Three best forever - 6 in Hindi Comedy stories by Kaju books and stories PDF | थ्री बेस्ट फॉरेवर - 6

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थ्री बेस्ट फॉरेवर - 6

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( >💜💌💜hi होलाला दोस्तों और उनके दुश्मनों में स्टोरी का चौकीदार बंकु महाशय next ep के साथ हाजिर हु। 😁🙏

वो लड़की रोने का ढोंग करते हुए बोली। मस्तानी और रियुमा उसे आखें चढ़ा कर घूरती हैं। अब आगे,,,,

"धनेशी तुम रो मत जाओ अपने सीट पर जाकर बैठ जाओ" मनीष बड़े प्यार से उसे समझाते हुए बोला तो मस्ती का दिमाग खीज उठा। 

"तुम्हारे बगल वाली सीट खाली है मैं यहां बैठ जाऊ?" धनेशी उसे मस्का लगाते हुए बोली।

"ह,,क,,क्या,,,?" उसकी बात सुन मनीष हड़बड़ा गया। 

तो वही रियु और मस्तानी आंखो में जलजला आग 
उगलती खा जानें वाली नजरों से धनेशी को घूर रहे थे। 

रियू उसे ताना कसी "उसके सर पे क्यू नही बैठ जाती" 

तभी धनेशी उसे इग्नोर कर आग में घी डालने की तरह फिर वही सवाल की "मैं यहां बैठ जाऊ ?" 

रियुमा मस्तानी नाम का ज्वालामुखी फटने ही वाला था की  एक लड़का वहा फरिश्ते की तरह प्रकट हुआ "नही तू यहां नही बैठ सकती" 

मनीष का बेस्टफ्रेंड राहुल बकेती उम्र20 मनीष इसे अपना बहुत अच्छा दोस्त भाई मानता है बहुत केयर करता है लेकिन इसके असली रंग से अनजान हैं । वही दो इंसान है जिनको ये फूटी आंख नहीं भाता अब पढ़िए आगे,,,,

"साले राहुल बैग पकड़ा कर कहा गायब हो गया था?" मनीष हल्के गुस्से में बोला।

"यार भाई इमरजेंसी था समझ,,, वैसे उस प्लान के बारे में किसी को कुछ पता तो नही चला ना " राहुल धीरे से मनीष के कान में फुसफुसाया।

मस्तानी गुस्से से बौखलाई हुई मन में बोली "हे भगवान,,ये चिपकलिनि कम थी जो ये कलमूहा भी बीच में घूस आया और क्या खुसुर फुसुर कर रहे ये दोनो" वो अपने कान खींच कर सुनने की कोशिश करने लगी।

"इसे तो आना ही था इसीके लिए तो सीट पकड़ के रखा है मनु ने" रियू धीरे से फुसफुसाई मस्तानी हैरानी से उसे देखने लगी।

"ऐसे क्या देख रही तेरी शक्ल देख कर बता सकती हू अभी तू कितना गाली दे रही फट्टू राहुल को और बस में उसका हमारे साथ न होना तेरी ही कोई बचकानी हरकत थी क्यू है ना?" उसे ऐसे हैरान होते देख रियुमा ने तिरछी स्माइल करके कहा। 
मस्तानी मुंह बना दी उसे राहुल फूटी आंख नहीं भाता अगर एक नजर राहुल उसे देख ले तो मस्ती को उल्टी आ जाए इतनी नफरत है उसके लिए की पानि भी आग बन जाए।

"तुम दोनो क्या खुसुर फुसुर कर रहे हों? हमे भी बताओ" राहुल मस्तानी को मुस्कुराकर देखते हुए बोला। 

उसकी हसी मस्तानी को कुछ रास नहीं आई उसके मन में जहर घोलने की तरह काम कर रही थी।
वो गुस्से दात पिस्ते हुए अपना प्रहारधारी 
शब्द छोड़ी "खुसूर फुसूर तो तुम भी कर रहे थे मनीष के कान में पर हमने अपनी टांग अड़ाई?"

"न,, ना वो,,,," राहुल कुछ बोलते नही जम रहा था वो मनीष की ओर देखा जो उसे चुप रहने का इशारा कर रहा था। 
तभी रियु बोल पड़ी "नही ना फिर चुप चाप बैठ" 

"हा,, वो मैं,,," राहुल कुछ बोलता की धनेशी बोल पड़ी "भाई आप नही बैठ रहे तो मैं बैठ जाऊ यहां,,,?"

