❤️ मोहब्बत के अधूरे सफ़र
अध्याय 1: पहली मुलाक़ात
वो ठंडी सी शाम थी। आसमान पर सूरज धीरे-धीरे डूब रहा था और हल्की सी ठंडी हवा दिल को छू रही थी। उसी शहर की भीड़ में एक अनजानी मुलाक़ात ने ज़िंदगी का रास्ता ही बदल दिया।
आरव—एक शांत और गहरी आँखों वाला लड़का, जिसे दुनिया से कुछ खास मतलब नहीं था।
सिया—एक हँसमुख लड़की, जिसकी आँखों में सपने तो थे लेकिन दिल में खालीपन भी।
उनकी मुलाकात यूँ तो एक इत्तेफ़ाक़ थी, लेकिन कुछ इत्तेफ़ाक़ ज़िंदगी में बहुत कुछ बदल जाते हैं।
एक बुक स्टोर के कोने में दोनों की नज़रें मिलीं। किताबें हाथ में थी, लेकिन दिलों में हलचल।
आरव की आंखें जैसे कह रही थीं— "मैं तन्हा हूँ, क्या तुम मेरी तन्हाई समझोगी?"
सिया मुस्कुराई, पर उसकी आँखें भी भीगी थीं—एक छुपा हुआ दर्द लिए हुए।
कुछ कहा नहीं गया, लेकिन दिल ने कहा—शायद यही है वो इंसान जो अधूरे दिल को पूरा कर सकता है।
उनकी कहानी वहीं से शुरू हुई, लेकिन मुकम्मल नहीं हो सकी...
यह रहा आपकी कहानी “मोहब्बत के अधूरे सफ़र” का दूसरा अध्याय — दिल छू लेने वाला और भावनाओं से भरा:
अध्याय 2: दिल की दूरियाँ
उनकी मुलाक़ातों का सिलसिला अब चल पड़ा था। हर शाम की चाय, हर किताब की कहानी अब उनकी मुलाकातों का हिस्सा बन गई थी।
आरव की खामोशियाँ सिया को खींचती थीं और सिया की मासूम मुस्कान आरव के सूने दिल में उजाला कर जाती थी।
लेकिन दोनों के दिलों में एक अजीब सी दीवार थी।
सिया को डर था कि कहीं वो फिर से किसी रिश्ते में खुद को खो न दे।
आरव को डर था कि वो जिसे दिल दे बैठा है, वो भी कहीं पहले की तरह अधूरा न छोड़ जाए।
फिर भी...
उनकी बातों में इश्क़ के रंग थे।
उनकी ख़ामोशियों में भी मोहब्बत थी।
एक शाम, जब आसमान फिर से सुनहरा हो रहा था, आरव ने हिम्मत करके पूछा—
“क्या तुम मुझसे कभी दूर चली जाओगी?”
सिया ने चुपचाप आसमान की ओर देखा, फिर हल्की मुस्कान के साथ कहा—
“जो लोग दिल में बस जाते हैं, वो कभी दूर नहीं होते… चाहे कितनी भी दूर चले जाएँ।”
उस जवाब में मोहब्बत भी थी... और जुदाई का इशारा भी।
कहानी बढ़ रही थी, लेकिन मन ही मन दोनों जानते थे— ये सफ़र अधूरा सरह सकता है।यह रहा आपकी कहानी “मोहब्बत के अधूरे सफ़र” का भावुक और दिल को छू जाने वाला तीसरा अध्याय:
अध्याय 3: जुदाई का मौसम 💔
वक़्त का पहिया जैसे तेज़ी से घूमने लगा था।
आरव और सिया के बीच की वो मासूम दोस्ती अब बेनाम मोहब्बत में बदल चुकी थी।
लफ़्ज़ कभी ज़ुबान पर नहीं आए, लेकिन दोनों के दिल सब कुछ कह चुके थे।
एक दिन अचानक, सिया की आँखों में वो चमक नहीं थी।
वो आरव से मिली, लेकिन उसकी हँसी में दर्द छुपा था।
हाथ कांप रहे थे… आँखें भर आई थीं।
आरव ने फुसफुसाते हुए पूछा—
“क्या बात है सिया?”
कुछ पल की चुप्पी के बाद सिया ने कहा—
“शायद अब हमारा मिलना मुश्किल हो जाएगा… पापा का ट्रांसफर हो गया है… मुझे जाना होगा।”
शब्द जैसे हवा में रुक गए।
आरव कुछ बोल नहीं पाया।
उसकी आँखें भर आईं, लेकिन उसने मुस्कुराने की कोशिश की।
“तो क्या ये हमारी आख़िरी मुलाक़ात है?”
आरव की आवाज़ टूट रही थी।
सिया ने कांपते होंठों से मुस्कुराते हुए कहा—
“हमारी कहानी अधूरी है… पर यादें कभी अधूरी नहीं होतीं। मैं हमेशा तुम्हारे दिल में रहूँगी।”
उस पल में सब कुछ बिखर गया।
कुछ रिश्ते मुकम्मल होने के लिए नहीं बनते, बस दिल में अधूरे ही हमेशा के लिए बस जाते हैं।