Bekhouff Ishq - 10 in Hindi Love Stories by kajal jha books and stories PDF | बेखौफ इश्क - एपिसोड 10

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बेखौफ इश्क - एपिसोड 10

बेखौफ इश्क – एपिसोड 10रिश्तों की संजूती, आत्मविश्वास की उड़ानठंडी रातों में शहर की रौशनी या तो सुकून देती थी या अंदर की ऊहापोह को उजागर करती थी। आयाना इस वक्त एक ऐसे मोड़ पर पहुँच चुकी थी जहाँ उसके दिल में आत्मविश्वास, परिवार का सहारा और संस्कार की दूर होती छाया थी। एक साल पहले की कमजोर और गुमसुम लड़की अब इतनी मज़बूत हो चुकी थी कि अकेले नई जगह, नए लोगों और नए रंगों से लड़ सके।नए शहर – नई चुनौतीथिएटर ग्रुप के संग आयाना का पहला बड़ा प्रोजेक्ट शुरू हुआ। निर्देशक ने उससे उम्मीदें जोड़ी थीं—हर सीन में असली भावनाएँ उतरनी चाहिए। नये साथी कलाकार उसकी संवेदनशीलता और तैयारी की प्रशंसा करते। एक रात रिहर्सल के बाद सह-अभिनेता राघव ने पूछा,

“क्या हमेशा इतनी गहराई दिखा पाती हो?”

आयाना मुस्कुराई, “शायद ज़िंदगी ने सिखाया है। हर किरदार में खुद को खोजना अच्छा लगता है।”रात में वह अपनी डायरी खोल बैठती—वहाँ संस्कार, रूही, माँ की यादों के साथ अपने नए अनुभव लिखती। अकेलेपन से घबराती नहीं, बल्कि उसमें अपनी ताकत खोजती।नए रिश्ते की हलचलराघव के साथ अभिनय करते-करते आयाना को एक नई दोस्ती महसूस होने लगी। उनके बीच चर्चा, भावनाएँ और रचनात्मकता साझा होती। लेकिन आयाना अपने दिल में संस्कार की जगह खाली पाती। एक दिन राघव ने काफी खुले अंदाज़ में कहा,

“अगर दोस्ती से आगे कुछ चाहो, मुझे बताना।”

आयाना सोच में पड़ गई। क्या नए रिश्ते की शुरुआत जरूरी है या पुराने प्यार की जगह कभी कोई ले ही नहीं सकता?उधर संस्कार भी दिल्ली वापिस आया था, मां का इलाज कुछ बेहतर हुआ और पढ़ाई का नया सेमेस्टर शुरू होने वाला था। उसने वीडियो कॉल पर आयाना को देखा—थकी, मगर संतुष्ट।

“तुम्हारी आंखों में अब डर नहीं, सिर्फ़ जुनून है,” संस्कार बोला।

“और दूरियां?” आयाना ने पूछा।

संस्कार मुस्कुराया, “हमारी दोस्ती और प्यार खुद को नए तौर-तरीके में ढाल लेना जानती है।”परिवार – बदलती नंबरियाँमाँ अब पूरी तरह सुधार पर थी। घर में आयाना की कामयाबी की बातें होतीं, पड़ोसी भी तारीफ करते। पिता ने पहली बार बेटियों को मिठाई खिलाई, कहा—“तुमने हमारा सिर ऊँचा किया।”रूही भी अब लड़कियों के अधिकारों पर स्कूल में भाषण देने लगी थी। एक बार उसने आयाना की कहानी मंच से सुनाई और सीटी बजवा दी थी।परिवार का साथ अब आयाना के हौसले की ढाल था—चाहे वह अकेली रहे या रिश्तों के बियाबान में भटके।संस्कार और आयाना – प्यार की सच्चाईएक शाम दोनों पार्क में वीडियो कॉल पर मिले।

“क्या सच में पुराने रिश्ते कभी खत्म नहीं होते?”

