Yashaswini - 19 in Hindi Fiction Stories by Dr Yogendra Kumar Pandey books and stories PDF | यशस्विनी - 19

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यशस्विनी - 19



…. यशस्विनी का अनुमान एकदम सही निकला।ग्रेजुएशन पूरा होते-होते कैंपस सिलेक्शन में ही उस लड़के का चयन देश की शीर्ष अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी में वैज्ञानिक के पद पर हो गया और उसने जाने के समय भी उसी गंभीरता का परिचय दिया और फोन करना तो दूर एक बार भी उससे मिलना गंवारा नहीं समझा। इस स्थिति के लिए यशस्विनी पहले ही मानसिक रूप से तैयार थी। यशस्विनी को कुछ वर्ष पूर्व मार्च 2009 में मराठा चित्र मंदिर मुंबई में इस फिल्म के 700 सप्ताह पूरे होने पर एक विशेष शो में देखी गई फिल्म दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे का एक-एक दृश्य याद आने लगा….. तब यशस्विनी स्कूल के साथ मुंबई के शैक्षणिक भ्रमण पर थी।

    श्री कृष्ण प्रेमालय स्कूल में यशस्विनी मंच पर है और आगे कतारबद्ध सैकड़ों बच्चे हैं।सदैव की भांति प्रार्थना सभा की शुरुआत "हे शारदे मां... हे शारदे मां, अज्ञानता से हमें तारदे मां..." की सुमधुर प्रार्थना से हुई। इसके बाद एक छात्र ने आज का सुविचार प्रस्तुत किया।दो विद्यार्थियों ने आज के समाचारों के अंतर्गत देश,दुनिया और खेल की सुर्खियां पढ़ीं ।इसके बाद विशेष कार्यक्रम में एक बच्ची ने चीन के वुहान शहर से फैलने वाले एक विशेष तरह की महामारी कोरोना वायरस की जानकारी दी। इसे सुनकर यशस्विनी को देश में कठिन दिनों की आहट सुनाई देने लगी।

       वह विशेष प्रस्तुति एक आलेख का वाचन ही थी जिसमें उस छात्रा ने कुछ ही दिन पहले 30 जनवरी 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस विशेष तरह के फ्लू को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने की जानकारी दी  थी।साथ ही यह भी बताया था कि चीन के अनेक शहरों में लॉकडाउन लगाया गया है और लोग क्वारन्टीन हैं।ये शब्द यशस्विनी के लिए पहली बार सुने जाने वाले थे। बच्चों ने तो इसे केवल एक सामान्य प्रस्तुति के रूप में लिया क्योंकि वे इसके संभावित परिणामों से अवगत नहीं थे। स्वयं यशस्विनी ने सोचा कि देश में विश्व स्वास्थ संगठन द्वारा घोषित किए गए पहले के आपातकालों का भी कोई बहुत अधिक विपरीत असर नहीं पड़ा था और अब 2009 के एच वन एन वन इमरजेंसी के बाद विश्व स्वास्थ संगठन द्वारा घोषित की गई यह छठी इमरजेंसी है तो भारत पर इस बार भी इसका विशेष प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए… वैसे भी कोरोनावायरस और इसके हल्के प्रभाव के बारे में उसने पिछले आठ-दस वर्षों में कई बार सुन रखा है….. शायद यह कोरोना का कोई नया वर्जन हो…. बस अन्य देशों में इसके तेजी से फैलने और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर रोक और शहरों को लॉक करने के समाचार से उसे थोड़ी घबराहट हुई।

    आज के योग सत्र में यशस्विनी ने प्रशिक्षण देने के साथ-साथ विद्यार्थियों को इस तरह के वायरसजन्य रोगों से बचाव के बारे में सामान्य जानकारी भी दी और उन्हें प्रेरित किया कि आप लोगों को किसी भी संक्रमण की स्थिति में बचने के लिए सतर्कता बरतने की आवश्यकता है….. वैसे स्वच्छता के नियमों का पालन तो हम सभी लोग प्रतिदिन करते ही हैं……

        घर लौटकर यशस्विनी ने एक बार फिर से कोरोनावायरस के बारे में समाचार पत्र और पत्रिकाओं की सभी खबरों का अध्ययन किया। चिंता वाली कोई बात नहीं थी लेकिन यह वायरस  बड़ी तेजी के साथ अनेक देशों में फैल रहा था और भारत में भी सभी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर थर्मल स्कैनिंग की व्यवस्था की गई थी।आखिर यह एक तरह का खतरनाक बुखार ही है।यशस्विनी को यह जानकार आश्चर्य हुआ कि भारत में भी 30 जनवरी को ही कोरोना का पहला मामला वुहान से लौटी एक छात्रा के माध्यम से सामने आया था। 11 फरवरी को ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस रोग को कोविड-19 का नाम दिया था।

