Adakaar - 36 in Hindi Crime Stories by Amir Ali Daredia books and stories PDF | अदाकारा - 36

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अदाकारा - 36

*अदाकारा 36*

     शर्मिला जयसूर्या के करीब आईं और जयसूर्या के दोनों कॉलर पकड़कर ओर उसकी आंखों में आंखे पिरोकर कामुक स्वर में बोलीं।

“मैने अपनी चौबीस साल की उम्र में अब तक सिर्फ़ प्यार का अभिनय किया है।असल ज़िंदगी में न तो मुझे किसी से प्यार हुवा है न तो आज तक मैंने किसी को अपने शरीर को छूने तक दिया है।और तुम इस बात के लिए निश्चिंत रहो जयसूर्याजी तुम मेरे शरीर को छूने वाले पहले इंसान होगे।”

शर्मिला की इस कामुक अदाओं ने ओर उसकी मदभरी बातोंने जयसूर्या को और भी उत्तेजित कर दिया।उसने शर्मिला को अपनी बाहों में भरने की कोशिश की।लेकिन शर्मिला बिजली की तरह फिसल गईं।और थोड़ी दूर खड़े होकर उसने कहा।

“प्लीज़।मुझे उसके लिए अपने आप को तैयार करना पड़ेगा और उसमें में थोड़ा सा समय भी लगेगा।”

“तेरी ये फ़िल्मो की रंगीन दुनिया?और तु कहती हो कि तुजे अभी तक किसी ने छुआ तक नहीं?”

जयसूर्या को हैरानी हो रही थी।शर्मिला की बातें उसको बिल्कुल ग़लत लग रही थीं जिस क्षेत्र में वो काम कर रही थी वो एक रंगा रंग क्षेत्र था ओर उसकी काफी नेगेटिव बाते जयसूर्या ने सुन रखी थी इस लिए उसका दिल ये मानने को तैयार नहीं था कि शर्मिला अब तक अछूती हो।उसको अब तक किसीने छुआ तक नहीं होगा।इसलिए उसने पूछ ही लिया।

"यह कैसे संभव है?"
शर्मिलाने अपनी बात इस तरह समझाने की कोशिश की।

"फ़िल्मी दुनिया बेशक रंगीन और आकर्षक है, लेकिन कोई भी आपको आपकी मर्ज़ी के बिना वो सब करने को मजबूर नहीं कर सकता जो आप करना नही चाहते।"

शर्मिलाने खोखला झूठ बोला।

जयसूर्याने निराश होकर जाने के लिए अपने पैर उठाए और जाते हुए बोले।

"क्या सच तूने जो ग़ैरक़ानूनी काम करने को कहा था वो मज़ाक था?"

"बिल्कुल।मैं मज़ाक ही कर रही थी।"

शर्मिलाने दृढ़ता से कहा।

तो जवाब में जयसूर्या ने शर्मिला की आँखों में झांकते हुवे कहा।

"लेकिन सुनो।मैं मज़ाक नहीं कर रहा।अगर तुम्हारे पास वैसा कोई काम है या और किसी भी तरह का तो मेरा यकीन रखो तेरे लिए मैं ज़रूर करूँगा।"

"अच्छा?"

शर्मिला को यकीन नहीं था कि जयसूर्या उसे पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार होंगा। तो उसने अपने आईब्रो नचाते हुए कहा।

"तो फिर तुम्हें एक दिन ज़रूर आजमाना पड़ेगा।”

"एनी टाइम मैडम।बस यह मान लो कि बंदा हमेशा तुम्हारी सेवा में हाज़िर है।"

जयसूर्या शर्मिला को पाने के लिए बेताब हुवा जा रहा था।

   शर्मिला सुबह शूटिंग पर पहुँच गईं। 
आज शर्मिला रंजन के साथ एक गाने की शूटिंग कर रही थीं।

