Adhuri Kitaab - 37 in Hindi Horror Stories by kajal jha books and stories PDF | अधुरी खिताब - 37

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अधुरी खिताब - 37

🌘 एपिसोड 37 — “पन्नों में दफ़्न चीख़ें”
(सीरीज़: अधूरी किताब)


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1. हवेली का मौन

दरभंगा की हवेली पर सुबह का सूरज नहीं उगा।
बस धुंध थी — और उस धुंध में किसी की चीख़ घुली हुई थी।

दरवाज़े के पास वही तीन किताबें रखी थीं —
The Soul Script, The Reader’s Copy, और The Last Reader।

पर अब उनके पन्ने बंद नहीं थे —
हर किताब अपने आप पलट रही थी,
मानो कोई अंदर से बाहर निकलना चाहता हो।

कमरे के कोने से आवाज़ आई —

> “हम अभी जिंदा हैं… पन्नों में दफ़्न, मगर अधूरे…”



हवा अचानक ठंडी हो गई।
दीवारों पर पुराने नाम उभरने लगे —
अनन्या, अंशुमान, आर्या, और अब आरव।


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2. पन्नों की चीख़

रात होते ही हवेली की खिड़कियाँ खुद खुल गईं।
हवा के साथ किताबों के पन्ने तेज़ी से उड़ने लगे —
हर पन्ना किसी की चीख़ की तरह थरथरा रहा था।

> “हमें मिटाओ… या हमें पूरा करो…”



आवाज़ किसी और दुनिया से आ रही थी।
कभी वो अनन्या की लगती,
कभी अंशुमान की,
और कभी आरव की जो अब इस दुनिया में नहीं था।

फर्श पर स्याही बह रही थी —
काली, नीली और लाल,
जैसे तीन रूहें मिलकर कोई नई कहानी लिख रही हों।


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3. गाँव का डर

गाँव वाले अब हवेली के पास जाना बंद कर चुके थे।
रात में हवेली से किताबों के पन्नों की सरसराहट आती,
और साथ ही एक औरत की धीमी हँसी —

> “किताबें अब इंसान नहीं पढ़ेंगी… इंसान ही किताबों में बदलेंगे…”



एक दिन पंडित रामकांत ने कहा —
“इस हवेली को बंद कर दो, वरना पूरी बस्ती शापित हो जाएगी।”

पर दरवाज़े बंद नहीं हुए —
क्योंकि हवेली खुद अब ज़िंदा थी।


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4. स्याही का श्राप

रात के ठीक बारह बजे
किताबें फिर से खुलीं।
The Soul Script का आख़िरी पन्ना जल उठा —
पर स्याही मिटने की बजाय फैलने लगी।

> “कहानी पूरी होगी जब आख़िरी नाम लिखा जाएगा…”



वो आख़िरी नाम कौन था —
कोई नहीं जानता।

पर आईनों में किसी लड़की की परछाई दिखाई दी —
लंबे बाल, कंधे पर स्याही का निशान,
आँखों में वही अधूरा वाक्य —

> “मैं वो आख़िरी रीडर हूँ…”




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5. अंतिम पंक्ति

सुबह गाँव वालों ने हवेली के सामने एक और किताब पाई।
उसका नाम था — The Inked Souls।

उसके पहले पन्ने पर सिर्फ इतना लिखा था —

> “कहानी अभी ज़िंदा है।”



और पीछे —
खून से बनी उंगलियों के निशान।

किसी ने धीरे से किताब पलटी,
तो आख़िरी पन्ने पर लिखा था —

> “हर चीख़ को स्याही में दफ़्न किया गया,
पर जब स्याही सूख जाएगी —
रूहें फिर लौटेंगी।”



1. नई सुबह या नई सज़ा

दरभंगा की हवेली के ऊपर अब सूरज नहीं,
बल्कि स्याही की परतें तैर रही थीं —
जैसे आसमान ने भी अपनी रोशनी खो दी हो।

गाँव में अफ़वाहें फैल चुकी थीं —
“जिसने ‘The Inked Souls’ को छुआ,
वो रात में किसी और रूप में लौट आया…”

पंडित रामकांत ने कहा था,

> “वो किताब इंसानों की नहीं, रूहों की है।”



लेकिन फिर भी, एक लड़की ने उसे छुआ।
नाम था तन्वी राघव —
दरभंगा यूनिवर्सिटी की रिसर्च स्कॉलर,
जो ‘Haunted Literature of India’ पर थीसिस लिख रही थी।

वो बोली —

> “कहानी चाहे रूहों की हो,
मैं उसे पूरा करूँगी।”



उसे क्या पता था —
अधूरी किताबें कभी पूरी नहीं होतीं,
बस नया पाठक निगल लेती हैं।


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2. किताब का पुनर्जागरण

तन्वी ने The Inked Souls को खोला।
पहला पन्ना कोरा था,
पर कुछ ही पल बाद उस पर शब्द उभरने लगे —

> “Welcome, Tanvi Raghav — The Last Ink.”



