💔 "मेरा इश्क़..."
"तेरे जाने के बाद भी, मैं तुझसे मोहब्बत करता रहा..."
कॉलेज की पहली बारिश थी, और मैं अपनी किताब बचाता हुआ कैंपस में भाग रहा था। तभी वो सामने आई – भीगी हुई, खुले बाल, और आंखों में चुप सी कहानी।
उसका नाम था कव्या।
वो मेरी क्लास में नई एडमिशन लेकर आई थी। शुरू में उसने किसी से ज्यादा बात नहीं की, लेकिन उसकी आंखों में एक अजीब सा दर्द था, जो मेरी आंखों को रोक लेता था।
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📚 पहली मुलाकात
एक दिन लाइब्रेरी में मैं अपनी डायरी में कुछ लिख रहा था कि अचानक किसी ने पूछा –
"तुम लिखते हो?"
मैंने सिर उठाया – वही कव्या थी।
"हाँ, थोड़ा बहुत… जब दिल भरा होता है," मैंने कहा।
"दिल भारी होता है या खाली?" वो मुस्कुरा कर बोली।
उसी दिन से हमारी बातचीत शुरू हुई। हम दोनों हर शाम कॉलेज कैंपस के एक कोने में बैठते – वो अपनी खामोश कहानियाँ सुनाती, और मैं अपने शब्दों में उसका इश्क़ ढूँढता।
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☕ चाय के कप और दिल की बातें
कॉलेज की कैंटीन में एक ही चाय के कप से पीना, नोट्स शेयर करना, और बारिश में एक ही छतरी के नीचे चलना – कब दोस्ती प्यार में बदली, पता ही नहीं चला।
मैंने उससे एक दिन कहा –
"कव्या, मुझे नहीं पता इश्क़ क्या होता है… लेकिन तुम्हारे साथ सब अच्छा लगता है।"
उसने कोई जवाब नहीं दिया… बस मेरे कंधे पर सिर रख दिया।
शायद वो भी कुछ कहना चाहती थी, पर कह नहीं सकी।
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💔 सच्चाई का पता
एक दिन वो कॉलेज नहीं आई। दो दिन, तीन दिन… पांच दिन तक उसका कोई पता नहीं।
फिर मुझे पता चला कि कव्या डिप्रेशन से जूझ रही है। किसी ने बताया – उसने अपने पहले प्यार को खो दिया था। उसका नाम आर्यन था, और एक एक्सीडेंट में उसकी मौत हो गई थी।
मुझे समझ में आया कि कव्या के मुस्कुराने के पीछे कितना कुछ छिपा था।
मैंने उससे दूरी नहीं बनाई। मैं उसके साथ रहा – बिना किसी उम्मीद के।
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🥀 मेरा इश्क़…
वो अक्सर कहती –
"आर्यन ही मेरा पहला और आखिरी प्यार था… मैं किसी और से प्यार नहीं कर सकती।"
मैं सुनता… मुस्कुराता… और खुद से कहता –
"ठीक है, तेरा इश्क़ तेरा रहा… मेरा इश्क़ मेरा रहा।"
मैं उसे बिना माँगे प्यार करता रहा। उसे हँसता देखना मेरी खुशी बन गई। उसे अपना दर्द बताते देखना मेरी ताकत।
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📅 आखिरी मुलाकात
कॉलेज खत्म होने से ठीक एक दिन पहले, हम कैंपस की उसी बेंच पर बैठे थे।
"मैं शहर छोड़ रही हूँ," उसने कहा।
"क्यों?"
"अब यहाँ कुछ नहीं बचा… आर्यन की यादें भी धुंधली हो गई हैं… और तुम? तुम बहुत अच्छे हो, पर मैं तुम्हें वो नहीं दे सकती जो तुम deserve करते हो।"
मैंने कहा –
"मुझे तुझसे कुछ नहीं चाहिए कव्या।
तेरा साथ ही काफी था।
मैंने तुझसे कभी तेरा दिल नहीं माँगा… सिर्फ तेरा वक़्त माँगा था, जो तूने दिया।"
वो रो पड़ी… और पहली बार उसने मुझे गले लगाया।
"काश… मैं पहले तुम्हें मिली होती…"
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🕊️ कुछ साल बाद...
आज मैं एक लेखक हूँ। मेरी पहली किताब का नाम है –
"मेरा इश्क़…"
जिसकी पहली लाइन है:
“जिससे मैंने प्यार किया, उसने मुझे कभी चाहा नहीं… पर मैं आज भी उसे ही लिखता हूँ।”
कव्या अब किसी और शहर में है। शायद खुश होगी… शायद नहीं।
पर मेरा इश्क़ अब भी वैसा ही है –
खामोश, अधूरा, मगर सच्चा।💔