*अदाकारा 32*
"तुम एक पुलिस अधिकारी हो और अगर मैं कल तुमसे कोई गैरकानूनी काम करवाना चाहूँ तो क्या तुम करोगे?"
शर्मिला के इस शब्दने बृजेश को पूरी रात सोने नही दिया।बार बार ये शब्द हथौड़े की तरह उसके सीने पर वार करते रहे।उसके दिमाग में गूंजते रहे।
दोपहर को ड्यूटी पर आने के बाद भी ये शब्द उसका पीछा नहीं छोड़ रहे थे।शर्मिला के ये शब्द सुनकर वह समझ नहीं पा रहा था कि शर्मिला आखिर क्या करना चाहती है?वह उससे क्या करवाना चाहती है?
वह किस तरह का गैरकानूनी काम करवाना चाहती है?यह सोचते-सोचते उसका सिर चकराने लगा था।
उसने अपनी दोनों कोहनियाँ मेज़ पर टिका कर काफी देर तक वो अपने सिर को दोनों हथेलियों में पकड़े बैठा रहा।जयसूर्या ने उसे जब ऐसी हालत में देखा तो।वह बृजेश के पास आया और बोला।
"सर।क्या आपकी तबियत ठीक नहीं है?"
बृजेश ने सिर उठाया और जयसूर्या की तरफ देखा।पूरी रात सो ना सकने की वजह से बृजेश की पलकें भारी भारी लग रही थीं।
"लगता है कल रात आपको नींद नहीं आई। क्या हुआ है सर?"
जयसूर्या ने पूछा उसका स्वर सहानुभूतिपूर्ण था।लेकिन बृजेश के पास जयसूर्या के प्रश्न का कोई उत्तर नहीं था।वो कैसे बताता शर्मिलाने जो डिमांड उसके पास रखी थी।इसलिए वह चुप ही रहा।
जयसूर्याने फिर से पूछा।
"क्या मैं आपके लिए कॉफ़ी लाऊँ?इससे आपको अच्छा लगेगा।"
बृजेश ने हां में सिर हिलाया।और फिर दोनों हाथों की उँगलियों से अपने माथे को दबाने लगा।
जयसूर्या ने उसे कॉफ़ी देते हुए कहा।
"सर।कॉफ़ी पीने से आपका सिर हल्का हो जाएगा।और अगर आपके मन मे कोई समस्या है तो आप बता सकते हैं तो मुझे बताएँ।इससे आपके दिल का कुछ बोझ भी हल्का हो जाएगा।"
"आप मेरे बड़े भाई जैसे हैं।"
बृजेश ने कहा।और फिर गहरी साँस लेते हुए, वह आगे बोला।
"क्या शर्मिला याद है?"
"हाँ।हाँ सर।उसे क्या हुआ?"
जयसूर्या ने चौंककर पूछा।
"उसे अभी तक तो कुछ नहीं हुआ है,लेकिन मुझे लगता है कि ड्रग्स लेते हुए जब वो पकडी गई थी तब उस पर कोई कार्यवाही न कर के हमने बहुत बड़ी गलती की थी।"
"क्यों सर?क्या वह अभी भी ड्रग्स ले रही है?"
जयसूर्या के सवाल का जवाब देते हुए बृजेश ने कहा।
"पता नहीं।लेकिन उसने मुझे कल शाम फ़ोन किया था।"
"ओह!तो तुम इस लिए नौ बजे चले गए थे?"
"हाँ.."
ब्रजेश ने कहा फिर कुछ देर चुप बैठा रहा। फिर उसने शर्मिला के अपने जीजा से हुए झगड़े के बारे में बात की।
"पहले उसने मुझे इमोशनल किया।जब मैंने भावुक होकर उससे कहा कि तुम्हें चिंता करने की ज़रूरत नहीं है मैं तुम्हारे साथ हूँ और हमेशा तुम्हारा साथ दूँगा।तो उसने मुझे अपने रूप के जाल में फँसाने की कोशिश की। जानते हो उसने क्या कहा?"
"क्या?"
जयसूर्या ने धड़कते दिल से पूछा।
"उसने कहा कि तुम पुलिस विभाग के आदमी हो।अगर मैं कहूँ कि तुम मेरे लिए कोई गलत या गैरकानूनी काम करो,तो क्या तुम करोगे?"
यह कहते कहते बृजेश की साँस फूल गई। जयसूर्या ने आँखें सिकोड़ते हुए कहा।
"गैरकानूनी काम?कैसा गैरकानूनी काम?"
बृजेश ने कंधे उचका दिए।
"उसके ये शब्द सुनते ही मैं भड़क गया।ओर मैं तुरंत वहाँ से चला गया।मेरी नाराजगी देखकर उसने कहा, *मैं तो सिर्फ मज़ाक कर रही हु* लेकिन मुझे उसकी बातमे जरासी भी मज़ाक जैसा नहीं लगा है।अब हमे यह जानना ज़रूरी है कि शर्मिला क्या अब भी ड्रग्स ले रही है? ओर अगर ले रही हैं तो लाती कहा से है?"
"और यह हमें कैसे पता चलेगा सर कि मैडम ड्रग्स कहा से लाती हैं?"
जयसूर्या की आवाज़ में चिंता थी।लेकिन बृजेश के पास उपाय तैयार था।
"हमें पाटिल से कहना चाहिए कि वह उस पर नज़र रखे।"
"पाटिल क्यों साहब?अगर आप हुक्म दें,तो मैं खुद उस मैडम पर नज़र रखूँगा।"
जयसूर्याने सीना फुलाते हुए कहा।लेकिन बृजेश ने उसके उत्साह पर ठंडा पानी डाल दिया।
"नहीं जयसूर्या भाई।मुझे हर कदम पर आपकी ज़रूरत होती है।आपको तो मेरे साथ ही रहना होगा।"
"ठीक है साहब।जैसी आपकी मर्ज़ी।मैं पाटिल को समझा देता हूं।"
जयसूर्या ने गहरी साँस लेते हुए कहा।और फिर सखाराम पाटिल को बुलाया और उसे कुछ निर्देश देने लगा।पाटिल को निर्देश देने के बाद,उसने बृजेश से कहा।
"साहब।मैंने पाटिल को सब समझा दिया है।"
"ठीक है।"
बृजेशने राहत की सांस ली।
"मैं पाँच मिनट में आता हूँ सर।"
यह कहकर जयसूर्या ने बृजेश को दो उंगलियाँ दिखाईं और शौचालय की ओर चल पड़ा।
शौचालय में घुसकर उसने अपना मोबाइल निकाला और शर्मिला का नंबर डायल किया।
(शर्मिला को फ़ोन करके जयसूर्या क्या कहना चाहता था?ये जानने के लिए अगला एपिसोड पढ़ें।)