96 (2018) movie review in Hindi Film Reviews by aarya chouhan books and stories PDF | मूवी रिव्यु - 96 (2018)

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मूवी रिव्यु - 96 (2018)

आपने  सैयारा मूवी लोगों क़ो फुट फुट कर रोते देखा होगा 😭 पर अगर वास्तविक प्रेम देखना है तो 96 मूवी जरूर देखिएगा जिसमें प्रेम का असली रूप परिभाषित किया है,

विजय सेतुपति की फिल्म ‘96’ (2018) को तमिल सिनेमा की सबसे खूबसूरत और भावनात्मक प्रेम कहानियों में से एक माना जाता है। यह फिल्म, जो 90 के दशक की पृष्ठभूमि पर आधारित है, न केवल अपनी कहानी और अभिनय के लिए बल्कि अपने यथार्थवादी चित्रण और भावनात्मक गहराई के लिए भी दर्शकों और समीक्षकों से खूब प्रशंसा बटोर चुकी है। निर्देशक सी. प्रेम कुमार ने इस फिल्म के माध्यम से प्रेम,  अधूरी कहानियों की भावनाओं को बेहद संवेदनशीलता से पेश किया है। विजय सेतुपति और तृषा कृष्णन की जोड़ी ने इस फिल्म को एक अविस्मरणीय अनुभव बना दिया।

फिल्म की कहानी राम (विजय सेतुपति) और जानकी (तृषा) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो स्कूल के दिनों में एक-दूसरे से प्यार करते थे। 22 साल बाद, 1996 बैच की स्कूल रीयूनियन में उनकी मुलाकात होती है, और यह मुलाकात उनकी पुरानी यादों को ताजा कर देती है। राम, एक ट्रैवल फोटोग्राफर, और जानकी, एक गृहिणी, अपने अतीत को याद करते हुए एक रात में अपनी भावनाओं को फिर से जीते हैं। यह कहानी सिर्फ प्रेम की नहीं, बल्कि समय, परिस्थितियों और जीवन के बदलावों की भी है, जो दर्शकों के दिल को गहराई से छूती है।विजय सेतुपति का अभिनय इस फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष है। राम के किरदार में उन्होंने एक ऐसे व्यक्ति को जीवंत किया है, जो अपने पहले प्यार को भुला नहीं पाया, फिर भी जीवन में आगे बढ़ने की कोशिश करता है। उनकी आँखों में उदासी, उनके चेहरे पर मुस्कान, और उनके संवादों में सादगी दर्शकों को भावनात्मक रूप से बांध लेती है। विजय ने इस किरदार को इतनी सहजता से निभाया है कि हर दृश्य में उनकी भावनाएँ वास्तविक लगती हैं। खासकर, वह दृश्य जहाँ राम और जानकी रात भर बात करते हैं, विजय की सूक्ष्म अभिनय क्षमता को दर्शाता है। तृषा के साथ उनकी केमिस्ट्री इतनी स्वाभाविक है कि दर्शक उनकी प्रेम कहानी में खो जाते हैं।

फिल्म का सिनेमैटोग्राफी और संगीत भी इसकी आत्मा हैं। गोविंद वसंत का बैकग्राउंड स्कोर और गाने, जैसे “काथले काथले”, 90 के दशक की भावनाओं को जीवंत करते हैं। सिनेमैटोग्राफर महेंद्रन जयराज और प्रेमनाथ ने स्कूल के दिनों और वर्तमान समय को खूबसूरती से कैप्चर किया है। 90 के दशक का माहौल, स्कूल की यादें, और उस समय की सादगी को फिल्म में इतनी खूबसूरती से दर्शाया गया है कि दर्शक खुद को उस दौर में महसूस करते हैं।‘96’ की खासियत यह है कि यह एक साधारण प्रेम कहानी को असाधारण तरीके से प्रस्तुत करती है। यह फिल्म न केवल प्रेम की सुंदरता को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि कुछ कहानियाँ अधूरी रहकर भी पूरी होती हैं। विजय सेतुपति की यह फिल्म हर उस व्यक्ति के लिए है जो अपने अतीत की यादों को संजोकर रखता है। समीक्षकों ने इसे तमिल सिनेमा की एक मास्टरपीस बताया है, और यह निश्चित रूप से विजय सेतुपति के करियर की सबसे यादगार फिल्मों में से एक है।

 ⭐रेटिंग  5/5