🌑 एपिसोड 35 — “रक्त का रीडर”
(सीरीज़: अधूरी किताब)
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1. नीली साँसों का कमरा
दरभंगा की हवेली उस रात पहले से भी ज़्यादा खामोश थी।
दीवारों पर लगे आईनों में अब किसी का चेहरा नहीं दिखता था —
बस नीली लहरें… जो मानो किसी की साँस बन चुकी हों।
हवेली के बाहर हवा नहीं, आवाज़ें चल रही थीं।
और हर आवाज़ में एक नाम बार-बार दोहराया जा रहा था —
> “अंशुमान… अंशुमान…”
पर अब वो जवाब नहीं दे रहा था।
क्योंकि वो अब कहानी का हिस्सा बन चुका था।
टेबल पर वही पुरानी किताब रखी थी — The Soul Script — Blood Edition.
पन्ने स्थिर थे, पर नीचे एक नया वाक्य उभर रहा था —
> “Reader Detected.”
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2. नई आत्मा का आगमन
अगली सुबह हवेली के बाहर एक लड़की खड़ी थी —
नाम — अनन्या मेहरा,
दरभंगा यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट, जो पुरानी रहस्यमयी कहानियों पर रिसर्च कर रही थी।
उसने जब अंशुमान के गुमशुदा होने की खबर सुनी,
तो वो खुद वहाँ पहुँच गई, हाथ में लैपटॉप और रिकॉर्डर लेकर।
गेट खुद खुल गया…
ठीक वैसे ही जैसे अंशुमान के लिए हुआ था।
“हैलो? कोई है यहाँ?”
उसकी आवाज़ दीवारों से टकराकर लौटी —
> “पढ़ो…”
वो ठिठक गई।
“कौन?”
> “किताब खोलो… मैं तुम्हें जानता हूँ…”
अनन्या काँप गई।
किताब की जिल्द पर अब खून के धब्बे नहीं थे —
बल्कि अंशुमान की उंगलियों के निशान जमे हुए थे।
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3. रक्त के शब्द
जैसे ही उसने पहला पन्ना खोला —
लाल रोशनी उसके चेहरे पर पड़ी।
पन्ने पर लिखा था —
> “अध्याय 4 — रीडर का पुनर्जन्म।”
अचानक उसकी नाक से हल्का खून टपका।
और किताब ने उसे पहचान लिया।
> “अब तुम मेरी आवाज़ सुन सकती हो…”
अनन्या ने डरते हुए पूछा,
“तुम कौन हो?”
> “अंशुमान… वो जो कहानी में दफन है।”
उसने देखा — दीवार पर अब कैमरे की छाया उभर आई थी,
जिसमें अंशुमान का चेहरा था।
वो मुस्करा रहा था — पर उसकी आँखों में खून का धुंधलका था।
> “किताब को पढ़ो… ताकि मैं पूरा हो सकूँ।”
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4. रूह और रीडर का सौदा
हवेली के भीतर अब सब कुछ धीमे-धीमे चमकने लगा —
फर्श, आईना, दीवारें — सब किताब के पन्नों में बदल रहे थे।
अनन्या ने काँपते हुए कहा —
“अगर मैं पढ़ूँगी… तो क्या तुम लौट आओगे?”
> “हाँ… पर हर शब्द तुम्हारे खून से लिखा जाएगा।”
उसने किताब बंद करनी चाही —
पर पन्ने खुद खुल गए।
हर वाक्य के साथ उसकी उंगली से खून टपकने लगा —
और पन्नों पर शब्द बनते गए।
> “रक्त से लिखो, रूह को मुक्त करो।”
कमरे की हवा अब साँस नहीं, स्याही बन चुकी थी।
हर साँस के साथ किताब भारी होती जा रही थी।
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5. कैमरे की चीख
टेबल पर पड़ा कैमरा अपने आप ऑन हो गया।
स्क्रीन पर वही पुराना रिकॉर्डिंग चला —
> “The Soul Script — New Chapter Loading…”
पर इस बार आवाज़ बदली हुई थी।
> “Reader Connected — Ananya Mehra.”
अंशुमान की रूह अब कैमरे के अंदर थी।
वो बोला —
> “अब तुम और मैं दोनों इस किताब में हैं… इसे पूरा करो, वरना हम अधूरे रहेंगे।”
अनन्या की आँखों में अब चमक नहीं थी —
बस खून की एक महीन लकीर, जो गालों पर उतर आई थी।
उसने धीरे से कहा —
“मैं कहानी पूरी करूँगी… चाहे इसके लिए खुद को मिटाना पड़े।”
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6. अंतिम दृश्य — रक्त का रीडर
रात ढल गई।
दरभंगा की हवेली फिर से शांत थी।
पर इस बार टेबल पर एक नहीं, दो किताबें रखी थीं।
पहली — The Soul Script — Blood Edition
और दूसरी — The Soul Script — Reader’s Copy
दोनों के नीचे एक ही पंक्ति उभरी —
> “By: Arya Rathore, Anshuman Shukla & Ananya Mehra
(The Three Who Bled to Write).”
और आख़िरी पन्ने पर —
लाल स्याही में एक नई चेतावनी चमकी —
> “अगर तुमने ये कहानी पढ़ ली…
तो तुम भी इसका अगला अध्याय बन जाओगे।”
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🩸 एपिसोड 35 समाप्त
🕯️ आगामी एपिसोड 36 — “स्याही में कैद रूहें”
जहाँ अनन्या की आत्मा अब हवेली के पन्नों में बंध चुकी है,
और एक नया पाठक दरवाज़े पर दस्तक दे रहा है —
> “क्या मैं अंदर आ सकता हूँ…?”