Nagmani - 9 in Hindi Thriller by Vijay Sharma Erry books and stories PDF | नागमणि - भाग 9

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नागमणि - भाग 9

नागमणि – भाग 9✍️ लेखक : विजय शर्मा एरी१ : घने जंगल की खामोशीसूरज ढल चुका था। घना जंगल रहस्यमयी अंधेरे में डूब चुका था। पेड़ों की सरसराहट, झींगुरों की आवाज़ और दूर से आती भेड़िए की हुंकार मानो किसी आने वाले तूफ़ान का संकेत दे रही थी। वीर, मोहन, सरिता और रेखा – चारों मित्र अब भी नागमणि की खोज में थे। भाग 8 की घटनाओं के बाद वे और सतर्क हो चुके थे।सरिता ने धीमी आवाज़ में कहा –“अब लगता है नागमणि केवल एक रत्न नहीं, बल्कि इसमें किसी अद्भुत शक्ति का रहस्य छुपा है।”मोहन ने सिर हिलाया –“हाँ, और यही कारण है कि हर कोई इसे पाना चाहता है। मगर सावधान रहना होगा। जंगल हमें अपने पास बुलाता भी है और डराता भी।”२ : साधु की गुफ़ाअचानक उन्हें दूर टिमटिमाती रोशनी दिखाई दी। चारों उस ओर बढ़े तो एक गुफ़ा नज़र आई, जिसके भीतर एक वृद्ध साधु ध्यानमग्न बैठे थे। उनके चारों ओर दीपक जल रहे थे। वातावरण में गहन शांति थी।वीर ने झुककर प्रणाम किया –“बाबा, हम नागमणि की खोज में हैं। हमें मार्ग दिखाइए।”साधु ने आँखें खोलीं और धीमे स्वर में बोले –“नागमणि कोई साधारण रत्न नहीं। यह ब्रह्म का वरदान है। इसे पाने के लिए केवल साहस नहीं, बल्कि सच्चा हृदय चाहिए। यदि स्वार्थ से इसे छूने की चेष्टा की, तो यह आग बनकर सब कुछ भस्म कर देगा।”३ : प्राचीन कथासाधु ने उन्हें नागमणि की प्राचीन कथा सुनाई।“सदियों पहले यह मणि एक महाशक्तिशाली नाग के पास थी। उसने वचन दिया था कि यह मणि केवल उन्हीं को मिलेगी, जो मानवता और धर्म की रक्षा करेंगे। लालचियों और दुष्टों के लिए यह मणि शाप है। तभी से नागवंश इसका रक्षक बना हुआ है।”रेखा ने आश्चर्य से पूछा –“बाबा, क्या वह नाग अब भी जीवित है?”साधु मुस्कराए –“हाँ, समय से परे वह आज भी इस जंगल में है। और जब तक उसकी परीक्षा पार नहीं होगी, कोई नागमणि को छू भी नहीं सकता।”४ : भयावह संकेतगुफ़ा से बाहर निकलते ही चारों ने अजीब दृश्य देखा। आकाश में काले बादल छा गए, बिजली चमकने लगी। ज़मीन हिल रही थी। मानो जंगल स्वयं जाग उठा हो।मोहन घबराकर बोला –“ये तो किसी तूफ़ान का संकेत है।”वीर ने दृढ़ स्वर में कहा –“नहीं, यह नाग का इशारा है। वह हमें देख रहा है।”५ : नाग का प्रकट होनाअचानक सामने से भयानक फुफकार सुनाई दी। एक विशालकाय नाग, जिसकी आँखें अंगारों की तरह चमक रही थीं, उनके सामने आ खड़ा हुआ। उसका फन इतना चौड़ा था कि मानो एक पेड़ झुककर खड़ा हो।नाग की गर्जना गूँजी –“कौन है जो नागमणि की लालसा लेकर आया है? बोलो, क्या तुम भी उन लालची मनुष्यों की तरह हो जो इसे शक्ति और धन के लिए चाहते हैं?”६ : साहस और सत्य की परीक्षावीर आगे बढ़ा और बोला –“नागराज, हम इसे अपने स्वार्थ के लिए नहीं चाहते। हम जानते हैं कि बुरे लोग इस मणि को पाना चाहते हैं ताकि संसार पर अत्याचार कर सकें। हम केवल इसे सुरक्षित रखना चाहते हैं, ताकि मानवता की रक्षा हो सके।”नाग ने सरिता की ओर देखा –“और तू? तेरे मन में क्या है?”सरिता ने काँपते हुए कहा –“मैं गरीबों के आँसू पोंछना चाहती हूँ। यदि नागमणि से कोई चमत्कार संभव हो तो वह केवल पीड़ितों के लिए होना चाहिए, न कि दुष्टों के लिए।”७ : नागमणि का तेजनाग ने अपनी आँखें मूँद लीं। कुछ पल बाद उसके फन से अद्भुत प्रकाश निकला। सामने चट्टान दो भागों में बँट गई और भीतर चमचमाती हुई नागमणि प्रकट हुई। उसका तेज इतना प्रखर था कि चारों ने अपनी आँखें बंद कर लीं।नाग ने गूँजती आवाज़ में कहा –“यह नागमणि तुम्हें तभी मिलेगी, यदि तुम इसका वचन दो कि इसे अपनी नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानवता की भलाई के लिए उपयोग करोगे।”चारों ने एक स्वर में कहा –“हम वचन देते हैं।”८ : नई जिम्मेदारीनाग ने मणि उनके हवाले कर दी। परंतु साथ ही कहा –“याद रखना, यह केवल एक रत्न नहीं, बल्कि जिम्मेदारी है। इसके प्रकाश से संसार को राह दिखाना, पर कभी स्वार्थी मत बनना। यदि तुमने विश्वास तोड़ा, तो नागमणि स्वयं नष्ट हो जाएगी और तुम्हें भी विनाश मिलेगा।”९ : भाग 9 का अंत और नई राहचारों मित्रों ने नागमणि अपने हाथों में ली। उनकी आँखों में नई चमक थी। अब उनका जीवन केवल उनका नहीं रहा, बल्कि पूरे समाज की धरोहर बन गया था।जंगल की हवा में अब भय नहीं, बल्कि शांति का स्वर था। साधु की गुफ़ा से आती घंटियों की आवाज़ मानो आशीर्वाद दे रही थी।नागमणि अब उनके पास थी, पर असली सफ़र अब शुरू होना था—संसार के सामने इसके रहस्य को सुरक्षित रखना और बुराई से इसका बचाव करना।✍️ लेखक : विजय शर्मा एरी📍 अजनाला, अमृतसर, पंजाब📅 तिथि : 2025