रात का सन्नाटा अस्पताल की गलियों में फैला हुआ था।
Anaya balcony पर खड़ी थी — हाथों में कॉफी का कप और आँखों में Raj की परछाईं।
वो बार-बार उसी शाम को याद कर रही थी… terrace पर,
Raj की वो खामोश निगाहें, वो अधूरी बात, जो कही तो नहीं गई, लेकिन महसूस ज़रूर हुई।
“क्यों वो बात अधूरी रह गई?” उसने खुद से पूछा।
दिल ने जवाब दिया — “क्योंकि कभी-कभी खामोशी भी इज़हार होती है।”
अगले दिन Raj rounds पर था। सामने वही patients, वही files… पर आज उसकी नज़रें बार-बार उसी जगह चली जातीं, जहाँ Anaya खड़ी होती।
वो कुछ कह नहीं पा रहा था, पर उसके gestures में softness आ गई थी।
“Good morning, Dr. Raj,” Anaya ने हल्की मुस्कान के साथ कहा।
Raj ने सिर हिलाया, “Morning… आज थोड़ा थके हुए लग रहे हो।”
“नहीं, बस नींद पूरी नहीं हुई,” उसने कहा।
Raj ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया — “या फिर किसी ने नींद छीन ली।”
Anaya के कदम थम गए। वो कुछ पल उसे देखती रही, फिर नज़रें झुका लीं।
उन दोनों के बीच हवा में एक अनकहा इज़हार तैर गया।
शाम को conference room में एक medical presentation थी।
Raj बोल रहा था, Anaya नोट्स ले रही थी, पर उसका ध्यान हर बार उसकी आवाज़ पर अटक जा रहा था।
वो महसूस कर रही थी कि अब Raj के हर शब्द में एक warmth है, जो पहले नहीं थी।
Presentation खत्म होने पर Raj ने कहा,
“Coffee?”
Anaya ने सिर हिलाया, “Sure.”
Cafeteria में वो दोनों आमने-सामने बैठे। खामोशी थी, लेकिन आज वो बोझिल नहीं, सुकूनभरी थी।
Raj ने धीरे से पूछा, “Anaya… तुम्हें कभी लगा कि कुछ connections बिना reason के बन जाते हैं?”
Anaya ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा —
“हाँ… शायद वो connections दिल से बनते हैं, reason से नहीं।”
Raj कुछ देर उसे देखता रहा — उसकी आँखों में वही honesty थी जो हर नकली दुनिया को पीछे छोड़ देती थी।
तुम्हें डर नहीं लगता?” Raj ने पूछा।
“किससे?”
“किसी ऐसे एहसास से… जो शायद return न हो।”
Anaya मुस्कुराई — “प्यार return policy नहीं होता, sir… बस सच होना काफी है।”
Raj की साँसें एक पल को थम गईं। उसके होंठों से कोई शब्द नहीं निकला, लेकिन आँखों ने सब कह दिया।
Anaya ने पहली बार उसकी नज़रों में वो softness देखी जो शब्दों से भी गहरी थी।
वो उठने लगी तो Raj ने हल्के से कहा —
“Anaya…”
वो पलटकर देखी — “जी?”
“अगर कुछ कहना मुश्किल लगे… तो खामोशी भी काफी होती है।”
Anaya ने हल्के से मुस्कुरा कर जवाब दिया —
“तो फिर आज आपकी खामोशी बहुत कुछ कह रही है।”
दोनों के बीच कुछ पल के लिए बस heartbeat सुनाई दे रही थी।
उस रात जब Anaya hostel लौटी, उसने diary खोली और लिखा —
> “कभी-कभी कोई शख्स तुम्हारी ज़िंदगी में बिना दस्तक के आता है,
और तुम्हारी हर अधूरी भावना को एक मतलब दे जाता है।”
Raj अपने cabin में बैठा था — table पर वही blue pen, वही papers… पर दिमाग कहीं और था।
वो खुद से कह रहा था — “कह दूँ उसे… या यूँ ही रहने दूँ?”
फिर किसी अंदरूनी आवाज़ ने कहा — “अगर दिल कहता है कि ये सही है, तो देर किस बात की?”
उसने मोबाइल उठाया — Anaya का message आया था:
“Kal morning walk pe chalein? Hospital ke lawn me…”
Raj मुस्कुरा दिया। शायद यही सही वक्त था — दिल से ज़ुबां तक आने का।
To Be Continued…
(कभी-कभी दिल जो कहना चाहता है, ज़ुबां वही कहने से डरती है…
पर अब शायद ये डर किसी नई शुरुआत में बदलने वाला है।)