Diware Todti Mohabbat - 3 in Hindi Love Stories by ADITYA RAJ RAI books and stories PDF | दीवारें तोड़ती मोहब्बत - 3

Featured Books
Categories
Share

दीवारें तोड़ती मोहब्बत - 3

भाग 3: "पहला दिन, पहली अग्निपरीक्षा"

सुबह नौ बजने में अभी पाँच मिनट बाकी थे, जब अनायरा ने वीर कंस्ट्रक्शन के शानदार लॉबी में कदम रखा। उसकी पहचान पर गर्व करने वाली 'Aanaira Designs' की प्लेट अब उसकी गाड़ी में अलमारी में बंद थी, और उसके दिल में एक अजीब सी बेचैनी थी। आज वह एक 'डिज़ाइनर' नहीं, बल्कि 'असिस्टेंट' थी।

कांच और स्टील से बनी यह गगनचुंबी इमारत वीर के अहंकार की निशानी थी। हर कोना भव्यता और बेजोड़ पॉवर की कहानी कहता था। अनायरा ने खुद को संभाला। उसे खुद को याद दिलाना था कि यह सिर्फ एक अस्थायी व्यवस्था थी।

उसने रिसेप्शन पर अपना नाम बताया। "मैं अनायरा हूँ, मिस्टर वीर की असिस्टेंट।" रिसेप्शनिस्ट ने उसे ऊपर से नीचे तक एक सरसरी निगाह से देखा, जैसे वह कोई नई चीज़ हो। फिर एक कूटनीतिक मुस्कान के साथ कहा, "मिस्टर वीर आपका इंतज़ार कर रहे हैं, 25वीं मंज़िल पर।"

लिफ्ट ऊपर चढ़ने लगी, और अनायरा को लगा जैसे हर फ्लोर के साथ उसका आत्मविश्वास कम होता जा रहा है। पर उसने खुद को कोसा। वह वीर को खुद पर हावी नहीं होने दे सकती।

25वीं मंज़िल पर कदम रखते ही, उसे एक और विशाल लॉबी दिखी, जहाँ केवल कुछ ही केबिन थे—साफ, आधुनिक और प्रभावशाली। वीर का ऑफिस आखिरी छोर पर था, एक बड़ा डबल दरवाज़ा। अनायरा ने गहरी सांस ली और दरवाजे को धक्का दिया।

अंदर का नज़ारा उम्मीद से कहीं ज़्यादा भव्य था। एक पूरी दीवार पर शहर का panoramic view था, दूसरी पर अमूर्त कलाकृति। बीच में एक विशाल, चमकदार लकड़ी की मेज थी जिस पर ढेर सारे डॉक्यूमेंट्स और लैपटॉप रखे थे।

और उस मेज के पीछे, वीर बैठा था। उसने अपना सिर ऊपर उठाया, उसकी आँखें अनायरा को एक ठंडी, कैलकुलेटिव नज़र से स्कैन कर रही थीं। "देर से, मिस अनायरा," उसने बिना किसी भावना के कहा। "नौ बजने में अभी भी दो मिनट हैं।"

अनायरा ने अपनी घड़ी देखी। "मैंने कहा था कि मैं नौ बजे आऊँगी। मैं यहाँ हूँ।" वीर ने एक फाइल उठाई और उसे अपने सामने रखा। "उम्दा। लेकिन मेरी घड़ी एक सेकंड भी बर्दाश्त नहीं करती।"

"तो आप अपनी घड़ी बदलिए," अनायरा ने पलटवार किया। वीर के होंठों पर एक हल्की-सी मुस्कान आई, एक ऐसी मुस्कान जो जीत के अहंकार से भरी थी। "यह ज़िद... मुझे पसंद है। अब सुनो, तुम्हारा पहला टास्क।"

उसने अपने डेस्क पर पड़ी ढेर सारी फाइलों की ओर इशारा किया। "यह सारी फाइलें, आज शाम तक व्यवस्थित होनी चाहिए। जो महत्वपूर्ण हैं उन्हें अलग करो, और जो महत्वपूर्ण नहीं हैं, उन्हें shredding के लिए रखो।"

अनायरा ने फाइलों के ढेर को देखा। यह एक पहाड़ जैसा था। "यह तो एक दिन का काम नहीं है।"
"और मेरा दिन तुम्हारी राय का मोहताज नहीं है," वीर ने अपनी कुर्सी पर आराम से पीछे होते हुए कहा। "तुम्हारे लिए यह एक टास्क है, मेरे लिए यह मेरा काम है।"

फिर उसने एक और फाइल उठाई, जो थोड़ी पुरानी लग रही थी। "और हाँ, तुम्हें मेरे लिए कॉफी भी बनानी होगी। दो क्यूब्स शुगर, और मिल्क। परफेक्ट तापमान पर।"

अनायरा की आँखें गुस्से से सिकुड़ गईं। कॉफी? उसे एक असिस्टेंट के तौर पर रखा गया था, कॉफी बनाने के लिए नहीं। "मैं कोई barista नहीं हूँ, मिस्टर वीर।"

वीर ने अपना पेन उठाया और अपनी फाइल पर कुछ लिखने लगा। "और मैं कोई कॉफी-शॉप नहीं हूँ। लेकिन यहाँ मेरे नियमों से काम होता है। अगर तुम्हें यह काम करना है, तो मेरी हर बात माननी होगी। या फिर... तुम अभी भी जा सकती हो।"

उसने अनायरा की आँखों में देखा। "फैसला तुम्हारा है।" अनायरा ने एक गहरी, बेचैन करने वाली साँस ली। वह उस डील से पीछे नहीं हट सकती थी। उसने अपने दाँत भींच लिए।

"ठीक है," उसने कहा, अपनी आवाज़ को यथासंभव शांत रखते हुए। "कॉफी मिलेगी। और फाइलें भी व्यवस्थित हो जाएँगी।"

वीर के चेहरे पर एक विजेता की मुस्कान फैल गई। "बहुत अच्छे। तो शुरू करो।"

अनायरा ने फाइलों के ढेर की तरफ देखा, और फिर वीर की तरफ। यह सिर्फ फाइलें या कॉफी नहीं थी। यह एक युद्ध था। और वह इस युद्ध को हारने के लिए तैयार नहीं थी।


---