  रहती हो दूर-दूर क्यों करीब आ जाओ
  आंखों के रस्ते से दिल में समा जाओ 

      आज इस गाने की शूटिंग में रंजन को बार-बार रीटेक पर रीटेक लेने पड़ रहे थे। सिर्फ़ शुरुआती मुखड़े की शूटिंग के दौरान ही बारह-तेरह रीटेक हुए।छह घंटे की शूटिंग के बाद बड़ी मुश्किल से सिर्फ गाने का मुखड़ा ही शूट हो पाया था।

  इस लिए शर्मिला पूरी तरह से ऊब चुकी थीं। साथ ही वह बेहद थकी हुई भी थीं।उसने रंजन के सामने ही मल्होत्रा को झिड़कना शुरू किया।

"सर,पहले इस हीरो को ठीक से रिहर्सल करवा लीजिए उसके बाद ही मुझे शूटिंग के लिए बुलाइए।मुझे इस चार लाइनके मुखड़े लिए छह घंटे शूटिंग करना बिलकुल पसंद नहीं है।"

  शर्मिला के इस कदर कठोर शब्दों ने रंजन के स्वाभिमान को ठेस पहुँचाई।आखिर वह एक निर्माता का बेटा था।यह फिल्म उसके पिता के पैसों से बन रही थी।और ये दो टके की हीरोइन उसके बारे में कुछ भी कहे जा रही हे?उसने ज़हरीली नज़रों से शर्मिला को घूरते हुवे कहा।

"ओ मैडम।आप कोई मुफ़्त में काम नही कर रही।पसंद नही से क्या मतलब है?आप इस फिल्म में मुफ़्त में काम नहीं कर रही हैं। आपने जो पैसे माँगे थे वो मुँह मांगे आप को दिए गए हैं समझी?"

बस हो गया।ये सुनते ही शर्मिला का गुस्सा भी अब सातवें आसमान पर पहुँच गया।उसने गुस्से भरी नज़रों से रंजन को घूरा।

"मुझे जो पैसे दिए गए हैं वो कोई मुफ़्त में नहीं दिए है।और तुम्हारे पापा ने मुझे पैसे देकर ख़रीद भी नहीं लिया है।"

और फिर उसने पलट कर डायरेक्टर को कहा।

"मल्होत्रा साहब।आपने मुझे पाँच लाख का साइनिंग अमाउंट का चेक दिया है।जो मैंने अभी तक बैंक में जमा नहीं किया है।मैंने तीन दिन शूटिंग की है।उसका जो मेरा अमाउंट होता हो उसका चेक बनाकर मेरे सेक्रेटरी को दे दो और कोई दूसरी हीरोइन ढूँढ लो जो आपके हीरो को बर्दाश्त कर सके।मैं कल आपका चेक भेज दूँगी।"

मल्होत्रा की हालत सरोता के बीच फंसी सुपारी जैसी हो गई थी।वह रंजन को प्रोड्यूसर का बेटा होने के नाते कुछ नहीं कह पा रहा था।और वह ये भी नहीं चाहता था कि शर्मिला फिल्म ये छोड़ें।उसने शर्मिला से धीरे से कहा।

"मैडम।इस फिल्म की कहानी सिर्फ आप ही को नज़र में रखकर लिखी गई है।प्लीज़।आप फिल्म छोड़ने की बात न करें।"

लेकिन शर्मिला बिल्कुल भी झुकने को तैयार नहीं थीं।

"मैं कुछ नहीं सुनना चाहती।"

फिर उन्होंने अपनी सेक्रेटरी से कहा।

"निर्मल।आप मल्होत्रा से तीन दिन का चेक ले लो और कल पाँच लाख चेक आकर इन्हें लौटा दीजिएगा।"

यह कहकर वह गुस्से से तिलमिलाती सेट छोड़ कर चली गईं।

(क्या मल्होत्रा शर्मिला को फिल्म पूरी करने के लिए मना लेंगे या अपनी फिल्म के लिए कोई नई हीरोइन ढूँढेंगे)