Three best forever - 46 in Hindi Comedy stories by Kaju books and stories PDF | थ्री बेस्ट फॉरेवर - 46

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थ्री बेस्ट फॉरेवर - 46

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( >💜💜💜Next ep लेकर हाजिर है यारों यार, आपका बंकू महराज 😜चलिए पढ़िए।

मस्ती बड़ी सीधी बनते हुए "क्या? कौन सा? कैसा रायता? कहा फैलाया?क्या अनाप शनाप बोल रही हो?" उसकी इतनी सही एक्टिंग देख सभी अचंभे रह गए और सोचने लगे "इस लड़की को हिरोइन होना चाहिए था मुंबई बॉलीवुड में एक्टिंग में सब हीरो हिरोइन की छुट्टी कर देती" अब आगे,,,,

सुनिता जी उसे पैनी नजरों से घुर रही थी तो मस्ती फिर अपना बचाव करते हुए बोली "मम्मी सच्ची मैने कोई रायता नही फैलाया चाहो तो किचन में जाकर देख लो रायते का डिब्बा भरा हुआ बिलकुल सेफ है" उसकी बात सुन सभी अपना सिर पीट लिए तो वही रियू मुंह दबाए हस पड़ी।

सुनिता जी मस्ती का कान खींचते हुए "ज्यादा नौटंकी नही चल बता क्यों बिचारो को छुछुंदर बना दिया?" 

"आह आऊ मम्मीईई,,, प्लीज कान छोड़ो वहा पहले से चोट लगी है" मस्ती दर्द भरी आवाज के साथ करहारते हुए बोली । 
तो सुनिता जी सच मान घबराकर छोड़ दी और देखते हुए बोली "हे भगवान दिखा बेटी कहा लगी" 
और जब उन्होंने देखा और कोई चोट नहीं दिखा तो कमर पर हाथ रख मस्ती को तरेर कर घूरने 
लगी और बोली "ज्यादा मस्ती चढ़ी है अभी चप्पल पहनी होती ना तो उसकी चट्ट चट्ट आवाज तेरे कान पर ही चिपकाती अब जल्दी बता इन बच्चों को छमिया क्यू बनाया?" 

मस्ती की हसीं छुट गई लेकिन अपनी मम्मी को घूरता देख सिरियस होकर हाथ बांध कर बोली "ये बहुत जरूरी था मम्मी आप नही समझोगी infekt कोई नहीं समझेगा अरे ये जालिम पुरी दुनिया ही नहीं समझेगी मेरा दुःख ह" 

सुनिता जी हाथ जोड़ते हुए "तो आप भी समझा दीजिए न दुनिया की समझदार देवी जी" 

"और क्या तुम ही समझा दो की ऐसी क्या जरुरत आन पड़ी की इन छुछुंदरो को छुछुंदरी बना दिया" ज्ञानेद्रीय सर की बात सुन सब हसी कंट्रोल करते रह गए। वही सभी लड़के बिचारगी और सहानुभूति से एक दूसरे को देखने लगे। 

मस्ती गर्व से सर ऊंचा करते हुएं बोली "सर वो क्या है ना मैं कुछ ज्यादा ही दयावान हु मुझसे न किसी का दुःख दर्द देखा ही नही जाता और दुःख दूर करने के लिए चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े,, मैं कर ही लेती हु" 

विजेंद्र सर कन्फ्यूज शक्ल बनाए बोले "तुम कहना क्या चाहती हो ? यही की तुमने इनको लड़की बनाकर इनका दुःख दर्द दूर किया?" 

मस्ती कमर पर हाथ रख "और क्या रात में सोने के लिए जगह कौन दिया ?"

सभी बड़े साथ सुर में सुर मिलाते हुए "तुमने" 

मस्ती फिर बोली "राइट मैं दी वो भी जानते हो कहा?" 

सभी बड़े साथ में "कहा?" 

"अपने विश्राम कक्ष में वरना सुबह उठते ही आप लोगो को ये पांचों हॉल में ही ठंड से कापते ठिठुरते हुए पड़े दिख जाते,,वो तो  मेरी दिलेर्गी की वजह से चैन की नींद सोए है ह,,सोचो कितनी दयावान हु मै" मस्ती घमंड से ऐसे बोली जैसे उसने दुनिया का सबसे महान काम कर लिया।

ज्ञानेद्रिय सर बोले "ठीक है तुमने बहुत सही किया लेकिन,,,?"

प्रिंसीबल सर बोले "लेकिन ऐसे इन्हें लड़की बनाकर?  व्हाट नॉनसेंस?" 

मोहिंता मेम हैरानी से बोली "हा क्या है ये? " 

विजेंद्र सर बोले "हा क्यों किया ऐसा?"

सुनिता जी खीजते हुए बोली "अब बताओ भी ?" 

"अरे यार मम्मी इन सबका ना समझना समझ आता है पर तुम तो मेरी मम्मी हो एक स्त्री हो मोहिंता मेम आप भी एक नारी हो आप तो दोनो तो समझो" मस्ती माथा पीटते हुए बोली।

दोनों लेडिस समझते ही साथ में "समझ गए" 

तीनों सर हैरानी से "क्या समझे हमे भी समझा दीजिए?"