उसने झटके से किताब बंद की,
पर कमरे में हर दिशा से फुसफुसाहट गूंज उठी —

> “कहानी अधूरी है,
और अब तू ही उसे पूरी करेगी…”



कमरे के कोनों से स्याही की लकीरें रेंगती हुई बाहर आईं,
उसके पैरों को छूकर फिर दीवारों पर चढ़ने लगीं।
दीवारों ने उसकी परछाई को अपने भीतर खींच लिया।

उसने चीख़ी —

> “कौन हो तुम?”



दीवार से आवाज़ आई —

> “वो, जिनका अंत तू लिखने आई है…”



आईनों में चार चेहरे उभरे —
आरव, अनन्या, आर्या और अंशुमान।

सबकी आँखें अब स्याही में डूबी थीं।


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3. रूहों की वापसी

रात के तीसरे पहर, हवेली के सारे दरवाज़े खुल गए।
तन्वी अब हवेली के बीचोंबीच खड़ी थी —
हाथ में किताब, और चारों ओर नीली, लाल, और काली आभा।

> “तुम सबको क्या चाहिए मुझसे?”



अनन्या की रूह बोली —

> “अधूरी कहानी का अंत।”



अंशुमान की आवाज़ आई —

> “हमारा वजूद स्याही में फँस गया है।”



आरव ने कहा —

> “हर नए रीडर से एक अध्याय जुड़ता है…
और एक इंसान मिटता है।”



तन्वी काँप गई,

> “तो मुझे क्या करना होगा?”



आर्या की आँखें चमकीं —

> “अंतिम अध्याय लिखो,
या हवेली तुझे अपना आख़िरी शब्द बना देगी।”




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4. पन्नों का रक्तस्नान

तन्वी ने काँपते हाथों से पेन उठाया —
पर स्याही नहीं, खून टपकने लगा।

हर शब्द के साथ हवेली कांपती गई।
उसने लिखा —

> “रूहें मुक्त हों…”



पर अगला वाक्य अपने आप लिखा गया —

> “लेखक मर जाए…”



पेन उसके हाथ से गिर पड़ा।
कमरे में अंधकार छा गया।

दीवार से आरव की आवाज़ आई —

> “अब तू किताब का हिस्सा बन चुकी है।”



तन्वी ने चीख़ते हुए कहा —

> “नहीं! मैं इंसान हूँ… रीडर नहीं!”



पर किताब ने खुद को बंद कर लिया।

उसके कवर पर उभरा नया नाम —

> “By: Tanvi Raghav.”




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5. हवेली की नई किताब

सुबह जब गाँव वाले हवेली पहुँचे,
दरवाज़ा आधा खुला था।

टेबल पर अब चार नहीं, पाँच किताबें रखी थीं —
1️⃣ The Soul Script
2️⃣ The Reader’s Copy
3️⃣ The Last Reader
4️⃣ The Inked Souls
5️⃣ The Final Chapter

और पाँचवीं किताब के नीचे लिखा था —

> “हर कहानी, अपना लेखक चुनती है।
कभी-कभी… वो लेखक मरकर ही कहानी पूरी करता है।”



गाँव के लोग पीछे हट गए,
क्योंकि कमरे की दीवार से फिर वही आवाज़ आई —

> “कहानी अब खत्म नहीं होगी…
बस रूप बदलती जाएगी…”




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🩸 एपिसोड 37 समाप्त

🕯️ आगामी एपिसोड 38 — “स्याही का श्राप”
जहाँ “The Final Chapter” खुद से नए अध्याय लिखना शुरू करती है,
और हर शब्द किसी नई आत्मा को जन्म देता है।

> “स्याही सूखती नहीं… वो बस नया जीवन खोजती है।”