अगले दिन अस्पताल में सब कुछ पहले जैसा था — पर Raj और Anaya के बीच कुछ भी पहले जैसा नहीं रहा।
कभी जो conversations सहज होती थीं, अब वो थोड़ी रुक-रुक कर निकलती थीं।
Raj rounds पर था, Anaya reports संभाल रही थी, पर दोनों के बीच एक ख़ामोश awareness चल रही थी — कि बारिश वाली रात ने कुछ अनकहा छोड़ दिया है।
Raj ने Anaya को कॉरिडोर में देखा — वो patients को समझा रही थी, उसकी आवाज़ में वही compassion, वही warmth थी।
पर आज Raj की नज़रें कुछ ज़्यादा देर तक उस पर टिक गईं।
“Focus, Raj,” उसने खुद से कहा, पर दिल ने जवाब दिया — “कहने से feelings नहीं मिटतीं।”
दोपहर के बाद cafeteria में हल्की खामोशी थी।
Anaya अकेली बैठी coffee पी रही थी, तभी Raj भी वहाँ आ गया।
“Mind if I join?” उसने पूछा।
Anaya ने हल्की मुस्कान दी — “Of course, sir.”
दोनों बैठे, पर बीच में वही अनकहा सन्नाटा फिर आ गया।
Raj ने casually पूछा, “कल के बाद नींद आई?”
Anaya ने cup नीचे रखते हुए कहा, “थोड़ी-सी… शायद बारिश की वजह से।”
Raj ने धीमे स्वर में कहा — “या शायद किसी और वजह से।”
Anaya का दिल एक पल को थम गया। उसने नज़रें झुका लीं, “शायद।”
वो जवाब Raj के भीतर कहीं गूंज गया। दोनों कुछ देर तक चुप बैठे रहे — खामोश, पर उस खामोशी में भी बहुत कुछ कहा जा चुका था।
शाम तक Anaya फिर से अपने duties में लग गई।
Raj ने खुद को काम में डुबो दिया, पर हर बार जब वो उसे देखता, उसके भीतर कुछ हिल जाता।
एक junior nurse ने हँसते हुए कहा, “Sir, Dr. Anaya आपसे बहुत inspire होती हैं।”
Raj ने हल्की हँसी में बात टाल दी, मगर भीतर एक सवाल उठ गया — “क्या बस inspiration है?”
रात को जब सब लौट चुके थे, Anaya hospital की terrace पर चली गई।
शहर की रोशनी दूर तक फैली थी, हवा ठंडी थी।
वो railing पर झुककर नीचे देख रही थी — पर मन किसी और ही दिशा में था।
“क्यों मैं हर बात में उन्हें महसूस करने लगी हूँ?” उसने खुद से सोचा।
फिर खुद को झिड़कते हुए बोली, “शायद बस respect है… शायद admiration…”
पर दिल ने फुसफुसाया, “शायद प्यार।”
उसी वक्त पीछे से कदमों की आहट आई।
Raj था। उसने बस इतना कहा —
“तुम यहाँ?”
Anaya ने मुस्कुराकर जवाब दिया, “बस थोड़ी हवा लेने आई थी।”
Raj उसके पास खड़ा हो गया, दोनों ने साथ आसमान की ओर देखा।
कुछ पल बाद Raj ने कहा —
“Anaya… ज़िंदगी में कुछ बातें अगर समझ आने लगें, तो शायद देर नहीं करनी चाहिए।”
Anaya ने उसकी तरफ देखा, “आप कहना क्या चाहते हैं?”
Raj ने एक पल उसकी आँखों में देखा — फिर चुप हो गया।
“कुछ नहीं… बस इतना कि कभी-कभी खामोश रहना ज़रूरी होता है।”
दोनों के बीच एक लंबी खामोशी छा गई — मगर वो खामोशी अब बोझ नहीं थी, वो एहसासों का इज़हार थी।
Anaya ने हल्के से मुस्कुरा कर कहा —
“कभी-कभी खामोशी भी बहुत कुछ कह देती है, Sir।”
Raj ने उसकी ओर देखा, कुछ कहने की कोशिश की… मगर रुक गया।
क्योंकि कभी-कभी, शब्दों की जगह आँखें ज़्यादा सच्ची होती हैं।
To Be Continued…
(कुछ बातें अगर दिल में ही रह जाएँ, तो क्या वो अधूरी कहलाती हैं… या वही सबसे सच्ची होती हैं?)