*अदाकारा 51*
उर्मिला की खुशी अवर्णनीय थी।उसने सिर्फ़ तीन घंटे में तीन लाख रुपये कमा लिए थे।हाँ इसके लिए उसे शर्मिला के नाम का सहारा जरूर लेना पड़ा था।लेकिन काम तो उसने खुदने ही किया था है ना?उसने कई सालों बाद एक्टिंग मे अपना हाथ आजमाया था ओर वो उसमे कामयाब रही थी।उसे अपनी इस अदाकारी की क्षमता पर गर्व तो हुआ ही। लेकिन साथ साथ उसे अफ़सोस भी हुआ।
अफ़सोस इसलिए हुआ क्योंकि अगर वो भी शर्मिला की तरह दृढ़ निश्चयी होतीं।ओर शर्मिला की तरह अपनी मां से काश बगावत कर सकतीं।
जब वो बारहवीं कक्षा मे थीं तब ही उसे लीड एक्ट्रेस का रोल ऑफर हुआ था उस वक्त अगर उसने अपने माता-पिता के खिलाफ जाकर उस फ़िल्म के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया होता।तो आज शर्मिला का नहीं बल्कि उर्मिला का।यानी उसका नाम सिल्वर स्क्रीन पर चमक रहा होता।लेकिन अब क्या?अब पछताने से क्या फ़ायदा?
अब शर्मिला की मदद से विज्ञापनो से जो भी पैसा मिले वो कमाना चाहिए।ताकि वो पैसा भविष्य में हमारे काम आ सके।लेकिन उसे अंदर ही अंदर डर भी लग रहा था कि जब सुनील को पता चलेगा कि मैं उसे अंधेरे में रख रही हूँ।मैं उससे छुप छुपाकर चुपके से एड फ़िल्में कर रही हूँ।
और वो भी शर्मिला की मदद से?
तब उसकी क्या प्रतिक्रिया होगी?
क्या वो मुझे माफ़ कर पाएगा?
क्या वो मेरी बात समझ पाएगा?
उसके दिल में एक द्वंद्व चल रहा था।
बहुत सोचने ओर समझने के बाद उर्मिलाने निश्चय किया कि वो ये बात सुनील से ज़्यादा दिन तक नहीं छिपाएगी।सुमधुर डेयरी का एक विज्ञापन शूट करके अपना आत्मविश्वास थोड़ा बढ़ा लेने के बाद वो सुनील को सब कुछ सच बता देगी।अगर सुनील ख़ुशी-ख़ुशी उसे काम जारी रखने के लिए कहेगा तो वो विज्ञापन में आगे काम करना जारी रखेगी वरना नहीं। ज़िंदगी में पैसा ज़रूरी है लेकिन सुनील से बढ़कर कुछ नहीं है।उर्मिला यही मानना था।
शर्मिला के क्रोध में आकर सेट छोड़ के जाने के बाद मल्होत्रा ने घबराकर जयदेव को फ़ोन किया।
"साहब।यहां सब बर्बाद हो गया।"
मल्होत्रा की घबराई हुई आवाज़ सुनकर जयदेव को लगा कि ज़रूर कुछ शूटिंग के सेट पर अनपेक्षित हुआ है।कुछ असामान्य सा या कोई एक्सिडेंट हुआ होगा।वो चौंक गया।ओर उसने डरी हुई आवाज़ में पूछा।
"क्या.क्या हुआ मल्होत्रा?इतने घबराए से क्यों हो?
"छोटे साहब ने किनारे पर आई नौका डुबो दि साहब।"
मल्होत्रा की यह पहेली जैसी बात जयदेव को समझ में नहीं आई।
"कुछ तो समझ में आए इस तरह की बात कर भाई।टेंशन में डाल कर ओर ज्यादा टेंशन क्यों बढ़ा रहे हो?"
मल्होत्राने जयदेव को सेट पर हुई सारी बातें और रंजन की ओर से की गई हरकतें बताईं। जयदेव के मुख से रंजन के लिए एक गंदी गाली निकल गई।
और फिर पूछा
"वह नालायक कहाँ है?"
"वह तो अपनी गाड़ी लेकर यहां से चला गया।"
"उसे घर आने दो उस साले का दिमाग में ठिकाने लगाता हूं।"
जयदेव ने हाथ मलते हुए कहा।
रंजन जो गुस्से में सेट से निकला था वह अपनी गाड़ी में बैठा और सबसे पहले मयूर से कॉन्टेक्ट किया।
"मयूर।तु अभी के अभी रॉयल में जा।"
मयूरने रंजन के स्वर में रहे गुस्से को पहचान लिया।
"क्या हुआ है रंजन?"
"फ़ोन पर क्या कहूँ?तु यहां आ फिर बताऊँगा ना?"
वह काफी गुस्से में था।
मयूरने उसे शांत करते हुए कहा।
"शांत हो जा यार शांति रख।मैं आ रहा हूँ।"
मयूर रॉयल रेस्टोरेंट में रंजन से मिला।
रंजन के गाल पर उंगलियों के निशान देखकर वो बोल उठा।
"ये ये क्या हुआ?"
रंजनने अपने गाल सहलाते हुए कहा।
"तेरे दिखाए हुए रास्ते पर चलने का ये नतीजा है।"
"मतलब?"
मयूर को कुछ पल्ले नहीं नहीं पड़ा।
"कल रात बेला पंजाब में तुने नसीहत दी थी ना कि अगर शर्मिला को पाना है तो शूटिंग के दौरान उसके अंगों को छूना चाहिए।"
"हूँ।हूं तो?"
"तो इस बंदे ने।उस आइडिया को अंजाम दिया तो उस बंदरीने पलटकर गाल पर थप्पड़ मार दिया।"
"अरे यार। लेकीन मैंने ये भी तो कहा था कि अगर वो गुस्से में दिखे तो अंजान बन कर सॉरी बोल देना।"
"मैंने पहली बार तो सॉरी कहा था।लेकिन यह तीसरी बार उसे छूने का इनाम है।"
"फिर क्या हुआ?"
मयूर को और जानने में इंट्रेस था।
"इस थप्पड़ का बदला लेने के लिए मैंने उसे देख लेने की धमकी भी दी है।"
"तो बता अब क्या करना है।"
मयूरने पूछा।
तो गुस्से से उसकी आँखों से अंगारे बरसाते हुए रंजन बोला।
"बदला।मैं वो दो कौड़ी की लड़की को उसकी औकात दिखाना चाहता हूँ।"
"मैं तेरे साथ ही हूँ।बोल क्या उस साली का चेहरा बिगाड़ना है?"
"नहीं यार।फिर उसके बिगड़े हुए चेहरे पर किस कैसे कर सकते हैं?"
"क्या…?"
मयूर को समझ मे नहीं आया कि रंजन क्या करना चाहता था।
"तो तु क्या करना चाहता है?"
"मैं उसे केवल डरना चाहता हूं।इतना डराना चाहता हूँ कि वह डर के मारे मेरे सामने आकर खुद को बिछादे।"
"हम्म।ये ठीक है।तो चलो उसके पीछे दो गुंडे लगा देते हैं।"
(रंजन और मयूर शर्मिला को कैसे डराएँगे? क्या बिंदास्त शर्मिला सचमुच रंजन से डर जायेगी?)