संस्कार बोला, “सच्चा प्यार रूप बदलता है, मगर जड़ें उतनी ही गहरी रहती हैं।”आयाना ने कबूल किया कि राघव एक अच्छा इंसान है, पर दिल में संस्कार की जगह कोई नहीं ले सकता। संस्कार भी मान गया कि दोस्ती और समर्थन का रिश्ता सबसे सच्चा होता है।दोनों ने वादा किया—दूरी, नए संबंध या बदलते लोग, इनके बावजूद उनकी आत्मा का जुड़ाव हमेशा रहेगा।आत्मनिर्भरता और अपने सपनों की राहथिएटर ग्रुप के साथ आयाना को दिल्ली, जयपुर और भोपाल जाने का मौका मिला। हर शहर में उसके अभिनय की तारीफ़ हुई। एक मीडिया इंटरव्यू के दौरान पूछा गया,

“आपको आगे सबसे बड़ी चुनौती क्या लगती है?”

आयाना बोली, "खुद के साथ ईमानदार रहना। रिश्ता, परिवार, दोस्ती—सब तभी टिकता है जब अपने सपनों के नये रास्ते बनें।”इस दौरान राघव ने फिर पूंछा, “क्या अब हमारे साथ आगे बढ़ सकती हो?”

आयाना ने साफ़ जवाब दिया, “अभी नहीं। मुझे अपनी उड़ान खुद तय करनी है।”राघव ने उसकी सोच की तारीफ़ की। दोनों दोस्त बन गए, लेकिन एक सच्चे रिश्ते की बजाए एक सच्ची कम्पैनियनशिप रही।परिवार में नई उथल-पुथलमाँ अब अक्सर कहती, “तू मेरी सबसे बड़ी हिम्मत है।”

पिता ने भी बेटी के लिए savings बनानी शुरू कर दी। रूही ने कॉलेज के लिए तैयारी शुरू की और अब घर में तीनों और लोगों की सपनों के बारे में बातें होती थीं।एक दिन माँ ने आयाना से पूछा, “क्या इतने काम और सपनों के बीच तुम्हें अकेलापन नहीं लगता?”

आयाना मुस्कराई, “हां, मगर अकेलापन भी एक दोस्त जैसा हो सकता है, जो अपनी कमी बता दे और अपनी ताकत दिखा दे।”अपने मन से संवादरात में आयाना अक्सर खिड़की के पास बैठ जाती। कुछ पुरानी कविताएँ, कुछ संस्कार के प्रेम पत्र तो कुछ अपनी भविष्य की योजनाएँ।

“आज अपने मन से कहा—खुद को भूलना नहीं। रिश्तों, प्यार और मंजिल के बीच अपना हौसला हमेशा पकड़ के रखना।”उसने अपने अपार्टमेंट की दीवार पर एक कागज़ चिपकाया:

“विदा, कमजोरी। स्वागत, आत्मविश्वास और नई उड़ान।”संस्कार की नई शुरुआतसंस्कार ने कॉलेज में अपनी पढ़ाई जारी रखी, अब वह part-time social work भी करने लगा। माँ की तबीयत अच्छी रही, और उसकी दुनिया कुछ स्थिर हो गई।एक बार उसने आयाना को लिख भेजा—

“तुम मेरे लिए ताकत हो, दूरी के बावजूद। मैंने प्यार के नए अर्थ ढूंढ लिए हैं; खुद से प्यार करना सीखा है।”आयाना ने जवाब दिया—

“हम साथ रहे या नहीं, हमारी कहानियाँ हमेशा जुड़ी रहेंगी। जिंदगी में हर कसौटी एक नया प्यार, नया रिश्ता ढूंढ देती है।”अंत की उड़ान, एक नई शुरुआतथिएटर का सबसे बड़ा शो था। आयाना ने मंच पर अपनी आत्मा से अभिनय किया। कार्यक्रम के बाद मंच पर खड़ी होकर वह घंटों रोई—खुशी, गर्व और आत्मनिर्भरता की वजह से।घर लौटते समय माँ ने स्नेह से कहा,

“आगे बढ़ो, डरना नहीं।”आयाना ने अपनी किताब में लिखा—

“अब मेरी कहानी, मेरा प्यार और मेरा जज़्बा मेरे साथ हैं। दूरियां, समझ, नए रिश्ते—सब हैं, मगर सबसे बड़ी दोस्ती खुद के साथ।”रात को संस्कार ने वीडियो कॉल पर कहा,

“जहाँ तुम हो, वो मेरा भी सपना है।”आयाना ने मुस्कराकर जवाब दिया,

“अब मैं अपने लिए जी सकती हूं, और तुम्हारा प्यार हमेशा मेरे दिल में रहेगा।”