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🐍 नागमणि – भाग 6
घने जंगल की रहस्यमयी गहराइयों में फिर से हलचल मच चुकी थी। नागों के बीच खबर फैल चुकी थी कि नागमणि अब सिर्फ एक रत्न नहीं रही, बल्कि उसमें देवताओं का आशीर्वाद समा चुका है। जिसके पास नागमणि होगी, उसे अमरत्व और अपार शक्ति प्राप्त होगी।
कहानी आगे बढ़ती है—
🔮 गुप्त गुफा का रहस्य
अर्जुन और उसकी बहन सुमेधा पिछली घटनाओं से बचकर अब उस गुफा तक पहुँच चुके थे, जहाँ प्राचीन नाग साधक ने नागमणि की रक्षा के लिए तंत्र-मंत्रों का कवच रचा था। गुफा के द्वार पर विशाल पत्थर के नाग की मूर्ति थी, जिसकी आँखों में नीली ज्वाला दहक रही थी।
सुमेधा ने डरते हुए कहा—
“भैया, यह तो लगता है जैसे सचमुच हमें देख रहा हो।”
अर्जुन ने उत्तर दिया—
“हाँ बहन, नागदेव की प्रतिमा में प्राण प्रतिष्ठा है। बिना सच्चे दिल और पवित्र मन के अंदर प्रवेश संभव नहीं।”
वे दोनों ध्यानमग्न होकर द्वार पर खड़े हुए। तभी गुफा का द्वार धीरे-धीरे स्वयं खुल गया।
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🐍 नागराज का प्रकट होना
अंदर प्रवेश करते ही वातावरण बदल गया। दीवारों पर सांपों की छाया लहराने लगी। अचानक एक दिव्य प्रकाश प्रकट हुआ और उसमें नागराज वासुकि का विशाल रूप प्रकट हुआ।
वासुकि बोले—
“अर्जुन, तुम्हें यहाँ तक लाने का कारण यही है कि नागमणि अब दुष्टों के हाथ न लगे। यह मणि ब्रह्मांड की रक्षा के लिए है, व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए नहीं।”
अर्जुन ने सिर झुकाकर कहा—
“नागराज, मैं वचन देता हूँ कि मणि का उपयोग केवल धर्म और जनकल्याण के लिए होगा।”
वासुकि मुस्कुराए और बोले—
“तो फिर सुनो, नागमणि पाने की अंतिम परीक्षा यही है कि तुम्हें अपने प्राणों से भी अधिक मूल्यवान किसी वस्तु का त्याग करना होगा।”
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💔 अंतिम परीक्षा
अर्जुन और सुमेधा दोनों चौंक गए। तभी गुफा की दीवार पर एक चित्र उभरा जिसमें उनके माता-पिता का चेहरा था। एक आवाज़ आई—
“या तो नागमणि चुनो, या अपने माता-पिता की आत्मा को मुक्त करो।”
सुमेधा की आँखों में आँसू आ गए—
“भैया, हम नागमणि की शक्ति से संसार की रक्षा करेंगे, लेकिन माता-पिता की आत्मा को दुख में कैसे छोड़ सकते हैं?”
अर्जुन कुछ देर मौन रहा। फिर दृढ़ स्वर में बोला—
“नागमणि अगर धर्म के लिए है, तो त्याग ही उसका सबसे बड़ा धर्म होगा। मैं माता-पिता की आत्मा को मुक्त करना चुनता हूँ।”
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✨ दिव्य आशीर्वाद
अचानक पूरा गुफा उजाले से भर गया। नागमणि स्वयं अर्जुन के हाथों में आ गई। वासुकि प्रकट होकर बोले—
“तुमने सबसे कठिन परीक्षा पास कर ली। जिसने अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर दूसरों को चुना, वही नागमणि का सच्चा अधिकारी है।”
सुमेधा ने प्रसन्न होकर कहा—
“भैया, अब यह शक्ति बुराई का नाश करेगी और मानवता की रक्षा करेगी।”
अर्जुन ने नागमणि को अपने मस्तक से लगाया और प्रतिज्ञा की—
“जब तक प्राण हैं, यह नागमणि किसी अधर्मी के हाथ नहीं लगेगी।”
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🔚 भाग 6 का समापन
इस प्रकार नागमणि ने अपने सच्चे स्वामी को पहचान लिया। लेकिन यह तो शुरुआत थी—क्योंकि अब अधर्मी तांत्रिक और लालची राजा इसकी खोज में निकल चुके थे…
(जारी रहेगा — नागमणि भाग 7 में)
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✍️ मौलिकता प्रमाणपत्र
मैं, Vijay Sharma Erry – Ajnala, Amritsar, Punjab, यह प्रमाणित करता हूँ कि यह कहानी “नागमणि भाग 6” मेरी अपनी मौलिक रचना है। इसका कोई भी अंश कहीं से नकल नहीं किया गया है। यह पूर्णतः मेरे विचारों और मेरी कल्पना की उपज है।
हस्ताक्षर:
Vijay Sharma Erry
Ajnala, Amritsar, Punjab – 143102
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