"चुप चाप उठ कर निकल मैं बैठूंगा ये मेरी सीट है" राहुल ने तपाक से जवाब दिया।

"मै पहले आई हु तो मैं ही बैठूंगी यहां आप जाइए रिचा के बगल में सीट खाली है वहा बैठिए" धनेशि राहुल को घूरते हुए बोली।

और मनीष जो खिड़की के साइड में बैठा था उससे जानबूझकर लड़खड़ाते हुए चिपक कर बैठ गई। मनीष तो  हड़बड़ा कर उचक्कर खड़ा हो गया।

रीयू और मस्तानी आखें मुंह फाड़े उसे देखती रह गई।

"क्या हुआ मनीष बैठो ना" धनेशी मनी का हाथ पकड़ कर अपने पास बैठाने लगी। वही मनीष परेशान हड़बड़ाया हुआ इधर उधर देख रहा था। 

"कैसी पागल चुड़ेल हैं जबरदस्ती चिपक रही इसे तो मैं,,," रियू मस्तानी मन में एक ही बात सोच आगे बढ़ने ही वाली थी 
की तभी राहुल धनेशी का हाथ मनीष से छुड़ा कर 
गुस्से में "Oye पागल मेरे बेस्ट फ्रेंड ने मेरे लिए अरेज् किया है ये सीट तो मैं ही बैठूंगा ना चल उठ" दोनो भाई बहन की बहस बाजी चालू हो गई। तो

मनीष सेचूवेशन को संभालते हुए "धनेशी तुम पहले कहा बैठी थी?" 

"वो,,वो मैं,,वो,," धनेषी को समझ में नहीं आ रहा था क्या बोले या फिर यू कहे वो उठना ही नही चाहती थी इसलिए वो मैं वो मैं रटते जा रही थी। 

"वो मैं वो मैं क्या कर रही लॉक डाउन लगाया है क्या मनु ने जो आगे नही बढ़ रही तेरी जुबान" उसे जल्दी ना बोलते देख रियुमा ईरिटिड होते हुए  बोली। 

"जल्दी बोल ना वरना गूंगी बनी फिरती रहेगी" मस्तानी अजीब सा मुंह बनाकर उसे ताना कसी।

"वो,,वो म,,नीष,,मैं रिचा के बगल वाली सीट पर बैठी थी पर,,," वो हड़बड़ाते हुए बोल ही रही थी की 

मस्तानी उसकी बात बीच में काट मुंह बनाते हुए "वहा बैठी थी तो  चुप चाप वही बैठी रहती ना यहां क्यू आई" 

"और कोई मिला नही होगा इसलिए चली आई मुंह उठाकर हमारा दिमाग सटकाने क्यों है ना धन्नो बाई" रियुमा मस्तानी का साथ देते हुए उसे मुंह तोड़ ताना कसी।

अचानक वहा सन्नाटा छा गया वही धनेशी गुस्से से आगबबूला हुए जा रही थी उसे बहुत गुस्सा आ रहा था रियू और मस्तानी की जली कटी बात सुन वो दोनो को घूरने लगी और कर भी क्या सकती थी।

क्युकी मनीष के सामने वो अपना इमेज खराब नही करना चाहती थी इसलिए वो गुस्सा कंट्रोल कर मासूम सा मुंह बनाकर उन दोनों को घुर रही थी।
  
तो वही राहुल ऐसे खड़ा था जैसे उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता हो।

मनीष मनहुसियत को हटाते हुए बोला "पांच मिनट में ट्रेन चलने लगेगी  वैसे भी सारी सीट फूल है और ये पब्लिक ट्रेन है तो भीड़ भी हो सकती है तो plisss धनेषी तुम वापस अपनी सीट पर बैठ जाओ और वैसे भी हम अलग अलग ट्रेन में थोड़ी है तो it's all the same so what difference does it make " 

ये सुन धनेशी कुछ न बोल सकी हा में सर हिला दी और जाते हुए उन्हे देखी मनीष और राहुल आपस मे बाते करने लग गए थे। 
तो वही रियूमा तो शुरू से ही आराम से बैठी बस धनेशी को चिढ़ी हुई नजर से घूर रही थी हालाकि वो दोनो भाई बहन से बराबर चीढ़ी हुई ही रहती थी तो वही  मस्तानी  उसे मुंह बनाकर चिढ़ा रही थी। 


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( >💜💌💜hi होलाला दोस्तों और उनके दुश्मनों मैं स्टोरी का चौकीदार बंकु महाशय अलविदा कहने बिलकुल नहीं आया हु🤪 क्या होगा आगे? जानने के लिए मिलते हैं जल्द ही next ep में