हम फिर से मिले मगर इस तरह - 3
((((((((((((((ऐपीसोड़ - 3))))))))))))))
{पहली मुलाकात एक अरसे के बाद}
अरुण आवाज की दिशा जानकर उसी ओर चला जा रहा था फिर वह वहा पहुंचता है जहा से आवाज आ रही थी वहा जाकर देखता है कि वहा एक लड़की खड़ी थी उस लड़की की पीठ अरुण की तरफ थी उस लड़की के सामने के पेड़ था जिसके उपर एक बन्दर बैठा हुआ था उस बन्दर के हाथ मे उस लड़की का स्कार्फ था .
अब आगे.....
लड़की,, देखो टेंगो मुझे परेशान करना बन्द करो मे तुझे बता रही हूं मुझसे बुरा कोई नही होगा एक तो मै पहले ही इतना परेशान हू ऊपर से तुम मुझे परेशान कर रहे हो एक तो मेरा स्कार्फ लिए उपर चढ़े बैठे हो उपर से मुझे चिड़ा रहे हो ये अच्छी बात नही है .
अगर मुझे और परेशान किया ना तो मे कल से तुम्हारे लिए खाने को कुछ नही लाऊंगी तुम्हारे लिए फल लाना बन्द कर दूंगी और तो और तुम्हारा जो चककर चल रहा है न टिंकी की साथ वो भी बन्द करा दूंगी फिर यहा अकेले पेड़ो पर पगलो की तरह उछल कूद करते रहना समझे .
वो बन्दर भी मानो उसकी बात सुनकर सहम गया और फिर उसका काले रंग वो स्कार्फ नीचे फेका फिर वहा से हट कर दूसरे पेड़ो पर से कूदता हुआ जंगल मे चला गया .
यह देखकर जो पहले अरुण गुस्सा था अब उसे भी हसी आ रही थी वह सोचता है साला ये लडकी का चककर बन्दरो पे भी काम करता है क्या, ऐसा उसने पहली बार देखा था कमाल हो रहा इस दुनिया मे लड़की का चककर साला होता ही ऐसा है अच्छे अच्छे को पसीने दिला देता है .
फिर वह लड़की अपना स्कार्फ उठाती है और अपने आप को साबाशी देते हुए पिछे की ओर मुड़ती है उसकी नजर उससे कुछ दूरी पर खड़े अरुण पर पड़ती वह उसे देख चोक जाती है, उसके कदम रूक जाते, उसका समय थम जाता, हवाओ मे एक ठहराव आ जाता है, सभी आवाजे खामोश हो उठती है, उसकी आंखे नम हो जाती है, अरुण को देखकर उसका दिल जोरो से धड़कना शुरू कर देता है, एक अरसा गुजर गया था यू उसको देखे हुए, आज कितने वक्त के बाद वह उसको इतना नजदीक से देख पा रही थी , नही तो वह उसे कभी किसी टिवी डिबेट मे या किसी न्यूज चैनल पर ही देख पाती थी,उसे अपनी आंखो पर यकिन ही नही हो पा रहा था, कि अरुण उसके समाने है, उसे इतनी खुशी हो रही थी वह बता ही नही सकती, उसका पहला प्यार आज उसके सामने आ खड़ा था .
अरुण उस लड्की को देखता है पर उसे पहचान नही पाता, मगर उसकी खुबसूरती मे वह खो जाता है, उसका मासूम सा चेहरा उसकी भूरे रंग की आंखे मिडियम सी नाक उसके गुलाबी होंठ, काले हल्के भूरे रंग के लम्बे बाल जो उसके कमर तक आ रहे थे, उसके माथे पर एक छोटी सी बिन्दी जो उसकी खुबसुरती की गवाही दे रही थी .
उसका दूध सा सफेद शरीर हाईट लगभग साढे पांच फीट के आस पास होगी उसने सफेद रंग की कुर्ती उसके नीचे काले रंग की जिंस थी उसके हाथ मे मे वो काले रंग का स्कार्फ था जो उस बन्दर को धमका के लिए था उसके बाये हाथ मे घड़ी थी जिसका पट्टा भूरे रंग का था उसके पैर मे काले रंग के बिना हिल वाले जूते थे, वो देखने मे कोई अपसरा से कम नही लग रही थी ,अरुण उस लड़की को देखता है तो बस देखता रह जाता है वो मानो भूल जाता है वो यहा आया क्यू था उसका गुस्सा मानो गायब हो गया था वह बस उस लड़की की ओर देखे जा रहा था मानो अपनी सारी जिन्दगी जो ढूढ़ रहा था वो उसके सामने आ खड़ा हुआ उसकी नजरे बस उसी को देख रही थी उसके लब्ज़ खामोश हो गये थे उसका वक्त ठहर सा गया था दिल की धड़कनो ने मानो रेस शुरू कर दी हो और उस पर उसका कोई काबू ना हो .
वह लड़की अरुण को देखकर यू खोया हुआ जानकर उसे होश मे लाने का काम करती जो बस उसे ही देखे जा रहा था , हालाकि उस लड़की का भी वैसा ही हाल था .
वह लड़की तो उसे जानती थी कि वह कौन है, वह उसी के साथ उसके कालेज मे पढ़ी है,वह अरुण को पसंद करती थी अरुण उसका पहला प्यार था, मगर वह किसी लड़की को पसंद करता था, उसे बेहन्ताह प्यार करता था इसलिए वह कभी उनके बीच नही आयी, मगर दोनो की दोस्ती अच्छी रही थी, दोनो एक दूसरे के काफी करीब भी रहे,वह तो उसे पहचान गयी थी मगर शायद अरुण उसे नही पहचान पाया था.
हैलो हेलो मिस्टर आप कहा खो गये क्या मै ज्यादा सुन्दर दिखती हूं ?... वह लड़की उसे हल्की मुस्कान के साथ पूछती है .
वह उसका नाम ना लेकर ये जानने कि कोशिश करती है कि उसने उसे पहचाना या नही .
अरुण उस लड़की मिठी सुरिली आवाज सुनकर होश मे आता है .
वैसे आप है कौन पहले तो यहा कही देखा नही कही बाहर से आये है क्या ?...उस लड़की ने अन्जान बनते हुए कहा .
आप कौन है और इस जंगल मे कैसे … अरुण ने उलटा उसी से सवाल कर दिया .
तब उस लड़की को मालूम पड़ा कि अरुण ने उसे पहचाना ही नही आखिर पहचानेगा कैसे अब वह वो लड़की नही रही जो उस वक्त हुआ करती थी उस समय उसका वजन अब के मुकाबले दुगना था और आंखो पर एक बड़ा सा चश्मा था , उसके सर पर घूंगराले बालो का गुच्छा हुआ करता था उसका डरेसिंग सेंस भी बहुत अजीब सा था और उसे खाने का बहुत शोक था जिसके कारण उसका वजन उसके साथ की लड़कियो के मुकाबले दुगना था कालेज मे सभी लोग उसे कददू पुकारते थे जो उसे बिल्कुल अच्छा नही लगता था, पर फिर भी उसे यह जानकर बुरा लगा कि अरुण ने उसे पहचाना ही नही, उसे ऐसी उम्मीद नही थी कि अरुण उसे नही पहचानेगा, जिसके कारण वह थोड़ा उदास हो जाती है .
कहानी जारी है......✍️