भाग 4: "परफेक्ट कॉफी का इम्तिहान"
अनायरा की पहली असिस्टेंट ड्यूटी—एक परफेक्ट कॉफी बनाना—उसके लिए लगभग अपमान जैसा था। वह वीर के केबिन से बाहर निकली और गुस्से में सीधे पेंट्री की ओर बढ़ी। उसका दिमाग उबल रहा था। ‘कॉफ़ी! मुझ जैसे डिज़ाइनर से कॉफ़ी बनवा रहा है। यह आदमी मेरा आत्म-सम्मान तोड़ने पर तुला है।’
पेंट्री में घुसते ही उसने खुद को संभाला। उसे पता था कि गुस्सा ही वीर का पहला हथियार है। अगर उसने अपनी हताशा दिखा दी, तो वीर जीत जाएगा। उसने खुद से कहा, “शांत, अनायरा। यह बस एक टेम्परेरी टास्क है। इसे भी अपनी डिज़ाइन की तरह परफेक्ट बनाओ।”
अनायरा ने बेहतरीन कॉफ़ी बीन्स, ताज़ा दूध और दो क्यूब्स शुगर ली। लेकिन ‘परफेक्ट तापमान’ क्या था? वीर ने कोई डिग्री नहीं बताई थी। ‘ज़रूर, अब मुझे चाय-कॉफ़ी के विज्ञान पर लेक्चर देगा,’ उसने मन ही मन बुदबुदाया, मग में दूध डालते हुए।
जब अनायरा ने ट्रे में कॉफी का मग और कुछ बिस्किट रखकर वीर के डेस्क पर रखा, तो उसने उम्मीद की थी कि वह बस इसे उठाएगा और पी लेगा। उसने पल भर के लिए सोचा, ‘काश, यह इतनी गर्म हो कि वह ज़बान जला बैठे।’ लेकिन तुरंत ही उसने खुद को फटकारा, ‘नहीं, अनायरा, प्रोफेशनल बनो।’
लेकिन वीर ने मग को छुआ भी नहीं। उसने बस उसे देखा, जैसे वह कोई आपराधिक वस्तु हो।
"क्या हुआ, मिस अनायरा? उम्मीद है तापमान आपके शाही मानकों पर खरा उतरा होगा," अनायरा ने व्यंग्य से कहा, उसकी आवाज़ में हल्का कटाक्ष था।
वीर ने मग उठाया, एक छोटा घूँट लिया और अचानक पूरा कॉफी मग पास रखे कचरे के डिब्बे में फेंक दिया। ‘धड़ाम!’ की आवाज़ से अनायरा की आँखें फैल गईं। यह केवल कॉफी नहीं थी—यह उसकी मेहनत और सहनशक्ति थी जो कचरे में फेंकी गई थी। वह स्तब्ध खड़ी रही।
"यह क्या था?" अनायरा लगभग चीख पड़ी, उसका गला गुस्से से सूख गया था।
वीर ने तौलिया लिया और अपने मुँह को साफ़ किया। वह इतना शांत था कि अनायरा का गुस्सा और बढ़ गया। "यह तुम्हारी पहली असफलता थी, मिस अनायरा। यह 'परफेक्ट तापमान' नहीं है। यह ज़बान जला देने वाला गर्म है।"
उसका खून खौल उठा। "मैंने इसे इतनी मेहनत से बनाया, और आपने... आपने इसे फेंक दिया? यह बर्बादी है! आपको क्या लगता है कि आप जो चाहें, वह कर सकते हैं?"
"बर्बादी?" वीर ने ठंडी आँखें उसकी आँखों में डालीं, उसकी आवाज़ में अधिकार झलक रहा था। "मेरे लिए, जो चीज़ परफेक्ट नहीं है, वह सिर्फ़ बर्बादी है। फिर चाहे वह कोई डिज़ाइन हो, या तुम्हारी असिस्टेंट वाली पहली कोशिश। अगर तुम यह छोटी-सी चीज़ ठीक नहीं कर सकती, तो मेरे करोड़ों के प्रोजेक्ट को कैसे संभालोगी?"
