशा तुम्हे टारगेट करते रहते है, वो अलग बात है तुम उनके कभी हाथ नही आते, हमेशा उनके ही आगे रहेते हो .

अरुण,, तुम कुछ ज्यादा ही नही जानती मेरे बारे मे, इतना तो मुझे भी नही पता मेरे बारे, कैसे कर लेती हो तुम, इतने साल दूर रहने पर भी तुम कुछ नही भूली, और एक मै हूँ जिसे तुम्हारा चेहरा तक नही याद था कितना भोदूं हूं मै .

भोंदू ही नही, भुलक्कड़, बेवाकूफ, गुस्सेल, शराबी, और नासमझ , जो अपने आप को सम्भाल भी नही सकता, हमेशा किसी ना किसी परेशानी मे उलझा रहता है और खुद को दुख पहुंचता है, जो यह भी नही सोचता उसके चाहने वालो पर क्या बितती है,, इतना कहकर रुपाली ने अपना मुह गुस्से से फूला लिया .

अरुण रूपली की बात समझ रहा था उसका यू उसके लिए परेशान होना, और गुस्सा दिखाना ये बता रहा था कि रूपाली आज भी उसे उतना ही चाहती है, और अब अरुण के दिल मे भी रूपाली के लिए मोहब्बत पनपने लगी थी, मगर वह चाह करके भी रूपाली को वो प्यार दे नही सकता था जिसकी वह हकदार है, इसकी दो वजह थी, पहली आरुषी जिससे उसने बेहन्ताह प्यार किया जिसके साथ वह अपनी पूरी जिन्दगी बिताने के सपने सालो से देख रहा था, जिसके लिए उसने अपना करियर भी उससे रिलेट चूना, उसे हर छोटी बड़ी खुशिया दी, दोनो ने साथ रहने की कसमे खाई, मगर आरुषि ने उसे तन्हा छोड़ दिया वो भी अपने करियर के लिए, पैसो के लिए, जिसके बाद वह सबसे दूर हो गया इविन अपने माँ बाप से भी और उसने अपने दिल मे किसी और को जगह ना देने का फैसला किया .

दूसरी वजाह भी आरुषि थी, जिस वजह से वह यहा आया था वो स्क्रिप्ट लिखने जो उसे आरुषि तक पहुंचा सकती थी क्यकि अब आरुषि एक बड़ा नाम बन चुकी थी, और उस तक पहुंचने के लिए अरुण को यह स्क्रिप्ट लिखनी थी, ताकि वह उससे अपना बदला ले सके , उसका गुस्सा, उसके इमोशन, उसका काम, उसका बदला अब बस आरुषि बन चुकी थी जिसे वह हर हाल मे पूरा करना चाहता था .



कहानी जारी है.....✍️