Adakaar - 10 in Hindi Crime Stories by Amir Ali Daredia books and stories PDF | अदाकारा - 10

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अदाकारा - 10

*अदाकारा 10*

        जैसे ही दरवाजे की घंटी बजी,उर्मिला का चेहरा चमक उठा। वो उत्साहित होकर तेज कदमों से दरवाजे की ओर दौड़ी।क्योंकि उसे हंड्रेड परसेंट यकीन था कि यह मेरा सुनील ही है?

       पहले तो उसने अपनी रो रो कर लाल हुई आंखों कोअपनी हथेली से पोंछा।उर्मिला ने चिंता से भरे चेहरे और काँपते हुवे हाथों से दरवाजा खोला।दरवाजा खोलते ही वह सुनील को सीधे गले लगाना चाहती थी।

   "सुनी...."

यह कहते हुए उसने सुनील को गले लगाने के लिए अपनी दोनों बाँहें फैला कर वो आगे बढ़ी.. ।
लेकिन यह क्या?यहां तो सामने सुनील के बजाय भाई बेहराम और भाभी मेहर खडे हुए थे। उनको देखकर वो जरासी हड़बड़ा गई। सुनील को बाहों में भरने के लिए फैले हुए हाथों को पीछे खींचते हुए वो बोली।

   "बेहराम भैया। भाभी। आप?"

"हाँ,उर्मी बहन।सुनील का काम था।वह कहाँ है?मैं उसे फ़ोन करने की कबसे कोशिश कर रहा हूँ,लेकिन उसका फ़ोन बंद आ रहा है।"

बेहराम की बात सुनकर उर्मिला बेहराम से लिपट गई और ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी।

"क्या...क्या बात है,उर्मी?आखिर हुवा क्या हे?"

बेहराम ने उर्मिला की पीठ सहलाते हुए पूछा। जवाब में उर्मिला और भी ज़ोर से रोने लगी।

     मेहर और बेहराम दोनों उर्मिला का हाथ पकड़कर उसे उसके बेडरूम में ले गए।मेहर प्यार से उर्मिला के सिर पर अपना हाथ फेरने लगी।बेहराम फ्रिज से पानी की बोतल ले आया।
और बेडरूम का दरवाज़ा उसने इतने धीरे से बंद कर दिया कि उर्मिला को दरवाजा बंद होने का एहसास भी ना हुवा।

बहराम पानी की बोतल उर्मिला के सामने रखते हुए बोला।

"लो उर्मि।पहले थोड़ा पानी पी लो।फिर मुझे बताओ कि मेरी बहन को क्या हुआ?"

उर्मिलाने सिसकियां लेते हुए कहा।

"भाई।सुनीलने मुझे दोपहर 2 बजे बैंगलोर से फ़ोन किया था कि मैं फ़्लाइटमे बैठ चुका हू और शाम 5 बजे तक घर पहुँच जाऊँगा। लेकिन आठ बजे तक जब वह यहां ना पहुंचा तो मैंने उसे कॉल किया तो उसका फोन भी बंद आने लगा अब देखो साढ़े ग्यारह बजने वाले है और वह अभी तक नहीं आया पता नहीं मेरे सुनील को क्या हुआ होगा?"

यह कहते हुए वह फिर से रोने लगी उसने अपना चेहरा दोनों हथेलियों में छिपा लिया। मेहर धीरे-धीरे अपना प्यार भरा हाथ उसके सिर पर फेर रही थी।

“हो सकता हे शायद वो सीधे अपने ऑफिस चला गया होगा।क्या उसके ऑफिस पर फ़ोन किया?”