सुनिता जी बोली "मस्ती किसी भी लड़के को अपने रूम में एक या दो घंटे से ज्यादा समय तक रुकने नही देती" 

ज्ञानेद्रीय सर कन्फ्यूज हुए "क्यों,,,? लड़कों में काटे लगे हैं?" 

मोहिंता मेम सर पीट कर बोली "ओह हो सर,,कोई भी लड़की नही चाहेगी उसके पर्सनल रूम में कोई लड़का बेड पर सोए " 

मोहिंता मेम की ये बात सुन सभी जेंट्स समझ गए । सही है कुछ लड़कियों को ऐसी प्रोब्लम रहती है उन्हें अपने रूम में सिर्फ खुद के परफ्यूम की खुशबू भाती हैं जो उनके माइंड को फ्रेश करता है और उन्हें अच्छी नींद आती है। अगर कोई लड़का एक रात भर रूम में रहे तो रूम का माहोल चेंज हो जाता हैं कुछ भी अपना सा नही लगता माइंड ऑफ होता रहता हैं। 
यही प्रॉब्लम मस्ती की थी जो को खुद भी अच्छे से नही समझी थी। इसलिए उसने उन पांचों को छुछुंदरी बना दिया था ऊपर से अपने परफ्यूम भर भर कर छिड़की थी। 

ज्ञानेद्रीय सर बोले "Hm अब हम समझे ये सब करने के पीछे प्रॉब्लम ये थी" 

मस्ती थकान भरे भाव दिखाते हुए बोली "Hmm चलो अच्छा है समझ गए" 

"चलो कोई ना और तुम सब चलो जाओ फ्रेश होकर नाश्ता कर निकलो अपने अपने घर" प्रिंसीबल सर पांचों लड़को को घूरते हुए बोले।

तो वो पांचों बोल पड़े "और आप सब?" उनकी बात सुन सभी उनका मुंह ताकने लगे। पांचों लड़के हड़बड़ा गए।

ज्ञानेद्रीय सर तंज कसते हुए बोले "नहीं हम तो घर बसाने आए थे हम नही जा रहे " 

राहुल घबराते हुए बोला "स,,सर भड़क क्यू रहे हम तो बस पूछ रहे थे" 

ज्ञानेद्रीय सर भौंहे सिकोड़ बोली "हा तो तुम्हारे पूछने का जवाब भी मिल गया ना?"

राहुल अनायास ही बोल पड़ा "हा" 

ज्ञानेद्रीय सर दात पिस्ते हुए "तो फिर अब मुंह क्या ताक रहे निकलो नहाने" उनका दिमाग खिसकता महसूस कर पांचों लड़के छत की ओर खिसक लिए।

9 बजे 
सभी नहा धोकर तैयार ब्रेकफास्ट कर अपने अपने घर जानें के लिए तैयार थे ।

सभी टीचर्स और लड़के सुनिता जी को थैंक्स बोल रहे थे की उन्होंने उनका इतना ध्यान रखा बिलकुल एक फैमिली की तरह महसूस कराया इस पल को कभी नहीं भुलेंगे। और फिर खुशी खुशी विदा लिए। 

लेकिन रियू और मनीष और राहुल अभी भी वही थे। वो तीनों अगले दिन जानें वाले थे।

सुनिता जी किचन का काम निपटा रही थी तो वही रियू मस्ती मनीष राहुल हॉल में बैठे अपना फ़ोन चला रहे थे।

तभी ट्रिंग ट्रिंग कर बेल बजी। पांच सेकेंड नही हुए की दुबारा बजी लेकिन उसकी आवाज से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा।
लेकिन अब नॉन स्टॉप घंटी बजने लगी उसकी आवाज से परेशान हुई सुनिता जी किचन से चिल्लाते हुए "अरे बच्चो फोन की दुनिया से बहार निकल आओ और जरा दरवाज़ा खोल दो पता नहीं किस नासपीटे की उंगली ही चिपक गई है बटन में जरा देखो" 

आवाज सुनते ही मनीष फट से उठा और दरवाजा खोलने के लिए भागा वही बाकी सब अब भी बेपरवाह बैठे फोन में घुसे हुए थे। 

मनीष दरवाजा खोला और सामने खड़े इंसान को देख बुत बने खड़ा रह गया। 
वो मन में बोला "ये आदमी यहां क्या कर रहा है? इसे तो  घर से निकाल दिया था ना फिर अब अपना ये सड़ा मुंह दिखाने क्यों आया है?" 

सामने खड़ा आदमी मनु को उपर से नीचे तक घूरते हुए  गुस्से में बोला "तू कौन है बे?" 

उसकी गुस्से भरी आवाज सुन मनीष होश में आया वो फिर मन में "शायद इसने मुझे पहचाना नही,,तो मुझे भी ना जानने का दिखावा ही कर इसे भगा देना चाहिए" ये सोच वो हिम्मत कर घबराते लड़खड़ाते हुए बोला "म,, मैं मैं मन,, मनीष आप कौन ?" 

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( >💜💜💜तो कौन है ये आदमी? क्यू उसके डर से जम गया मनीष? क्या राज है इस डर के पीछे? जानने के लिए बने रहे स्टोरी के साथ मिलते हैं जल्द ही next ep में 💜💜💜