    आने वाले हर दिन के बीतने के साथ ही इस महामारी को लेकर चिंता बढ़ती ही गई, हालांकि भारत में घबराहट वाली कोई स्थिति नहीं थी क्योंकि जो व्यक्ति इस रोग के पहले मरीज थे वे स्वस्थ हो चुके थे लेकिन मरीजों की संख्या अभी भले ही दहाई के आंकड़े में थी लेकिन धीरे-धीरे बढ़ रही थी। ईरान में लगातार होती मौतें और चीन में अनेक शहरों के ऊपर सेटेलाइट पिक्चर में उठते धुएं के चित्रों ने यशस्विनी को सोचने को मजबूर कर दिया कि कहीं न कहीं यह एक बड़ी महामारी का रूप ले रही है। फरवरी महीने के आखिरी में भारतीय विमानों ने चीन के एजुकेशन हब वुहान शहर से सैकड़ों भारतीयों को रेस्क्यू किया।

समाचार पत्रों में चीन के बारे में खबरें कम आती थीं लेकिन वहां से लौटने वाले एक-दो भारतीय लोगों के लॉकडाउन के संस्मरण बड़े ही विचलित करने वाले थे क्योंकि खाने-पीने से लेकर पानी तक की कमी हो रही थी। यशस्विनी समझ गई थी कि वुहान शहर में इसने बड़े पैमाने पर तबाही मचाई है और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की रोक के बाद भी कहीं न कहीं यह महामारी अमेरिका, यूरोप और अरब, दक्षिण एशिया के अनेक देशों में फैल चुकी है।

  पहले तो विदेश से भारत आने वाली फ्लाइट में केवल संदिग्ध पैसेंजर ही स्क्रीन किए जाते थे, लेकिन 6 मार्च से इसे सभी यात्रियों के लिए अनिवार्य कर दिया गया। यशस्विनी ने उस दिन की अपनी डायरी में लिखा,

" अनेक देशों में तांडव मचाते इस महामारी के हमारे देश में भी आहट... सभी मुस्तैद व सजग हैं लेकिन बिना लक्षणों वाले इस बीमारी के बाद में अपना असली रंग दिखाने पर क्या होगा है ?ईश्वर सबकी मदद करें।….."

    8 मार्च की डायरी में यशस्विनी ने लिखा …..आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है और भारत में इस कोरोनावायरस से संक्रमितों की संख्या 100 पहुंच गई है...। विश्व स्वास्थ संगठन के अध्यक्ष ने ट्वीट किया,.... यह महामारी 100 देशों में फैल चुकी है……

       आखिर 11 मार्च 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 को वैश्विक महामारी घोषित कर दिया…………

      यशस्विनी श्रीकृष्ण प्रेमालय स्कूल प्रबंध समिति की सदस्या भी थी। स्कूल के प्राचार्य ने समिति की बैठक में वार्षिक उत्सव के आयोजन का प्रस्ताव रखा।प्रति वर्ष यह अप्रैल महीने में होता था क्योंकि तब मार्च महीने में बोर्ड परीक्षाएं समाप्त हो जाती थीं और अप्रैल से नया सत्र प्रारंभ होने पर विद्यार्थियों पर पढ़ाई का बोझ कम रहता था….।

  बैठक में यशस्विनी ने इस प्रस्ताव का विरोध किया।उसने कहा, परीक्षाएं पूर्व घोषणा के अनुसार पहले शुरू हो गई हैं लेकिन हमें जल्द से जल्द परीक्षा समाप्त होने के बाद विद्यार्थियों को राहत देते हुए अगले सत्र में स्कूल बुलाने से बचना चाहिए थोड़े दिनों के लिए…. इसलिए हमें अप्रैल में वार्षिक उत्सव कराने से बचना चाहिए क्योंकि संभावित वायरस संक्रमण से बचाव के लिए लोगों का दूर- दूर रहना अति आवश्यक है। ऐसा मेरा अनुमान है….. यशस्विनी के प्रस्ताव का सभी ने समर्थन किया और इस बात पर भी सहमति बनी कि परीक्षाओं के दौरान विद्यार्थी अगर स्कूल आते हैं तो एक तो प्रार्थना सभा ही न हो और होने की स्थिति में उन्हें बहुत दूर दूर खड़ा किया जाए……..।

(क्रमशः)

डॉ. योगेंद्र कुमार पांडेय