बेहरामने पूछा।

“हाँ भाई।मैंने उसके बॉस चंपकलाल को फ़ोन किया था।लेकिन उसने बेरुखी से कहा कि वो आ जाएगा मुझे सुनील का ओर इंतज़ार करना चाहिए।तुम बताओ में शाम पांच बजे से इंतजार ही तो कर रही हु ना?ओर कब तक इंतज़ार करु?उस आदमी को अपने कर्मचारियों की ज़रा सी भी परवाह नहीं है।जो आदमी शाम पाँच बजे आने वाला था वो आठ बजे तक नहीं आया तब फ़ोन करके जब उससे पूछा कि क्या वह ऑफिस आया हे?तो अपने एम्प्लोई की फिक्र करने के बजाय वो भाई साहब शांति से मुझे इंतज़ार करने को कहते हैं।”

उर्मिला अपना तमाम गुस्सा सुनील के बॉस चंपकलाल पर निकालती है।

बेहराम ने उर्मिला के गालों पर बहते आँसुओं को अपनी उंगली से पोंछते हुए पूछा।

“बहना।तुमने कुछ खाया या नहीं?”

बेहराम का सवाल सुनकर उर्मिला हैरानी से बेहराम के चेहरे की तरफ़ देखने लगी।

“भाई!मेरे सुनील का कोई अता पता नहीं है। उसको क्या हुआ हे उसकी कोई खबर भी नहीं है तो मैं कैसे खा सकती हु?अनाज का इक दाना भी मेरे गले के नीचे कैसे उतर सकता हे?”

और फिर भावुक होकर उर्मिलाने बेहराम का हाथ थामते हुए करुणामय स्वर में कहा।

"मैं तो बस आपको फ़ोन करने ही वाली थी, भाई।लेकिन आप खुद ही यहाँ आ गए।हमें इसकी जाँच करनी होगी है ना भाई?"

"हाँ..हाँ..ज़रूर।"

बेहराम ने कुछ हिचकिचाहट के साथ उर्मिला की बात मान ली।

और फिर पूछा।

"हम कहाँ और कैसे शुरू करेंगे?"

"हमें पुलिस स्टेशन जाकर सुनील के लापता होने की एफ़आईआर दर्ज करानी चाहिए।"

जैसे ही पुलिस स्टेशन का नाम आया बेहराम के माथे पर पसीना आ गया।उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा।वह काँपती आवाज़ में बोला।

"ठीक है उर्मी।लेकिन तू पहले कुछ खा तो ले।"

"जब तक मैं अपने सुनील को नहीं ढूँढ़ लेती जब तक उसका चेहरा नहीं देख लेती मैं अपने मुँह में अन्न का एक दाना भी नहीं डालूँगी।"

उर्मिला ने दृढ़ता से अपना फ़ैसला सुनाया। अब बेहराम ला ईलाज हो गया उसके पास कोई उपाय नहीं बचा था।इसलिए उसने कहा

"ठीक हे में बाहर बैठा हूँ।आप जल्दी से तैयार हो जाइए।"

उर्मिला गुस्से से काँपती हुई बिस्तर से उठी। और बोली।

"भैया,तुम्हें क्या हो गया है?"

"क्या..क्या..क्यों?"

बेहराम ने चौंककर पूछा।

"मुझे पुलिस स्टेशन जाना है।उसके लिए तैयार होने की क्या ज़रूरत है?"

जैसे ही उर्मिलाने अपनी बात पूरी की बेहराम के मोबाइल पर एक मैसेज आया।

मैसेज पढ़ते ही बेहराम का चेहरा जो चिंता से सफ़ेद पड़ गया था अचानक खिल उठा।

"ठीक है तो ऐसे ही चलते हैं।"

जैसे ही तीनों ने बेडरूम का दरवाज़ा खोला और हॉल में कदम रखा, 
उसी वक्त अचानक हॉल की लाइटें बंद हो गई।हॉल में काला घुप्प अँधेरा छा गया। उर्मिला अँधेरे में कुछ भी नहीं देख पा रही थी। उसके मुँह से घबराहट से चीख निकल गई।

"भैया..भैया।"

और अगले ही पल, किसी ने उसे अपनी बाहों में कस लिया।

(अंधेरे का नाजायज़ फ़ायदा उठाने वाला कौन हो सकता है?सुनील के साथ क्या हुआ होगा? और अब उर्मिला का क्या होगा?पढ़ते रहिए, अदाकारा)