उसने मेज पर छोटा सा थर्मामीटर रखा। "अब मेरी बात ध्यान से सुनो। कॉफी का तापमान 65 डिग्री सेल्सियस से ऊपर नहीं जाना चाहिए। न एक पॉइंट ज़्यादा, न एक पॉइंट कम। जाओ, और इसे दोबारा बनाओ। जब तक यह मेरे लिए पीने लायक नहीं होती, तुम यहाँ से नहीं हिल सकती।"
अनायरा को लगा कि वह जानबूझकर उसे तोड़ना चाहता है। वह चाहती थी कि वह चीख पड़े, कुर्सी उठाकर पटक दे और नौकरी छोड़कर चली जाए। लेकिन उसकी ज़िद उसे रोक रही थी। उसे वीर को दिखाना था कि वह हार नहीं मानेगी। उसने खुद से कहा, ‘ठीक है, वीर। अगर तुम सिर्फ़ 65 डिग्री चाहते हो, तो तुम्हें 65 डिग्री ही मिलेगा। मैं तुम्हें कोई शिकायत का मौका नहीं दूँगी।’
"ज़रूर, मिस्टर वीर," अनायरा ने कहा, उसकी आवाज़ अब शांत थी, जो अंदर के तूफान को छुपा रही थी। "अगली कॉफी एकदम परफेक्ट होगी।"
वह बिना किसी बहस के वापस पेंट्री में चली गई। इस बार उसने कॉफी को ऐसे बनाया जैसे वह कोई जटिल आर्किटेक्चरल मॉडल बना रही हो। थर्मामीटर का उपयोग करते हुए उसने दूध को सावधानी से गर्म किया, उसे सही तापमान पर लाकर वीर के लिए एक परफेक्ट कप तैयार किया। हर बूंद में उसकी नफरत और ध्यान केंद्रित था।
जब उसने कॉफी वीर के सामने रखी, तो उसने सीधे मग की ओर नहीं देखा। उसने एक फाइल खोली और पढ़ने लगा। अनायरा लगभग बीस सेकंड तक खड़ी रही, उसे इंतज़ार था कि वीर कोई प्रतिक्रिया देगा। उसकी एड़ियाँ दुख रही थीं और वह अंदर ही अंदर झुंझला रही थी। लेकिन वीर चुप था, पूरी तरह अपनी फाइल में खोया हुआ।
"क्या... क्या मैं अब जाऊँ, मिस्टर वीर?" अनायरा ने असहज होकर पूछा, अपनी आवाज़ में निराशा को छुपाते हुए।
वीर ने अपनी नज़र फाइल से उठाई और उसे देखा। "जाओ? कहाँ? तुम यहाँ मेरी असिस्टेंट हो। तुम मेरी इजाज़त के बिना एक कदम भी नहीं हिल सकती।" उसने अनायरा के सामने पड़ी कुर्सी की ओर इशारा किया। "यहाँ बैठो। और अपनी आँखें खुली रखो। तुम्हें मेरी काम करने की शैली को समझना होगा। यह भी तुम्हारे असिस्टेंट होने का हिस्सा है। तुम यहाँ केवल मेरा काम नहीं कर रही हो, तुम सीख रही हो कि 'परफेक्शन' क्या होता है।"
अनायरा उस विशाल, पॉवर-फुल केबिन में वीर के सामने बैठने के लिए मजबूर थी। उसने अपनी कुर्सी को थोड़ा पीछे खींच लिया, ताकि वह उससे यथासंभव दूर बैठ सके।
वीर ने अंततः कॉफी मग उठाया। उसने उसे अपनी नाक के पास लाकर सूंघा, फिर एक घूँट लिया। अनायरा की साँसें थम गईं। वह चाहती थी कि वीर शिकायत करे, ताकि वह उसे जवाब दे सके।
लेकिन वीर ने अपनी आँखें बंद कर लीं, जैसे वह उसका स्वाद ले रहा हो। फिर उसने मग नीचे रखा और अनायरा की ओर देखा। उसके चेहरे पर अब कोई मुस्कान नहीं थी, बस एक शांत स्वीकृति।
"ठीक है," उसने केवल एक शब्द कहा। "यह परफेक्ट है।"
यह उसकी तरफ से एक बड़ी जीत थी। अनायरा ने महसूस किया कि उसके चेहरे पर एक छोटी-सी, अनजाने में आई मुस्कान फैल गई थी। उसने वीर को हरा दिया था... कम से कम कॉफी के इम्तिहान में तो ज़रूर!