🌑 छुपा हुआ इश्क़ — एपिसोड 6शीर्षक: कालजयी प्रेम का द्वार
(जब मृत्यु भी प्रेम की राह नहीं रोक पाती)शून्य में जागरण — दो युगों की दरारअंधकार और प्रकाश के बीच, आर्या ने खुद को एक अजीब स्थान पर पाया।
न कोई ज़मीन थी, न आसमान — बस तैरते प्रतीक, वे ही कमल और वृत्त।
आदिल उसके सामने था, पर उनकी आवाज़ें हवा में बिखर जा रही थीं।“यह… कहाँ हैं हम?” आर्या ने पूछा।
आदिल ने उसकी तरफ देखा — “समय के बीच का मार्ग। जवेन ने हमें आत्मा-विकर के बंधन में फेंक दिया है।”चारों ओर दीवारों-सी लहरें उठीं — उनमें अतीत के दृश्य झलकने लगे।
रत्नावली मंदिर, युद्ध, योगिनी, श्राप… सब जैसे फिर जीवित हो उठे।और अचानक, एक स्वर गूँजा —
“वादा निभाना आसान नहीं, माया…”
यह जवेन की आवाज़ थी — समय के पार से आती हुई।जवेन का खेल — आत्मा-विकर का चक्रअब वे एक विशाल गोलाकार कक्ष में थे, जिसकी दीवारों पर आत्माओं की उजली परछाइयाँ थम-थम कर चमक रही थीं।
जवेन उनके सामने खड़ा था — उसके चारों ओर नीले प्रकाश का घूमता चक्र।“ये आत्माएँ वे हैं जो प्रेम के अधूरे बंधनों में कैद रहीं,” उसने कहा,
“और अब तुम भी उनमें शामिल हो जाओगे।”आर्या आगे बढ़ी, “तुम भूल गए जवेन — प्रेम को बाँधा नहीं जा सकता।”
जवेन मुस्कराया, “अगर प्रेम को मुक्त करना ही शक्ति है, तो दिखाओ… उसे मुक्त करके।”उसकी हथेली से निकलती रोशनी ने आदिल को पीछे धकेल दिया।
आर्या ने चीख कर कहा, “नहीं!”
उसके भीतर का चिन्ह लाल हो उठा — और उसी क्षण, उसकी स्मृति पूरी तरह लौट आई।रत्नावली की वापसी — अंत और आरंभ का संगमआर्या के शरीर में अब रत्नावली का प्रकाश फैल चुका था।
उसकी आवाज़ में वही प्राचीन दमक थी।“जवेन, तू भूल गया है कि श्राप प्रेम की सजा नहीं, चेतावनी थी,” उसने कहा।
“जिसे प्रेम सच्चे रूप में मिले, वह काल से परे हो जाता है।”उसने हाथ जोड़कर प्राचीन मंत्र दोहराया —
“प्रेमस्य दर्पणं आत्मनः शुद्धि भवतु…”क्षणभर में पूरा कक्ष कांप गया।
आदिल का शरीर रोशनी से भर गया, और वह आर्यवीर के रूप में उभरा।दोनों की ज्वलंत ऊर्जा मिलकर एक विशाल प्रकाश-द्वार में बदल गई — “कालजयी द्वार”।अंतिम संग्राम — समय को मोड़ने वाला प्रेमजवेन चिल्लाया, “नहीं! यह संभव नहीं!”
वह उस द्वार की ओर बढ़ा, पर प्रकाश ने उसे पीछे धकेल दिया।
उसके शरीर से धुआँ और परछाइयाँ निकलीं — उसका चेहरा कब का बुझ चुका था।आर्या और आदिल साथ खड़े थे, हाथों में हाथ लिए।
“अब यह कथा पूरी होगी,” आदिल बोला।
उन्होंने एक साथ द्वार में कदम रखा।प्रकाश फट पड़ा —
और जवेन की आवाज़ दूर कहीं विलीन हो गई।नई सुबह — पुनर्जन्म का समापनचमक थमते ही दृश्य बदला।
मंदिर दोबारा वैसा ही शांत दिखने लगा जैसा सदियों पहले था — पर अब उसकी दीवारें जीवित नहीं थीं।
नीले चिन्ह पत्थर पर स्थिर हो गए।एक लड़की मंदिर के प्रांगण में फूल रख रही थी।
वह आधुनिक समय की थी, शायद किसी कॉलेज की छात्रा।
उसकी हथेली पर हल्का-सा निशान था — अधखिला कमल।पीछे से कोई लड़का बोला, “चलो, लेक्चर लेट हो रहा है।”
लड़की मुस्कराई — वही मुस्कान, जिसे कभी माया, कभी रत्नावली, और अब कोई और धारण कर रही थी।हवा में हल्की फुसफुसाहट गूँजी —
“हर युग में प्रेम लौट आता है…”मंदिर की घंटियाँ धीरे-धीरे बज उठीं।(एपिसोड समाप्त — “छुपा हुआ इश्क़” कथा का समापन)