From Desire to Love in Hindi Love Stories by Abhay Marbate books and stories PDF | चाहत से मोहब्बत तक

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चाहत से मोहब्बत तक

🌹 चाहत से मोहब्बत तक 🌹

कभी-कभी ज़िन्दगी हमें ऐसे मोड़ पर ले आती है जहाँ एक साधारण-सी चाहत, धीरे-धीरे दिल की गहराइयों में उतरकर मोहब्बत बन जाती है। यही कहानी है आरव और कृति की…


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पहला लम्हा – मुलाक़ात की शुरुआत

दिल्ली यूनिवर्सिटी का वो पहला दिन… चारों तरफ़ नए चेहरे, नए दोस्त, और नई उम्मीदें।
आरव हमेशा से ही शांत और पढ़ाई में डूबा रहने वाला लड़का था। भीड़-भाड़ से दूर रहना उसकी आदत थी। लेकिन किस्मत ने उस दिन उसके रास्ते में एक ऐसी लड़की ला खड़ी की, जिसने उसकी पूरी दुनिया बदल दी।

वो थी कृति – हँसमुख, चुलबुली और सबको अपनी बातों से दीवाना बना देने वाली।
क्लास में जब उसने पहली बार आरव से पेन माँगा, तो आरव ने बिना कुछ कहे उसकी ओर पेन बढ़ा दिया।
कृति मुस्कुराई –
“Thanks, वैसे तुम मुस्कुराते क्यों नहीं हो?”

आरव थोड़ा हिचकिचाया लेकिन फिर हल्की-सी मुस्कान उसके चेहरे पर आ ही गई।
बस, उसी दिन से कृति को उसे छेड़ने में मज़ा आने लगा और आरव को उसकी बातें सुनने में सुकून मिलने लगा।


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चाहत का बीज

दिन बीतते गए… दोनों की मुलाक़ातें बढ़ने लगीं।
कभी लाइब्रेरी में किताब शेयर करना, तो कभी कैंटीन में कॉफी के कप पर बातें करना।
आरव को पता ही नहीं चला कि कब उसकी दोस्ती की चाहत दिल की धड़कनों में बदलने लगी।

कृति की मुस्कान उसके लिए अब सिर्फ़ हँसी नहीं रही, बल्कि उसके दिन का सबसे खूबसूरत पल बन गई थी।
वो क्लास में बैठे-बैठे अक्सर कृति की तरफ़ देखता रहता, लेकिन जब भी कृति उसकी नज़र पकड़ लेती, वो नज़रें झुका लेता।

कृति भी समझने लगी थी कि आरव के दिल में कुछ तो खास है, लेकिन वो चाहती थी कि आरव खुद एक दिन कहे।


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इकरार का मौसम

एक दिन कॉलेज में फेस्ट था। रंग-बिरंगे लाइट्स, म्यूज़िक और भीड़ के बीच आरव और कृति साथ घूम रहे थे।
कृति ने मज़ाक-मज़ाक में कहा –
“आरव, तुम इतने शांत क्यों रहते हो? कभी अपने दिल की बात कहते क्यों नहीं?”

आरव ने हिम्मत जुटाई और बोला –
“अगर कह दूँ, तो शायद दोस्ती भी खो दूँ…”

कृति चौंक गई –
“मतलब?”

आरव की आँखों में अब तक का सबसे साफ़ इकरार था। उसने धीरे से कहा –
“कृति… मुझे तुम पसंद हो, बहुत पसंद। पहली मुलाक़ात से ही तुम्हारी मुस्कान मेरे दिल पर छा गई थी। शायद ये चाहत अब मोहब्बत बन चुकी है।”

कुछ पल के लिए कृति चुप रही। फिर उसने मुस्कुराते हुए कहा –
“पागल… मुझे तो पहले से ही पता था, बस इंतज़ार था कि तुम कब कहोगे।”

आरव हैरान रह गया।
कृति ने उसकी हथेली थाम ली –
“मैं भी तुमसे मोहब्बत करती हूँ।”

उस रात दोनों की चाहत ने एक नई पहचान ले ली – मोहब्बत की शुरुआत।


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मोहब्बत की राह

समय के साथ उनका रिश्ता और गहरा होता गया।
कॉलेज की गलियाँ उनकी हँसी से गूंजने लगीं।
लाइब्रेरी की किताबों में अब सिर्फ़ नोट्स नहीं, बल्कि छोटे-छोटे लव लेटर्स छिपे रहने लगे।
कभी आरव कृति के लिए कविताएँ लिखता, तो कभी कृति उसे अपने स्केच गिफ्ट करती।

लेकिन हर मोहब्बत की तरह, उनकी राह भी आसान नहीं थी।


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मुश्किलों का सामना

कृति के घरवाले उसकी शादी जल्दी करना चाहते थे। उनका मानना था कि पढ़ाई पूरी होते ही बेटी की ज़िम्मेदारी पूरी करनी है।
वहीं, आरव के घरवाले चाहते थे कि वो IAS बने और करियर पर ध्यान दे।

दोनों की मोहब्बत अब एक इम्तिहान के दौर से गुज़र रही थी।
कृति रोकर कहती –
“आरव, अगर हमें साथ रहना है तो हमें हिम्मत दिखानी होगी।”

आरव भी जानता था कि ये वक्त आसान नहीं है, लेकिन वो अपने प्यार से पीछे हटने वालों में से नहीं था।


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मोहब्बत की जीत

आरव ने पूरी मेहनत से पढ़ाई की और IAS की परीक्षा पास कर ली।
जब वो अधिकारी बन गया, तो उसने सबसे पहले कृति के घर जाकर अपने रिश्ते की बात रखी।

कृति के पिता पहले तो नाराज़ हुए, लेकिन आरव की सच्चाई, मेहनत और इज़्ज़त देखकर मान गए।
उन्होंने कहा –
“अगर मेरी बेटी की खुशी तुम हो, तो मुझे कोई ऐतराज़ नहीं।”

उस दिन आरव और कृति की आँखों में सिर्फ़ खुशी के आँसू थे।


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चाहत से मोहब्बत तक

आख़िरकार, जिस चाहत की शुरुआत कॉलेज के पहले दिन पेन माँगने से हुई थी, वही चाहत मोहब्बत की मंज़िल तक पहुँच गई।
आरव और कृति की शादी पूरे धूमधाम से हुई।
शादी की रात कृति ने मुस्कुराते हुए कहा –
“देखा, मैंने कहा था न… तुम्हारी खामोशी भी एक दिन मोहब्बत में बदल जाएगी।”

आरव ने उसका हाथ थामकर जवाब दिया –
“और तुम्हारी मुस्कान ही मेरी मोहब्बत की पहचान है।”


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✨ यही है कहानी – चाहत से मोहब्बत तक

क्योंकि असली मोहब्बत वही है, जो हर मुश्किल को पार करके अपनी मंज़िल तक पहुँचे।


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🌹 story pasand aaye to follow jarur kare 🌹