💔"वो पहला इश्क़… जो अधूरा रह गया"💔
कहते हैं ज़िंदगी में पहला प्यार कभी नहीं भूलता… वो मासूम सी फीलिंग, वो धड़कनों की रफ़्तार और वो इंतज़ार। मेरी भी एक कहानी है—एक ऐसी कहानी, जो आज तक मेरी यादों में जिंदा है।
साल 2017… क्लास 11 का पहला दिन।
मैं क्लासरूम में अपनी सीट पर बैठा था। तभी दरवाज़ा खुला और वो अंदर आई… आव्या।
सफेद शर्ट, नीली स्कर्ट, बालों में नीले रिबन और चेहरे पर मासूम मुस्कान।
उस पल मुझे लगा जैसे सब रुक गया हो।
टीचर ने कहा—
"आव्या, तुम वहीं बैठो… आर्यन के बगल में।"
और वो मेरे पास बैठ गई।
मेरे दिल की धड़कनें इतनी तेज़ थीं कि मुझे लगा कोई सुन न ले।
लंच ब्रेक में हिम्मत करके मैंने कहा—
"Hi, मैं आर्यन हूँ।"
वो मुस्कुराई—
"Hi, मैं आव्या।"
उसकी मुस्कान ने जैसे मेरी दुनिया बदल दी।
दोस्ती की शुरुआत हो चुकी थी।
धीरे-धीरे हम अच्छे दोस्त बन गए।
क्लास में नोट्स शेयर करना, लंच में साथ बैठना, और कभी-कभी PT period में लंबी बातें करना।
मुझे उसका हर अंदाज़ पसंद आने लगा।
WhatsApp पर चैटिंग शुरू हुई।
पहले छोटे मैसेज… फिर लंबे-लंबे मैसेज।
"Good Morning" से लेकर "Good Night" तक का सफर कब शुरू हुआ, पता ही नहीं चला।
लेकिन मेरे दिल में कुछ और था।
मैं सिर्फ़ दोस्त नहीं रहना चाहता था।
मैं उससे प्यार करने लगा था।
एक दिन मैंने हिम्मत की।
रात के 11:30 बजे मैंने मैसेज किया—
"आव्या, मुझे तुमसे कुछ कहना है।"
उसने रिप्लाई किया—
"क्या?"
मैंने कांपते हुए लिखा—
"मैं तुम्हें पसंद करता हूँ… बहुत ज्यादा।"
कुछ देर तक कोई जवाब नहीं आया।
मेरे लिए वो सबसे लंबा इंतज़ार था।
फिर उसका मैसेज आया—
"आर्यन… मुझे नहीं पता मैं क्या कहूँ। अभी हम दोस्त ही रहें।"
मेरे लिए ये लाइन किसी झटके से कम नहीं थी।
मैंने हंसने वाला इमोजी भेजा और लिखा—
"हां, कोई बात नहीं।"
लेकिन अंदर से मैं टूट गया था।
हमारी दोस्ती पहले जैसी नहीं रही।
बातें कम हो गईं।
वो अब पहले की तरह चैट नहीं करती थी।
मैं हर दिन उसकी DP देखता, पर उससे बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता।
साल खत्म हुआ।
12वीं की पढ़ाई शुरू हुई।
हम दोनों अपने-अपने सपनों में बिज़ी हो गए, लेकिन मैं अब भी उसे भूल नहीं पाया।
आख़िरी बोर्ड एग्ज़ाम के दिन, स्कूल का आख़िरी दिन था।
मैंने सोचा—
"आज मैं उसे सब बता दूंगा… चाहे जो हो।"
पेपर खत्म हुआ।
मैंने उसे कैंटीन में देखा।
वो दोस्तों के साथ हंस रही थी।
मैंने पास जाकर कहा—
"आव्या, एक बात करनी थी।"
वो बोली—
"हां, बोलो।"
मैंने हिम्मत करके कहा—
"मैं अब भी तुम्हें वैसे ही पसंद करता हूँ… शायद उससे भी ज्यादा।"
वो कुछ सेकंड चुप रही, फिर बोली—
"आर्यन… पापा की ट्रांसफर हो गई है। हम कल शिफ्ट हो रहे हैं। और… मैं नहीं चाहती कि तुम्हारा फोकस पढ़ाई से हटे।"
ये सुनकर मेरे सारे सपने टूट गए।
मैंने मुस्कुराने की कोशिश की और कहा—
"ठीक है… खुश रहना।"
उसने मुस्कुराकर कहा—
"तुम भी।"
और चली गई।
मैंने सोचा—
"काश उसने एक बार पीछे मुड़कर देखा होता…"
लेकिन उसने नहीं देखा। 😔
आज, 6 साल बाद भी, मैं उसे भूल नहीं पाया।
उसकी तस्वीर अब भी मेरे पास है, और WhatsApp में उसका चैट अब भी सेव है।
पहला प्यार… अधूरा ही सही, पर मेरी ज़िंदगी की सबसे खूबसूरत याद है।"
कभी-कभी पहला प्यार सिर्फ़ अधूरी याद बनकर रह जाता है… लेकिन उसकी मासूमियत, उसकी खुशबू, उसकी हंसी ज़िंदगी भर दिल में बस जाती है। शायद हम फिर कभी न मिले, पर वो मेरी दुआओं में हमेशा जिंदा रहेगी। पहला इश्क़… हमेशा पहला ही रहता है।"