बेखौफ इश्क – एपिसोड 3छोटे कदम, गहरे बदलावसर्दियों की सुबह और हल्की धूप में स्कूल की रौनक कुछ बदली हुई थी। आयाना अब पहले से ज्यादा आत्मविश्वास और सुकून से चलती थी। संस्कार के साथ उसकी दोस्ती अब उसकी जिंदगी का सबसे जरूरी हिस्सा बन चुकी थी। दोनों स्कूल पहुँचते ही एक-दूसरे की आँखों में झाँकते और बिना कहे सबकुछ समझ लेते थे।रिश्तों में गहराईआयाना अब संस्कार के बिना अपनी दुनिया अधूरी मानने लगी थी। दोनों लंच ब्रेक में पार्क में बैठकर लंबी बातें करते, सपनों और डर को साझा करते, और कभी—कभी चुप्पी में एक—दूसरे का हाथ थाम लेते।एक दिन संस्कार ने आयाना से कहा—
“तुम्हारे भीतर जितना दर्द है, उतना ही प्यार भी। कभी खुद को कम मत समझना।”
आयाना पहली बार मुस्कुराई, उसकी आँखें चमक उठीं।दोनों ने अपने-अपने बचपन की तकलीफें और परिवार के बारे में खुलकर बातें कीं। संस्कार ने बताया कि कैसे उसने अपने पिता की शराब की लत के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी, और कैसे माँ की आँखों में रुकी हुई उम्मीद उसे आज भी आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।आयाना भी अब अपने अतीत के जख्म बताने लगी—
“प्यार की कमी ने मुझे कठोर बना दिया, लेकिन अब लगता है जैसे मैं हर दिन थोड़ा बदल रही हूँ।”परिवार का नया मोड़रूही ने बहन में आये बदलाव को महसूस किया। घर में, बेटी के गंभीर शौक और रचनात्मक सोच पर माँ ने पहली बार ध्यान दिया। एक दिन, आयाना पढ़ रही थी कि मां उसके पास बैठ गई।
“तुम बदल गई हो, आयाना। पहले इतना गुस्सा था, अब शांत दिखती हो…”
आयाना ने मुस्कुराकर जवाब दिया,
“कभी-कभी सही लोगों का साथ मिल जाए तो खुद को बदलना आसान हो जाता है।”
मां ने पहली बार उसकी पीठ पर हाथ रखा, दोनों की आँखों में थोड़ी उम्मीद पैदा हुई।पिता अभी भी उतने ही दूर थे, लेकिन अब आयाना ने उन्हें बदलने की जिम्मेदारी खुद पर लेनी छोड़ दी थी।अपनी पहचान की लड़ाईस्कूल में अब आयाना सिर्फ “अकेली लड़की” नहीं थी, बल्कि उसकी सोच, बोलने का तरीका और आत्मसम्मान सबकी तारीफ बनने लगे थे। संस्कार और आयाना ने स्कूल अखबार के लिए एक छोटी सी कहानी लिखी—
“हमेशा किसी को बदलना मुश्किल होता है… लेकिन कभी अपने दिल की आवाज़ सुन लो तो रास्ता अपना आप नज़र आने लगता है।”संस्कार ने आयाना की रचनात्मक सोच की तारीफ की, और दोनों ने तय किया कि वो स्कूल की वार्षिक प्रतियोगिता में साथ हिस्सा लेंगे।खुद से सच्चा प्यारअब जब संस्कार और आयाना के बीच भरोसा और अपनापन मजबूत हो चुका था, तब भी दोनों ने खुद से सच्चा प्यार करना सीखना शुरू किया।
“तुम मेरी मजबूत साथी हो,” संस्कार ने कहा,
“लेकिन खुद का साथ सबसे जरूरी होता है।”
आयाना उसकी बात समझ गई; वह अब अपनी खुद की कमजोरी स्वीकार करने लगी थी।एपिसोड का अंत—नई उम्मीदेंरात को आयाना खिड़की के पास बैठी थी, किताब के पन्ने पलटते हुए। रूही ने उसके पास आकर कहा—
“दीदी, अब तुम्हारी आँखों में डर नहीं, उम्मीद है।”
आयाना चुपचाप मुस्कुराई।
“मुझे लगता है, अब मैं अपने लिए जी सकती हूं… और शायद किसी के लिए प्यार भी।”संस्कार का मैसेज आया:
“कल अगला पड़ाव है, तैयार हो?”
“हाँ,” आयाना ने जवाब लिखा,
“अब वक्त है उड़ने का।”