Bekhouff Ishq - 11 in Hindi Love Stories by kajal jha books and stories PDF | बेखौफ इश्क - एपिसोड 11

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बेखौफ इश्क - एपिसोड 11

बेखौफ इश्क – एपिसोड 11मंजिल की तलाश, दिल से दिल तकशहर में बसंत की आहट थी, लेकिन आयाना के भीतर मौसमों का अपना अलग बदलाव चल रहा था। थिएटर में उसकी प्रस्तुति अब दुनियाभर में पसंद की जा रही थी, कई नए मंच, नए किरदार और नए रिश्ते उसकी जिंदगी में धीरे-धीरे उतरने लगे थे। सफर लम्बा था, पर दिल में बचपन की तस्वीरें, संस्कार की मुस्कान और परिवार का साया आज भी वैसा ही था।नए सपनों की चौखटथिएटर समूह के साथ आयाना की व्यस्तता इतनी बढ़ गई थी कि अक्सर रातें स्क्रिप्ट की रिहर्सल और दिन मंच पर गुज़र जाते। उसका नाम स्पेशल गेस्ट के तौर पर अखबारों में आने लगा था। मगर शौहरत के इस मोड़ पर, अकेलापन और एक अलग किस्म की खाली जगह बार-बार दिल में कौंध जाती।इन्हीं दिनों एक प्रतिष्ठित अभिनेत्री नीलिमा भट्ट ने आयाना का प्रदर्शन देख उसकी प्रतिभा की तारीफ़ की और कहा,

“तुम्हारी आँखों में आम किरदार नहीं, बल्कि खुद की कहानी बोलती है। इतनी सच्चाई हो, तो दुनिया का हर राज खुद ही खुल जाएगा।”उस एक तारीफ़ ने आयाना को आत्म-विश्वास से भर दिया, पर उसने मन में सोचा—“क्या सचमुच मैं अपनी कहानी पूरी तरह जी रही हूँ, या कुछ अधूरा है?”संस्कार का पत्रअचानक एक शाम आयाना के पास संस्कार का एक लंबा पत्र आया—कागज पर आत्मा और यादों की स्याही में भीगा हुआ। उसमें लिखा था:“आयाना,

दूरी के हर पल ने मुझे अपने मन के करीब ला दिया है। पहले सोचता था, प्यार का मतलब साथ चलना होता है; मगर अब समझ में आया, असली प्यार अपने सपनों के सफर को एक-दूसरे के लिए आसान बनाना होता है।

मां की तबीयत अब काफी ठीक है। मेरी पढ़ाई भी एक मुकाम पर है। शायद अब वक्त आ गया है, कि अपने फैसले खुद लें—अपने लिए भी, और हमारे लिए भी।”आयाना पत्र पढ़कर देर तक चुप रही। उसकी आंखों में आंसुओं की नमी और मुस्कान दोनों झलक रही थी। उसने महसूस किया—पल दोहरे होते हैं, कभी बिछड़ने का डर, कभी मिलने की उम्मीद।परिवार का नया मोड़इधर, घर में भी बदलाव की लहर थी। मां को अब इतना विश्वास था कि बेटी जहां भी रहे, अपना हौसला और सम्मान बनाए रखेगी। पिता ने भी पहली बार चाहा कि बेटियां “अपने” होने पर गर्व करें, न कि किसी के अधीन।रूही अब कॉलेज जा रही थी, उसकी दोस्ती और स्वतंत्रता के अपने सफर शुरू हो चुके थे। बहनों की बातचीत में अब छोटे-छोटे सपनों की बातें कम और जिंदगी में सामंजस्य बिठाने की बातें ज्यादा थीं।दोस्ती, नई और पुरानीथिएटर ग्रुप में राघव और आयाना में गहरी मित्रता अब और भी पक्की हो गई थी। दोनों ने तय किया कि उनकी बॉन्डिंग पेशेवर और मुस्कान भरी ही रहेगी। नाटक की दुनिया में प्रतिभा तो महत्वपूर्ण थी ही, लेकिन आयाना ने जाना कि सम्मान और सच्चाई बिना किसी समझौते के ही पाई जा सकती है।तीन महीने बाद शहर में एक बड़ा थिएटर फेस्टीवल होना था और आयाना को लीड रोल मिला। इस मौके ने उसका आत्म-सम्मान बढ़ाया, लेकिन जिम्मेदारी भी कहीं ज्यादा बढ़ा दी थी।संस्कार की वापसीउसी दौरान संस्कार ने फोन करके बताया कि उसे नौकरी का ऑफर मिला है। वह अपने जीवन और भविष्य को नई आकांक्षाओं के साथ जीना चाहता है। उसने आग्रह किया कि वह थिएटर फेस्टीवल देखने जरूर आएगा। दोनों के बीच कुछ पल के लिए चुप्पी छा गई, फिर दोनों ने हँसते हुए वादा किया—

“इस बार मंच पर तुम्हें अपनापन महसूस होगा।”आयाना ने पहली बार स्वीकारा कि दिल की गहराईयों में संस्कार हमेशा रहेगा, लेकिन अब खुद की पहचान, खुद की रौशनी भी उतनी ही जरूरी है।मंच की रातफेस्टीवल की रात लाखों लोगों की भीड़ थी। माँ, राघव, रूही, और पिता पहली कतार में बैठे थे। संस्कार भी चुपचाप भीड़ में था। प्रस्तुति शुरू हुई—आयाना के किरदार की जाँच थी—दिल की बातों की सच्चाई, दर्द और उम्मीद सबकुछ। वो अपने अभिनय में पूरी तरह डूब गई।उसकी हर संवाद, उसकी आँखों की चमक, मंच पर उसकी मजबूती सबने महसूस की। नाटक की समाप्ति पर तालियों की गूंज बहुत देर तक चलती रही।मिलन का मोहशो के बाद backstage में सबने आयाना को घेर लिया—माँ ने गले लगाया, रूही ने आँखों में चमक के साथ कहा, “तू सच में दुनिया बदल रही है।”संस्कार चुपचाप आया, उसकी आँखों में संतोष और प्यार था।

“तुम्हारी कहानी ही तुम्हारी सबसे बड़ी ताकत है, आयाना,” उसने कहा।आयाना मुस्कराई, “और हमारी दूरियां...?”

संस्कार ने उसका हाथ थामते हुए जवाब दिया, “दूरियां सब सुलझ जाती हैं, जब दिल में विश्वास ढाई साल पुराना भी बरकरार हो।”आत्मसम्मान और उम्मीदशाम को छत पर, आयाना अपनी डायरी में लिखती है―

“प्यार, सपने, रिश्ते... सब अपना रंग बदल सकते हैं, पर जो खुद से ईमानदार हो, उसे दुनिया की कोई ताकत कभी रोक नहीं सकती।”उसने आसमान देखा―उसमें नए रंग, नई चमक और नयी उड़ान का सपना था।